रात काफी हो चुकी थी!
लिनिया तेजी से आबू को पीछे छोड़ कर पालनपुर की ओर भाग रही थी!
होस्पिटल से खलिल को छुट्टी मिलने के बाद खलिल उसकी अम्मीजान और गुलशन कि मां सबकी राह तक कर बैठे थे!
तावडे ने लिनिया को एक्सिडेन्ट प्लेस से बिना झिझक होस्पिटल पहोंचाया था!
सुल्तान ने तावडे का शुक्रिया अदा करते हुए कहा था! "आप जैसे पुलिसिये बहोत कम मिलते हैं, जो जी जान से हर कदम मुश्किलो मे साथ देते है! आप हमेशा मेरे दिल और दिमाग मे रहोगे..!
मुस्कुराकर तावडे बिदा हो गया था!
खलिल शोक में डूबा हुआ था!
गुलशन के बारे में पूछने पर अब्बुजान ने बताया कि 'वो अब इस दुनिया में नहीं है.!' तो खलिल भीतर से टूट सा गया! उसका मन मानने को तैयार ही नही था!
एक एक्सीडेंट ने उसकी दुनिया ही बदल दी थी! जैसे उसके जीने की वजह छिन ली ! उसके सारे सपने चूर चूर हो गए!
गुलशन के पेट में पल रहे बच्चे को लेकर खलिल परेशान जरूर था, मगर किसी भी हाल में वो गुलशन को खोना नहीं चाहता था इसलिए हमेशा उसे खुश रखता था!
जिंदगी ने उसके साथ कैसा खिलवाड़ किया..? एक्सीडेंट होने के बाद रात भर वह गाड़ी में बेहोश पड़ा रहा! अपनी बेहोशी का फायदा उठाकर किसी अनजान दरिंदे ने गुलशन का रेप करके उसे जमीन में गाड़ दिया!
जिया ने जब यह बात बताई खलिल की रूह तक कांप उठी थी!
सुल्तान ने खुलकर सारी बातें बताई !
बहुत बेरहमी से उसे मारा गया था!
वो वापस आ गई है!
-उस बात से लेकर अब तक कि सारी वारदातों से खलिल को अवगत कराया!
खलिल जिया को देख रहा था जो ऊपर से तो स्वस्थ नजर आ रही थी मगर उसका भी हाल अपने जैसा ही था!
जाने अनजाने में फिर से जिया ने उसके लिए बहुत बड़ा बलिदान दिया!
सोचने वाली बात थी!
जिया मो. अमन को घर छोड़ कर आई थी, फिर भी उसे कोई यहां आबू में लाकर उसकी नजरों के सामने मरने के लिए मजबूर कर देता है!
"कौन है जो हम सब का दुश्मन बना हुआ है..? कौन है जिसने मेरी गुलशन को मुझसे छीन लिया..? कौन है जिसने जिया की जिंदगी को उजाड़ दिया..?
जिया का कसूर सिर्फ इतना था कि वो उसकी मदद कर रही थी..!
जिया का उतरा हुआ चेहरा और खामोश निगाहें देख कर खलिल अपने आप को कुसूरवार समझने लगा था!
अपना दुख भूल कर उसे जिया की फिक्र होने लगी थी!
वह भी अपना सब कुछ गवा कर खलिल से बिनती कर रही थी!
"आबू मे रुकना ठीक नहीं है खलिल..! सब जानने के बाद तो बिल्कुल ही नहीं..!"
"आप लोग मो. अमन को दफनाकर आ सकते थे..? अब्बू आप बता रहे थे कि जिया जब-तक साथ है किसी को कुछ नहीं होने वाला.. फिर क्यों वह तुम लोगे ने जरूरी नहीं समझा..?
"खलिल.. मेरे बस में होता तो मैं उन्हें मरने ही नहीं देती..!'
जवाज जिया ने दिया!
-खैर हमारे वहां पहुंचने से पहले ही जमीन के नीचे बसने वाले कीडो ने उनकी हड्डियां पिगला दी थी! मेरे साथ जो बाबा की शक्तियां थी वो एक जिंदा इंसान को तो बचा सकती है, मगर मुर्दे को उन मानवभक्षी कीड़ों से नही बचा सकती थी!
फिर उस वक्त मैं इतना घबरा गई थी की जान बचाकर भागने के अलावा कुछ नहीं सुझा था!
जिया ने गहरी सांस लेकर अपनी आंखें पोछ ली!
