पात्र -चार लडके एक लडकी
उम्र -7-8-9
नाम- प्रेम ,समीर ,ईशान ,राज
राज की बहन रानी
सारे बच्चे अपने मामा की गाव छुट्टी बनाने आए हैं सब को ख़ुशी है कि वो एक साथ खेल सकेंगे हर साल की तरह बोहोत सारी मस्ती करेंगे . इशान जादा जिज्ञासू प्रवृत्ती का है . प्रेम इशांत का भाई है और बहुत ही आलसी है.राज बहुत ही निडर हैऔर उसकी बहन रानी .समीर अकडू है और नखरेल हेै.
हर साल की तरहा सारे बच्चे अपनी छुट्टियां मनाने गांव आए है.
*1*
इस कहानी की शुरुवात तब होती है जब ईशान की मां उसे व्हिडिओ गेम के लिए पैसे देने से मना कर देती है.
और गुस्से में उसे कहते हैं कि “मेरे पास पैसे नहीं है.”
ईशान अपनी मां से पुछता है “पर मां आपके पास सब के लिए पैसे है बस मेरी व्हिडिओ गेम के लिए ही पैसे नहीं है.”
इशांत की माँ ये जवाब सुनकर और जादा गुस्सा हो जाती है और कहती हैं “मेरे पास कोई खजाना नहीं है जहाँ हिरे या मोती का पेड लगा हो ताकि मैं तुम्हारे फालतू व्हिडिओ गेम पे पैसे खर्च करू.”
इस जवाब को सुनकर ईशान की व्हिडिओ गेम की हसरत खत्म हो गयी. पर उसने अपनी माँ की जबान से एक बात सुनी, ‘मोती का पेड’ उसने ये चीज पहले भी कही सुनी थी. पर से कुछ याद नहीं आ रहा था .पूरी रात उसने ये सोच कर बतायाी कि ये बात उस से कहा सुनी थी.
सुबह उसने अपने भाई और बहनों को बहन को बताया कि उनके व्हिडिओ गेम का इंतजाम नहीं हो सकता .वो सारे दुखी हो गए और सोचने लगे की अब हम क्या करेंगे. तभी ईशांत को याद आया कि पिछले साल खेत में काम करने वाले उनके एक नोकर ने मोती का पेड अगले गांव पहुंचने वाले जंगल के बारे मे कहा था.दादा दादी के गांव के आस पास छोटा पर घना जंगल था जो खेतों से बिलकुल सटा हुआ था. उस जंगल की बहुत सारी कहानियां उन्होंने दादा-दादी से सुनी थी लेकिन कभी उस जंगल में वो गये नहीं थे.
इशान के दिमाग में एक योजना जन्म लेती हैं. वो अपने सारे भाई बहनो को एकत्रित करता है और उनके सामने उस योजना को बताने के लिए खड़ा हो जाता है . वो बोलना शुरु करता है.
इशान -सबलोक सुनो मेरी बात , किस किसको व्हिडिओ गेम चाहिए?
सब व्हिडियो गेम की बात सुनकर बहुत खुश हो गए और सब ‘मुझे चाहिए’ ‘मुझे चाहिए’ कहने लगे.ये सुनकर इशान खुश हो गया और उसे आगे अपनी बात जारी रखी.
ईशान -अगर हमें व्हिडियो गेम चाहिए तो हमें ‘मोती का पेड़’ ढूंढना पडेगा.
सब शांत हो गए किसी के समझ में नहीं आ रहा था के ईशान क्या कह रहा था.
राज- इशांत तुम ये क्या कह रहे हो ?और ये मोती का पेड क्या है और इससे हमे व्हिडियो गेम कैसे मिलेगा?
सबने इस बात को दोहराया और ईशान की तरफ वो दिखने लगे.
