adhuri havas in Hindi Horror Stories by Baalak lakhani books and stories PDF | अधूरी हवस

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अधूरी हवस

   (1)पार्ट
प्यार बारे मे कई ग्रंथ लिखे गए, हर ग्रंथ मे प्यार को
अलग एंगल से देखा गया, ओर पढ़ने वालो ने भी अपनी अपनी सुहलयत से उसे अपनाया, कई रिश्तों मे प्यार विवाहिक जीवन के बाद हुवा तो कोई, शादी से पहेले वाला प्यार, पर प्यार कभी किसीका पूरा नहीं हुवा, अधूरा ही रहा तभी तो प्यार का शब्द हो ही अधूरा लिखा है, कुछ ऎसी ही कहानी मे आज लाया हू समाज के हिसाब से ये शायद  सावधान इंडिया का एपिसोड बन सकता है, या एक अधूरी प्रेम कहानी ये आपकी सोच पे निर्भर करता है, राज ओर मिताली की कहानी
दोनों ने प्यार तो किया पर एक ना हो सके कुछ वक्त ने साथ ना दिया या सही वक्त पे मिल ना पाए दोनों, राज की शादी हो चुकी होती हैं, ओर मिताली की सगाई ओर शादी मे कुछ वक्त था तब की बात है,

वेसे तो राज ओर मिताली की मुलाकात एक शादी मे हुई थी तब राज को मिताली पसंद आ गई थी पर केसे नहीं आती मिताली थी ही इतनी खूबसूरत की हर किसीका दिल उस पर आता, हर कोई उसके साथ आखरी साँस तक जिंदगी बिताने का सोच लेता पर, राज मजबूर था वोह आगे नहीं बढ़ सकता था, क्योकि राज की शादी हो चुकी थी, तो मिताली के साथ ज्यादा घुलने मिलने की बात उसने अपने अंदर ही दबा दी ओर शादी निपटाके दोनों अपने अपने शहर मे लॉट चले. राज कभी प्यार मे मे यकीन नहीं करता था, प्यार एक छलावा हे दो जिसमो की हवस को मिटानेका जिसे लोग प्यार का नाम देके लोग जिए जाते है, येही सोच रही राज की प्यार के बारे में.

तीन साल बाद वापिस उन दोनों की मुलाकात राज के शहर मे हुई, मिताली अपने मामा के घर रहने को आई थी कुछ दिन, ओर मिताली के मामा राज को अच्छी तरह से जानते थे, ओर काफी अच्छे दोस्त भी थे, तो मिताली के मामा ने राज को उसकी कार के साथ बुलाया गेस्ट हे तुम आज एक दिन फुर्सत निकाल के साथ चलो ओर राज ने हाँ भी भरदी ओर दूसरे दिन वोह अपनी कार लेके मिताली के मामा के घर चला गया ओर सबको ले के घूमने निकल गए, कार मे रोमांटिक सांग बज रहे थे और सफर जारी था

शायद एक घंटा गाड़ी चली होगी तभी, पीछे से आवाज आई आपकी कार मे तो वेस्टर्न सांग ज्यादा बजते हे ओर आज पुरानी जिनस क्यो सुना रहे हो,

राज को ये आवाज सुनी सुनी सी लगी, भूला नहीं था राज ये मीठी मधुरी आवाज पायल सी खनक्ती
आवाज बेक मिरर मे देखा तो हां वही थी उसकी वोह नागिन सी आँखे नशीली शरारत भरी ओर मासूम मानो जेसे कह रही हो के केसे हो आप कही भूल तो नहीं गए, राज के होठों पे अचानक से हल्की सी मुस्कान आके रुक गई,

राज :नहीं जी हे अभी बजाते हैं वेस्टन सोंग

मिताली :थैंक्यू 

उस दिन राज मिताली को घड़ी घड़ी देखता रहेता था क्योकि मिताली का फ़ोन घड़ी घड़ी आता था ओर वोह फोन पे लंबी लंबी बाते किया करती थी
राज बेठे बेठे ये देख रहा था ये बात मिताली ने भी नोटिस किया,

राज सोचता था कि जाके पूछू इतनी बाते किस्से कर रही हो (मन ही मन) पर मिताली से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया ओर उसकी शादी हो चुकी थी वोह भी एक कारण था जो अपने आप को रोके जा रहा था, ओर मिताली ने कुछ गलत समझ लिया तो ये सोच के चुप चाप सब देख रहा था,

शाम का वक्त हो गया था घर लोटने का वक़्त हो चुका था और सब चलने की तैयारी मे लगे तो पता चला कि मिताली के मामा ने कार की चाबी को दरिया मे घुमा दिया है, अब जब तक दूसरी चाबी शहर से कोई लेके नहीं आता तब तक वक्त बिताना था ना चाहते हुवे भी सबको, फिर क्या बेठे बेठे क्या करते वही पुराना खेल अंताक्षरी का खेल शुरू हो गया ओर राज भी साथ मे जुड गया

पर राज के दिमाग मे एक ही बात चल रही थी कि मिताली के बारे मे जान ने की उससे बात करने की पर मोका नहीं मिल रहा था और मिले तो शुरूवात कहा से करे ये समज नहीं आ रहा था, अगर शादी के पहेले वाला राज होता तो कब का मिताली से पूछ लेता, फिर भी थोड़ी देर के लिए ही सही वोह पुराना वाला राज बनगया ओर बातो बातोमे मिताली से उसका मोबाईल मांग लिया कॉलर्त्उन सुनाने के बहाने मिताली का मोबाइल नमबर ले लिया, मिताली शायद ये बात भाप गई थी पर कुछ नहीं बोली जेसे वोह खुद चाहती हो राज से बात करना,तीन घंटे बाद चाबी आई तब जाके सब घर की ओर निकले बीच मे होटल में सब ने खाना खाया ओर घर जाते जाते रात के दो बज चुके थे
राज सबको छोड़, घर की बजे सीधा अपनी फेक्टोरी पे चला गया.

कहानी अभी जारी है पढ़ते रहे आगे

क्या हुवा मिताली ओर राज की जिंदगी मे क्या दोनों मे कुछ रिश्ता आगे बढ़ा या बस एक कहानी पूरी ये जानने के लिए पढ़े दूसरा पार्ट