Wo kon thi - 20 in Hindi Horror Stories by SABIRKHAN books and stories PDF | वो कौन थी - 20

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वो कौन थी - 20



           काले घने अंधेरे में गुलशन का सिर हाथ में लेकर अमन को भागते हुए देख कर सुल्तान भी चौक गया था!
"Oh my god...  ये तो मोहम्मद अमन है..! उसके हाथों में गुलशन का कटा हुआ सिर है !  भागो सर...! हमें इसका पीछा करना है! किसी भी हाल में उसे पकड़ना रहै!"
सुल्तान का रोंया रोंया खडा हो गया ! 
रात के अंधेरे में जिया का पीछा करते हुए दोनों  एक दूसरे का हाथ थाम कर भागे! 
"आखिर ये मो. अमन है कौन..?
और हम से पहले इसने गुलशन का सिर कहां से हासिल कर लिया..?"
"आपने देखा नहीं परवाने को देख कर शमा बिनबिनाती हुई कैसे उसके पीछे भागी..?"
"मतलब की अपनी जिया मेमसाब  से वास्ता है इनका..?  कहीं ये वह तो नहीं जो जिया से खलिल के पहले गुटूर गू फरमा रहे थे..? 
"बिलकुल दुरस्त फरमाया हुजूर वही है ! अब इनके शौहर है..! मुझे ये जानने की बहुत खुजली हो रही है कि ये आखिर यहां पर केैसे आ धमके हैं..?"
"तब तो उन्हें जल्द ही मिलना पड़ेगा! क्योंकि मामला जितना सीधा समझते थे उतना है नहीं..! कहीं इनके भी भेद मिले हुए तो नहीं..?"
पथरीली और उबड़ खाबड़ भूमि पर भाग रहे तावडे ने अपने मन की शंका जाहिर की!
सुल्तान ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि एक जबरदस्त झोल ने दोनों को गिरा दिया! 
जिया का पीछा करते वक्त दो पेड़ों के बीच दीवार बनी मजबूत काले रंग की बल खाई बेल ने दोनों को उछाल दिया!
अंधेरे नें संतुलन बिगाड़ दिया! 
तावड़े के हाथ पैर छिल गए पथरीली कांटो भरी जमीन नें उन्हें जख्मी कर दिया!
दूर दूर जंगलों में नेवलों की चीखें सुनाई दे रही थी ! ऐसा लग रहा था जैसे किसी एक शिकार पर नेवलों का समूह  टूट पड़ा ना हो..!
मुंह से आग उगलने वाली फाहुडी कि डरावनी आवाजे  सुनाई दे रही थी!
संभलकर खड़े होते हुए सुल्तान ने कहा!
"जल्दी खड़े हो जाओ सर.. ये फाहूडी का रोना अपशकुन माना जाता है!" 
"फिलहाल हमें जिया को देखना चाहिए!" 
तावडे एक जगह स्थिर  हुई लाइट को देख कर कहा!
तभी रात की वीरानियां को चीरती हुई काले जंगल में जिया की दहाड सूनाई दी..! 
"अमन...! अम...न...!! 
उसकी परछाई साफ नजर आ रही थी!  झुक कर उसने किसी का हाथ थाम रखा था!
"सर.. मेरे  शोहर को बचा लो..! प्लीज जल्दी करो!"
वो पीछे देखकर गिडगिडा उठी!  रो रही थी! 
जिया काफी हद तक डर गई थी!
उसकी चीखे पहाडो मे उतर गई..! 
आनफ-फानन में भाग कर वो दोनो वहां पहुंचे..! 
सामने का दिल दहला देने वाला मंजर देख कर उनके  रोंगटे खड़े हो गए!
वो एक भीमकाय अजगर का बिल था!
जिसमे ईस वक्त मो. अमन के बदन का कमर से नीचे तक का हिस्सा जमीन में उतर गया था! 
 हैरानी की बात ये थी वो अपने आप को बाहर निकालने की जरा भी कोशिश नहीं कर रहा था! 
उसके एक हाथ में अभी भी झकडा हुए गुलशन के सिर का बीभत्स चहरा तीनो को घूर रहा था..! 
तावडे और सुल्तान की नजरें मिली! कुछ बातें हुई ! फिर तुरंत ही दोनों हरकत में आए!
 अब तीनों ने मजबूती से अमन की बाजुओं को पकड़ा!
"एक...  दो... !
