vo kon thi - 18 in Hindi Horror Stories by SABIRKHAN books and stories PDF | वो कौन थी - 18

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वो कौन थी - 18


"कहां होगी मेरी बच्ची ..? किस हाल में होगी ? कोई उसे ढूंढ कर ले आओ ..!
गुलशनकी मां का रो-रोकर बुरा हाल था!
वो बार-बार एक ही बात बोले जा रही थी!
"मुझे मेरी बच्ची से मिलाओ..! मैं मेरी बच्ची के बिना नहीं जी सकती..!इन बूढी आंखों की रोशनी है मेरी बच्ची...! मुझे मेरी बच्ची के पास ले चलो..!
  जनरल वार्ड में उनकी ऐसी दयनिय हालत देखकर बहुत सारे पेशेंट और उनके रिलेटिव पिघल से गए थे!
काफी हद तक खलिल ठीक था! अपनी सास की हालत को वह अच्छी तरह समझ सकता था!
एक मां का दिल है!
जब अपने बच्चों पर कोई आफत आती है तो मां के दिल का तड़पना लाजमी होता है!
खलील का दिल भीतर से झार-झार हो गया ! गुलशन उसकी बीवी थी पर इनकी तो वह बेटी थी!
खलिल और उसकी अम्मी दोनो उनको सांत्वना दे रहे थे!
खलील भाव विभोर होकर समझा रहा था !
"अम्मी जी मैं समझ सकता हूं आप पर क्या गुजर रही होगी..? जब से होश में आया हूं गुलशन को अपने साथ ना पाकर एक मिनट भी मै सोया नहीं हुं..!
फिर भी उम्मीद लगाए बैठा हूं मेरी गुलशन को कुछ नहीं होगा वह जहां कहीं भी होगी सलामत होगी!
पापा और जिया तावडे के साथ गए हैं! गुलशन को वो लोग जरूर ढूंढ लेंगे..! मुझे पूरा यकीन है आप फिक्र ना करें प्लीज रोने से आप की सेहत बेहद खराब होगी..!"
"खलिल बिल्कुल सही कह रहा है समधन जी..!
खलिल की मां ने बात की डोर संभालते हुए कहा!
रोना किसी समस्या का हल नहीं है! गुलशन को हम ढूंढ निकालेंगे..!"
मगर इन तीनों को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था की गुलशन को एक वाइट कलर का अजगर इस वक्त पूरी तरह निगल चुका था!
तावडे जिसे ये लोग अपना मसिहा समझ रहे थे वो किसी शैतानी शक्ति के झांसे में आकर जिया और सुल्तान को एक जबर्दस्त झटका देने उस डरावनी गुफा में ले गया था!
खलील अपनी अम्मी और सास के साथ अब्बा का बेसब्री से इंतजार कर रहा था! क्योंकि सुलतान और जिया को गए हुए काफी वक्त हो गया था!
वैसे तो  बार-बार खलिल गुलशन की मां को तसल्ली दे रहा था की अब्बू और जिया जरूर कोई अच्छी खबर लाएंगे! पर उसका मन यह बात स्विकार करने को तैयार नहीं था!
न जाने क्यों दिल में एक डर सा पनप़ने लगा था..! वो अब कभी भी उसकी जिंदगी में वापस लौट कर नहीं आएगी..!
फिर भी जब तक वास्तविकता का सामना ना हो तब तक मनोबल मजबूत रखकर.. परिवार के अन्य सदस्यों की हिम्मत को टूटने देना नहीं है!
इंतजार करते करते आंखों में थकान सी लग रही थी तो चुपचाप आंखें मूंद ली..!
उन बंद आंखों के पीछे उछलने वाले समंदर को ताड पाना अब किसी के बस की बात नहीं  थी!
*** ****    ******
गुफा के आखरी छोर पर तावडे अपने चेहरे पर एक कुटिल रहस्यमई मुस्कान बिखरता हुआ खड़ा था!
कुछ ऐसा होने वाला है वह बात जिया और सुल्तान पहले से ही जानते थे!
तावड़े में आए बदलाव को उन्होंने पहले से भांप लिया था!
"किसे ढूंढ ने आए हो तुम लोग..?
तावडे के मुख से फटी हुई जनाना आवाज निकली!
- उसे जिसको काल निगल गया है..? बहुत बड़ी गलती कर दी तुमने यहां आकर..! अपने आप को तीसमार खां समझने लगे हो..? कभी सोचा था अपनी ये डेढ होशियारी तुमको भारी पड़ सकती थी..?
वो फिर गुफा के काले अंधेरे के बीच हंसने लगा..!