खलिल की अम्मी ने जिया को अपने सीने से लगा लिया!
गुलशन की मां भी बोली!
"मेरी बच्ची मैंने भी अपनी इकलौती लड़की खो दी है! अब तू हमारे लिए अपनी बेटी से कम नहि! हम तेरा दुख समझते हैं!
मो. अमन को लौटा तो नहीं सकते मगर हम तेरे साथ है! बस तुम लोग गुलशन को ढूंढने गए वही तुम्हारी गलती!"
" मैं वह सब भूल जाना चाहती हुं आंटीजी..! मैंने सच्चाई को समझ लिया है! अमन का साथ मेरी जिंदगी में इतना ही था! मैं ही टूट जाऊंगी तो मेरी सास को कौन संभालेगा..! अब मेरी बच्ची और मेरी सास ही मेरी दुनिया है!
जिया ने काले घने अंधेरों में अपनी नजरें गडा दी!
पर इस वक्त उसके दिमाग में तेजी से एक विचार कौधां था ! जिसने जिया के पूरे वजूद को हिला कर रख दिया! बस अब वह जल्द से जल्द घर पहुंचना चाहती थी!
चारों तरफ अंधेरे के साम्राज्य की काली चद्दर बिछी थी!
हेड लाइट के छोटे से उजाले में चमचमाती हुई सड़क नजर आ रही थी!
तभी अचानक..!
ब्रेक लगने से टायरों की तीखी चीख के साथ गाडी रुकी!
एक ढलान चढ़ने के बाद उतरते वक्त खलिल ने समय सूचकता बर्ती!
सामने खुली सड़क पर धुम्मस छाया हुआ था! उस धुंध मे भी कोई गाड़ी साफ खड़ी नजर आई!
खलिल ने लिनिया को साइड पर लिया!
"यार बस गुजरात की बॉर्डर क्रॉस करने वाले थे और ये क्या नई मुसिबत कहां से आ गई..? अब्बु.. आप लोग गाडी में बैठो मैं देखता हुं..!"
पर जिया ने खलिल का हाथ पकड कर रोका..!
"रुक जाओ कुछ गड़बड़ लग रही है..!
जिया की नजरे पीछे का नजारा बता रहे सेन्टर ग्लास पर थी!
पीछे गाड़ी के बोनट को पकड़कर एक लड़की खड़ी थी! जिसके बाल बिखरे हुए थे! आंखें लाल धूम थी! उसने जैसे अपने पूरे बदन पर ढेर सारा पाउडर लगाकर सफेदी ओढ़ रखी थी, फिर भी उसका नंगा वक्ष स्थल साफ नजर आ रहा था!
"गाड़ी आगे बढ़ाओ..! सामने कुछ नहीं है..! "
"अच्छा तुम कैसे कह सकती हो..?"
खलिल नें सवाल करते वक्त पीछे देखा!
पीछे गाडी को पकड़ कर खड़ी निवस्त्र खुले बाल और लाल घूम आखों वाली लड़की को देखकर उसने चुपचाप गाड़ी को स्टार्ट करके भगाया..!
सेंटर मिरर पर सुल्तान खलील और जिया की नजरें थम गई थी.
बोनेट को पकड़कर खड़ी लड़की अभी भी नजर आ रही थी!
उसके पैर रब्बर की तरह दूर-दूर तक लंबे होते जा रहे थे..! फिर पीछे देखना उन लोगों ने गवारा नहीं समझा..!
अब रास्ते में रुकने का मतलब था कोई नई मुसीबत को गले बांधना!
गुजरात की बॉर्डर क्रॉस हुई फिर वह लड़की गायब हो गई!
बिना रुके खलिल गाड़ी भगाता रहा!
लगातार 5 घंटे के मुसाफिर के बाद वह लोग अपने शहर में थे!
शहर में रात भर मुसाफिरों के लिए ही खुले रहने वाले मैकडॉनल्ड्स पित़्ज़ा पार्लर पर खलिल ने गाड़ी को रोका..!
"जिनके अपने चले जाते हैं उन्हें फिर खाने पीने का होश नहीं रहता!
फिर भी भूख को मारा नहीं जा सकता खाना पड़ता है जीने के लिए..!
क्योंकि मौत तो सनातन सत्य हैं ,एक दिन सबकी आनी है!
खलिल ने सब को खाना खिलाया!