तावडे ने गिनती शुरू की! सुल्तान गिनती का मकसद समझा..! 
तीन...! 
तीनो की मिली-जुली ताकत का एक जबरदस्त झटका..!
घने पेड़ों की अंधेरी काली घटाओं में पंखियो का फफडाट़  गुंजा..!
तावडे ने जिया के हाथों से मोबाइल झपटा..! 
टॉर्च के उजाले में कमर से ढीली हुई अमन की बॉडी को हैरत भरी निगाहों से वो आंखें फाड़-फाड़ कर देखने लगा!
" ओह शीट्..! "
सामने का दृश्य पचाना सुल्तान के लिए भी बहुत कठिन साबित हो रहा था.!
"मार.. डाला..! 
जिया के मुख से बेजान आवाज निकली..!
-उसने मेरे शौहर को मार डाला सर..! मेरी बच्ची के सिर से बाप का साया छीन लिया उसने..!  कैसे जिऊंगी मैं कैसे जिऊंगी उसके बिना..!!
वो अपना मुंह छुपा कर रोने लगी..!
 रोती बिलखती जिया के लब्जो ने सुल्तान और तावडे का सीना चीर दिया..!
जिया के आक्रंद ने पहाड़ों की बुलंदियों को छू लिया..!
"यकीन नहीं हो रहा..!
अमन की लाश को घुरता हुआ तावडे बोला! 
बात मधुमक्खी की तरह भिनभिनाती हुई मेरी खोपड़ी के चारों तरफ घूम रही है मगर भेजे में उतर नहीं रही!
 "ये मर कैसे गया..?  पते की बात ये है कि जब इंसान भागता है  तब रास्ते में अगर गड्ढा हो तो गड्डे मे एक पैर फंसता है!  पर इस दोनों पैर एक साथ फसने वाली बात ने मेरे दिमाग का भुर्ता बना रख्खा है..! 
"सोचने वाली बात थी..! यार मेरे दिमाग में ये बात क्यों नहीं आई..?"
सुल्तान तावडे के दिमाग का लोहा मान गया था! 
दोनों अमन की बॉडी को बारीकी से देख रहे थे!
"इसकी कमर से हड्डियां जैसे गायब है..!
कमर की बल खाई रस्सी जैसी चमड़ी रबर की तरह लंबी हो गई है! उस बल खाई चमड़ी ने शरीर के दो हिस्सों को जोड़ रखा है ! एक जो ऊपर था ,और दूसरा कमर के नीचे का हिस्सा ,जो जमीन में समा गया था!"
"मुझे तो ऐसा लगता है जैसे इसने जानबूझकर अपने दोनों पैर अजगर के बिल में डाल कर छुपने की कोशिश की होगी!"
 "बिल में जरूर कुछ था , जिसकी वजह से तुरंत उसकी जान चली गई है!"
"क्या होगा भीतर आप अंदाजा लगा सकते हैं..? 
 सर्द रात में हवा का रुख बदलने लगा पेड़ पौधे झूलते हुए आपस में जैसे एक लिंक बना रहे थे! हवा जैसे ही तेज होने लगी दूर पहाड़ी में घंटियों की आवाज गूंज उठी..!
" उस पहाडी पर घंटियां बज रही है जरूर उस जगह पर कोई मंदिर होना चाहिए..?"
"पूरी संभावना है..!" तावडे का अनुमान उन्हें ठीक लगा!
एक के बाद एक चमदगाड फड़फड़ा कर उड़ने लगे!
 माहौल में कुछ बदलाव आ रहा था!
वो जिस रास्ते से आए थे उधर भूमि से छोटे-छोटे कंकर हवा में उड़ने लगे!
 भारी तादात में राक्षसी चूहों की फोज ईधर आ रही हो ऐसी आवाजें सुनाई दी!
" जहा से हम आये उधर से कुछ आवाजें आ रही है सर..!"
तावडे खुद उस आवाजों को पहचानने कि कोशिश में मशगूल था!
सुल्तान की बात सुनकर जिया रोना भूल गई ! वो सहमी हुई निगाहों से अंधेरे में देखने लगी!
तावडे हरकत ने दोनों को चौंका दिया!
सष्टांग प्रणाम करता हो वैसे वो जमीन पर झुक गया !
भूमि पर कान सटा कर कुछ सुनने की कोशिश की!
चंद लम्हों के भीतर ही वो खंभे की तरह खड़ा हो गया!
उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी!