वहीं जनाना आवाज की हंसी..! जिसको सुनकर छुप कर बैठे निशाचर परिंदे और जानवर भी कांप उठे..!
चलो तुम्हें भी उसी दुनिया मैं ले जाए जहां से लौटकर कोई वापस नहीं आता..!
तावडे की डरावनी हंसीने गुफा की शांति में हड़कंप मचा दिया था!
सुल्तान गुस्से से आग बबूला हो उठा!
उसे बस एक ही जुनून सवार हो गया था ! उसने तावडे के हलक से जबान को खींच लेना चाहा!
किसी खतरनाक कमांडो की भांति उसने तावडे पर छलांग लगा दी!
तावडे जैसे उसी फिराक में था! सुल्तान को अपने ऊपर आता देखकर उसने सिर्फ अपनी मुट्ठी से एक ही वार किया!
सुल्तान पीठ के बल गुफा की दीवार से टकराया! पत्थरों की दिवार पर गिरने की वजह से उसे भारी अंदरूनी चोट आई !
कुछ देर आंखें बंद करके आह्वान की मुद्रा में खड़ी जिया यह दृश्य देखकर बिल्कुल शौक हो गई थी!
तावडे इस वक्त जैसे अपने होशो हवास में नहीं था! किसी भेड़िए की मानिंद वह उछल कर सुल्तान के पास पहुंच गया!
सुल्तान को संभलने का मौका दिए बगैर उसने कसकर सुल्तान का गिरेबान पकड़ा..! और दीवार पर ढसीडते हुए ऊपर उठाया!
सुल्तान की आंखें बाहर निकल आई! पूरा बदन पसीने से तर था ! जैसे कुछ ही पलों में जिस्म से रूह निकल जाएगी.! तावडे की  राक्षसी  ताकत को देख कर जिया बहुत ही डर गई थी.! तावडे इस वक्त सुल्तान पर धावा बोले हुए जरूर था पर उसकी पैनी निगाह हर वक्त जिया पर टिकी हुई थी!
एक पल के लिए जिया को लगा इस विरान गुफा में दोनों को खत्म करके तावड़े उन्हें अजगर के हवाले कर देगा!
अब जान बचाकर वहां से बाहर निकलना मुमकिन नहीं..!
की तभी गुफा के मुख्य द्वार का पत्थर अपनी जगह से लुढ़क गया!
गुफा में उजाला हो गया! बोखलाया हुआ तावडे मुख्य द्वार की ओर देखने लगा!
तावडे का बदन मुख्य द्वार का दृश्य देखकर कांप उठा!
अपना सीना ताने वर्दी के रुतबे के साथ वारिस खान आग बबूला आंखों से तावडे को घूरता हुवा वहां नजर आया!
जैसे वह तावडे को कच्चा निगल जाना चाहता न हो...
    *****

"कितना तगडा दिमाग लगाया है पठ्ठे ने..? ऐन वक्त पर किसी फरिश्ते की तरह नही आ धमकता तो मेरा गला ये दरिंदा दबोच लेता..!"
अपनी गरदन को सहलाता हुआ सुल्तान जिया के पास खड़ा हो गया!
एक होनहार कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अफसर  अपने तेजतर्रार दिमाग के बल पर वहां उपस्थित हो गया, यह देख कर जिया काफी आंदोलित हो गई थी!
तावड़े के माथे पर शिकन की एक लकीर तक मौजूद नहीं थी!
इस वक्त जिया बहुत ही गहरी सोच में नजर आ रही थी! मानो कोई हैरत अंगेज वाकया पेश आ गया हो..!  जैसे सब कुछ अपनी सोच से परे हुआ हो..!
"कौन हो तुम..?" वारिसखान तावडे के करीब आया!
"म.. मै आत्मानंद तावडे..!"
"कौन हो तुम..? मैं तुम्हारी बात कर रहा हूं..? अब मुझे बरगलाने की कोशिश मत करो..! क्योंकि मुझसे तुम छुप नहीं सकते..?"
वारिसखान ने तावड़े के सर पर हाथ रखा..!
भीगी बिल्ली की तरह वो खडा था!
अचानक जैसे बिजली कांधी!
जलते इलेक्ट्रॉन की एक रेखा तावड़े के माथे से निकल कर सीधी ऊपर पहाड़ी में घूस गई!
तब गुस्से से वारिसखान ने अपना हाथ झटक लिया..!
कब तक भागोगे..? एक ना एक दिन तुम्हारा भांडा फोड़ के रहूंगा..! पर्दे के पीछे से तुम्हारा चेहरा लोगों के सामने ले आऊंगा..! देखना तुम...!!!"
