खेल प्यार का...भाग 5
प्रस्तावना
यह कहानी वसिम और कायनात की प्रेम कहानी है मैं इस कहानी को आपके समक्ष पहली बार रजू करने जा रही हूं! लिखना आता है या नहीं वह तो आप पर निर्भर करता है मुझे जज आप करोगे देखते हैं मेरी संवेदनाएं इस कहानी में कैसे रंग लाती है
मुझे यकीन है कि आप लोगों को जरूर पसंद आएगी..!
जैसे के अापने भगा 4 में पढा कि पहली बार का मिलन कायनात को पागल कर रहा था..! वैसे ही वसीम का हाल भी कुछ ऐसा ही था....!
अब आगे )
वसीम ओर कायनात की बड़ी मुश्किल से रात गुजरी!
सुबह होते ही दोनों को एक दूसरे से मिलने का बेसब्री से इंतज़ार था ! स्कूल का वक़्त होते ही दोनों बस एक दूसरे को मिलना चाहते है...!
अब उनके इंतज़ार की घड़ियां खत्म होगी! जैसे ही स्कूल आई! वसीम गेट पर खड़ा था! वो बेसब्री से कायनात का इंतज़ार कर रहा था! सामने कायनात को अाता देख वसीम जेसे खुशी से पागल हो उठा.!
कायनात और नूरी साथ थी ! "हल्लो नूरी कैसी हो..?
बोलते हुए वसीम ने कायनात को देखा! और आंखो से शरारत की जिससे कायनात समझ गई उसका इशारा था कायनात से पूछने का की "आज की रात कैसे गुजरी?" वह देखते हुए कायनात मुस्कुरा के चली जाती गई..!
दोनो का क्लास में बिल्कुल मन नहीं लगा! दोनों किसी ना किसी बहाने मिलना चाहते थे !क्लास ख़तम होते ही दोनों बाहर आए! और साइड में खड़े होकर बात की!
इतने में नूरी वहां अाई ! बोली !
"क्या बाते चल रही है दोनो की..?" कायनात कुछ बोल पाती तभी वसीम के दिमाग में कुछ सूझा!
वो झट से बोला!
" देखो ना नूरी में कब से कायनात को घूमने जाने का बोल रहा हूं , लेकिन ये है के मानती नहीं...!
नूरी बोली!
" क्यू नहीं मान रही ये देवी ..?"
कायनात बोली !
"नहीं यार कल अम्मी ने कही बिना बोले जाने से मना किया है !
वसीम ने कहा !
"हा तो में थोड़ी बोल रहा हूं कि तुम आज ही चलो तुम अम्मी से इजाजत ले कर चलो! नूरी हम सब चलते है...!
कायनात को ये बात सही लगी ! वो बोली! "ठीक है ! में अम्मी से पूछ के बताउंगी! वसीम बोला !
"ठीक है तो जल्दी बात करो फिर कहा जाना है ये सोचते है !
नूरी बोली!
" वसीम मूवी देखने चलते हैं...!
लेकिन वसीम के दिमाग में क्या चल रहा था ये किसी को पता नहीं था! वो सिर्फ ओर सिर्फ कायनात के पास दुबारा आना चाहता था ! इसीलिए उसने घूमने जाने का नूरी के सामने कहा कि कयामत जाने से कहीं मना ना कर दे...!
तभी पीछे से कायनात को उसकी सहेली ने आवाज़ दी! और वो वहां से चली गई ! तभी वसीम कायनात से कहता है! "कायनात सच बोलना क्या तुम कल रात सो पाई?
कायनात शरमाते हुए बोली!
" नहीं सारी रात तुम्हारी याद आती रही...!
वसीम ने बहुत शरारती अंदाज़ से कहा! मुझे तो याद ही नहीं आई !
"क्यूकी सारी रात तुम मेरे साथ ही तो थी! यादों में..! ख्यालों में ..! मेरे दिल दमाग में तुमने ही तो कब्ज़ा किया है...!
कायनात हस्ते हुए बोली!
"तुम पागल हो गये हो ..!"
