Raat 11 baje ke baad - 4 in Hindi Fiction Stories by Rajesh Maheshwari books and stories PDF | रात ११ बजे के बाद ‌‌‌‌--भाग ४

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रात ११ बजे के बाद ‌‌‌‌--भाग ४

मुझसे भी कोई मतलब नही था आनंद ने उसको इतना धनवान बना दिया था कि उसे अपने आप पर घमंड आ गया था। उसका आनंद के व्यापारिक मामलों में कुछ भी लेना देना नही था और ना ही आनंद उसकी दखलंदाजी पसंद करता था। आनंद से उसने क्या क्या प्राप्त किया यह बता पाना तो मुश्किल है परंतु उसे क्या नही मिला बैंक में फिक्स डिपाजिट, सोने और हीरे के आभूषण, निवास के लिये एक बढिया फ्लैट, कार एवं नौकर चाकर आदि सभी कुछ उसे प्राप्त थे। उसकी अपेक्षाएँ बढती ही जा रही थी अब वह आनंद के ना रहने पर उसकी सारी संपत्ति की मालिक बनना चाहती थी। जाँच अधिकारी ने पूछा कि आनंद की मृत्यु में परोक्ष या अपरोक्ष रूप से पल्लवी का कितना हाथ हो सकता है ?

मानसी ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए आनंद की मृत्यु वह कभी नही चाहती थी। उसके हर स्वार्थ की पूर्ति हो रही थी एवं वह बहुत सुखी जीवन बिता रही थी। आनंद के ना रहने से उसकी इन सभी सुविधाओं का अंत हो जाता इसलिये वह ऐसा सोच भी नही सकती थी। वह तो विवाह के तुरंत बाद आज से चार दिन पहले हनीमून के लिये गोवा चली गयी है और दो तीन दिन बाद वापस आएगी। ऐसा घिनौना काम वह नही कर सकती यह उसकी क्षमता के बाहर है। उसका पति रिजवी भी ऐसे किसी काम में उसे सहयोग नही देगा। इसके अतिरिक्त यदि आप कोई जानकारी चाहते हैं तो उसके वापिस आने पर उससे पूछ सकते हैं। मानसी से इतनी जानकारी मिलने के पश्चात जाँच अधिकारियों का शक पल्लवी के प्रति और भी गहरा गया और वे उसके लौटने का इंतजार करने लगे।

अभी तक प्राप्त जानकारी के आधार पर प्रमुख जाँच अधिकारी हरीश रावत मसूरी के संबंध में प्राप्त जानकारी को काफी महत्व देता है। दूसरे दिन पल्लवी के हनीमून से वापिस आने की सूचना प्राप्त होती है जाँच अधिकारी उसके वापिस आने पर उसे पूछताछ के लिये उसके पास पहुँच जाते हैं। वह भी इसके लिये पहले से ही तैयार थी और उसने कहा कि आप मुझसे क्या जानना चाहते हैं ? जाँच अधिकारी पूछता है कि आनंद के बारे मे क्या जानती हैं ? क्या आप को किसी पर शक है ?

