ठग लाइफ
प्रितपाल कौर
झटका तेरह
पता नहीं कितनी देर नींद में गाफिल रही सविता. डोर बेल बजी तो चौंक कर उठ बैठी. टेढ़ी हो कर सोफे पर लेटी रहने से गर्दन और कम में दर्द हो रहा था. एक अंगडाई ली तो बेल दोबारा बजी. ख्याल आया कहीं रमणीक तो नहीं. फिर चौंकी. अरे! ये तो रमणीक ही होगा. और कोई हो भी नहीं सकता.
साथ ही दूसरा एक ख्याल आया, कहीं रेचल तो नहीं. फिर याद आया रेचल बिना फ़ोन किये कभी नहीं आती. लेकिन सुबह आयी थी. उसे अपने साथ नाश्ता करवाने के लिए. कहीं वही तो नहीं आ गयी डिनर के लिए.
अगर रेचल हुयी तो उसे तो टरकाना अहोगा. रमणीक के आने के बारे में रेचल को नहीं बताना चाहिए. पता नहीं क्या सोचे उसके बारे में. एक तरफ तो सविता को लगता है रेचल उसकी और रमणीक की असलियत जानती है लेकिन चूँकि दोनों ने ही खुल कर इस पर बात नहीं की है इसलिए चाहती है कि पर्दा बना रहे तो अच्छा.
यही सब सोचते हुए लपक कर दरवाज़ा खोला तो जिसका डर था वही हुआ. रेचल ही थी.
"सॉरी यार. मैं पूरा दिन बाहर थी. कल से ड्यूटी ज्वाइन जो करना है उसी की तैयारी में लगी थी. मुझे आना चाहिए था. हाउ आर यू फीलिंग नाउ?"
कहते हुए रेचल अन्दर आ गयी. सविता ने उसके पीछे दरवाज़ा बंद किया और अन्दर आकर उसके सामने खड़ी हो गयी. दोनों दोस्त द्रविंग रूम में आमने-सामने खड़ी थीं. न सविता ने बैठने की कोई कोशिश की न रेचल से बैठने का आग्रह किया.
रेचल ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया लेकिन सविता बेतरह घबरा गयी थी. उसे लगा कि अगर इस वक़्त रमणीक आ गया तो रेचल से कोई सफाई देते नहीं बनेगा उसके लिए. उसके लिए उस वक़्त बहुत ऑकवर्ड हो जाएगा.
अब तक खुल कर उसने रेचल से अपने और रमणीक के अन्तरंग रिश्तों की बात स्वीकार नहीं की थी. सविता को ये भी शक था कि अगर रेचल ने उनके रिश्ते का सच जान लिया तो उसकी सहानुभूति सविता एक लिए ख़त्म हो जायेगी.
ये खतरा वो मोल नहीं लेना चाहती थी. इस वक़्त रेचल की दोस्ती और सहानुभूति सविता के लिए बहुत बड़ा संबल थी. लेकिन ये पल बहुत नाज़ुक था. इस वक़्त सविता चाहती थी कि किसी भी तरह रेचल उसके घर से चली जाये. रमणीक कभी भी वहां आ सकता था.
रेचल ने महसूस किया सविता के अनमनेपन को.
"मुझे लग रहा है तुम ठीक नहीं हो."
"हाँ यार. दिल उदास है. थैंक यू फॉर कमिंग. "
वह कुछ और कहना चाहती थी जैसे की इस वक़्त वह अकेला रहना चाहती है. लेकिन चुप हो गयी.ये सोच कर कि ऐसा कहना रूड हो जाएगा.
रेचल ने ही अगला सवाल किया."आपकी बेटी का जवाब आया. उसने फ़ोन किया?"
"नहीं. इसलिए भी दिल बहुत उदास है. उसने तो अभी तक मेसेज पढ़ा भी नहीं है."
