Woh kon thi - 19 in Hindi Horror Stories by SABIRKHAN books and stories PDF | वो कौन थी-19

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वो कौन थी-19

सूरज ढल चुका था, 
फिर भी क्षितिज गुलाबी चुनरी ओढ़ कर और भी लुभावनी लग रही थी...!  
आबू का खूबसूरत प्राकृतिक नजारा कैमरे में कैद कर लेने को किसी का भी मन उतावला हो उठे एेसा था!  
मन को प्रसन्नता से भर देने वाले अनुपम करिश्माई मंजर आंखों की ठंडक बने हुए थे!
धीमे-धीमे पश्चिम की ओर क्षितिज पर मंडराने वाली सिंदूरी रोशनी अपनी रोनक समेटते हुए अंधेरे के आगोश में ढलने लगी !
घाढ अंधेरा हो जाए उससे पहले तावड़े को फर्नांडिज का पर्स हासिल करने की तलब लगी थी! 
वारिसखान की आत्मा का अचानक प्रकट होना और फिर गायब हो जाना बात कुछ हजम नहीं हो रही थी!
तावडे गुमनाम अंधेरों के इस भंवर से बहुत जल्द ही बाहर निकल जाना चाहता था!
 क्योंकि ऊपरी अफसरों और लोगों को कैसे बता सकता था कि ये सारी हत्याएं बदले की भावना से एक प्रेतात्मा ने की है..?
कौन यकीन करेगा मेरी बात पर..? लोग हसेंगे मुझ पर..! कहेंगे अपनी नाकामी छुपाने के लिए कोई मनगढ़ंत कहानी बनाई है मैने..! 
तावडे का सर भारी हो रहा था! 
अब वो लोग उस कच्ची सड़क की ढलान लोंग रहे थे! 
संभलकर ड्राइव करते हुए तावडे ने उस वटवृक्ष के नीचे गाड़ी को रोका!
इतना घटादार  वृक्ष जिया ने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखा था! उसकी शाखाएं आपस मे उलझ गई थी!
 बहुत सारे कंकालो को एक साथ मिला कर किसी ने ऊपर बांध रखा हो ऐसा नजारा था!
ऊपरी छौर पर शाखाओं के घेरे में छुपकर जगह-जगह  गिध्धां ने डेरा डाला था!
उनकी डरावनी आवाजें इस विरान जगह को काफी भयानक बना रही थी!
"इन गिद्धों से बच कर रहना है..!
तावडे ने ऊपर नजर उठाते हुए कहा-
ये मानव भक्षी गिद्ध है! अकेले इंसान को देख कर उस पर ढावा बोल देते हैं!"
तावड़े की बात सुनकर जिया की रूह कांप उठी!
फर्नांडीस की टंगी हुई लाश को जहां से उतारा गया था ठीक उसी जगह भूमि पर जले हुए काले पन्नों को तावड़े उथलाने लगा, बिखेरने लगा! कुछ ही पलों की मेहनत के पश्चात उसकी आंखें चमक उठी! 
अपने हाथ-रुमाल से तावड़े ने पर्स को उठाकर अपनी जेब में रख दिया!
"अंधेरा हो जाए इससे पहले हमें गुलशन की डेड बॉडी को बाहर निकाल लेना है!
तावडे काफी जल्दी में नजर आ रहा था!
"पर हम कब्र की मिट्टी को कैसे उड़ेलेंगे..?"
सुल्तान की बात सुनकर तावड़े के दिमाग ने तुरंत वो बात पकड़ ली!
"आप कुछ भूल रहे हैं सुल्तानभाई अभी-अभी हमने वारिसखान की आत्मा से कुछ बातें सुनी है..!
ढाबे वाले छोरे और फर्नांडीज ने मिलकर फावड़े से पांच फुट लंबा और एक फुट चौड़ा गड्ढा तैयार किया था! यकीनन फावड़ा उस बंद ढाबे पर होना चाहिए!
आप यहां गाड़ी में बैठो..!, मैं ले आता हूं..!
"नहीं सर हम भी चलते हैं..!
माहौल की नजाकत देखते हुए जिया को वहां रुकना ठीक ना लगा.! वह प्रेआत्मा पीछे लगी हुई है! अगर उसनें तावड़े को अकेला देखकर लूढका दिया तो फिर गुलशन की डेड बॉडी हासिल करना और भी मुश्किल हो जाएगा..!
"ठीक है आप लोग भी चलो..!"
तावड़े ने जरा भी एतराज नहीं जताया! 
अंधेरा होने लगा था! धीमे धीमे ठंडी हवाएं अपना असर दिखा रही थी हरेभरे पेड़-पौधे धीमी सरसराहट पैदा करके माहौल को बदलने लगे थे!
ढाबे के कंपाउंड में तावड़े के पीछे सुल्तान ने जैसे ही कदम रखा की तभी... 
काफी वक्त से गूंगा रहा सुल्तान का मोबाइल बज उठा!
"कहाँ हो अब तक..?  इतनी देर कैसे हुई..? बहु का कोई सुराग मिला..?"
काल रिसीव होते ही सुल्तान की बेगम ने एक के बाद एक सवाल दागे !
"अभी बात नहीं हो सकती फोन रख दो..!मैं वहां आकर सब बताता हूं !
सुल्तान ने धीमे से फूसफूसाते हुए कहा!
"सुनिए आप सुनिए तो सही..!" बेगम चिल्लाती रही और सुल्तान ने कॉल डिस्कनेक्ट कर के फोन जेब मे ठूंस दिया! 
ये देखकर जिया ने राहत की सांस ली!
ढाबे पर मसानी सन्नाटा छाया हुआ था! 
 धीमे-धीमे छा रही धुंवे की परत ने ढाबे को हल्का सा ढांप दिया था! 
अंधेरा चारों ओर से उतरा..!