पल्ल्वी कहती है मुझे आनंद जी के नही रहने का बहुत गहरा सदमा पहुँचा है वे मेरे लिये देवता तुल्य थे और उन्होने जो कुछ मेरे लिये किया वह अकल्पनीय है और मैं उनका ऋण कभी नही चुका सकती। मुझे वापिस आने के बाद ही उनकी संदेहास्पद मृत्यु की बातों का पता चला और मैं इससे आश्चर्यचकित हूँ। आप लोग इसकी गहराई से जाँच करे ताकि वस्तुस्थिति हम सभी को मालूम हो सके। मैं अपनी ओर से पूरा सहयोग करने के लिये तैयार हूँ। पल्लवी बोली कि मैं आनंद को बहुत नजदीक से जानती हूँ , वह इतना भावुक व्यक्ति था कि मुझसे संबंधित मामलों मे विचलित हो जाता था इसलिये मैंने उसको रिजवी के विषय में सारी जानकारी दे दी थी परंतु उस समय तक मेरा उसके साथ विवाह करने का इरादा नही था। वक्त बीत रहा था और मेरे मन में अपना घर बसाने की इच्छा हो रही थी। एक दिन रिजवी मेरे पास आया और उसने बताया कि उसके माता पिता उसे शादी हेतु दबाव बना रहे हैं। उसने मुझसे स्पष्ट पूछा कि तुम मुझसे शादी करना चाहती हो या नही ? मैने सोचा कि यदि मुझे अपना घर बसाना है तो रिजवी से अच्छा रिश्ता मुझे कोई दूसरा नही मिल सकता आनंद के साथ तो यह रिश्ता संभव ही नही था क्योंकि वह पहले से ही शादी शुदा था और हमारी उम्र में भी बहुत अंतर था। मैने सोच विचार कर रिजवी से शादी करने का निर्णय ले लिया और इसकी जानकारी सबसे पहले मैने आनंद को दी वह यह सुनते ही भौचक्का रह गया और मेरी कल्पना के विपरीत उसने मुझे ऐसा नही करने के लिये कहा मैं तो सोचती थी कि मेरे हित को देखते हुये वह खुश होकर मुझे प्रोत्साहित करेगा परंतु उसने मुझे प्राप्त होने वाली सुविधाओं को समाप्त करने का संकेत दे दिया इससे मुझे गहरी ठेस पहुँची। आनंद के ऐसे व्यवहार कि मैने कभी अपेक्षा नही की थी। मैं अपने निर्णय पर अटल थी और मैने रिजवी के साथ कोर्ट मैरिज कर ली। मुझे उसकी मृत्यु की दुखद सूचना गोवा में ही प्राप्त हुयी तो हमें बहुत दुख हुआ। मुझे यह बताया गया था कि मेरे विवाह करने के कारण आनंद ने आत्महत्या कर ली। इससे रिजवी बहुत परेशान था कि कहीं मुझ पर कोई आरोप ना लग जाये और बेवजह हम लोगो को परेशान होना पडे।

पल्लवी ने बताया कि मेरे आनंद से मित्रता से पहले रंजना नाम की एक संभ्रांत परिवार की मसूरी की लडकी के साथ उसकी गहरी मित्रता थी। उसने आनंद पर विवाह हेतु दबाव बनाया तो उसने स्पष्ट कह दिया था कि वह अपनी पत्नी को तलाक नही दे सकता इसी के कारण उनकी दोस्ती में दरार आ गई और रंजना ने किसी डाक्टर के साथ विवाह रचा लिया। आपको यह बात गौरव ने नही बताई क्या, वह तो हमेशा आनंद के साथ मसूरी जाता था और उसके गेस्ट हाऊस में एक एक माह तक रहता था इन दोनो की रंगरलियों को देखा करता था। राकेश को भी इसकी जानकारी थी आनंद उसे भी रंजना से मिलवाना चाहता था परंतु उसने कभी इसमें रूचि नही दिखाई ना ही वह कभी मसूरी गया। इन दोनो की प्रेम कहानी से मसूरी के संभ्रांत लोग वाकिफ थे। मुझे ये बातें आनंद ने ही बताई थी। यह सुनकर जाँच अधिकारी ने पल्लवी को इससे संबंधित सभी बातें विस्तारपूर्वक बताने का निवेदन किया कि रंजना कौन थी, कहाँ से आयी थी और उसका उद्देश्य क्या था ?

पल्लवी ने बताया कि उसके पिता के पास सेव के बगीचे थे। वह ग्रेजुएट थी एवं फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती थी और दिखने में बहुत सुंदर थी। आनंद ने उसे हीरोइन बनाने का झाँसा देकर उससे मित्रता की थी और धीरे धीरे उनकी मुलाकातें बढती गइ। आनंद उसको मँहगें मँहगे उपहार देता था। वह फिल्म में रोल दिलाने का कहकर अपने साथ बंबई ले गया। वहाँ दोनो पाँच सितारा होटल में रूके थे। बंबई में आनंद एक प्रसिद्ध फिल्म निर्माता से परिचित था। उसने उसे बुलाकर रंजना को उसकी आगामी आने वाली फिल्म मे भूमिका देने का आग्रह किया था। उस निर्माता ने दूसरे दिन एक स्टूडियों में बुलाकर रंजना की फोटो ली और उसकी वाइस टेस्ट के उपरांत उसे शूटिंग में काम देने का निर्णय ले लिया। इससे रंजना का दिल बाग बाग हो गया और उसकी आँखों में आनंद के प्रति प्रेम झलकने लगा। दूसरे दिन उसे फिल्म में काम करने का अवसर प्रदान करने का एग्रीमेंट कर लिया गया और बतौर एडवांस उसे दस हजार रूपये भी प्राप्त हुये। ये अलग बात है कि इन सब में दोनो की मिली भगत थी और वो फिल्म इसके आगे बनी ही नही। उस रात रंजना ने खुशी खुशी अपने को आनंद को समर्पित कर दिया था। उसका फिल्म निर्माता मित्र भी अपनी सहभागिता चाहता था परंतु आनंद ने उसे अगली बार का आश्वासन देकर बात समाप्त कर दी। दूसरे दिन आनंद और रंजना बडे खुश थे दोनो का अपना अपना उद्देश्य पूरा हो गया था। यह बात मुझे आनंद से ही पता हुयी, यह सुनकर मैं सजग हो गई थी कि आनंद जितना सीधा दिखता है उतना है नही।

