क्या कमजोरियाँ है मेरी आपको लेकर
ये सोचने में कितने कमजोर हो गए
ये शिकायत ये झिझक ये आँसू जो कल मेरे थे
क्या कमी रह गयी की आपकी ओर हो गए //1//
जब से जगा हूँ नीद आ रही है
कोई आँखों के हालात समझता क्यों नही
कब तक पीछा करें उसी ख़्वाब का
इन आँखों में भला और कोई ख़्वाब जंचता क्यों नही //2//
ख़्याल हम आपका करे तो गुनाह है क्या
लोग इसमें भी मतलब क्यों चाहते है
जिद्दी हो आप तो ठीक ही है
बिना ज़िद के कुछ भी कहाँ हम चाहते है ? //3//
हर बात निकालवा लेते है वो
जो उनके मतलब की बात हो
कोई मतलब नही रखते है
उस घडी मेरे जो भी जज्बात हो //4//
एक भीड़ में है आप
मेरी तन्हाइयों को हासिल नही हो ,
बस बातों के रिस्तो से बंध गए हो
असल मेरी जिंदगी में शामिल नही हो //5//
एक मुखौटा है हर चेहरे पर
क्या छुपा है उसमे पहचान कैसे किआ जाऐ
किस पैमाने पर देखा जाय इंसान को
या हर बार मुखौटे पर शक किआ जाऐ //6//
कही तो होगी वो शाम मेरी भी
जिसकी जमानत मुझे मंज़ूर न हो
आप ही बताओ वो सज़ा कब मिलेगी
जिसमे मेरा कोई क़सूर न हो //7//
कितनी रंगीन से है आपके ख़याल
कि कभी रंग उतरता ही नही
मेरे फ़ितरत में कुछ यूँ शामिल हो गए हो
की अब ये सूरज ढलता ही नही //8//
मेरी बातों के मायने बदले है
मेरे सवालों का जवाब काफ़िर हो गया
तावज्जु देने वाले पीछे ही रह गए
और मैं
तुम्हारे ख़यालो के संग मुसाफिर हो गया //9//
तब सिखाया जायेगा
धूल हो आँखों में या
आंसुओ से आँख बोझिल हो ,
राह में कांटे हो या
दूर बहुत मंज़िल हो ,
देर हो गयी हो या
या देर से कुछ हासिल हो ,
जब वक्त गुजरने पर इनका
मतलब बताया जायेगा ,
तब सिखाया जायेगा ।
तब सिखाया जायेगा ।।a।।
कोई छाँव भी जब
धूप सी लगने लगे ,
कोई मरहम भी जब
घाव पर जलने लगे ,
एक से हारे और
दूसरे से डरने लगे ,
जब जिंदगी खुद से ही
जंग लगने लगे ,
इन हालातों में जब
जिंदगी का परिचय कराया जायेगा,
तब सिखाया जायेगा ।
तब सिखाया जायेगा ।।b।।
कुछ दूर जाकर लौटे हो
हर चेहरों पर जब मुखौटे हो
बिन बुनियाद के जब रिस्ते हो
रिस्ते जब खुद पर ही हंसते हो
कुछ बातें शर्तों से हटके हो
जब खुद में राहें भटके हो
ख़ामोशी में जबबिना शर्त
रिस्ता निभाया जायेगा
तब सिखाया जायेगा ।
तब सिखाया जायेगा ।।c।। //10//
शाम की बेबशी कुछ कहती है
कभी वक्त मिले तो मिलने जाना
पूछना हाल, जानना डर उसका
क्यों परेशान हैं वज़ूद खोने से
क्यों परेशान है वो रात होने से
ख़ैर वो शाम है इंसान नही है
फिर आयेगी लौट वो वैसे ही
एक चमक और कुछ राज़ लिए
मनहर से कई ख़्वाब लिए
काश ऐसे कुछ इंसान भी होते
अपनों के लिए थोड़ा डर से ही
कभी परेशान तो होते ....
शाम की बेबशी कुछ कहती है
कभी वक्त मिले तो मिलने जाना //11//
धन्यवाद !!
#Shekhar alok Mishra