"ओह! बट डोंट वरी. वो घूम रही होगी. हो सकता है जहाँ वो हो इस वक़्त वहां नेट की सर्विस न हो. वो पढ़ लेगी आप का मेसेज और फिर ज़रूर कॉल करेगी. बिलीव यू मी. मुझे पूरा यकीन है इसका."
रेचल ने सविता के दोनों हाथों को अपने हाथों में लेकर सहलाते हुए दिलासा दी.
कुछ देर दोनों चुपचाप खड़ी रहीं.
अचानक यदा आया रेचल को वह किस काम से आयी थी.
"खाना खाया सविता आपने?" रेचल ने पूछा.
हेलेन ने ही भेजा था उसे. वह सुबह सविता की बेटी के फेसबुक मेसेज के बारे में जान कर बहुत खुश हुयी थीं. उस वक़्त जल्दी में होने की वजह से शाम को इस बारे में बात करने की बात कह कर अपना वादा पूरा करने के लिए रेचल को भेजा था डिनर के न्यौते के साथ.
कहा था कि जा कर सविता को डिनर के लिए ले आये ताकि वे लोग डिनर करते हुए उस बारे में बात कर सकें. रेचल को भी माँ का सुझाव अच्छा लगा था. उसे लगा था कि इस नाज़ुक मोड़ पर सविता को किसी से बात करने की ज़रुरत शिद्दत से महसूस हो रही होगी. हालाँकि हेलेन सविता और रमणीक के मामले में बिलकुल नहीं जानती थीं लेकिन बचपन में बिछड़ गयी बेटी का मेसेज आना खासी बड़ी बात है ये हेलेन समझती थीं और जितना हो सके अपने बेटी की दोस्त की मदद करना चाहती थीं.
इसी बात से सविता को रेचल से बचने का रास्ता नज़र आ गया.
फ़ौरन बोली,"यार मैंने अभी अभी सैंडविच और दूध ले लिए. बहुत भूख लगी थी. अब थक गयी हूँ सोना चाहती हूँ."
रेचल समझ गयी कि सविता बात करने के मूड में नहीं है. उसने फ़ौरन जाने का फैसला कर लिया.
"आप आराम करो. मैं चलती हूँ. सुबह मैं अपने जॉब पर जाऊंगी . पहला दिन है. आय एम् वैरी एक्साइटड. आज उसी की तैयारी में बिजी रही. कल शाम को मिलते हैं. यू टेक केयर."
यह कह कर रेचल दरवाज़े की तरफ चल पडी तो सविता को ख्याल आया. उसने फ़ौरन लपक कर रेचल को गले से लगाया और मुबारकबाद दी.
"बहुत बहुत मुबारक हो माय डिअर. ये जॉब खूब तरक्की और पैसा लेकर आये. बहुत सारी खुशियाँ भी. और एक हैण्डसम सा बॉयफ्रेंड भी. "
इस बात पर दोनों ठहाका लगा कर हंस पडीं. दरवाजे पर आ कर दोनों ठिठक गयीं.
दरवाज़ा रेचल ने ही खोला और थोड़ी देर चुप बिना कुछ बोले खड़ी रही. फिर बोली,"आप अपना ख्याल रखो सविता. कोई भी कदम बिना सोचे-समझे मत उठाना. ध्यान से रहना. जसमीत का मेसेज और फ़ोन आये तो मुझे बताना."
"हाँ, ज़रूर. "सविता ने रेचल की बातों में छिपी चिंता देख ली थी.
अगल ही पल उसे ख्याल आया कि यही तो करने जा रही है वो अभी थोड़ी देर में. आग से खेलने. रेचल की चेतवानी उसे इस वक़्त समझदारी से भरी लगी. एक बार दिल किया कि रमणीक को फ़ोन कर के आने से मना कर दे. लेकिन अगले ही पल रमणीक का आलिंगन याद आ गया. तो ये खयाल उस ख्याल पर पूरी तरह तारी हो गया. और इसके साथ ही नया ख्याल ये आया कि रेचल जल्दी से चली जाए, कहीं उसके सामने ही रमणीक न आ जाए.