पल्लवी ने कहा कि दोनो खुशी खुशी मसूरी आ गये यहाँ रंजना ने अपने माता पिता को शूटिंग के बारे में बताते हुये अपने एग्रीमेंट एवं दस हजार रूपये मिलने के विषय में बताया। रंजना के पिता ने फोन पर धन्यवाद देते हुये उसे शाम को भोजन के लिये बुलाया जिसे आनंद स्वीकार करते हुये अपने मित्र गौरव को भी लाने का जिक्र करते हुये उनकी अनुमति माँगी जिसे उन्होने सहर्ष स्वीकार कर लिया। आनंद के साथ गौरव भी उनके निवास पर पहुँचा और रंजना की सुंदरता देखकर गौरव तो मंत्र मुग्ध हो गया वह स्वयं अपना परिचय देते हुये बताने लगा कि वह इंटरनेशनल आर्टिस्ट है और रंजना का एक पोट्रेट बनाकर भेंट करना चाहता है इसके लिये एक दो दिन कुछ समय के लिय रंजना को गेस्ट हाऊस आना पडेगा, जिसे वह स्वीकार कर लेती हैं।

रंजना ने आनंद के बंबई के संपर्कों की तारीफ के पुल बाँधते हुये आनंद के सम्मान और प्रतिष्ठा को और भी अधिक बढा दिया। आपस में चर्चा के दौरान उद्योग व्यापार के संबंध में रंजना के पिताजी से आनंद बातचीत करता रहा। उन्होने बताया कि उनके सेव के कई बागान है परंतु यहाँ पर सेव के दाम इतने कम हो जाते है कि अपेक्षित मुनाफा नही मिल पाता है। यहाँ पर दूर दूर से व्यापारी आकर सेब खरीद कर ले जाते है और कई गुने ज्यादा दाम पर बेचकर लाभ कमाते है। आनंद उनको सलाह देता है कि आप ज्यूस मेनिफेक्च्युरिंग प्लांट क्यों नही डाल लेते है। यहाँ पर सस्ती बिजली उपलब्ध है, औद्योगिक शांति है व कर मुक्त आय का प्रावधान सरकार द्वारा किया गया है। इनका लाभ उठाकर अपने ही उत्पादन के सेब से यह प्लांट डाला जा सकता है इसमें यदि आपको टेक्नोलाजी की आवश्यकता हो तो मैं मदद कर सकता हूँ। रंजना के पिताजी आनंद को भागिदारी का प्रस्ताव देते है। आनंद विनम्रतापूर्वक कहता है कि मुझे भागीदारी नही चाहिये मैं वैसे ही आपको सभी मदद दे दूँगा। मैं इस उद्योग से संबंधित प्रोजेक्ट रिर्पोट आप के पास भिजवा दूँगा जिन्हें पढकर आप निर्णय ले सकते है।

