mere dil ka haal part-1 in Hindi Moral Stories by Shaihla Ansari books and stories PDF | मेरे दिल का हाल भाग-1

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मेरे दिल का हाल भाग-1

"क्या बात है अम्मी ये सब किसके लिए बनाया जा रहा है.... खुशबू तो बहुत अच्छी आ रही है" मायरा ने रसोई में आते हुए एक लंबी सांस लेते हुए कहा !!

"तुम्हारे एजाज अंकल आए हैं उनके लिए बना रही हूं"

"एज।ज़ अंकल आए हैं... बाबा के तो वारे न्यारे हो गए होंगे" मायरा ने अपनी अम्मी के गले में बाहें डालते हुए कहा!!

"चल हट परे जब देखो बच्ची बनी रहती है... चल जाकर ड्रेस चेंज कर नहीं तो हल्दी का दाग लग जाएगा" मायरा कॉलेज से आते ही किचन में चली आई थी मायरा की अम्मी ने उसकी व्हाइट ड्रेस को देखते हुए कहा!!

मायरा ड्रेस चेंज करके चाची की तरफ चली आई थी "आदाब अंकल आदाब बाबा जान" मायरा ने कहा!!

"ये अपनी मायरा है ना" एजाज़ ने आदाब करती मायरा को देख कर कहा!!

"जी अंकल में मायरा ही है" 

"अरे ये कितनी बड़ी हो गई है... बहुत साल बाद देख रहा हूं... और मेरा बेटा क्या कर रही हो आजकल" 

"मामू ये ग्रैजुएट कर रही है" अली ने कमरे में आते हुए  कहा "अब फाइनल पेपर दे रही है" अली की बात पर मायरा मुस्कुरा दी थी!! 

"क्या सच में" एज।ज़ साहब ने हैरत से मायरा को देखा था "और आगे क्या इरादा है" 

"अभी और पढ़ना है जामिया कॉलेज में" मायरा ने खुश होते हुए कहा!!

"बस बहुत पढ़ लिया.....अब तुम्हारी शादी करनी है अहमद साहब ने बेटी के सर पर हाथ रखा!! 

"बाबा मुझे शादी नहीं करनी है... मुझे अभी और पढ़ना है" 

"नहीं बेटा बस बहुत पढ़ लिया"

"अगर मायरा पड़ना चाहती है तो उसे पढ़ने दो"
एजाज़ ने अहमद को समझाया "मायरा बेटी तुम जितना चाहे पढ़ो तुम्हारे बाप को मैं देख लूंगा!! 

"आओ खाना खाते हैं बाकी बातें बाद में" अहमद साहब ने उठते हुए कहा!!

एजाज साहब ने अपने बेटे ज़ईम के लिए मायरा का हाथ मांगा था अहमद साहब सोच में पड़ गए थे!! 

"क्या सोच रहे हो अहमद भाई जान....ज़ईम हमारा देखा भाला है और काम धंधे से लगा हुआ है" अनवर ने अपने बड़े भाई से कहा!!

कोसर के जाने के बाद जईम बहुत अकेला हो गया है इसीलिए वो बहुत कम बोलता है... सारा काम उसी ने संभाल रखा है काम की वजह से ही वो यहां कभी नहीं आ पाया.... अहमद मैं मायरा को अपनी बेटी बनाकर रखूंगा!!

"वो सब तो सही है पर बच्ची को इतनी दूर भेजना" 

"यही तो है दिल्ली भाई साहब... बस 3 घंटे का रास्ता है" अनवर के बीवी ने कहा "और भाई जान इतने  प्यार से अपनी मायरा को मांग रहे हैं" 

"सुनो जी जब अनवर और सायमा इतना कह रहे हैं तो हां कर दो" मायरा की अम्मी ने देवर देवरानी की हिमायत की "और हमने जईम का फोटो भी देखा है अच्छा खासा दिखता है" 

"सब की ऐसी ही मर्जी है तो मैं एजाज को हां कर देता हूं "

अहमद के हां करते ही एजाज साहब ने मायरा का सिर चूम लिया था और मायरा शर्मा गई थी "अब तुम दिल्ली आकर जितना चाहे पढ़ सकती हो" 

मायरा ने जईम का फोटो देखा तो उसके होंठ खुद-ब-खुद मुस्कुरा उठे!!

"राजा की आएगी बारात रंगीली होगी रात मगन मैं नाचूंगी" 

"जावेद के बच्चे क्यों परेशान कर रहे हो मुझे जाओ यहां से" माायरा ने अपने छोटे भाई को कमरे से बाहर करते हुए कहा!! जब से मायरा का रिश्ता तय हुआ था मायरा के छोटे भाई ने ऐसे ही गाने गा गा कर उसको परेशान कर दिया था!!

