पिछले भागों में आपने पढ़ा कि कैसे "उस रात" मेरी आम जिन्दगीं में ख़ौफ़नाक "पर्दा" गिरा और "बेपर्दा" हो गया "ख़ौफ़ का राज़" जिसने मुझे पहुंचा दिया "आत्मालोक" में । वहां मिली सोमू जिसने "पर्दाफाश" किया मेरे घिनोने गुनाह का ओर घिर गया मैं "घिन्न" में
क्या हो पाएगी मेरी "वापसी" पढ़ें वो लड़की सीरीज का भाग 8
वापसी
पूरी रात अपने गुनाह पूरे लिखते लिखते पेन और मेरे आंसू दोनों ही पूरे सूख चुके थे।
"अंकित...! अब हमें चलना होगा" राकेश दरवाज़े को हल्का सा खटखटाते हुए कहा।
थोड़ा सम्भल चुका था मैं ,,, मैने पूछा,,"राकेश ..!! तुम कब आए,,तुम तो हॉस्पिटल में थे ना???!!!"
जवाब देने की बजाय राकेश ने भी सवाल दाग दिया,," तुम्हे इस कमरे तक किसने छोड़ा??"
मैं सोचता रह गया,,, हां वो राकेश ही था जिसने मुझे कमरे तक छोड़ा था,, मैं इतना बेसुध था कि मैने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया।..
"कहाँ चलना होगा..?" मैंने अनमने ढंग से पूछा।
"तुम्हारे कमरे पे...,, अब तुम फिर वहीं शिफ्ट हो रहे हो,,,जितना तुम्हारे लिए हो सकता था उतना प्रोफेसर ने किया है,,, आगे की लड़ाई तुम्हारी है।"
कई बार किस्मत हमे सम्भलने का मौका भी नहीं देती है । मैंने पूरी रात अपनी दास्तान लिखी ओर सुबह,,इन सभी से दूर निकल रहा हूँ। राकेश अब ठीक लग रहा था। उसने बताया कि घर पर काम होने के कारण हरि को जाना पड़ा। इसलिए प्रोफेसर ने उसके आराम में कटौती कर दी।
अब जाने की बारी थी,,, थोड़ी चिंता भी थी की मेरे एकाउंट में इतने पैसे है भी क्या जिससे मैं प्रोफेसर की फीस चुका सकूं।
जब मैंने प्रोफेसर राममूर्ति से उनकी फीस के बारे में बात की तो उन्होंने कहा "तुम्हारा केस पैरानॉर्मल हिस्ट्री में मील का पत्थर साबित होगा ....तो तुमसे कोई फीस नहीं ले सकता.. लेकिन हां ....तुम्हारे कारण जितने गैजेट टूटे हैं ,,,तुम्हें उनकी रिपेयरिंग करवानी होगी" मैंने इसके लिए खुशी-खुशी हां कर दी.
जाते वक्त महंत महेंद्र जी ने मुझे एक मिट्टी का कलश दिया और कहा "तुम्हें इसका पूरा ध्यान रखना है । इस कलश के रूप में तुम्हारे साथ सोमू हमेशा रहेगी। इसमें रोजाना नया पानी भरना है ",,,
और साथ ही यह भी कहा ," हर अमावस को चाहे सोमू दिखे या ना दिखे उसके लिए कुछ मीठा खाना गरीबों को खिलाना या गाय को देना ना भूलना।"
देर शाम को मैं अपने कमरे पर पहुंच चुका था मुझे काफी ज्यादा थकान महसूस हो रही थी इसलिए कमरे पर आते ही मैं सो गया सच कहूं तो प्रोफेसर राममूर्ति , हरि ,राकेश , सौरव और महेंद्र जी यह सब मेरे लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं थे । मैंने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी पर इन्हीं की वजह से आज मैं गहरी नींद लेने के लिए जिंदा हूं।
मेरे कमरे की दीवारों पर अब भी उन काले गंदे नींबू के रस के छींटे थे और कुछ फटे हुए नींबू भी यहां वहां बिखरे थे पर सच में इतनी हिम्मत नहीं थी कि इन सब को हटा सकूं मैंने बिस्तर का ही एक कोना साफ किया और सो गया।
सुबह लगभग 3:45 बजे के आसपास कुछ खटर-पटर की आवाज से मेरी नींद खुली मुझे एक साया सा किताबों की तरफ दिखाई दिया मैंने तुरंत लाइट जलाई और देखा वहां पर सोमू थी । ऐसे हालात में कोई भी इंसान डर सकता है पर पता नहीं क्यों मुझे उससे कोई डर महसूस नहीं हुआ मैंने उससे पूछा , "बेटा क्या कर रही हो ....???...तुम्हें केमिस्ट्री पढ़ना पसंद है ....???...मेरे पास बहुत सारी किताबें हैं .....????...तुम्हें कौन सी पसंद है ????
