Kuch badlav jaruri in Hindi Moral Stories by Ajitesh Arya Firenib books and stories PDF | कुछ बदलाव ज़रूरी

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कुछ बदलाव ज़रूरी

"बदलते वक़्त पर कुछ ही लोगों का हक है क्या?"
अपनी मम्मी से शिवाली ने पूछा, घर में चर्चा ज़ोरों पर थी,
अठ्ठ‌ईस वर्षीया शिवाली जो सरकारी बैंक में मैनेजर हो गई है उसके लिए योग्य वर कौन सा हो सकता है ? घर के सभी सदस्य अपनी - अपनी राय देने में लगे थे, इसमें सबसे महत्वपूर्ण राय पापा और ताऊजी की थी, क्योंकि बाहर के अपने तुपने और मतलब परस्त रिश्तों को सींचने का काम मध्यम वर्गीय परिवारों में आज भी पुरुषों का ही होता है,
मम्मी ने कहा " बेटा क्या है ये , इतनी समझदार हो कर भी तू ऐसी बातें कर रही है।"
" नहीं मां ये तो गलत है ; अगर सारी दुनियां कुएं में कूदेगी तो मैं भी कुदुं जरूरी है क्या?"
" शिवाली समाज में उसके तौर तरीकों से रहना पड़ता है, तू तो चली जाएगी घर से , और हम वकीलों जैसे सबके सामने तेरी पैरवी करते रह जायेंगें ।"
" क्यों मम्मी तब तो आपने कुछ नहीं कहा जब मैं कॉलेज में महिला क्रिकेट टीम में रही उस वक़्त तो बड़े गर्व से कह रही थी सभी को ,पहली महिला टीम में मेरी बेटी चयनित हुई है, स्टेट खेलने गई है, अब क्या हुआ?"
"बेटा वो बात अलग है , उसमे और इसमें ज़मीन आसमान का फर्क है।"
तभी पीछे से ताई जी अा गई , मेरी तरफ़ निगाह चढ़ाकर मम्मी से बोली,
" रेखा उसे मत समझा, अब वो अफ़सर बन गई है।"
मम्मी भी मुंह फेर कर चली गई, पीछे से शिवाली भी बड़बड़ा दी,
" पूरे संडे की बैंड बजा दी इससे तो ऑफिस ही चली जाती।"
शाम को अपनी सहेली  नीति के साथ शिवाली घूमने निकल गई।
नीति ने शिवाली से कहा " आज तेरा मुंह उतरा सा क्यों है?"
" नहीं तो , तुझे ऐसा लग रहा है क्या ?"
" हां , फिर से कोई नई टेंशन हो गई क्या घर में?"
" अरे हां यार ! तू तो जानती ही है।"
" अब क्या हुआ?"
" कुछ नहीं यार, शादी के लिए रिश्ते तलाश रहे है , कभी मेट्रोमोनियल से तो कभी रिश्तेदारों के ज़रिए।"
"फिर, कुछ हुआ क्या?"
" देख यार मैंने इतनी पढ़ाई की , तू भी जानती है मेरा कभी अफेयर नहीं रहा , तो इसका मतलब ये तो नहीं कि मेरी कोई इच्छा और पसंद नहीं, कुछ इच्छाएं हमारी भी होती है नीति, पर दोहरे पैमाने की समाज हमारी इच्छाओं की कदर कहां करती है, मेरी प्राथमिकता क्या है मेरी जरूरतें क्या है वो मुझे पता है, अब हर बात तो सब को  बता नहीं सकती ना , और कुछ अपनी जरूरतें और प्राथमिकताएं तो मै ख़ुद के सिवा किसी को नहीं बता सकती ,वरना ये समाज  ऊंगली उठाने में देर ना करेगा, क्योंकि आज भी कुछ जगहों पर पुरुष की इच्छाओं की ही प्रधानता है।"
" बात तो तेरी सही है, पर सब कुछ साफ़ - साफ़ नहीं बता सकती क्या?"
" एक लड़का है , भाभी के कोई दुर की रिश्तेदारी में है गीतेश, मुझे ठीक लगा वो , घरवाले राज़ी नहीं है पर।"
" अरे वाह! क्या करता है वो?"
