Rita ka kasoor - 1 in Hindi Women Focused by पूर्णिमा राज books and stories PDF | रीता का कसूर प्रथम भाग

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रीता का कसूर प्रथम भाग

म्हारी बनरी गुलाब का फूल , कि भँवरा बन्ना जी ।
महारी बनरी चाँद का नूर ,कि चकोरा प्यारा बनरा जी ॥ 

एक घर में महिलाएं ढोल और हरमोनियम पर यह ब्याह गीत गा रही थी। यह घर था ' कटक निवास ' जहाँ पर आज श्री राम कटक जी की इकलौती पुत्री रीता का ब्याह है। रीता अपने घर मे पापा , भाई और माँ की लाडली है। आज रीता की माँ ने उसको बड़े प्यार से हल्दी के लिये तैयार किया है। सभी ओर ब्याह गीत गाये जा रहे है।

बाहर से रीता के पापा की आवाज आती है -" चलो बेटा हमें मंडप जाकर वहाँ भी तैयारियाँ देखनी है , कहीं कोई कसर छूट ना जाएँ । "

" हाँ पापा मेरी लाडली बहन की शादी है , कोई कसर नहीं रहनी चाहिए। " बेटे ने कहा ।

रीता आज बहुत खुश है , उसके मामी , मौसी , बुआ, नानी सभी अाज घर पर आए है। सभी उसको आने वाली जिंदगी की खुशियों के लिए आशीर्वाद दे रहे है।

कटक निवास मे धूम मची है , रौनक छायी हुई है , रिश्तेदारों का आगमन चल रहा है , सभी अपने कामों मे व्यस्त है , सभी लोग जी तोड़ कर मेहनत कर रहे है ,कहीं कोई कसर छूट ना जाए आखिर उनकी लाडली रीता की शादी है।

रीता की सखियाँ उसे छेड़ रही है, रीता भी अाज बहुत खुश है , उसे एसा लग रहा है जैसे वह किसी बडे़ राज्य की राजकुमारी हो। रीता की बहनें उसके शादी के लहंगे को सही कर रही है , आैर जरूरी सजावटी सामान की व्यवस्था कर रही है , रीता के हाथों से मेहंदी की भीनी-भीनी खुशबू आ रही है ।

रीता आज दुल्हन बनने वाली है , उसकी शादी राजेश से होने वाली है ,उसने राजेश को लेकर अपने मन में कई सपने संजोकर रखे है , वह शादी के बाद आने वाली खुशियों के बारे में सोचकर खुश हो रही है। रीता सोच रही है , कि जब उसने राजेश को देखा था , तो वह उसे बिल्कुल पसंद नही था , फिर कैसे वह उसे अच्छा लगने लगा। उसे याद है कि कैसे राजेश उसे पहली बार देखते ही उसके रूप जाल में खो गया और उसने रीता और उसके परिवार को शादी करने जे लिए कैसे मनाया , रीता को यह सोचकर आज अपने खूबसूरती पर बहुत गर्व हो रहा था । वह आज यह सब सोचकर शर्म से लाल हो रही थी। तभी अचानक काँच के टूटने की आवाज आई ------


रीता चौक पड़ी उसने आँख खोल कर देखा तो वह घर के मंदिर में भगवान की मूर्ति के चरणों में लेटी हुई है ,रीता आस पास देखती है , तो उसे कोई रौनक नही दिखाई देती, उसकी माँ से गलती से काँच का ग्लास गिर जाता है , इसी का आवाज सुनकर वह उठ जाती है ,उसे अहसास होता है कि वह सपना देख रही थी।

" रीता की माँ वैसे क्या कम अपशकुन है हमारी जिंदगी मे जो तुम काँच तोड़कर और फैला रही हो।" रीता के पापा उसकी माँ को डाँटते हुए बोले रहे है।

"पापा शकुन-अपशकुन कुछ नही होता " रीता बोली " तू तो चुप कर सारे फसाद की जड़ तो तू ही है , आज तेरी शादी है ना राजेश के साथ , जा चुप चाप जाकर तैयार हो जा और ब्याह कर चली जा हमारी जिंदगी से, नरक बना दिया है तूने " पापा ने दुत्कारते हुए कहा ।

"बिल्कुल ठीक ,तू जाकर जल्दी से तैयार हो अौर चली जा अपने ससुराल जान छूटे हमारी ,हमारा बोझ उतर जाए। "
उसके भाई ने पापा की हा मे हा मिलाते हुए कहा।

रीता चुपचाप वहा से आकर अपने कमरे मे फूट फूट कर रोने लगी । रीता की अाज शादी है , राजेश से, लेकिन घर मे रौनक की बजाए मातम पसरा है , रीता भी सपने संजोने के बजाए भागना चाहती है इस शादी से ,पापा ने किसी भी रिश्तेदार को नही बुलाया है , इधर से बस चार लोग ही शादी मे शामिल होंगे । रीत‍ा रोते-रोते सोचती है ,कि आखिर क्या कसूर है उसका जो सभी उसे बोझ समझ रहे है । उसे अपनी सुंदरता से नफ़रत हो रही थी । शर्म से उसके गाल लाल होने की जगह अाज उसकी आँखें गुस्से से लाल हो गयी थी।


दोस्तो आपको भी जानना है ना कि रीता के सपने और उसकी हकीकत में ये अंतर क्यों है ? आखिर क्या कूसूर है रीता क्या जो उसके घरवालों ने उसे बोझ समझ लिया है ?
तो इंतजार करिए रीता का कसूर अंतिम भाग का