वह बड़ी बेचैनी से मेरी तरफ मुड़ी और बोली "भैया.... भैया मैं पढ़ना भूल चुकी हूं ......पता नहीं.... मैं किताबे देख पा रही हूं .....हाथ भी लगा सकती हूं , पन्नेे भी पलट रही हूं पर पढ़ नहीं पा रही .....?शायद मैं पढ़ना ही भूल गई हूं..? उसकी आंखों में बेचैनी और बेबसी देखकर दिल को बहुत ही अजीब सा लगा। मैंने उससे कहा , "यहां पर सारी केमिस्ट्री की किताबें हैं तुम्हें जो टॉपिक जब भी पढ़ना हो,,,, मुझे बता दो.... आखिर यही तो काम है मेरा।"
सोमू-,"हां यह सही रहेगा" उसने इतना कहा और गायब हो गई। मुझे अजीब लगा कि ऐसे ही कहां चली गई पर फिर से ज्यादा न सोचते हुए मैं वापस सो गया।
सुबह 6:00 बजे के आसपास फिर से आंख खुली मैंने तय किया कि काम आज ही शुरु कर दूंगा। मैं नहा धोकर जैसे ही रूम से बाहर निकल रहा था , पीछे से आवाज आई," भैया... आप खाना खाए बिना ही काम पर जाओगे??
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो एक बार फिर से सोमू कमरे में खड़ी थी तो मैंने कहा ,"मैं खाना कॉलेज में ही खाता हूं ...वहीं पर मेरा टिफिन आ जाता है ...तो उसने फिर से पूछा
"टिफिन कितने बजे आता है??"
मैं-" 12:00 बजे.."
सोमू--," यह भी कोई खाने का टाइम है ..!!!
मैं--"मैं तो रोज इतनी बजे ही खाता हूं ..."
सोमू--"तो बीच में आप क्या कुछ ओर भी लेते हो ??
मैं-- "हां ...!! केवल चाय"
शायद उसे मेरी बात पसंद नहीं आई। उसने कहा -"यह बड़ी गंदी आदत है आपकी ....जब मैं कोचिंग जाती थी तब मैं सुबह चने और सोयाबीन खाया करती थी... वह काफी टेस्टी होते हैं ..आप भी खाया करिए "
मैं--"चने और सोयाबीन शायद धरती ग्रह की सबसे बकवास चीजें हैं ...मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है ....मेरा काम चल जाता है ...जितना खाता हूं उतना बहुत है,,,,
सोमू:- "वह तो दिख ही रहा है ..जीरो से भी आप माईनस फिगर हो गए हो ..??." उसकी इस बात को सुनकर मुझे भी हंसी आ गई और मैं कॉलेज के लिए रवाना हो गया।
आज सोमू के होने से पहली बार मेरे रूम से घर वाली फीलिंग आई थी। कॉलेज में पूरे दिन मूड अच्छा था लेकिन वह मूड तब खराब हो गया जब छुट्टी होने पर मैं रूम पर आ रहा था ।रास्ते में ही मेडिकल स्टोर पर मैंने महिपाल और विनीत को देखा। मैं खुद को रोक नहीं पाया और सीधा मेडिकल स्टोर की तरफ चला गया। गुस्सा तो इतना आ रहा था कि उनको यहीं जान से मार डालूं , पर मैं भी एक आम आदमी हूं ।अपने गुस्से को काबू में रखना पड़ता है।
विनीत मुझे पहचान गया था ।उसने मुझसे कहा ,"अरे तुम तो वही हो ना जो पिछले हफ्ते रात को सड़क पर डर गए थे।"