'क्या हुआ है सर..?'
सुल्तान से रहा न गया!
 "जिसका डर था वही हुआ! सुल्तान भाई हमारा 1 मिनट भी यहां रुकना खतरे से खाली नहीं है! जान बचाना चाहते हो तो भागो यहां से..!
"मगर क्या हुआ है बताओगे नहीं मुझे..?" सुल्तान चीख पड़ा!
"वो मानवभक्षी कीड़े हैं ! नेवले के जितने बड़े होते है! उनके बड़े-बड़े नुकीले दांत इंसानों की बोटी बोटी नॉंच लेते हैं ! उनके शरीर में कुछ खास प्रकार का वायु बनता है जिसकी फूंक से इंसानों की हड्डियों तक पिघल जाती है!
 "वो हम पर धावा बोल दें इससे पहले भाग निकलना है हमें.!"
इतना कहकर तावडे ने जिया का हाथ मजबूती से पकड़ा!  
जिया ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की..!
"मगर अमन को छोड़कर..?"
 उसकी भीगी आवाज से सुल्तान का कलेजा तक कांप उठा..! 
"वो मर चूका है और हमे अपनी जान बचानी है जरा समजो..!" 
बेमन से उसने तावडे का हाथ थामा! 
दूसरा हाथ सुल्तान ने पकड़ा! और उन्होंने एक साथ दौड़ लगाई , उस पहाड़ी की ओर जहां से घंटियों की आवाजें अविरत आ रही थी!
इस वक्त मोबाइल की छोटी सी लाइट भी बहुत काम की साबित हुई !
शंकु आकार की दो बड़ी चट्टानों के बीच पीपल का बहुत बड़ा पेड था!
घने पेड़ की छांव में दो चट्टानों से घिरा कष्टभंजन हनुमंत देवा का मंदिर था!
आंधी की तरह वो भाग कर वहां पहुंचे..!
 जिंदगी मैं पहली बार इस तरह मौत से भागना हुआ. .! मंदिर की चौखट पर लड़खड़ा कर जिया बेहोश हो गई!
 शायद उसको बहुत भारी सदमा लगा था! बात ही कुछ ऐसी हुई थी! 
 लापता गुलशन को ढूंढते वक्त इस तरह अपने शौहर मो.  अमन का सामना होगा..! और कुछ ही पलों में वो लाश मे तब्दील होकर दो हिस्से में पडा मिलेगा !
वो तो सपने में भी किसी ने सोचा नहीं था!
सुल्तान मंदिर को देख रहा था!  छोटी छोटी घंटियां हवाओ से बज रही थी!  पत्थर की दीवारें बहुत ही पुरानी लग रही है!
सामने एक गुफा जैसे कमरे में हनुमान की मूर्ति थी!
"जय हो महावीर कष्टभंजन मारुति नंदन..!"
सुल्तान ने बाहर से ही दो हाथ जोड़कर दर्शन किए!
"कौन है भाई..?"
सुल्तान की आवाज सुनकर किसी ने पुकारा..!
 मंदिर में पुजारी की आवाज सुनकर
तावडे के साथ सुल्तान ने भी राहत की सांस ली!
कुछ ही पलों में मंदिर के गर्भ गृह से जमीन पर बैठे हुए पुजारी अपने दो हाथों के बल पर  खिसकते हुए बाहर आए!
दोनों पैरों से वो अपाहिज थे! सफेद बाल और लंबी दाढ़ी में उनके चेहरे का तेज अभिभूत कर देने वाला था!  उनकी गहरी आंखों में जैसे विश्व समाया था!
 गले में बहुत सारी रुद्राक्ष की मालाए थी! माथे और पेट पर भभूति लगी थी..! उन्होंने वस्त्रों में एकमात्र भगवे रंग का कपड़ा कमर के नीचे धोती की तरह बांध रखा था!
 मंदिर में एक बेहोश लड़की और दो हट्टे -कट्टे पुरुषों को देख कर संभल कर उन्होंने पूछा!
"बच्चों इतनी रात गए यहां पर कैसे आना हुआ..?"
 शायद वह भी जानते थे रात होने के बाद कोई इस मंदिर में दर्शन को नहीं आता!
 बहुत लंबी कहानी है बाबा..! काफी मुश्किल में है हम लोग..!
 सुल्तान और तावडे अभी भी बार बार पहाड़ी के नीचे की तरफ देख रहे थे, जहां से वो भाग कर आए थे!