 दूर से दिखाई दे रहा आधा चंद्रमा अपने प्रकाश पुंज का जादू बिखेरने लगा था!
ढाबे की और हम जैसे जैसे आगे बढ़ने लगे ऐसा फील हुआ की कोई रहस्यमई जगह की छानबीन करने हम ना आए हो..!
चंद्रमा की बिखरी चांदनी में किसी छलावे की तरफ एक झलक दिखाकर गायब हो जाने वाले चमदगाड बार बार डराने में सफल हुए थे!
चंद कमरों वाला ढाबा इस वक्त कोई भुतहा खंडहर की भांती प्रतीत हो रहा था!
"फावड़ा यहीं कहीं छुपाया होगा! हम उसे ढूंढ निकालेंगे..!
पूरी मक्कमता से तावड़े कह रहा था!
"मुझे नहीं लगता डेड बॉडी को जमीन मैं दफना देने के बाद ईन लोगो ने फावड़े को कहीं भी रखने की गलती की होगी..? जरूर किसी कमरे में छुपा दिया होगा..!"
"नहीं सुल्तानभाई इन लोगों में इतनी अक्ल कहां..? जंगली घास फूस को साफ करने हेतु अक्सर ऐसा फावड़ा ढाबे वाले रखते हैं और वो मकान के बाहर ही कहीं पड़ा मिल जाएगा..!"
ढाबे के आसपास का एक एक कोना देख लेने का मन बना कर वह आगे बढ़े ही थे कि तभी ढाबे के मैन डोर करीब कुछ हलचल हुई..! 
तीनों ने एक साथ उधर देखा!
पहली नजर में अंधेरे के अलावा वहां कुछ नजर नहीं आया! 
अपने मोबाइल टॉर्च से जिया ने ढाबे के मेईन डोर का जायजा लिया! 
अचानक एक काला कुत्ता दौड़ता हुआ तीनों के बीच में से निकल गया!
सुल्तान और जिया की सांसे एक पल के लिए रुक गई!
"वहां और कोई नहीं है ये कुत्ता ही था..!"
तावडे ने अपना ज्ञान प्रकट किया!
जिया ने अपने होठों पर उंगली रखकर दोनों को चुप रहने का इशारा किया!
वह मोबाइल टॉर्च लेकर ढाबे के मुख्य द्वार की ओर बढ़ रही थी! 
अंधेरा गहराता जा रहा था!  
दूर-दूर से कुत्तों के रोने की आवाजे सुनाई दे रही थी!
मगर इस विरान जगह पर कहीं कोई हलचल नहीं थी!
आसमा में काला धुआं बादलों की तरह उमड़ आया था! उस घुंवे के साथ लुका-छुपी खेलने वाले निशाचर पक्षी हजारों की तादात में ऊपर मंडराने लगे थे!
अब तक कुछ भी नजर नहीं आया था! फिर भी जिया बहुत चौंकन्नी थी! 
कुछ अगमचेती हुई हो ऐसे रहस्यमय ढंग से ढाबे के इर्द-गिर्द सहमी हुई निगाहों से वो देख रही थी!
वो तीनो जैसे ही ढाबे के डोर तक पहुंचे कि तभी धनुष्य में से छुटे तीर की मानिंद एक लंबी परछाई ऩे निकल कर जंगल की ओर दौड़ लगाई!
हड़बड़ा कर आनन-फानन में जिया ने टॉर्च के उजाले में उसका चेहरा देखा..! 
उसी ने ही क्यों सुल्तान के साथ तावडे ने भी उसको देखा! साडे पांच फुट का एक लंबा गोरा लड़का हाथ में किसी का कटा हुआ सिर लेकर भागा..! 
कटे हुए सिर के लंबे बालों को उसने मजबूती से पकड़ रखा था !और खून से सना कटा हुआ सिर उसके हाथों में झूल रहा था!
जिया का हाथ हवा में उसकी और लहराया!
 उसके मुख से फटी हुई चीस निकली..
"अमनअअअ...!  रुक जाओ अमन...! क्या ये तुम हो..?"
वह तेजी से अंधेरे में गर्क हो गया!
सुल्तान का मुख भी फटा सा रह गया !
काफी हिम्मत जुटाकर सुल्तान इतना बोल पाया..! 
वो कटा हुआ सिर गुलशन का है..!"
सुल्तान की बात सुनकर तावडे के पैरों से जैसे जमीन खिसक गई!
ढाबे के पीछे जिधर अमन ने दौड़ लगाई थी उधर जिया भी भागी!
सुल्तान और तावडे एक और उलजन के पीछे भागे!
अमन के हाथ में गुलशन का कटा हुआ सिर था..! 
सुल्तान का दिमाग चकराने लगा था..!

क्या इन सभी घटनाओं का जिम्मेदार अमन था..? मो. अमन ने जिया और खलील के प्रेम संबंध से विचलित होकर कोई चाल चली थी...? हमारे साथ ही उसकी उपस्थिति का मतलब क्या था..?
सुल्तान की बेगम आखिर क्या कहने वाली थी..? इन सभी सवालों के जवाब जानने आपको इंतजार करना पड़ेगा वो कौन थी के अगले अंको का..!
अपने दिमाग पर जोर दे और मुझे बता सकते हैं आखिर कौन है जो इन सब के पीछे जिम्मेदार हैं..? कहानी के बारे में अपने सुझाव जरूर दें

                     (क्रमश:)
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जिन्नात की दुल्हन( हिंदी)
दास्तान ए अश्क (हिन्दी) 
मृगजल नी ममत (गुजराती) 
अंधारी रातना ओछाया (गुजराती) 
पढना न भूले
                      -sabirkhan
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