मैं उनकी तरफ घूमते हुए बोला ,"तुमने सोमू को क्यों मारा??" पहले तो विनीत और महिपाल मेरे सवाल से सकपका गए फिर विनीत ने मेरी आंखों में आंखें डाल कर कहा, "भाई तू किसी पुजारी - तांत्रिक के पास जाकर अपना इलाज करवा ,,उस लड़की को किसी ने नहीं मारा,,, उसने सुसाइड ..बोले तो आत्महत्या की थी ....समझा भाई तू भी किसी भटकती आत्मा के चक्कर में आ गया ....भाई अगर उसने ऐसा कुछ भी कहा है तो वह तुझे धोखा दे रही है।"
"तो उस लड़की ने आत्महत्या क्यों की ..??मैंने फिर से एक सवाल दाग दिया इस बार जवाब महिपाल ने दिया ,"देख यार पुलिस की इन्वेस्टिगेशन तो यह कहती है कि उस लड़की ने रैंक कम आने के कारण सुसाइड की थी । लेकिन भाई मेरा तो यही मानना है केवल नंबर काम आने पर कोई सुसाइड नहीं कर सकता, इसका कारण दूसरा है,,"
मैंने फिर से पूछा ,"तो क्या कारण है इसका।"
महिपाल बोला,"अरे आजकल की लड़कियां ......यार इनको छोटी सी उम्र में ही बॉयफ्रेंड चाहिए .....ऐसे तो इनका काम ही नहीं चलता ...सोमू तो इनमे कुछ ज्यादा ही आगे थी । जब भी मैं विनीत के घर जाता,,,तो वो मुझे आंखें फाड़-फाड़कर देखा करती थी ..........भाई उसकी तो फुल टू लाइन मेरे पर चलती रहती थी ,,,,,पता नहीं अपनी कोचिंग में कितने लड़कों के साथ उसने सेटिंग कर रखी थी,,, अरे यह लड़कियां होती ही ऐसी है ,,,, खुद तो पढती है और लड़कों को खराब करती है ,,, फिर कभी किसी लड़के से दिल लग गया,,, फिर उस लड़के ने तोड़ दिया होगा दिल और कर ली उसने सुसाइड,,,, सही कहा जाए तो सुसाइड यही कारण होते हैं पढ़ाई वढ़ाई तो दिखावा है।"
महिपाल बड़ी बेशर्मी से बोले जा रहा था। उसकी बातें मेरे कानों में पिघले लोहे की तरह चोट कर रही थी । मैं खुद को रोक नहीं पाया। मुझे इतना याद है कि मैंने अपने दोनों हाथ उसकी तरफ़ बढ़ाए थे ,,,उसके बाद क्या हुआ मुझे कुछ याद नहीं । उसके बाद देर रात को मेरी आंख बिस्तर में खुली थी ।सोमू मेरे बगल में ही बैठी हुई थी।
"म ,,म,,,मैं यहां कैसे आ गया???" मैंने सकपकाते हुए पूछा।
तो सोमू ने बड़ी नाराजगी से जवाब दिया ,"आप आए नहीं आपको मैं यहां लेकर आई,,।"
चद्दर हटाकर बिस्तर पर बैठते हुए मैंने कहा "मतलब।"
तो उसने जवाब दिया," महंत जी ने मुझे आपके शरीर पर काबू करने की शक्ति दी है ....मैं जब चाहूं आपके शरीर पर काबू कर सकती हूं। " थोड़ा रुक कर वह फिर से बोली "भैया ..! ये आपने ठीक नहीं किया ।"
तो दांत पीसते हुए मैंने कहा ,"बर्दाश्त से बाहर हो गया था मेरे,,,, मैं उन लोगों को जिंदा देख कर ही नफरत से भर जाता हूं ....... मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकता"