" हा में पागल ही तो हूं ! तुम्हारे प्यार में..! वसीम ने बोला !
कायनात जाने लगी! तभी वसीम ने उसका हाथ पकड़ा! पास आने कि कोशिश की! वसीम छोड़ो मेरा हाथ ओर अपना हाथ छुड़ा कर भाग गई...!
कायनात घर आई !
उसके बाबा उसे देख के बोले !
"बेटा स्कूल से आ गई..?"
कायनात :
"जी बाबा में आ गई !आप आज जल्दी आ गए घर? ये कैसे हुआ आप तो हमेशा काम के साथ बिज़ी होते है...?"
"हा बेटा रहना पड़ता है अभी बहुत सारी जिम्मदारियां जो है ! तुम और तुम्हारी अम्मी को खुश जो रखना है ! तुम्हारे लिए अच्छा घर ढूंढ़ना है ! जो मेरी कायनात को हमेशा खुश रखे ओर दुनिया की सारी खुशी दे ऐसा तुम्हारे लिए दूल्हे को ढूंढना है...!"
"बाबा आप मेरे दुनिया के सब से अच्छे बाबा है !आप जितना मुझे कोई खुशी नहीं दे सकता! में बस आप दोनों के साथ ही रहूंगी !
ये बोलते हुए वो अपने रूम में चली गई...!
उसकी अम्मी बोली !
"हांजी में भी कई दिनों से सोच रही हूं कि मेरी खाला जात बहन है ना.. उसका बेटा बहुत अच्छा है उसे बात चलाऊ में..? कायनात को वो बहुत खुश रखेगा..! तभी कायनात के बाबा बोले !
"बीवी तुम बहुत जल्दी में रहती हो अभी कायनात की उम्र कितनी है? उसे 18 की होने दो फिर सोचते है...!
कायनात ये सब बाते सुन रही थी! वो मन ही मन में खुश थी! बाबा अभी उसके लिए रिश्ता नहीं देख ना चाहते है...!
बाबा बाहर जा रहे थे! बोले !
"बीवी में बाहर जा के अाता हु दोस्तो के पास..!
कायनात यही सोच में थी ,आज बाबा जल्दी घर आ गए हैं !अब में अम्मी से कैसे बोलु घूमने जाने की बात..!
पर उसे मौका मिल ही गया !
वो किचन में अम्मी का काम में हाथ बटाने लगी! अम्मी ने देखा तो बोली!
" क्या बात है आज अम्मी का बड़ा ख्याल आ गया जो मेरी बच्ची किचन में काम करने आ गई...?"
कायनात इतराते हुए बोली !
"ऐसा कुछ नहीं बस आपको रोज़ रोज़ अकेले काम करता देखती हूं तो सोचा थोड़ी आपकी हेल्प कर दी जाए ..!"
अम्मी बड़ी खुश हो गई!
कुछ देर बाद में ही कायनात ने बोला!
"अम्मी आपकी इजाजत चाहिए! "
" हा बोलो ! कहां जाना है सहेलियों के साथ ..?
कायनात ने अम्मी को देखा! और कहा!
" आपको कैसे पता कि मुझे सहेलियों के साथ जाना है ?"
कायनात की अम्मी मुस्कुराते हुए बोली! बेटा में आपकी अम्मी हू समझी !
अब बताओ कहाँ जाना है..? और कौन कौन जा रहा है ? कायनात ने बताया!
नूरी ओर स्कूल की कुछ सहेलियां साथ में जाएगी! और हा , अम्मी स्कूल के कुछ लड़के भी जाने वाले है तो आप मुझे जाने की इजज़त दोगी ना..!
कायनात की अम्मी ने बोल दिया!
" हा बेटा तुम जा सकती हो ! हमे और बाबा को तुम पे पूरा भरोसा है...!"
कायनात बहुत खुश थी ! लेकिन उसे अन्दर से कुछ बुरा भी लग रहा था वो क्या था ये बात आप समझ ही गए की कायनात ओर वसीम के बीच संबंध बन चुके थे जो कि मा बाप का भरोसा तोड़ने वाली बात है...!"
क्रमशः
*******सायर खान********