Khel pyar ka - 2 in Hindi Moral Stories by Sayra Ishak Khan books and stories PDF | खेल प्यार का...भगा 2

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खेल प्यार का...भगा 2

2 पार्ट 




भाग 1 में अपने पढ़ा कि.........
वसीम ओर उसका दोस्त दोनो कायनात और उसकी सहेली का इंतजार कर रहे थे!



जैसे ही कायनात ओर उसकी सहेली को आते देखा तो वसीम की आंखो में एक चमक सी आ गई! उनको पास आते देखा दोनो आगे बढ़े !
 सलाम दुआ की !वसीम ने कायनात से बात करने की कोशिश की लेकिन कायनात उसे नजरअंदाज करके अपनी सहेली के पिछे जा खड़ी हुई ।
क्यू कि कुछ हद तक कायनात वसीम के इरादे समझ गई थी ! फिर भी वो वसीम से दूर दूर सी थी! क्यू की काफी हद तक कायनात भी वसीम को पसंद करने लगी थी! लेकिन अपने आप को समझ नहीं पाई थी।
वसीम ने दोस्त को इशारा करते हुए बोला! की तुम दोनों जाकर घूम आओ ..! तभी उसका दोस्त बोला! 
हा भाई हम दोनों कुछ बाते करना चाहते हैं!
 कायनात थोड़ा हिचकिचाते हुए बोली!
" अरे तो में वहां क्या करुगी..? उसे डर भी था कि ऐसा ना हो कि वसीम उसे कुछ ऐसा ना बोल दे जिसे वो इनकार ना कर सके तो?
इसलिए कायनात वसीम से दूरी रखती है! दूर सेहमी सी खड़ी थी!वसीम उसे कुछ बोलना चाहा तो वो कुछ  वहां की पढ़ाई की बाते करने लगी..! लेकिन वसीम कहा कुछ ओर सोच समझ पा रहा था !
उसके सामने कायनात जो थी..!
वो उसे बस देखता रहा..! वो ये सब बाते समझ गई थी..!
फिर भी खुद को संभालती रही।
कुछ देर बाद कायनात ने अपनी सहेली को आवाज़ देते हुए कहा !
"नुरी जल्दी करो ..! बहुत देर होगई मुझे घर जाना है..! चलो अब ..! 
तभी नूरी आते ही दोनो वहां से निकाल गई।
कायनात अपने घर आ गई !लेकिन कायनात के दिल में बेचैनी सी थी कि जो उसे लगता है वो सच है या उसकी गलतफहमी..?
वो इसी बात को सोच के थोड़ा परेशान थी..! घर में काम करती उसकी अम्मी ने कायनात को आवाज़ देते हुआ बोला !
"बाबा आने वाले है तेरे दस्तरखान लगा दो।"
कायनात ने दस्तरखान बिछाया !
बाबा आ गए !
वो लोग खाना खाने बैठे..!
क़यामत के कुछ हावभाओ उसके बाबा को अजीब लगे..!
बाबा ने पूछा!
 "कायनात बेटा क्या हुआ ..?
आज परेशान दिख रही हो..?
चेहरे का रंग फिका क्यू है ..?
बेटा कोई बात हुई है तो बताओ?"
नहीं बाबा मुझे कुछ नहीं हुआ है !में बिल्कुल ठीक हूं..! आप परेशान ना हो!  कहती हूंए कायनात ने बात को वही खत्म के दिया!
 सुबह कायनात स्कूल अयी तो देखा कि वसीम स्कूल के गेट पर खड़ा था! ये देख के वो थोड़ा हिचकिचा गई।ओर आंख चुराते हुए अपनी क्लास में चली गई।
वसीम को भी उसकी हालत का अंदाजा हो गया था ! वो मन ही मन में खुश भी था कि कायनात भी उसकी बाते समझ रही है! वसीम ने अब कुछ ओर सोचना शुरू कर दिया था!
वसीम बहुत दिमाग वाला लड़का था !वो जानता था कि मासूम सी लड़की को कैसे प्यार में पागल करना है।
वसीम ने अब कुछ ओर तरीके से कायनात को प्यार का एहसास दिलाना चाहता था! कायनात लंच के समय क्लास से बाहर निकली तो देखा वसीम उसके क्लास के बाहर ही खड़ा था !और कायनात के पास जाकर उसकी सहेली नूरी से बाते करने लगा।
बाते करते हुए कायनात के हाथ को टच किया !और बोला! " सॉरी गलती से हाथ टच हुआ !
कयामत को उसका टच करना अच्छा लगता है! वो बिना कुछ बोले अंदर चली जाती हैं !अब वसीम के इरादे ओर पक्के हो गए !उस कायनात का दिल का हाल समझ आने लगा !उसके टच करने से कायनात को गुस्सा आने की बजाय वो शर्माती हुई अंदर चली गई।
अब वसीम हर वक़्त ऐसे ही कुछ मोके ढूंढ़ता था कि वो कायनात के पास किसी तरह से रहे !वसीम जब भी मौका देखते ही उसे कुछ ना कुछ ऐसा करता जिससे कायनात को उसके करीब लाए !जेसे वसीम का उसे प्यार भरी नज़रों से देखना उसके करीब आकर उसे छू लेना ओर कभी कभी उसके घर के बाहर चक्कर लगाना।
यही सब देखते हुए कायनात भी उसकी ओर आकर्षित होती चली गई !एक दिन कायनात के स्कूल की किसी सहेली की बहन की शादी थी !वसीम उसके क्लास के सभी दोस्तो को ओर कायनात को भी शादी में जाना था।
वो सभी दोस्त शादी में आए! वसीम कायनात को देख के बहुत खुश हुआ! और वो शादी में क़यामत लग रही थी !हर एक लड़के की कायनात पे नज़र थी! बहुत खूबसूत लग रही थी !वसीम बस मोके की तलाश में था! कयनात उसे अकेली मिल जाए ,और उसकी ये दुआ अल्ला ने जल्दी सुनली !ओर कायनात भीड़ से कुछ दूर आती हैं किसी काम से उसे अाता देख के वसीम खुद को रोक नहीं पाया !ओर  उसके पीछे से कायनात का हाथ पकड के उसे अकेले में ले आया।

     क्रमशः