" बस यही तो सवाल है जिसका जवाब सभी को चाहिए , घरवालों को, तुझे, तेरे जैसे और भी करीबियों को, बल्कि सारी समाज को, ये सवाल कभी लड़के से आवश्यक रूप से नहीं पूछा जाता कि उसकी होने वाली पत्नी का पेशा क्या है ।"
" मतलब मैं समझी नहीं शिवाली ठीक से तो बता?"
" अरे कुछ नहीं वो एक फिटनेस ट्रेनर है।"
" रिलेक्स यार तू इतनी क्यों गुस्सा हो गई।"
" देख नीति तू मेरी बचपन की सहेली है तू मेरा नेचर जानती है ,आज तक तुझसे कुछ छुपा नहीं , छुपा है क्या ?"
" ना रे पागल ऐसी क्यों कह रही है?"
" देख  साफ कहूं तो मेरी तनख्वाह है पैंसठ हज़ार रुपए , अब तू बता कम है क्या ? जिस परिवेश से उठी हूं उस हिसाब से तो बिल्कुल भी कम नहीं है।"
" ये बात तो ठीक है तेरी.. फ़िर???"
" गीतेश और मेरा इसमें चल सकता है काम यार , कम से कम खुश तो रहूंगी उसके साथ , उसे उसके क्षेत्र में पांव जमाने में वक़्त लगेगा, जब उसका  भी काम जम  जाएगा तो बाकी हमारा कितना अच्छा हो जाएगा।"
" तेरी बात बिल्कुल सही है शिवाली पर ये तो सोच की तू अफ़सर वो फिटनेस ट्रेनर जो भी कोई सुनेगा ना तो वह तुझे पागल ही ठहराएगा , वो भी अरेंज्ड मैरिज में यार।"
" क्यों कभी किसी ने  सोचा है की लड़के बेरोजगार लड़कियों को ब्याह कर ले जाते है उनके पढ़ने लिखने के सपनों को पूरा करते है, ऐसी बहुत सी कहानियां है नीति जहां लड़कियों ने ससुराल से पीएससी की परीक्षा पास की और अफ़सर बनी है , और आज तुम देख लो आज हर तीसरे घर में महिलाओं को कुछ कर दिखाने के लिए  कितना टाइम टेकिंग कैरियर चुनने की आज़ादी है , आज के पुरुषों को है क्या? कभी ये सोचा कि पुरुषों का कितना शोषण हुआ है इस बीच, आज एक लड़की किसी पद पर चयनित होती है तो वो अपने से ऊपर वाले पद के लड़के से ही अक्सर शादी करती है, मै इस प्रथा को बदलना चाहती हूं, जब लड़का लड़की एक समान है तो सबको आज़ादी मिलनी चाहिए , शादी का मात्र आज एक ही पैमाना पद और पैसा क्यों है  और वैसे भी कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता ।"
" शिवाली हमारा समाज स्वीकार नहीं करेगा , उस लड़के को, समाज कदम - कदम पर एहसास कराता रहेगा कि वो उसकी पत्नी की कमाई खा रहा है और मर्द कभी ये दबाव बर्दाश्त नहीं कर सकते।"
" पर मै उसे कभी ये एहसास नहीं होने दूंगी।"
" ऐसा नहीं होता शिवाली।"
" तू ही बता नीति , आज कदम - कदम पर मुझे अपने रंगरूप का एहसास  समाज कराता रहा है, मै अच्छी तरह जानती हूं , घरवालों को ,  श्वेता की शादी करवाने में इतनी दिक्कत नहीं गई थी क्योंकि उसे जो देखता उसके रंगरूप कि वज़ह से एक बार में हां करता था, और रही अब की बात जो लोग रिश्ता लेकर अा रहे है मेरे लिए, ये बात तो पक्की है कि कोई मेरे रंग रूप के खातिर नहीं अा रहा, कोई लड़का मुझसे शारीरिक रूप से आकर्षित तो नहीं है , सबको मेरे पद और पैसों से मतलब है, और जब बात मतलब की ही है जिसे मै मतलब के तौर पर ना देख कर जरूरत के तौर पर देखूं तो मुझे भी ऐसा लड़का चाहिए यार जो दिखने में एकदम हैंडसम हो, मेरे साथ कहीं जाए तो लगे, सभी उसे देखें , मै उसे जितनी बार देखूं उतनी बार उसमें खो जाऊं ये मेरी प्राथमिकता है ।"
"वाह शिवाली तू तो एकदम अलग ही है रे ।"
" नीति सही तो है, देख जब कोई सैटल्ड लड़का , किसी सुंदर लड़की को अपनी शर्तों पर चाह सकता है, अपनी शर्तों पर शादी कर सकता है तो एक सैटल्ड लड़की, हैंडसम लड़का अपनी शर्तों पर क्यों नहीं चाह सकती ?"