 "डरो मत इधर मेरे पास आओ..!"
 बाबा की आवाज में भी गजब का सम्मोहन था! 
दोनों बाबा के पास आकर बैठ गए!
सुल्तान के माथे पर हाथ रखकर बाबा ने आंखें मूंद ली..!
उनके होठ फफड़े..! मंत्रों की धीमी गूंज सुनाई दी! 
फिर कुछ पल शांति बनी रही! तत्पश्चात उन्होंने आंखें खोली! उन  आंखों की चमक पहले की मात्रा में काफी बढ़ गई थी!
"तुम पर काल  का प्रभाव है मेरे बच्चों..! एक बुरी शक्ति है जिसमें तुम्हारे आसपास एक घेरा बना रखा है! तुम उसमें से निकल ही नहीं पा रहे हो..!
उस मायावी शक्ति ने एक बार भ्रमित करके उस काली गुफा तक पहुंचा दिया था!  वहां से तुम्हें उस बात का इल्म हुआ कि जिस लड़की को तुम ढूंढ रहे हो उसको बेरहमी से मार कर जमीन में गाड़ दिया गया है उसकी रूह बच्चे के साथ आज भी भटक रही है!
 सब कुछ जानने के बाद तुम्हें उसको कब्र से बाहर निकालने जाने की जरूरत क्या थी..?"
 "बाबा हमने सोचा  उसकी सही तरीके से अगर दफन विधि  की गई तो उसकी रूह को शायद मुक्ति मिल जाएगी..!"
"ऐसा हरगिज़ नहीं होने वाला!
 उसने अपना बदला जरूर ले लिया है ! मगर आज के वक्त वह खुद किसी दूसरी मायावी शक्ति के कंट्रोल में है! तुम दोनों अभी तक सही सलामत हो उसकी माकूल वजह है?"
"अच्छा..? तावडे ने हैरानी जताई!
"यह लड़की जब तक तुम्हारे साथ है..!
 बाबा ने जिया की ओर उंगली उठाते हुए कहा!
 तुम्हारे बदन पर खरोच भी नहीं आएगी!  कोई भी बुरी ताकत तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर सकती..! जानते हो क्यों...?  क्योंकि इसके सिर पर एक महान तपस्वी त्रिकाल ज्ञानी आर्षद्रष्टा साधु का हाथ है! मायावी ताकतों का संहारक है वो..!
तुम्हारी समझ में इतनी बात नहीं आई!
 अगर यह लड़की तुम्हारे साथ नहीं होती तो तुम दोनों को भी उसकी तरफ मिट्टी निगल जाती..! जिस का हश्र तुम अभी अभी देख कर आए हो!"
सुल्तान के रोंगटे खड़े हो गए..!  बाबा की बात बिल्कुल सच थी! 
जिया के माथे पर एक महान तपस्वी साधु का हाथ था! 
"जाओ मंदिर में बाबा जी की मूर्ति के पास  पानी की अभिमंत्रित सुराही पडी है ले आओ..! 
तावडे मंदिर के गर्भगृह में जाकर सुराही ले आया! 
इस अभिमंत्रित जल को बच्चे के चेहरे पर छिडको..!
तावडे ने आज्ञा का पालन किया.!
घबराई हुई  जिया ने आंखें खोली!
होश में आते ही वह तावडे और सुल्तान के बीच आकर बैठ गई!
 "तुम ठीक हो बच्ची..?"
 जिया ने 'हां' कहां!
आज अमावस्या की रात है शैतानी ताकतें आज की रात  बहुत जालिम होती हो..!   आने वाले 7 दिन तक तुम लोगों पर काल का बक्र प्रभाव है!
" उससे बचने का कोई उपाय बाबा..?"
 जिया कुछ हद तक स्वस्थ हो गई थी!
जल्द से जल्द ये जगह छोड़ दो और अपने घर चले जाओ! जब तक आप लोग अपने घरों में  हो सलामत हो..!
 यहां की मिट्टी एक दिन में ही मुर्दो को निगल जाती है!  फिर क्यों गड़े मुर्दे उखाड़ने पर तुले हो?  जो मर गए हैं, वो वापस आने वाले नहीं है ! तुम लोग अपनी रक्षा करो..!

जो शैतानी ताकत गुलशन की रूह को कंट्रोल कर रही है वही नहीं चाहती कि तुम लोग कुछ भी पर्दाफाश करो..!