वारिसखान जोर से चिल्लाया था! उसकी आवाज के पडघम पूरी गुफा में गूंज रहे थे!
जिया और सुल्तान इस करिश्माई मंजर को देखकर काफी हैरान थे!
अपनी बंद हुई आंखें तावड़े ने धीरे से खोली!
"अपने शरीर को बिच्छू ने काटा हो ऐसे वो वारिसखान को देख कर दो कदम पीछे हट गया!
"सर आप...? आप तो..? "
"मर चुका हूं..!!"
वारिसखान का लहजा बिल्कुल ठंडा था!
फिर भी उसकी बात सुनकर जिया और सुल्तान के बदन में डर की सिरहन दौड़ गई!
बारिसखान की बात पर ना सुल्तान को यकीन था..  ना जिया को..!
तावडे ने बताया!
-"ये हमारे एस पी सर है..! जिनकी उसी जगह पर मोत हो गई है..!"
तावडे के पैर कांपने लगे..! एक भारी झटका सेह कर जिया खामौश खडी थी!
"सब कुछ जानते हुए भी तू क्यों पूछ रहा है..? यह सवाल तो मैं तुझे पूछना चाहता हूं..! तु यहां क्या कर रहा है..?
"म.. मैं.. यहां कैसे ? मैं खुद हैरान हूं..? यह लोग मुझे ऐसी जगह पर कयो लाए हैं..?
और ये कौन सी जगह है ? आज से पहले तो मैंने कभी इसे नहीं देखा..?"
"सर आप..?
सुल्तान बौखलाया! - "सर आप ही तो हमें यहां लेकर आए हैं, गुलशन का पता लगाने..!
कुछ याद आते ही सुल्तान और जिया ने पीछे मुड़कर देखा!
जहां अजगर  गुलशन को निगल रहा था वहां अभी सिर्फ काला अंधेरा था!
"गुलशन का पता लगाने ईस जगह..?"
तावड़े इस तरह बोला था जैसे सुल्तान ने कोई चुटकुला सुना दिया हो..!
"ये लोग सच कह रहे हैं बरखुरदर..?
तावडे की बात को काटकर वारिसखान ने कहा था!
- यह बात सच है कि तुम आए नहीं हो, लाए गए हो..! वक्त रहते मैं ना पहुंचता तो तुम्हारी राम कहानी यहीं पर खत्म होने वाली थी..!
"वाकई..? "
तावडे जैसे सदमे में था! 
"कौन लाया है मुझे सर..  मैं जान सकता हूं..?"
वह एक जिन्नात है..! मगर मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं आखिर वह तुमसे क्या चाहता था..? तुम पर वह क्यों हावी हुआ..? और इन दोनों को यहां लाने की वजह क्या थी..?"
"क्या वह हमें मारना चाहता है सर..?" जिया कांपते हुए पूछा!
वो रूहानी ताकत मेरे पकड़ में आ गई होती तो मैं जरूर पता लगा लेता! फिलहाल मैं कुछ नहीं जानता!"
वारिसखान ने अपने हथियार डाल दिए ! या फिर वह इन लोगों से कुछ छुपा रहा था!
"सर आपने मरने से पहले मुझे कुछ बताया था? आखिर क्या हुआ था वहां पर?
वारिसखान ने अमन के एक्सीडेंट से लेकर अपनी मौत तक की सारी कहानी बताई!
"उसका मतलब है गुलशन की मौत हो चुकी है..?"
सुल्तान ये सारी बात जानकर भीतर से टूट चुका था!
"उसी ने सबको मारा..! तावडे के दिमाग पर कब्जा करके हमें भी वही मारने आई थी है ना सर ..?"
बारिसखान की आत्मा से जैसे जिया सच उगलवाना चाहती थी!
मैं बता चुका हूं ये काम गुलशन का नहीं है! उसने अपने कातिलों से बदला जरूर लिया है..! 
पर तावडे का इस्तेमाल करके तुम्हें यहां तक ले आना गुलशन का काम नहीं है!
बात कुछ और ही है जो मेरी पकड़ में नहीं आ रही!
"मैं जान सकता हूं सर गुलशन ने आप को क्यों मारा..?"
तावडे वारिसखान से मुखातिब हुवा!
मैं भी उसका गुनाहगार हूं! पैसों के लालच में आ गया था! असली गुनाहगार को बचाने की फिराक में था! मेरी करनी की सजा मुझे मिल गई है मगर कोई बेकसूर ना मारा जाए इस बात को लेकर मैं चिंतित हूं!
गुलशन को मैं अपने काबू में कर सकता हूं मगर उस बच्चे को काबू करना मेरे बस की बात नहीं है..!"
