Bhram ka bhut in Hindi Motivational Stories by Ajay Kumar Awasthi books and stories PDF | भ्रम का भूत

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भ्रम का भूत

कभी कभी जीवन मे कुछ ऐसा घटता है या ऐसा दृश्य सामने आ जाता है,जिसे यदि साहस के साथ जानने की कोशिश न की जाय तो जीवन भर वो भ्रम सच बना रहता है ।

इसका एक रोचक संस्मरण है,,,

    हमारे एक परिजन हैं पेशे से चिकित्सक हैं । उन्होंने अपने जीवन की एक घटना बताई कि कोई चालीस साल पहले जब वे गावँ में रहते थे और उस वक्त उनकी उम्र करीब 18-19 साल की थी । घर मे बड़ी बहन की शादी थी बारात दूसरे गावँ से आने वाली थी । उनके गावँ से उस गाँव का फासला लगभग पाँच किलोमीटर का था । बारात गावँ आयी नही थी अतः देरी का कारण पता करने और कुछ जरूरी सामान लाने के लिए रात 9 बजे के आसपास उन्हें सायकिल से उस गाँव मे भेजा गया । वे अकेले ही उस गावँ के लिए निकल पड़े । तब गावँ और रास्तों में बिजली नही थी, सो रात को काफी अंधेरा रहता था ।

वे अपने गांव से आधी दूर ही पहुँचे थे कि सामने का दृश्य देखकर भय से कांप उठे । वे क्या देखते हैं कि सामने कोई बड़ा दानव अपने दोनों हाथ फैलाये  खड़ा है । स्याह आकृति किसी दानव की तरह सामने रास्ता रोके दिखाई दे रही थी । भय से उनके रोंगटे खड़े हो गए और अपनी साइकिल से चिपक कर वे खड़े हो गए । अब वो न आगे बढ़ पा रहे थे न वापस भागने की हिम्मत थी ।

कुछ देर तक वे उस आकार को देख कर कांपते रहे फिर देखा कि वो आकृति  स्थिर है और उसमे कोई हलचल नही हो रही है । फिर हिम्मत जुटा कर भय से हार न मानने की ठान कर वे आगे बढ़े ।
जब वे उसके पास पहुँचे तो उसे देखकर उनका सारा डर दूर हो गया और अपनी सूझबूझ और हिम्मत की दाद देकर वे खुशी से नाचने लगे ।

दरअसल जो आकृति उन्हें अंधेरे में भूत के बारे में व्याप्त धारणा के कारण भयानक लग रही थी ,वो और कुछ नही एक आधा कटा हुआ बबूल का पेड़ था ,जिसकी ऊपर की टहनियाँ किसी के द्वारा काट दी गयी थी और बची थी वो रात के अंधेरे में दो हाथ फैलाये किसी विशाल दानव की तरह उभर रही थी ।

ये घटना उस वक्त उनके लिए असाधारण थी क्योंकि उस हालात में उन्होंने अपने डर पर काबू किया था और सामने की रहस्यमय परिस्थिति को जानने का साहस किया था । किंतु यदि वे डरकर उस दिन वापस भाग आते तो जीवन भर लोगों को भूत देखने और उसके होने का प्रमाण देते रहते ।

इस वाकये को बताने का मकसद सिर्फ यही है कि थोड़ी हिम्मत और थोड़ा सा आत्मविश्वास हमे।जीवन मे न जाने कितने कृत्रिम भय और वहम से बचाता है ।

जब हम हालात का सामना करने की ठान ले तो प्रतिकूल परिस्थितियां हमे डराती नहीं बल्कि हमे।अधिक हिम्मती बनाती हैं हमे अपनी कमजोरियों पर विजय हासिल करने का गौरवमयी एहसास दिलाती हैं । इसमे कोई शक नही कि डर का सामना करके ही डर को हराया जा सकता है ,,,,

अजय अवस्थी किरण