Goriya churvaloo dilvaa mor ho in Hindi Love Stories by Rakesh Kumar Pandey Sagar books and stories PDF | गोरिया चुरवलू दिलवा मोर हो

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गोरिया चुरवलू दिलवा मोर हो

स्नेही पाठकों,

केहू सच ही लिखले बाटे कि प्यार बा त जग में बहार बा,प्यार बिना जिंदगी बेकार बा।

वोही प्यार के बारिश में भीगल कुछ पंक्ति प्रस्तुत बाटें....

१-"गोरिया चुरवलू दिलवा मोर हो"

सांवरी सुरतिया बा, मोहनी मूरतिया,

रसवा भरल पोर पोर हो,

गोरिया चुरवलू दिलवा मोर हो।।

कनवाँ में बाली, ई होठवा पे लाली,

लचके कमरिया जैसे, अमवा की डाली,

रूप के खजाना कहवाँ पवलू तू गोरिया,

मनवाँ भयल मोर चोर हो,

गोरिया चुरवलू दिलवा मोर हो।।

अठरह सवनवां के, बाटी जवनियां,

जइसे हिलोर मारे, नदिया के पनियां,

बिजली गिरवलस, मधुर मुसकनियाँ,

अगिया लगवलू चहुँ ओर हो,

गोरिया चुरवलू दिलवा मोर हो।।

अखियाँ भरल जइसे, मदिरा के प्याला,

पियले पर ना जानी, कइसन बुझाला,

गेसुआ बा जइसे सावन के बदरिया,

"राकेश" भईलें बिभोर हो,

गोरिया चुरवलू दिलवा मोर हो।।

२-"चुरा लिहलू मन"

चाँद जइसन सुरतिया, चुरा लिहलू मन,

रूपवा बा चाँद जइसन, लुभा लिहलू मन,

आईल सावन जवानी के, खिलल बाटे तन।।

गोर बा बदनियाँ जइसे होखे कमल,

कटारी बा अखियाँ केहू भी जाई फिसल,

दिलवा मिली जेकर भी हो, जाई उ जान से,

बच के केहू जाई कहाँ, नयनन के बान से,

लचके पतरी कमरिया जइसे बहे पवन,

रूपवा बा चाँद जइसन लुभा लिहलू मन,

आईल सावन जवानी के, खिलल बाटे तन।।

बिजली गिरावेलू गोरी मुसकाके,

जालू कहाँ तू गोरिया दिलवा चुराके,

गजबै भईल ए गोरिया, अइलू बजार में,

दिलवा गइल ए गोरिया, एकै दीदार में,

फूल से भी बा नाजुक तोहरो बदन,

रूपवा बा चाँद जइसन लुभा लिहलू मन,

आयल सावन जवानी के खिलल बाटे तन।।

गोरी जवनिया में,दिलवा पे छाई गईलू,

अनसुनी पियसिया गोरी, दिल में जगाई गईलू,

गलवा लगे ए गोरिया, फुलवा गुलाब के,

अखियाँ लगे, जइसे भरल,प्याला शराब के,

कहें"पाण्डेय राकेश" सँवर जाई जीवन,

रूपवा बा चाँद जइसन, लुभा लिहलू मन,

आईल सावन जवानी के, खिलल बाटे तन।।

३-"हमके भईल बा प्यार"

हमके भईल बा प्यार ये गोरी,

हमके भईल बा प्यार,

कइसे बतायीं तोहरा से हम,

जियल भईल दुसवार।।

जब से मिलल बा तोहसे नयनवां,

लूटि गईलें मोर चैन हो,

अँखियाँ में अब नींद ना आवे,

सारी सारी रैन हो,

पल पल तोहरो याद सतावे,

एक पल भी अब चैन ना आवे,

धड़कन के तू तार हो,

हमके भईल बा प्यार ए ये गोरी,

हमके भईल बा प्यार।।

तीखी नजर, कजरारे नयना,

बाल बा जइसे बदरिया हो,

होठ पे जइसे बिजली चमके,

सगरो गिरल बिजुरिया हो,

तोहरा के पाके हमरी गुजरिया,

कहत बाटी खा के किरिया,

मिल गईले संसार हो,

हमके भईल बा प्यार ये गोरी,

हमके भईल बा प्यार।।

कबले बरसी प्यार के बदरी,

भीग जाई मोरा अंग हो,

खाई के किरिया कहत बानी,

छोड़ब ना तोहरा सँग हो,

तोहरा के हम छोड़ ना जाईब,

सात जनम तक साथ निभाईब,

सच्चा हमरा प्यार हो,

हमके भईल बा प्यार ये गोरी,

हमके भईल बा प्यार।।

४-"परदेशी बलम मोरे ना अइलें"

माह फागुन में रंग सबपे छा गइलें,

परदेशी बलम मोरे ना अइलें।।

कहे चोली पुकार, कंगना खनके बार बार,

प्यासल देहियां के दे दा तू फगुनी फुहार,

लाल होठवा के लाली उड़ा गईलें,

परदेशी बलम मोरे ना अइलें।।

उड़े रंग गुलाल, सबकर बदलल बा चाल,

आजा सइयाँ हमार भईलें जियरा बेहाल,

लागल बिरह की अगिया बढ़ा गईलें,

परदेशी बलम मोरे ना अइलें।।

सरसो फूलल सिवान, बहे फगुनी बयार,

आवा सइयाँ हमार, ताकीं रहिया तोहार,

"राकेश" अँखियाँ के काजल लुका गईलें,

परदेशी बलम मोरे ना अइलें।।

धन्यवाद

राकेश कुमार पाण्डेय"सागर"