नीति को बात समझ में आने लगी थी कि शिवाली बोलना क्या चाह रही थी, जब दोनों रेस्त्रां के एक कोने में बैठे थे अब बात कुछ और गहरी होती जा रही थी,
" हां बात तो तेरी सही है शिवाली , लड़कों के पास ये विकल्प है कि वो अच्छे कैरियर के बाद अपने हिसाब से ,सुंदर ,पढ़ी लिखी या नौकरी पेशा जैसी चाहें वैसी लड़की चुन सकते है, उनके चुनाव में लड़की की सुंदरता और कदकाठी भी  मायने रखती है और हर तरह से समाज उनकी पसंद को समर्थन देता है चाहे फैसला शारीरिक , आर्थिक या शैक्षणिक आधार पर लिया गया हो  पर  हमारे विषय में ऐसा नहीं है , सबसे पहले यही पूछा जाता है कि लड़का क्या करता है? और इसी का जवाब देने के लिए आज समाज में शादी के लिए एक अच्छा इंसान नहीं बल्कि एक अच्छा पद और ओहदे वाले लड़के देखे जाते है, और जब जब इंसानियत पर पद और ओहदे कि जीत होगी इंसानियत इंसानों से और दुर होती जाएगी , इस रीत को बदलना होगा, आज जब लड़कियां खुद कमाने लगी है तो इन आर्थिक आधारों को इतना क्या तुल देना और एक स्त्री जब महाभारत जैसे युद्ध करा सकती है तो जिम्मेदारी उसकी ही है कि समाज को सही राह दिखाए, समाज में सब बराबर है तो औरतों और मर्दों की इच्छाओं के नज़रिए में भेद नहीं होना चाहिए?"
" बिल्कुल सही जा रही है नीति अब, मुझे पैसों से ज्यादा मतलब है मेरा पति फिट हो क्रिएटिव हो, मुझे समझे, और हमारा तालमेल अच्छा रहे बस इतनी सी तो बात है।"
" तो मम्मी पापा का क्या कहना है घर पर ?"
" उन्हे एक दूसरा लड़का पसंद अा रहा है, वो खुद भी सरकारी नौकरी में है , दिखने में कह सकती हूं औसत से कम ही है, थोड़ा मोटा सा है ,हाईट कम है  बस पद ऊंचा है, मै उससे मिल चुकी हूं बड़ा ही डॉमिनेटिंग है बाकी उसके पापा भी प्रशानिक सेवा में है।"
" लेकिन एक बात बोलूं शिवाली?"
"हां बोल..."
" हैंडसम लड़के ना बड़े लड़कीबाज होते है कल को ये ना हो पैसे तेरे और मौज किसी और के साथ।"
" ना रे , उसके साथ दो बार डेट कर चुकीं हूं, उसकी एक गर्ल फ्रेंड थी , उसने धोखा दे दिया , स्पष्टवादी लड़का है, उसने मुझे खुल के कह दिया कि मेरी आर्थिक स्थिति स्थिर नहीं है , मुझे स्थिर अाय वाली लड़की चाहिए , दिखना और रहन सहन एकदम सामान्य, व्यवहार कुशल ; मेरे सांचे में तो शिवाली आप फिट बैठती हो, क्या मै आपके सांचे में फिट बैठ रहा हूं, उसने गर्दन इस तरह झुकाई थी कि वह जानता हो कि उसके जैसे संघर्षरत बेरोजगारों को क्या जवाब मिलेगा।"
" फिर क्या हुआ?"
" बस मुझे लगा कि कहीं फ्रॉड ना कर दे , पर उसने जो जो बताया एकम एक बात सही निकली।"
"तूने सब कैसे पता किया ?"
" मैंने बहुत पूछ पड़ताल की , उसके शहर में, जानने वालों के ज़रिए, वो बहुत ही अच्छा है पढ़ने में भी और व्यवहार में भी, यदि उसकी हॉबी को व्यसाय नहीं बनाता तो आज मेरी तरह ही कहीं अच्छी जगह होता,लेकिन नीति प्रतिभा होना जरूरी है , आज नहीं तो कल वो अच्छा कर ही लेगा।"
" तुझे ना शिवाली उससे पहली नज़र में ही प्यार हो गया था, है ना ?"