ईशान -सुनो…. मेरी मां ने सुबह ये कहा था कि उनके पास कोई खजान नहीं है जिसमें हिरे या मोती का पेड़ हो. लेकिन मैंने सुना है की जंगल में एक मोती का पेड़ है और अगर वो हम मेरी माँ को दिखा दे या उन्हें लेकर जाएं तो शायद हो सकता है कि वो हमें व्हिडिओ गेम के लिए पैसे दे दे .क्या कहते हो? (इशांत के चेहरे पर खुशी थी और आँखों में जिज्ञासा की चमक थी )
इशांत सबके जवाब का इंतजार कर रहा था सब एक दूसरे की तरफ देख रहे थे उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था. फिर रानीने खड़े होकर कहा. “क्या तुम्हे लगता है ऐसा करने से हमें व्हिडियो गेम मिल जाएगा?” ईशाने झट से जवाब दिया “हां क्यों नहीं मां ने ही तो कहा था.”
सब खुश हो गया सबसे पहले राज ने कहा “तो फिर ठीक हैं.चलाे ढुंढते है मोती का पेड.”सब ने उसके हां में हां मिलाइ.
समीर- इस मोती के पेड़ के बारे में तुम्हें क्या पता है ?
प्रेम-कहाँ है ?वो कैसे जाना पड़ेगा ?
रानी-कहाँ जाना पड़ेगा?
सब ईशान पर सवालों की बारिश कर रहे थे. तभी ईशान ने सबको शांत करते हुए जोर से कहा “अरे रुक जाओ सबको बताता हूँ क्या करना हैं .”
इशान -हम एक साथ इस जंगल में जाएंगे ,वो पेड ढूंढे के लिये. हम कल घर पर बतायेंगे कि हम खेत में जा रहे हैं और पूरा दिन वही बिताएंगे तो हमारा खाना हम अपने साथ लेकर जा रहे हैं ताकि मां हमें टिफिन दे इसके अलावा हम अपनी जरूरत का सामान अपने एक बॅग में पॅक करके अपने साथ ले जाएंगे.और कोई भी एक से ज्यादा बॅग नहीं लेगा क्योंकि हमें कम से कम वजन ले जाना है ताकि हम जल्द पुरा जंगल छान मारे.
प्रेम -(कष्टदायी आवाज में उसने कहा)क्या हमें पुरा जंगल चलना होगा? हे भगवान ये मुझसे नहीं होगा.
इशांत को अपने भाई पर क्रोध आया और उसने कहा
“अगर तुझे नहीं चलना तो मच चल कोई बात नहीं फिर व्हिडिओ गेम खेलने मत आना.”
अपने भाई की तरफ करूण मुद्रांसे देखकर प्रेम ने कहा
“नहीं नहीं ऐसा मत करो मैं चलता हूं.”
इशान का क्रोध शांत हुआ.
ईशाने आगे बढ़ते हुए कहा “ तो फिर तय हुआ कि हम कल जंगल की तरफ चलेंगे पुरी तयारी के साथ. कल सुबह जल्दी दादाजी के साथ हम खेतों की तरफ निकलेंगे और फिर वहीं से हम जंगल में चले जाएंगे.” फिर एका एक राजने सवाल पूछा
“कि जंगल में कोई जानवर वगैरे तो नहीं है?”
इशांत ने कहा कि “नहीं दादाजीने बहुत बार ये बात मुझे भी कहीं है कि उस जंगल में पहले जानवर हुआ करते थे पर आजकल गांव इतने बड़े हो गए हैं कि जंगल से जानवर गायब हो चुके हैं.”
ये बात सुनकर सब बच्चों ने राहत की सास ली ,अब उन्हें सिॆफॆ जंगल में जाकर वो पेड ही ढूंढना था.
बच्चों की विचार बड़े ही निराले होते हैं .उनमे बचपन कि सरलता होती है. मोती का पेड के अगले भाग में हम दिखेंगे के बच्चों ने किस तरह उस पेड को किस तरह खोजा और उनके परिश्रम का उनको क्या फल मिला.
(अनिता दळवी)