वह मेरे पास आई और बोली , "आप उनको मार भी दोगे तो कानून की नजर में मुजरिम हो जाओगे ....फिर आप को सजा मिलेगी। अगर उन दोनों शैतानों को मैंने मारा, तो शायद मुझे मुक्ति मिल जाएगी। मुझे भी उन दोनों से उतनी ही नफरत है जितनी आपको है ...लेकिन अभी मैं अपनी शक्तियां समझ रही हूं ...उसके बाद मैं उन दोनों को खुद सजा दूंगी। अगर इस दौरान मुझे आपकी मदद की जरूरत हुई तो मैं आपको जरूर कहूंगी .......लेकिन आप मुझसे एक वादा कीजिए भैया ,,,,कि आप कभी भी उन दोनों से मिलने की या फिर उन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं करेंगे।"
कमरे में कुछ देर चुप्पी छाई रही , फिर हार मानते हुए मैं बोला, "ठीक है .......वादा रहा ,,,मैं उनको नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं करूंगा... मैं रास्ता ही बदल देता हूं आने जाने का...... अब तो खुश हो... अब बताओगी कि मुंह क्यों लटका रखा है।
थोड़ा सा मुंह बना कर वह बोली , "भैया मुझे आइसक्रीम खानी है.....!!"
मैंने मोबाइल उठा कर टाइम देखते हुए कहा , "आइसक्रीम खानी है वह भी रात के 10: 00 बजे..??!!!!!"
बहुत ही मासूम सी शक्ल बनाकर वह फिर से बोली, " हां भैया ...!!मुझे अभी खानी है बहुत मन कर रहा है मेरा।"
"तुम खाओगी कैसे ....मतलब तुम खा पाओगी या नहीं ...खा पाओगी ..!!!!...सॉरी मेरा मतलब यह था कि तुम अभी जिंदा............"
वह बेसब्री दिखाते हुए बोली , "भैया आप बाहर चलो तो सही ......कैसे खाऊंगी...... खा पाऊंगी या नहीं..वह तो बाहर जाकर डिसाइड हो जाएगा।"
मैं, "अच्छा ठीक है बाबा ....चलते हैं ...वैसे कहां की आइसक्रीम खाती हो तुम??"
सोमू , "ठंडी दुकान "
मैं-"ठंडी दुकान ..!!!!! पागल हो क्या तुम
.. वह यहां से कम से कम 20 मिनट दूर पड़ती है... पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद हो चुकी हैं ...मेरे पास न बाइक है और ना ही कार..... हम वहां कैसे जाएंगे???"
जल्दी-जल्दी आंखें झपकाकर और लंबी सी मुस्कान देकर , थोड़ा सामने आकर बोली - "पैदल।"
उसने पहली बार कोई डिमांड की थी ।मैं उसका दिल तोड़ना नहीं चाहता था । इसलिए चुप चाप उसके साथ बाहर चल पड़ा। पूरे रास्ते में वह बताती रही कि वह है यहां से पेन पेंसिल लेती थी,, इस दुकान से फोटो कॉपी करवाती थी,,, उसकी बातें खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी और मैं बड़ी सावधानी से उसको धीरे-धीरे जवाब दे रहा था क्योंकि सड़क पर चल रहे लोग उसके आर पार हो रहे थे । यानी कि वह किसी को दिखाई नहीं दे रही थी , सिवाय मेरे।
लगभग 15 मिनट पैदल चलने के बाद हम आइसक्रीम की दुकान पहुंच ही गए।
मैंने उससे चुपके से पूछा , "तुम्हें कौन सा फ्लेवर पसंद है ??"
तो उसने बताया , "मैं रेगुलर फ्लेवर ही खाती हूं ..."
मैंने हंसते हुए कहा , '₹10 वाला ..??"
तो उसने आंखें निकाली और कहा , "मुझे वही पसंद है "
मैंने आइसक्रीम की दुकान वाले से कहा , "भाई दो रेगुलर फ्लेवर वाली आइसक्रीम देना "
तो उसने पूछा ,"आप यही खाएंगे या पैक करवा कर ले जाएंगे ..."
