Khel Pyar ka - 7 in Hindi Moral Stories by Sayra Ishak Khan books and stories PDF | खेल प्यार का...7

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खेल प्यार का...7

कायनात मुस्कुराते हुए बोली! 
"तुम बहुत पागल हो! हर बार मेरे पास रहने का सोचते हो! 
"वो प्यार में अंधी कुछ समझ ही नही पाई कि उसके साथ अब क्या होने वाला है... अब आगे


खेल प्यार का...भाग 7

वसीम अब कायनात के अकेले जाने के लिए उसका इंतज़ार करता है!
कायनात को भी अच्छा नहीं लग रहा था! लेकिन वो वसीम के प्यार में इतनी अंधी हो चुकी थी कि उसे सही गलत नजर नहीं आ रहा था..!  
 कायनात सोच में पड़ गई थी कि में कैसे जाउंगी ओर अम्मी बाबा को क्या बोलेगी! आने में लेट हो गई..? तो यही सवाल वो वसीम से करती है..!
ओर बोलती है! 
"मुझे ठीक नहीं लग रहा ! सब साथ होते तो कोई बात नही थी ! वसीम समझो ना प्लीज़ ..? 
लेकिन वो कहा मानने वाला था! उसने कायनात का हाथ झटकते हुआ कहा!
" तुम्हे मुझ पर भरोसा नहीं है? तो ठीक है आजके बाद मुझे मिलना नही..!"
 ये बोल कर वसीम वहां से चला गया! क्यूकि वो जनता था कि कयानात अब उसके बिना नहीं रह सकती! 
वो बस इसी बात का फायदा उठा रहा था!और फिर वसीम कायनात से कुछ दिन दूर दूर रहा!
 वो जब इसके पास आना चाहती ये दूर हो जाता ! 
कुछ दिन यही सिल सिला चलता रहा! आखिर कायनात को झुकना ही पड़ा! वसीम को रोकते हुए कहा!
" ओक तुम जब बोलोगे..! जहां बोलोगे में चलुंगी..! 
ये सुनते ही वसीम ने देर ना करते हुए कायनात को बाहों में भर लिया !
 कहा!
"दो दिन बाद तैयार रहना हम मुंबई चलेंगे! कायनात मुस्कुराते हुए "हा" बोलती है! दूसरे दिन कायनात तैयार हो कर निकलने वाली थी! 
तभी उसे पीछे से आवाज़ आई !
"बेटा इतनी जल्दी में क्यू हो?"
उसने देखा तो कहा!
"बाबा कुछ नहीं बस सोचा जल्दी निकल जाऊं..!  हमेशां देर हो जाती है!
बाबा ने उसके सर पे एक प्यार भरा चुम्बन किस किया !
 कहा !
"अपना खयाल रखना !
"बेटा दुनिया में अच्छे लोगो के साथ बुरे लोग भी है !तुम हमारी जान हो..!
तभी अम्मी भी आ गई!
उन्होने भी कहा !
"हा बेटा इकलौती बेटी हो? हमारी ज़िन्दगी से ज़्यादा प्यारी..!"
इतना सुन के कायनात गले लग गई!
 दोनो के सामने रोते हुआ कहा!
"आप दोनों बिल्कुल फ़िक्र ना करे !मुझे कुछ नहीं हो सकता..! मेरे इतने प्यारे बाबा ओर अम्मी जो है ..! 
बाबा बोले !
"अच्छा जाओ अब तुम्हे देर हो जाएगी !
वो मुस्कुराती हुई घर से निकाल आई! वसीम रेलवे स्टेशन पर कायनात का इंतज़ार कर रहा था !
कायनात को अाता देखा तो वो खुद भी वहां आ गया !
 कुछ ही देर में ट्रेन आई !और दोनों बैठ गये! 
एक से डेड घंटे में दोनों मुंबई उतर गए! कायनात ने कहा! 
'वसीम हम पहले समन्दर देखने जाएगें..! मुझे बहुत अच्छा लगता है !
वसीम ने कहा !
"ठीक है चलते है !
दोनो बीच पर घूमने गए! बहुत मस्ती की! खाया पिया और लेहरो के साथ मोज की! अब वसीम ने कहा !
"कायनात अब चले !शाम घर जाने में लेट हो ना जाए!
" उसने कहा हा चलो मुझे लेट नहीं होना है! वसीम कायनात कों रूम पर ले आया! कायनात ने कहा !
"वसीम तुम हर बार अलग अलग जगह पर क्यू लेते हो ? कोई एक जगह रूम नहीं होता ?"
वसीम बोला !
"अरे पागल वो मेरे दोस्तो के रूम पर ले जाता था !आज वो लोग कोई मिले नहीं इसलिए किराए पर लिया है ! पूरे दिन के लिए !
कायनात ओक कहते हुए चुप हो गई !
और वसीम अपने काम में लग गया! कायनात को अपने बाहों में भर कर उसे चूम ने लगा !
धीरे धीरे कायनात उसकी आगोश में अपने होश खो देती है!
वो दोनों अपनी बेशर्मी की हद पार करते है! शाम के चार बजे वसीम ने कायनात को खुद से दूर करते हुए कहा !
"मुझे एक दोस्त से मिलना है! तुम तैयार हो जाओ ! में थोड़ी देर में अाता हू !कायनात ने कहा !
"जान जल्दी आना! घर जाना है लेट मत करना! वसीम उसे फिर से अपनी मिठ्ठी बातो में बहलाताने लगा!  
"जान में तुम्हे छोड़ कर जाने का मन नहीं लेकिन उसे मिलना ज़रूरी है !थोड़ा सा वेट करो प्लीज !
ओक..!"
 इतना कह कर वसीम रूम से बाहर निकल आया !कायनात तैयार बैठी रही! घर जाने का टाईम हो गया..! वसीम का कुछ पता नहीं था..!!!!!!


वसीम कुछ प्लान बना कर आया है वह तो हम सब समझ गए हैं लेकिन उसके इरादे क्या है