रंजना बीच में बोली कि आप लोग तो व्यापार की बातों में उलझ गये। इन बातों को कल आप लोग बैठकर अपने कार्यालीन समय पर कर लीजियेगा अभी तो कुछ मनोरंजक बातें करें। आनंद उसकी तारीफ करते हुये उसे यह कहकर प्रोत्साहित करता है कि एक दिन तुम अभिनेत्री के रूप में बहुत नाम कमाओगी। तुम्हे कठिन परिश्रम, पक्का इरादा और दूरदर्शिता से काम करना होगा। रंजना की माताजी बोली कि आपका ऐसा ही आर्शिवाद इस पर रहा तो निश्चित रूप से यह जीवन में बहुत तरक्की करेगी यह सुनकर गौरव के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गई। रात बीतती जा रही थी और ठंड भी बढती जा रही थी इसलिये सबको भोजन जल्दी परोस दिया गया। भोजन के उपरांत आनंद धन्यवाद देकर रंजना को कल पोट्रेट के लिये आने का आमंत्रण देकर वापिस हो गया। रास्ते में गौरव ने हँसते हुये उससे कहा कि देखो मैने तुम्हारा काम बना दिया है। अब वह पोट्रेट के लिये आया करेगी और तुम्हारा समय अच्छे से व्यतीत होता रहेगा। आनंद ने मुस्कुराते हुये कहा कि पोट्रट अच्छे से बनाना कही ऐसा ना हो कि बनाओ आदमी का और बन जाए किसी जानवर का। इस पर दोनो हँसते हुये आपस में मजाक के वातावरण में बात करते हुये अपने बंगले वापिस आ जाते है।

अब रंजना का आनंद के घर और आनंद का रंजना के घर बिना किसी रोक टोक के आना जाना प्रारंभ हो जाता है। वे रोज दिन मे एक बार मिला करते थे और आपस में प्यार में खोकर सभी मर्यादाओं को पार कर देते थे। एक दिन रंजना ने आनंद के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा और वह यह जानकर हतप्रभ हो गई कि आनंद तो पहले से ही विवाहित था। आंनद ने विनम्रतापूर्वक शादी के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुये कहा कि मैं अपनी पत्नी को नही छोड सकता। यह सुनकर रंजना को धक्का लगता है और वह आनंद से मिलना जुलना बंद कर देती है। इससे आनंद व्यथित हो जाता है और गौरव उसे समझाता है कि जितने दिन अच्छे बीत गये सो बीत गये अब आगे के लिये उसे भूल जाओ और किसी नई खोज में अपना समय दो। यही तुम्हारे जीवन की नियति है।

रंजना को दुख इस बात का बहुत था कि आनंद ने पहले उसके नाम पर बिना उसके कहे या आशा के अपनी वसीयत उसके नाम कर दी थी और एक दिन उसका फोन आया कि वह वसीयत बदल रहा है यदि तुम ऐसा चाहती हो तो जैसे अपने पहले मधुर संबंध थे वैसे बनाए रखो। यह सुनकर वह बहुत क्रोधित हुई और उसने आनंद को बहुत खरी खोटी सुनाई उसे तब तक बंबई के फिल्म निर्माता की हकीकत भी पता हो गई थी कि वह सब एक नाटक था जिसे आनंद ने केवल उसका जिस्म पाने के लिये किया था। उसने आनंद को डाँटते हुये फोन पर कहा था कि मैं कभी ना कभी अपने इस अपमान का बदला तुमसे जरूर लूँगी। गौरव को यह पता होने पर उसने आनंद को अब मसूरी ना जाने की सलाह दी थी और इसके बाद वह मसूरी नही गया।

जाँच अधिकारी के पूछने पर कि तुम्हें इतनी बातें कैसे पता है तो उसने बताया कि कुछ तो गौरव ने और अधिकांश बातें स्वयं आनंद ने उसे बताई थी। इससे वह समझ गई थी कि आनंद किसी एक से बंधकर रहने वाला व्यक्ति नही है यह मेरे साथ भी दो तीन साल बिताएगा और फिर किसी नई खोज में निकल जाएगा। इसलिये मैं इससे अधिक से अधिक धन प्राप्त करने की लालसा रखती थी और मैंने सही समय पर अपना विवाह रिजवी के साथ कर लिया।