जो हो गया सो हो गया ! चुपचाप यहां से निकल लो ईसी में तुम सबकी भलाई है!
"बाबा क्या उस शक्ति पर हम कभी कंट्रोल नहीं कर पाएंगे जो पर्दे के पीछे रहकर वार कर रही है..?
तुम लोगों के साथ वह ताकत खड़ी है , जिसकी एक रहम निगाह पाने को  लोग बरसो तपस्या करते हैं!  उसने जरूर कुछ ना कुछ सोच रखा है!
"हम समझ गए हैं बाबा!  जब तक जिया हमारे साथ है वो बुरी शक्ति हमें छू तक नहीं सकती..! इसका मतलब है हम घबराकर यहां ना भी आए होते तब भी हमारी जान को कोई खतरा नही था..? "

"बिल्कुल नहीं था! पर तुम्हारा मुझसे मिलना तय था..!  पूछो इस लड़की से वो जब भी आंखें बंद करके स्मरण करेगी.. तो सबकी रक्षा वो तेजस्वी अलौकिक शक्ति करेगी!!"
जिया ने सहमति जताई..!
"ठीक है  बाबा..! चलते-चलते एक  आखरी बात पूछनी है ! वो नहीं जान पाया तो दिमाग में गुत्थी उलझी हुई रहेगी!"
"बोलो..!
सुल्तान ने अपने चेहरे से पसीना पोछते हुए कहा!
"जब हम खलिल से मिलने निकले तो अमन को नहीं लाए थे फिर वो गुलशन का सिर लेकर हमें कैसे नजर आया..?"
"पते की बात पूछी तुमने..!  तुम लोग जैसे ही घर से निकले की तुरंत उस मायावी ताकत ने अपना काम शुरू कर दिया था!  

अमन को किसी अनजान लड़की का कॉल आया की तुम्हारी बेगम ओर सब आबू में एक बहुत बड़ी मुसीबत में फंसने वाले है..!  अमन ने फोन कॉल से तुम लोगों का कांटेक्ट करने की बहुत कोशिश की..! पर वो कामयाब तो तब होता जब वो बुरी ताकत के साए से मरहूम रहता.!
आबू में पहुंकर तुम्हारी वाइफ से एक बार संपर्क हुआ!  हॉस्पिटल में तुम लोग नहीं थे तो वह तुम्हें ढूंढने निकला था!
तुम्हारी वाइफ ने एक बार तुम्हें कॉल करके  बताने की कोशिश की मगर तुमने ये कह कर उसकी कॉल  डिस्कनेक्ट कर दी कि अभी बात नहीं हो सकती!
सुल्तान ने अपने कान पकड़े!
बाबा ने बिल्कुल सही कहा था ! अपनी वाइफ की बात सुनना जरूरी नहीं समझा था उसने..! सुनली होती तो शायद मो.  अमन को बचा पाते!
"तुम सब की जान बचाने तुम्हारे पीछे पीछे वो भी आबू आ गया!
जिया की वजह से वो बुरी शक्ति जब तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पाई तो उसने मो. अमन को अपने वश में कर लिया!  वहां गुफा में गुलशन की डेड बॉडी और अमन के हाथों में गुलशन का सिर सब कुछ उस दुष्ट ताकत कि माया थी!
तुम्हारी नजरों के सामने वह ताकत उसे मारने में सफल हुई! तेजी से उसने भाग कर अपने पैरों को अजगर के बिल में एक साथ ठूस़ दिया! तुम लोग वहां पहुंचते तब तक उसके हलक से रूह खिंच ली गई!  आधा काम मानवभक्षी कीडो ने आसान कर दिया!
बेचारा लड़का बेमौत मारा गया..!"
जिया की आंखें बरस पड़ी!
"मत रो मेरी बच्ची..! उसके फैसले अटल है ! तुझे अपने आप को संभालना है ! अभी तो एक बड़ी जंग लड़नी बाकी है!"
तीनों ने बाबा के चरण स्पर्श किए..!
शरीर में एक नई ताकत के साथ.. नए जुस्से के साथ वो तीनो वहां से निकल पड़े !

आने वाले तूफान से टकराने का मंसूबा बना कर..!

क्योंकि बाबा जान गए थे ये लोग जैसे ही घर लौट जाएंगे!  कार हादसे वाली जगह पर हर रोज फर्नांडीज गुलशन और जिन्नात के बेटे की रूहे नजर आने वाली थी!

                     (क्रमश:)
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