" तू सही कह रही है नीति मुझे प्यार हो गया था क्योंकि इतने लड़कों में पहली बार किसी लड़के ने मुझसे शादी करने की सभी वज़ह साफ साफ़ बताई , बाकी तो सारे घुमा फिराकर बात कर रहे थे, और मेरी सफलता को नजरअंदाज कर रहे थे , मानो मेरी सैलरी के चलते मुझसे शादी नहीं कर रहे बल्कि कुछ और वज़ह हो।"
" तू एक काम कर शिवाली, सुचित्रा बुआ को बता वो पापा और ताऊजी से बात करेंगी।"
" हां यार ये तो तूने एक दम सही बात कही है मै घर जाकर बुआ को फोन करूंगी।"
शिवाली अाई और उसने रात को बुआ को सारा वाकिया बताया,  दूसरे दिन ही बुआ घर अा गई,
पापा और ताऊजी को समझाया, की लड़की की खुशी देखो दोनों भाई, मां को भी समझाया की लड़की अपने पैरों पर खड़ी है, उसके लिए अब और पैसों का मोल इतना नहीं है जितना लड़के का दिखना दिखाना और व्यवहार मायने रखता है जैसी शिवाली की इच्छा है, तुम गीतेश को रिश्ते का हां कर दो, मेरी लड़की पर मुझे पूरा भरोसा है, उसने बहुत कुछ सोच समझकर किया होगा फ़ैसला, और शादी में एक का भी मुंह मुझे उतरा हुआ नहीं दिखना चाहिए, तभी ताऊजी बोल उठे, " दीदी तुम कुछ तो सोचो बाबा होते तो ये रिश्ते को होने देते?"
" दामोदर तू तो रहने ही दे, बाबा तेरी वजह से कितना परेशान रहते थे सब पता है, सबके सामने मेरा मुंह मत खुलवा , जाते वक़्त बोलकर गए थे ना सुचित्रा सबसे बड़ी है उसकी बात सबने मानना "। 
पापा ने बुआ का गुस्सा शांत किया,
" दीदी पानी पियो ,  तुम जैसा बोल रही हो वैसा ही करेंगे दीदी।"
शिवाली और गीतेश की शादी तय हुई , राजीखुशी शिवाली की विदाई हुई, आज शिवाली और गीतेश का दांपत्य जीवन बहुत अच्छा चल रहा है, शिवाली ने एक हैंडसम पति पाया जिसे कोई भी लड़की वाकई अपनी कनखियों से निहारने का कोई मौका नहीं छोड़ती और गीतेश ने एक ऐसी पत्नी पाई जो उसे बेइंतहां प्यार करती है साथ ही उसका घर भी अच्छे से संभाल रही है और शिकायत का कोई मौका नहीं देती , गीतेश अपनी पत्नी का घर के कामों में भी बराबरी से हाथ बटा देता है, अपने क्षेत्र में अपनी जगह बनाने के लिए बेफिक्र होकर संघर्षरत ही नहीं है बल्कि काफी अच्छा जम चुका है , अब उसकी एक छोटी सी खुद की जिम भी है।
शिवाली आज के समाज के लिए मिसाल है, यदि लड़कियों की मानसिकता शिवाली जैसी नहीं रही तो वो दिन दूर नहीं जब देश में गरीबी और आमिरी की खाई और ज्यादा बढ़ जाएगी यदि एक सैटल्ड लड़की वेल सैटल्ड लड़के से ही शादी करने लगेगी , इंटरप्रेनयोरशिप सिर्फ समाचार और सरकारी दस्तावेजों में दिखाई देगी, समाज में नहीं, हर कोई इंस्टेंट कैरियर की तरफ भागेगा, क्योंकि समाज का ऐसे होनहार और नवाचारी बेटों को अपनी बेटियों से शादी के लिए नकारना  नवाचार का सबसे बड़ा बहिष्कार होगा, सोच बदलनी होगी शादी के लिए आधार में स्वास्थ्य और स्वभाव जैसे तत्वों का भी प्राथमिकता पर समावेश किया जाना उचित होगा, वरना आज महिला उत्थान भी देश में एक तरफा आरक्षण जैसा सामाजिक नासूर बन कर ही उभरेगा ।