तभी खुले मेन डोर से अन्दर ड्राइंग रूम में रखा इण्टरकॉम बज उठा. सविता चौंक गयी. ये निस्संदेह रमणीक के आने की सूचना थी. रेचल ने बाय कही और लिफ्ट की तरफ बढ़ गयी.
सविता की बेचैनी पर उसने ज्यादा तवज्जो इसलिए भी नहीं दी क्योंकि वह जानती है पिछले दो दिन से सविता किस कदर परेशान है और किन मुश्किल हालात का सामना कर रही है.
मगर इस वक़्त सविता के घर के इण्टरकॉम के बजने पर उसे थोड़ी शंका हुयी. ये अक्सर तभी बजता है जब आपके घर कोइ मेहमान बाहर से आये और में गेट से गार्ड मेहमान को अन्दर भेजने की इजाज़त मांग रहा हो.
या कोई दूसरा सोसाइटी के अन्दर से भी इण्टरकॉम कर सकता है. रेचल की जानकारी में सोसाइटी में किसी और से सविता की दोस्ती नहीं थी जो उससे इण्टरकॉम पर बात करे. लेकिन फिर रेचल ने सोचा ज़रूरी तो नहीं कि सविता के सभी जानकारों की जानकारी उसे भी हो. हो सकता है जिन लोगों को सविता योग सिखाती है उनमें से कोई इण्टरकॉम कर रहा हो.
सविता ने लगभग भागते हुए ही इण्टरकॉम उठाया.
उसका अंदाजा सही था. उस तरफ गार्ड था," मैडम. आप के गेस्ट हैं मिस्टर सिंह."
"हाँ, भेज दो. उनकी गाड़ी भी पार्क करवा दो अन्दर."
"नहीं मैडम गाडी नहीं है."
"ठीक है, भेज दो"
सविता सोच में पड़ गयी. क्या रमणीक ने गाडी बिल्डिंग के बाहर ही पार्क कर दी? हो सकता है. खैर! ऊपर आयेगा तो पूछ लेगी.
रेचल ने लिफ्ट का बटन दबाया तो दोनों लिफ्ट ग्राउंड फ्लोर पर थीं. काफी देर तक कोई भी लिफ्ट नहीं चली. फिर एक चली तो सीधे सत्रहवें फ्लोर पर चली गई. रेचल ने सोचा नीचे आते वक़्त रुकेगी.
तभी ग्राउंड फ्लोर से दूसरी लिफ्ट ऊपर आने लगी और इसी फ्लोर पर आ कर रुक गयी. रेचल ने दरवाजे के खुलते ही आगे बढ़ने के लिए कदम उठाये तो ठिठक गयी. कोई एक शख्स लिफ्ट से बाहर निकल रहा था. चुंक कर वह साइड पर हो गयी.
एक लंबा ऊंचा वाइट शर्ट और ग्रे पेंट पहने हुए अधेड़ उम्र का चुस्त आदमी. उसके बदन से महंगे परफ्यूम की हल्की सी बेहद मनमोहक मादक खुशबु रेचल के नथुनों में घुस गयी. उसे ये आदमी काफी आकर्षक लगा. वह बिना रेचल की तरफ देखे लिफ्ट से निकल कर तेज़ी से बाईं तरफ चल पड़ा. ज़ाहिर था उसे मालूम था उसे कहाँ जाना है.
रेचल ने लिफ्ट में दाखिल होते हुए सखा वह सविता के दरवाजे पर खड़ा हुआ ही था कि दरवाज़ा खुल और वह अन्दर दाखिल हो गया. रेचल को सविता नज़र नहीं आयी.