"अब मुझे क्या करना है सर..?  वो वट वृक्ष पर  टांग दिया गया था वो फर्नांडिज ही था वो मुझे कैसे साबित करना है..?"
आत्माओं की बात फैलाकर डर का माहौल पैदा करना अच्छी बात नहीं है!
ढाबे पर चोरी के इरादे से  हत्या होने की शिकायत दर्ज कर लेना..!  और छानबीन करते रहना..!
फर्नांडीस की रहस्यमई हत्या का केस दर्ज कर लेना उसकी लाश को परखने के लिए
उस वटवृक्ष के नीचे एक बड़े गोल पत्थर के पास सूखे पन्नों में दबा उसका पर्स मिलेगा.. जिसमें उसका आईडी प्रूफ वगैरह है..!"
"ठीक है मैं ढूंढ निकालूंगा..?"
फिर अपना माथा खुजलाते हुए बोला!
"और आप की मौत..?"
"मेरी मौत हार्ट अटैक से हुई है भाई पोस्टमार्टम की रिपोर्ट देख लेना..!"
"जो वारदातें हुई है उनका कोई सुराग मिलने वाला नहीं है इसलिए पूरे केस को फाइल में बंद कर लेना!"
"अब तुम निकलो यहां से..! यह गुफा बहुत ही पुरानी है धस गई तो तुम सब मारे जाओगे..!
सब वहां से निकलने लगे!
सबसे आगे तावड़े था! फिर सुल्तान..!
जिया के साथ चल रहे वारिसखान ने गुफा से बाहर निकलते वक्त जिया को कुछ इशारा किया!
उनके चेहरे को देखते ही जिया के होश उड़ गए!
आंखें बंद करके उसने मुसीबत में जिस को पुकारा था वह कृपालु बाबा उसके सामने मंद मंद मुस्कुरा रहे थे!
जैसे ही उसने अपने दो हाथ जोड़कर प्रणाम किया और आंखें बंद की वह अंतर्धान हो गए!
******
वारिसखान में जो बातें बताई थी वह सुनकर सुल्तान सब कुछ समझ गया था!
उसके दिल को गहरी चोट आई थी!
जिसका डर था वही हुआ था!
गुलशन के पेट में रहकर शैतान ने कहर ढाया! ऐसे हादसे के लिए वो मनहूस कसूरवार था!
ऐसा सुल्तान का द्रढ्ढ रुप से मानना था!
गुलशन के साथ रेप हुवा है ये बात जानकर उसका माथा ठनका हुआ था!
गुलशन की आत्मा ने गुनाहगारो के साथ जो सुलूक किया वह बिल्कुल सुल्तान को सही लगा.!
गुफा से बाहर निकल कर पुलिस वेन में बैठते हुए तावडे बोला!
"मैं बहुत शर्मिंदा हूं सुल्तानभाई जो आप लोगों को बेवजह घुमाया..!"
सुल्तान उसके हालात को समझ रहा था!
"कोई गम नहीं मेरे दोस्त.. बहुत सी बातें साफ हो गई है ! कम से कम वारिसखान के मिलने से हम इतना तो समझ पाए की गुलशन अब इस दुनिया में नहीं है!"
सुल्तान काफी दुखी नजर आया!
दोनों ने एक साथ पीछे देखा!
खुद को संभालती हुई जिया चेहरे पर एक अलग ही कठोरता लिए आगे बढ़ रही थी!
सुल्तान और तावडे को समझते देर न लगी  वारिसखान की आत्मा ( जो वह समझ रहे थे) जा चुकी थी!
"आपको कुछ समझ में आया अंकल जी..? जिया नें अपना दिमाग लगाया!
कोई तो है जो नहीं चाहता था की हम लोग गुलशन की डेड बॉडी तक पहुंच जाए..!"
हां..! सुल्तान को भी जिया की बात बिल्कुल ठीक लगी!
"पता नहीं कौन है पर जो भी है हमारा अच्छा नहीं चाहता..?
"गुलशन के साथ बहुत बुरा हुआ अंकल जी..! हम खलील को ये बात कैसे बताएंगे..? उसके दिल पर ये बात नागवार गुजरेगी..! मुझे बहोत डर लग रहा है..!"
"जो हो गया है वो हो गया है बच्ची..!
सुल्तान ने खुले आसमान की ओर देखते हुए कहा!
-हम चाहकर भी कुछ बदल नहीं सकते..! मैं जानता हूं खलिल ईतना कमजोर नहीं है वह खुद को संभाल लेगा..! मेरा बेटा बिलकुल कमजोर नहीं है !"
