Pyari Dost - 1 in Hindi Magazine by Unknown books and stories PDF | प्यारी दोस्त - 1

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प्यारी दोस्त - 1

मेरी दोस्त मुझसे नाराज़ थी , हा मेरी दोस्त कंजूस(दोस्त को कंजूस की उपमा) मुझसे नाराज़ थी। उसकी बात करू तो अब तक की मेरी सबसे अच्चीदोस्त । 
             उसकी बात करू तो मुंह पर हसी आ जाए।उसकी बात सबसे अलग थी उसका दुनिया को देखना का नजरिया भी सबसे अलग था। वो बात अलग है कि वो कभी कबार ही मेरे काम आती पर शायद कहीं ना कहीं वो मेरे एनर्जी ड्रिंक थी ।
            करीबन एक साल से हम दोस्त है। जब कभी भी उसे कोई तकलीफ़ हो या कोई भी समस्या हो वो सबसे पहले मुझे कहा करती थी , और  चिराग के जिन की तरह उसके पास पोहच जाता था। 
            उसमे कुछ अलग ही बात थी। में जब भी उसे हसते देख लेता था तो मेरा कितनी भी बड़ी समस्या क्यों  हो सब भूल जाता था,और उसे रोते हुए तो देख ही नहीं सकता था। 
            वो कहते हैं ना शिद्दत वाला प्यार होता है,वैसे ही वो सच्ची वाली दोस्त बन गई थी। वो कही ना कही मेरे लिए खास थी।

     'जिंदगी में कुछ उजले सवालों से डर लगता है,
      जिंदगी में दिल की तन्हाईयो से डर लगता है,
      जिंदगी में  सच्चे दोस्त को पाना मुश्किल होता है,
      पर एक सच्चे दोस्त तो खोने से डर लगता है।'

            हा उसे कभी भी नहीं खोना चाहता था। मुझे उसकी हर एक बात पता थी, उसे अरमान मलिक पसंद है, उसका पसंदिका रंग पर्पल है, उसे दीपिका पादुकोण पसंद है पर रणवीर सिंह नहीं पसंद , उसे डांस करना अच्छा लगता है, उसे घूमना पसंद है, उसे किसी भी चीज का शोख नहीं था।
            उसकी बातें सबसे अलग थी , उसके साथ टाइम केसे निकल जाता पता ही नहीं चलता था, उसके साथ बिताया साल का हर एक दिन मुझे अच्छे से याद है ।
            पर क्या करू अब वो ही मेरे साथ नहीं....
"हा अब कही ना कहीं वो मुझसे दूर थी,
मेरी दोस्त कंजूस मुझसे नाराज़ थी।"
             वो एक्जाम टाइम में मुझे सबसे ज्यादा काम आयी है,घंटो तक कॉल पर बाते करना और पूरा syllbus ३-४ घंटे में कॉल पर खत्म करना हमेशा के लिए याद रहेगा।
           अब तो वो मुझसे दूर थी , वो दूर थी उसकी वजह सिर्फ और सिर्फ में ही था , उसे मैने नहीं बताया कि में उससे क्यों बात नहीं करता था , हा मेने उससे बात करनी बंद करदी थी उसने बहोत बार बात करने की कोशिश करती पर में बड़े आराम से उसे टाल दिया करता था। वो में उसे नहीं बता सकता था , पर शायद वो मैने बता दिया होता तो वो मेरे साथ होती , अब तो सिर्फ formally बाते ही हुआ करती थी , जैसे कि WhatsApp group And indirectly।
                     वो किसीने खूब लिखा है...
        "चाहने से कोई चीज़ अपनी नही होती,

         हर मुस्कुराहट खुशी नही होती,

         अरमान तो भूख होती है दिल मे,

         मगर कभी वक़्त तो कभी किस्मत सही नही होती।। "
        

              अब क्या था उसे मनाना तो था ही, में हर तरह से उसे मनाने की कोशिश में लग गया , पर अब तो वो मुझसे मिलने से भी मना कर रही थी। पर में भी उसे मना कर ही रहूंगा...

To Be Continues...