Weekend Chiththiya - 21 in Hindi Letter by Divya Prakash Dubey books and stories PDF | वीकेंड चिट्ठियाँ - 21

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वीकेंड चिट्ठियाँ - 21

वीकेंड चिट्ठियाँ

दिव्य प्रकाश दुबे

(21)

सेवा में,

कुमारी डिम्पल,

सविनय निवेदन है कि तुम हमें बहुत प्यारी लगती हो। हम ये चिट्ठी अपने ख़ून से लिखकर देना चाहते थे लेकिन क्या करें हम सोचे कहीं तुम हमारा ख़ून देखकर डर न जाओ इसलिये नहीं लिखे।

जिस दिन तुम स्कूल नहीं आती हो उस दिन लगता है कि स्कूल ख़तम ही नहीं होगा। हम नहीं जानते कि फ़िल्मों वाला प्यार कैसा होता है हमें बस इतना पता है कि तुम हमें बहुत अच्छी लगती हो। इतनी अच्छी कि हम तुम्हारा हाथ पकड़कर ज़िन्दगी काट सकते हैं । हमें सपना आया था तुम्हारा कि तुमको ऊ साला गणित का मास्टरवा बाँध के रख लिया है क्लास रूम में और बहुत सारा सवाल लिख दिया है बोर्ड पर। तुम रो रही हो, चिल्ला रही हो और ऊ मास्टरवा बस हँसे जा रहा है। मास्टरवा हमसे बोल रहा है कि जब सारा सवाल हल कर लोगे तब छोड़ेंगे। तुम जानती हो कि हमारी गणित कमज़ोर न होती तो हम तुमको उस दिन सपने में छुड़ा लिये होते। हमको इसीलिए गणित अच्छी नहीं लगती क्यूँकि हर सवाल का एक्के जवाब सही होता है।

हमें हिन्दी की कक्षा बहुत पसन्द हैं क्यूँकि हिन्दी की किताब में कविता कहानी पढ़कर लगता है कि एक दिन हम तुम्हारे लिए अपनी कॉपी के आख़िरी पन्ने पर कुछ लिखेंगे। तुम चाहे उसे कविता मान लेना चाहे कहानी, सब तुम पर है ।

तुम्हें हम पहले ही बता दें, हम ये चिट्ठी अंग्रेज़ी में लिखने वाले थे लेकिन अंग्रेज़ी भाषा में बस एक ही बात काम की है वो है आई लव यू। अंग्रेज़ी में चिट्ठी एक ही लाइन में खतम हो जाती इसलिए अंग्रेज़ी में नहीं लिखे। हम मन ही मन आई लव यू इतनी बार दोहरा चुके हैं कि ये बात भूल चुके हैं कि कौन सी क्लास में तुमको प्यार करना शुरू किए थे।

हमें आशा है कि तुम हमारी लिखी हुई हर बात को कई कई बार पढ़ोगी और वही महसूस करोगी जैसा हम रोज़ सोने से पहले महसूस करते हैं।

कृपया अपना उत्तर जल्द से जल्द लिखना। बस एक आख़िरी बात हम गणित की ट्यूशन केवल इसलिए जाते हैं ताकि तुमको एक दिन सपने में छुड़वा पायें।

तुम्हारा,

राम अवतार सिंह यादव

कक्षा 9th B

सेवा में,

कुमारी डिम्पल(बेवफ़ा)

ये हमारी आख़िरी चिट्ठी है। हमें स्कूल से निकाल दिया गया है। तुम्हें हमारी शिकायत गणित के मास्टर साब श्री साधू राम शर्मा जी से करने की क्या ज़रूरत थी। हम तुम्हारी याद में अब पूरी ज़िन्दगी में कभी किसी से प्यार नहीं करेंगे।

खुदाया इश्क़ हो तुमको,

एक दिन चोट तुम खाओ,

उस दिन जाके शायद तुम,

मेरे जज़्बात समझ पाओ,

हम तुम्हारा आख़िरी साँस तक इंतज़ार करेंगे।

तुम्हारा हो न सका,

राम अवतार सिंह यादव

कक्षा 9th B

दिव्य प्रकाश दुबे

#संडेवालीचिट्ठी

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