तभी लिफ्ट का दरवाज़ा भी बंद हो गया, रेचल ने अपने फ्लोर का बटन दबाया और लिफ्ट ऊपर की तरफ चल पडी. ये सब इतनी तेज़ी से और सिलसिलेवार हुया कि उसको अपनी आँखों पर ही भरोसा कर पाना मुश्किल लग रहा था.
क्या ये रमणीक था? या सविता का कोई और दोस्त? लेकिन सविता ने तो कहा था कि वो सोने जा रही है. तो क्या वो झूठ बोल रही थी? क्या कोई उसके यहाँ आने वाला था? इण्टरकॉम पर कौन था? यानी गार्ड ने ही पूछा था गेस्ट के बारे में. एक के बाद एक कई सवाल रेचल के मन में उठ खड़े हुए.
सविता जो अपनी हर बात रेचल को बताती थी उससे ये बात क्यों छिपाना चाहती थी? रेचल सोच में पड़ गयी. घर आ कर उसने हेलेन को सविता की कही हुयी बात कह दी की वो थकी हुयी है और सोने जा रही है. इसलिए कल मिलेगी. लेकिन खुद रेचल वह डिनर के दौरान और रात को सोने से पहले भी सविता के इसी व्यवहार के बारे में सोचती रही.
काफी देर सोचने के बाद रेचल को इस वक़्त तक इस बात पर यकीन हो गया था की जिस शख्स को उसने सविता के घर में दाखिल होते हुए देकः था वो रमणीक ही था. और उसकी पत्नी रेखा के आरोप सही थे.
इतना कुछ हो जाने के बाद भी जिस तरह छिप-छिप आर सविता रमणीक से मिल रही थी यह देख कर और सोच कर रेचल घबरा उठी थी. उसे सविता पर क्षोभ होने लगा था. इसके अलावा उसे सविट्स द्वारा खुद को भावनात्मक तौर पर अपना इस्तेमाल किये जाने पर भी ऐतराज़ होने लगा था.
ये बात बेहद खतरनाक थी. जानते बूझते हुए भी किसी शादीशुदा मर्द के साथ सम्बन्ध बनाये रखना , इतना तमशा और बदमज़गी हो जाने के बाद भी, रेचल के लिए बेहद निराशाजनक बात थी. सविता के लिए उसके मन में तरह तरह के विचार आ रहे थे. उसे रेखा की कही हुयी बातें भी याद आ रही थीं. यानी सविता पर भरोसा नहीं करना चाहिए. सविता ने जिस तरह रेचल की दोस्ती को शर्मिंदा किया था, रमणीक को अपने घर में बुला कर और रेचल से इस सब को छिपा कर, उससे रेचल का मन आहत हुया था.
रेचल को ये बात अनैतिक तो लगी ही खतरनाक भी लग रही थी. खुद सविता के अनुसार रेखा बहुत प्रभावशाली और ताकतवर परिवार से थी. ये सब सविता को ध्यान में रखना चाहिए था.
रेचल ने फैसला किया कि वह सविता से दूरी बना कर रखेगी और अब आइन्दा उसके किसी भी पचड़े में नहीं पड़ेगी. रमणीक का इस तरह सविता के घर आना उसे खतरे की घंटी जैसा मालूम हो रहा था. अगले दो दिनों में ये बात साफ़ हो गयी थी कि रेचल सही दिशा में सोच रही थी.
सोचते सोचते रेचल को नींद आने लगी. उसने सोते सोते फैसला किया कि उसे सविता के बारे में अब ज्यादा नहीं सोचना है और कल की अपनी नयी जॉब के बारे में सोचते हुए वह करवट बदल कर नींद के आने का इंतज़ार करने लगी.
पहले दिन के लिए वह आज ही कुछ फॉर्मल ड्रेस ले कर आयी थी. कल पहला दिन है. उसने सोचा वह ब्लैक पेंसिल स्कर्ट, वाइट शर्ट और ब्लैक जैकेट के साथ ब्लैक बैली पहन कर जायेगी.
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