मैंने कहा , "हां इधर ही खाऊंगा"
आइस क्रीम वाला, "... तो फिर एक एक करके दे दूं ..??"
तो मैं चिल्लाकर बोला, " नहीं ...मुझे दोनों आइसक्रीम एक साथ खानी है... दोनों साथ दे"
तो उस बंदे ने थोड़ा सा सहमते हुए दोनों आइसक्रीम मुझे थमा दी।
मैंने 1 आइसक्रीम उसकी तरफ की। उसने आइस क्रीम उठाने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाया, उसका हाथ आइस क्रीम के आरपार हो गया। उसने उठाने की बहुत कोशिश की पर वह उठा नहीं पाई ।उसके हाथ मेरे और आइसक्रीम दोनों के आर पार जा रहे थे । काफी मशक्कत करने के बाद थोड़ी सी रुंवासी हो गई। उसकी आंखों में मुझे लालिमा ओर नमी दिखाई दी। फिर वो जोर-जोर से पैरों से सड़क को मारने लगी। उसे इस तरह देख मेरी आंखें भी नम हो गई थी ,,पर मैं क्या कर सकता था । तभी एक औरत जो दिखने में बेहद गरीब लग रही थी ,वो एक बच्ची को गोद में लिए हुए पास से गुजरी। उसने खाने के लिए कुछ पैसे मांगे। मैंने जेब से कुछ रुपए निकाल कर उसे दिए और दोनों आइसक्रीम भी उसे थमाते हुए कहा,,"जिसको खिलाना चाहता था वो तो खा नही सकती अगर आपको बुरा न लगे तो आप..." और आंखें पोंछता हुआ वापस रूम की तरफ धीरे धीरे चलने लगा।
भैया..!!! मुझे सोनू की आवाज सुनाई दी। पीछे मुड़कर देखा तो अपने हाथों में अपनी फेवरेट आइसक्रीम लिए सोमू बड़ी खुश लग रही थी।
उसे इस तरह देख मेरी खुशी का भी ठिकाना नहीं रहा मैंने बड़े आश्चर्य से उसे पूछा , "यह कहां से आई..!"
वह लापरवाह सी बोली ,"पता नहीं ...!!!भैया...ये अपने आप ही मेरे हाथ में आ गई.." और वह खाने में मशगूल हो गई।
तभी मेरी नजर दूर खड़ी उस औरत और उसकी बेटी पर गई जो बड़ी तल्लीनता से आइसक्रीम का लुफ्त उठा रही थी। शायद यह उन्हीं की दुआएं थी कि सोमू भी आइसक्रीम खा पा रही थी।
जब प्रत्यक्ष तौर पर इसे देखा तब जाकर श्राद्ध कर्म , पितर और इन सब बातों पर यकीन हुआ वरना जिंदगी भर मैं इन्हें अंधविश्वास ही समझ लेता।
आज सोमू पूरे हुकुम चलाने के मूड में थी। बीच रास्ते में फिर उसने जिद की कि उसे चने और सोयाबीन लेने हैं। जब मैंने उससे पूछा कि वह यह सब खाएगी कैसे तो उसने कहा जैसे आज एडजस्ट किया वैसे ही कर लेगी और मैंने उसकी बात मानते हुए दोनों चीजें ले ली।
सोमू की शहंशाहगिरी यहीं खत्म नहीं हुई उसने चने और सोयाबीन को मुझसे भीगवा कर ही दम लिया।
रात को जब हाथ जोड़कर उससे सोने की अनुमति मांगी तब वह अचानक से गायब हो गई । मुझे लगा कहीं उसका मूड तो खराब नहीं हो गया है फिर ज्यादा ध्यान ना देते हुए मैंने इन सारे लम्हों को अपनी डायरी में दर्ज करना सही समझा। रात के 1: 00 बज चुके हैं और मैं अपनी डायरी से उलझा हुआ हूं और मुझे यकीन है शायद वह यहीं कहीं से मुझे देख रही है।