 "बाजी आप यहां बस थोड़े दिन की मेहमान हो" जावेद ने नाचते गाते हुए मायरा से कहा!!

अहमद और एजाज जवानी के दिनों से बहुत पक्के दोस्त थे! एजाज ने अपनी बहन सायमा की शादी अहमद के छोटे भाई अनवर से कर दी थी। अहमद की शादी को 5 साल होने को आए थे पर उनके कोई औलाद नहीं थी। जब अनवर और सायमा के अली हुआ तो वह खुशियां लेकर आया और अहमद के यहां 1 साल बाद मायरा हुई। अहमद अपनी बेटी मायरा से बहुत प्यार करते थे। एज।ज़ को दौलत कमाने का जुनून था तो वह अपने बेटे और बीवी के साथ दिल्ली सेट हो गए थे। साल 2 साल में एजाज अपनी बहन सायमा और अपने दोस्त अहमद से मिलने आते थे। 

"बहुत जल्द हम अपनी मायरा को लेने आएंगे और खूब दिल लगाकर पढ़ना" एजाज मायरा को प्यार करके दिल्ली के लिए रवाना हो गए!!

मायरा के पेपर बहुत अच्छे हुए अब उसे अपने रिजल्ट का इंतजार था!!

सब अच्छे से हो रहा था कि 1 दिन है एजाज दिल्ली से वापस आ गए और उन्होंने जो खबर सुनाई तो सब सुन रह गए!! 

"ये तुम्हें पहले सोचना चाहिए था एजाज" अहमद बहुत गुस्से में थे!! 

"मैं बहुत शर्मशार हुआ है अहमद.... मुझे माफ कर दो" एजाज ने अपने दोस्त से कहा। जईम ने उनका सिर झुका दिया था!! 

"अब इन बातों से क्या फायदा... गलती मेरी ही थी कि मैंने अपनी बेटी की जिंदगी का फैसला करने में जल्दबाजी की" अहमद को अपने दोस्त पर गुस्सा तो बहुत था पर वह चुप लगा गए थे!! 

   जईम ने मायरा से शादी करने से इनकार कर दिया था ये कह कर कि मैं एक गांव की लड़की से शादी नहीं कर सकता। सायमा को भी अपने भतीजे से ऐसी उम्मीद नहीं थी। वो भी अपने जेठ जेठानी से नजर नहीं मिला पा रही थी!!

दिल्ली जाने से पहले एजाज साहब ने मायरा से भी माफी मांगी थी!! 

"इसमें आपकी कोई गलती नहीं है अंकल... आप मुझसे बड़े हैं प्लीज.   आप मुझसे माफ़ी ना मांगे" 

  मायरा चुप होकर रह गई थी। उसकी आंखों ने तो अभी ख्वाब देखने शुरू ही किए थे। उसे ज़ईम पर भी बहुत गुस्सा आ रहा था। वो अपने आप को आखिर समझता क्या है... मुझे ये कहकर रिजेेक्ट कर दिया कि मैं गांव की अनपढ़ जाहिल गवार लड़की हूं। लानत भेजती हूं मैं ऐसे इंसान पर मायरा ने अपने दिल की भड़ास निकाली!!

मायरा का रिजल्ट बहुत अच्छा आया था और उसने जिद पकड़ ली थी कि वो आगे और पड़ेगी जबकि अहमद साहब उसकी शादी करना चाहते थे। वो अपने बाबा के कदमों में बैठ गई थी!! 

"बाबा प्लीज..  मुझे आगे पढ़ने की इजाजत दे दीजिए मैं नहीं चाहती कि कल कोई और भी मुझे जाहिल और गवार कहे" 

"बेटा जाहिल तो वह इंसान था जो तुम्हारी कदर ना कर सका" अहमद साहब बेटी की तकलीफ पर तड़प उठे थे!! 

  "ताया जान .. मायरा आगे पढ़ेगी तो उसे ये सब भूलने में आसानी होगी..... आप उसे आगे पढ़ने की इजाजत दे दीजिए" अली ने मायरा का साथ दिया!! 

"वो सब तो ठीक है अली.... पर इतनी दूर मेरी बच्ची अकेली कैसी रहेगी"

हॉस्टल है ना ताया जान... मायरा वहा आराम से रह लेगी" 

अहमद साहब सोच में पड़ गए थे। उनका दिल नहीं मान रहा था बेटी को इतनी दूर भेजने के लिए... उन्होंने मायरा की तरफ देखा तो उसकी आंखों में आस थी.... "ठीक है मेरी बच्ची जा जी ले तू अपनी जिंदगी" 

                    बाकी भाग-2 में