इतना बोलते वक्त सुल्तान के होठ कांपने लगे थे!"
"मैं आपका दुख समझ सकती हूं अंकल जी..! खलिल स्ट्रांग है वो हमने देखा है! जिस इंसान ने अपनी बीवी को रात के अंधेरे में एक जिन्नात की बाहों में देखा हो.. और फिर अपने आप को संभाला हो !उसके दिल की हालत हम समझ सकते हैं! उसने अपने आप को कभी टूटने नहीं दिया..! चट्टान की तरह मुसिबत से जूझता रहा!  वो संभल जाएगा..!"
"सुल्तान भाई मैंने अपनी जिंदगी में इन भूत-प्रेतों की बातों को कभी दिमाग में नहीं लिया! पर अब इस सारे वाकये को जानने के बाद मानना पड़ेगा! बुरी आत्माएं होती है ! वह तब तक इंसान को नहीं सताती जब तक इंसान उनका बुरा नहीं करता..!
कोई ना कोई मकसद के बिना वह सामने नहीं आती!"
"तावड़े सर.. अगर आपके सिर पर बुखार ना चढता तो वारिसखान की आत्मा भी हमें नजर नहीं आती!"
सुल्तान ने पते की बात कही!
"एक बात है सर, वो अपने मकसद में कामयाब नहीं हुई! हमें फिर से उस जगह को देखना चाहिए जहां गुलशन की डेड बॉडी को जमीन में गाड़ दिया गया है!"
जिया एक बार गुलशन की डेड बॉडी को देख कर तसल्ली कर लेना चाहती थी!
"अगर कोई और शक्ति थी जिस ने यह सारा जाल बुना था तो अब जब दूध का दूध और पानी का पानी हो गया है तो वहां गुलशन की बॉडी मिलनी चाहिए..?"
"हां ,.उसे जब तक कब्रिस्तान के अंदर दफनाया नहीं जाएगा उसकी आत्मा को सुकून नहीं मिलेगा..!"
सुल्तान जिया की बात से सहमत था!
"मैं गाड़ी सीधी वहीं ले लेता हूं!,
तावड़े अब पूरी तरह संभल गया था!
-वारिसखान ने बताया है फर्नांडीस का पर्स भी वहां गिरा है जो मैं ढूंढ निकालूंगा..!"
गाड़ी ड्राइव करते वक्त तावडे ने पूरे रास्ते का जायजा लिया! बहुत ही दुर्गम रास्ता था! किस तरह वो वहां तक गाड़ी ले आया होगा! उसे बहोत ही हैरानी हुई!
जिया के दिमाग में हलचल थी!
उसकी उंगलियों में रही अंगूठी आज भी काम कर रही थी!
बाबा ने अपना वादा निभाया है! मुसिबत में वह कभी भी कहीं भी आ -जा सकते हैं!
आसपास के 4 गांव  के लोगों के सामने जब अपने साधुत्व को पुरवार करने सवाल उठा तो उन्होने अपनी जनेइंद्रिय काटकर थाली में रख कर लोगों को दे दी हो उस साधु महात्मा की शक्तियों का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता! ( इस पूरे वाक्य को जानने के लिए पढ़ें जिन्नात की दुल्हन)
वारिसखान के रूप में वह नजर आए! सीधी सी बात थी अगर बाबा खुद आकर कहते तो उनकी बातों पर तावडे भरोसा ना करता!
जितना भरोसा उसने वारिसखान की बातें सुनकर किया!
वारिसखान में भला इतनी ताकत कहां से आएगी जो तावड़े के दिमाग पर हावी हुई शक्ति  को अपने हाथो से कंट्रोल कर सके..?"
अगर गुलशन की लाश मिलती है तो सारा पिक्चर साफ हो जाता है! और केस भी सॉल्व हो जाता है..! मुझे घबराहट उस बात से हो रही है कि जिस बुरी शक्ति ने तावड़े सर के दिमाग पर कब्जा किया था क्या वह दोबारा ऐसी हरकत नहीं करेगी..?
क्या पता..?"
(क्रमश:)
   गुलशन की डेड बॉडी को जमीन में से ये लोग निकाल पाएंगे..? क्या आप लोग बता सकते हैं कौन है जिसने सब को गुमराह करने एक और खेल खेला है..! या फिर वहीं जिन्नात का बेटा कुछ करने की फिराक में है..?
जानने के लिए पढ़ते रहें वह कौन थी के अगले पार्ट..

मेरी बाकी की कहानियां..
चीस
जिन्नात की दुल्हन
अंधारी रातना ओछाया
मृगजल नी ममत
और "दास्तान ए इश्क "
को पढ़ना ना भूले