जिया का बहुत ही ख्याल रख रहा था वो..! उसकी फिक्र हो रही थी उसे.. !अपने शरीर में खून जल रहा था जैसे!
जिया और गुलशन की मां को अपने घर पर छोड़कर खलील ने गाड़ी को अपने घर की और घुमाया!
सुबह के 4:00 बज रहे थे!
जिया की सास सो रही थी!
अपने पास रहने वाली चाबी से जिया ने दोनों तरफ खुलने वाले लॉक को खोला!
वो अंदर दाखिल हुई !
अपनी बच्ची सास के साथ सोई हुई थी!
जानबूझकर ही उसने इस वक्त उन्हें नहीं जगाया! क्योकी रात को जिस विचार ने उसके दिमाग को हिला दिया था उसको परखना जरुरी था..!
इस वक्त दिल तो बहुत ही कर रहा था कि अपनी बच्ची को गले से लगाए..!
क्योंकि उस मासूम को पता नहीं था कि उसके सिर से पिता का हाथ सदा के लिए उठ गया है!
पर उसने ऐसा नही किया!
उसके जबड़े भींच गए! आंखों में खून उतर आया!
चुपके से वह घर से बाहर निकली!
स्ट्रीट लाइट जल रही थी!
कुत्तों में भगदड़ मची हुई थी! कुछ कुत्ते इकट्ठे होकर रो रहे थे ! बस उसने एक नजर कुत्तों को देखा! एक भी उसके करीब नहीं फटका..!
सुबह जल्दी से उठने वाले लोग फज्र की तैयारी मे इस वक्त लग जाते हैं! इसलिए उसको किसी भी बात का डर नहीं था! वो तेजी से भागी जा रही थी!
कई सारी गलियां पार करके जिया एक घर के आगे रुकी!
धीरे से उसने घर की चौखट में कदम रखा! कोई हलचल नहीं थी फिर भी छोटी सी खिड़की से भीतर जलने वाली लाइट का प्रकाश नमूदार हो रहा था!
खिड़की की बारिक झिर्रीया बहुत सारा धुंआ बाहर उगल रही थी!
उस धुएं की खुशबू अपनी नासिका में प्रविष्ट करते ही जिया समझ गई थी वो
कोई उच्च दर्जे के लोबान कि खुशबू थी!
अब जिया से रहा न गया!
खिड़की कि झिर्रीयां के बीच एक बड़ा छेद था उस पर आंखे सटा दी!
कमरे में जीरो के लेम्प की मध्यिम रोशनी थी!
एक काला बच्चा नजर आया उसे!
बहोत छोटा सा नंगा बच्चा.. तकरिबन 3 साल का..!
वो अपने पैर पटक रहा था!
"बोलो मुझसे क्या गलती हुई..?"
धीमी जनानी आवाज से पूछा गया. !
-अब क्या चाहिए तूम्हे..? चूप क्यो हो गए बोलो..?
बच्चे के ठीक सामने काले फकिरी वस्त्रो मे वो बैठी थी!
जिया सिर्फ उसके पैर देख पा रही थी!
बच्चा जोर से पैर पटक ने लगा था!
लोबान के धुंवे से सराबोर कमरे मे बच्चे की हरकतें छीप न सकी!
"बताओ मुझे..! अब क्या चाहिए..?"
बच्चे ने अपने छोटे से हाथ की हथेली फर्श पर दे मारी!
किसी भारी हथोडे का वार हुआ हो ऐसी आवाज आई!
"ईतना गुस्सा क्यो मेरे बाप..? बताओ क्या चाहिए..?"
"मु .. झे...! "
"हा, बोलो..!!"
मुझे कंवारी लडकी का कलेजा चाहिए..! हँ.. हँ... हँ..!!!"
ईतना बोलकर वो खिलखिल हंसने लगा..! अपनी जगह पर खडे होकर उल्टे पैर गोल-गोल राउंन्ड लगाने लगा..!
जिया हैरान होकर उसे देख रही थी!
सारा कमरा अत्तर की खुशबू से तर था!
वो काले बच्चे की मांग से हैरान थी!
उसके नैनो की पुतलिया जैसे बाहर उस बच्चे के वजुद को नापने लगी..!
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क्या आप लोग अंदाजा लगा सकते हैं भैया कहां खड़ी थी?
वो बच्चा कौन था..? वो औरत कौन थी..?
बता सकते है ये क्या चक्कर था..?
(क्रमशः)