जाँच अधिकारी को नौकरों ने पूछने पर बताया कि उस दिन आनंद के पुराने कर्मचारी के यहाँ उसकी बेटी का विवाह था जिसमें शामिल होने के लिये उसके निवास के अधिकांश कर्मचारी गये हुये थे। उस रात वहाँ पर दो नौकर जिसमें एक चौकीदार और दूसरा रमेश था। इसके अतिरिक्त रवि नाम का केयरटेकर भी वहाँ पर मौजूद था उसने बताया कि अधिकांश कर्मचारी अवकाश पर थे इसलिये वह अपने कार्यालीन समय के अतिरिक्त वही पर रूक गया था। जाँच अधिकारी को नौकरों ने जो पहली जानकारी दी थी उसके अतिरिक्त और कुछ भी नही मालूम था। रवि किसी भी बात का जवाब मुझे नही मालूम कहकर चुप हो जाता था। उससे यह पूछने पर कि तुम साहब के पास कितनी बार ऊपर उनके पास गये थे तो उसने कहा कि रमेश ने जब चिल्ला कर कहा कि अरे साहब को क्या हो गया है तो वह तुरंत भागता हुआ ऊपर पहुँचा। इसके बाद चौकीदार ने आवाज दी कि डाक्टर साहब आ गये है तो मैं तुरंत ही लिफ्ट से नीचे जाकर उन्हे लेकर उपर कमरे में ले गया और उन्हे छोडने नीचे तक गया। इसके बाद मैं डर और घबराहट से नीचे ही रह गया। मैं गौरव और राकेश जी के आने पर उनके साथ ऊपर आया। इसके अतिरिक्त इस संबंध में वह कुछ भी नही बता पा रहा था परंतु उसके चहरे से प्रतीत हो रहा था कि वह काल्पनिक दुखी था जो कि जाँच अधिकारी हरीश रावत को खटक रहा था। वह यह सोच रहा था कि अपराधी जो भी हो वह बहुत शातिर था और उसे इस बात का ज्ञान था कि नौकर की बेटी की शादी के कारण अधिकांश कर्मचारी गैरहाजिर रहेंगे। रवि की बातों से पता हुआ कि वह विगत दो वर्षों से आनंद के मसूरी के घर में नौकरी कर रहा था और जब आनंद ने मसूरी जाना बंद कर दिया तब उसको आनंद के घर पर बुला लिया गया। जाँच अधिकारियों को यह आश्चर्य लग रहा था कि रवि को आवश्यकता से अधिक छूट मिली हुई थी वह आनंद के कमरे में बेरोकटोक आता जाता रहता था उसे मसूरी की रंजना के बारे में पूरी जानकारी थी परंतु उसने जाँच के दौरान इस बात का कोई जिक्र नही किया। जाँच अधिकारी गौरव के द्वारा भी रंजना के बारे में कुछ भी ना बताना इसका मतलब समझने का प्रयास कर रहे थे।

इसी समय पुलिस द्वारा मसूरी भेजी गई टीम के प्रमुख का फोन आता है और उनके द्वारा दी गई जानकारी से सभी आश्चर्यचकित रह जाते हैं उन्होने बताया कि रवि सेना का एक भगोडा व्यक्ति है वह आज से सात आठ साल पहले सेना में था, उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी उसकी बहन की शादी में जो कि पिछले साल ही संपन्न हुई थी उसके खानदान की थोडी बहुत बची जमीन एवं अन्य संपत्तियां शादी की व्यवस्था और दहेज देने में बिक चुकी थी तथा उसके ऊपर काफी कर्ज भी हो गया था। उसके पास कर्जदारों द्वारा प्रतिदिन रकम वापसी का दबाव बढता जा रहा था इसलिये वह मसूरी छोडकर आनंद के गृहनगर में जाने के लिये खुशी खुशी तैयार हो गया। मसूरी के संभ्रांत परिवारों में आनंद और रंजना की दोस्ती चर्चा का विषय थी और आनंद द्वारा धोखा दिये जाने के कारण उनकी सहानुभूति रंजना के साथ थी। मसूरी में वास्तव में आनंद की जान को खतरा था क्योंकि रंजना के निकट संबंधियों ने उसको सबक सिखाने का निश्चय कर लिया था जिसकी जानकारी गौरव को मिलते ही उसने आनंद को मसूरी ना जाने की हिदायत दी थी।

वह रवि को भी आंनद के घर पर बुलाने से खुश नही था पंरतु यह आनंद का निजी मामला था और उसे रवि के ऊपर बहुत विश्वास था। वह गौरव को बुलाकर उससे मसूरी के बारे में