Achchaaiyan - 13 in Hindi Fiction Stories by Dr Vishnu Prajapati books and stories PDF | अच्छाईयां – १३

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अच्छाईयां – १३

भाग – १३

छोटू के चहेरे पर खुशिया झलक रही थी | उसने दो तीन बार पैसे गिन भी लिए | उसकी खुशी का कारन ये था की आज उन्हें अच्छे पैसे मिले थे | पैसे ज्यादा मिलते ही कल्लूदादा की महेरबानी हो जाती थी | मगर छोटू इस महेरबानी को लेना नहीं चाहता था इसलिए कुछ पैसे अपने दोस्त रंगा को दिए और कुछ रुपये छीपा के रख दिए | उनको पता था की कल्लू के पास जो पैसे जाते थे वो फिर कभी वापस नहीं आते थे |

कल्लू दाहिने पैर से लंगड़ाता था और देखने में भी भद्दा दिखता था | उसकी हिलती डुलती चाल की नक़ल सभी बच्चे चुपके चुपके कर लेते थे | उसकी बाई आँख भी कुछ टेढ़ी थी और वो हरदम कुछ न कुछ खाता रहता था | कल्लू ड्रग्स लेता था और बच्चो को डरा धमका के पास रखता था और भीख मंगवाता था |

कल्लूने अपना घर अनाथालय जैसा बना दिया था | उसके आसपास गरीब लोगो की झोपडिया थी | बेघर बच्चे या दारु पी के टल्ली होनेवाले माँ बाप के बच्चो को वो पढ़ायेगा ऐसा कहके वो उसे ले आता था और खुद की कमाई कर लेता था | उनमे से कुछ बच्चे किसके थे वो तो किसीको मालूम नहीं था | वहां के लोग कहते थे की ये कल्लू बच्चो को दूसरे शहर से भी लाता था | कल्लूने दिखावे के खातिर बाजूवाले स्कूल में सब बच्चो का एडमिशन करवा दिया था और कुछ कुछ दिन वे सबको स्कूल भी भेजता था |

जिसको स्कूल नही भेजता उसे कल्लू दिनमें कुछ कुछ जगह पे भीख माँगने के लिए छोड़ आता था और पुलिस से सबको दूर रहने की अच्छी तरह से ट्रेनिंग भी दे रखी थी | वे बच्चो से कहता था की यदि कोई पुलिस उससे पकडे और पूछे तो इस गरीब बस्ती का नाम ही देना | वैसे भी इन बच्चो को पालनेवाला कोई नहीं था इसलिए उनकी हरकतों के किसीको आपत्ति नहीं थी, ज्यादातर सब लोग उन बच्चो को भीख मांगनेवाले है ऐसा समजते थे |

हर शाम को कल्लू सब बच्चो को इकठ्ठा करता था और लाइन में खड़ा करता था | एक भी बच्चा यदि शाम को न आये तो वो तुरंत उसको ढूँढने के लिए उसे अपने आदमी भेज देता था और देरी से आनेवालों लडके को कड़ी से कड़ी शिक्षा मिलती थी | कल्लू की इस सख्ती की वजह से कोई भी बच्चा कुछ भी हो रात ढलने से पहले कल्लू के सामने आ ही जाता था | कल्लू की आँखे तेज थी | वो हर लडके का ख्याल रखने की जगह ध्यान ज्यादा रखता था |

आज शाम को सभी बच्चे आ गए थे और लाइन में खड़े भी रह गए थे | कल्लू की आँखोंने पता लगा लिया की छोटू दिख नहीं रहा है....

‘छोटू....?’ कल्लूने आवाझ लगाईं |

‘आ रहा हूँ....!’ छोटू बहार था और कल्लू की आवाज से काँप गया |

कल्लू हररोज रात को सबको खड़ा करके उनकी कमाई का हिसाब लगाता था | उसने लाइन बनाने की एक अलग ही व्यवस्था बनाके रखी थी, जिसमे...

सभी लड़को को रोज अपनी भीख की आमदनी के हिसाब से खडा रहना पड़ता था | जैसे की आज के दिन पांचसो रूपये इकठ्ठा करने की लाइन, फिर चारसो, तीनसो, दो सो, एक सो और लास्ट में पचास या उससे कम रुपये जो लाता था वो उस हिसाब से लाइन में खड़ा रहता था |

पांचसो रूपया या उससे ज्यादा भीख में लानेवालो को कल्लू की ओर से स्पेश्यल ट्रीटमेंट मिलती थी | जिसमे दुसरे दिन काम पर जाने की छूट्टी, टीवी देखने को या मूवी देखने के लिए कल्लू साथ ले जाता और खाने में एक मिठाई भी मिलती | हालाकि इन छोटे बच्चे भीख में पांचसो जितनी बड़ी रकम कभी कभी ही इकठ्ठा कर पाते थे |

फिर चारसो रूपये लानेवालो को दूसरे दिन आधा दिन ही काम पर जाना बाकी वो खेल शकता था और उसे चोकलेट्स मिलती थी | तीन सो लानेवालो को क्रीमवाले बिस्किट या आइसक्रीम एक्स्ट्रा मिलता था | तीन सो से ऊपर पैसे लानेवालो को घर का कोई काम नहीं करना पड़ता था | सो या दो सो रुपये लानेवालो के साथ अच्छा व्यवहार होता था |

मगर जो कोई पचास रुपये से कम लाता तो उसको घर का झाडू बरतन जैसी सफाई करनी पड़ती थी और कल्लू बोले वो काम भी करना पड़ता था.... कल्लू ही खुद इस घर के कायदे बनाता था और वो सख्तीसे उसे पालन भी करवाता था | वो कहता था की ये कल्लू की कोटरी है इसमे कल्लू ही राजा है | दूसरी बात ये भी थी की कल्लू इन बच्चो के पीछे कुछ आदमी भी लगा के रखता था, ताकी कोई बच्चा किसीको कुछ न कहे | वो बच्चो को डराके भी रखता था | एक आखरी बात ये भी थी की हर रात को कल्लू खुद गीत गाता था और बच्चो को सुनाता था | उसकी आवाज इतनी बेसुरी थी की कई बच्चे वही पर भूखे ही सो जाते थे....!

छोटू जब आया तो उनके सभी दोस्त लाइन में खड़े थे, छोटू अपने सबसे प्यारे दोस्त रंगा के साथ खड़ा रहा | छोटू और रंगा की अच्छी बनती थी | वो दोनों दो सो की लाइन में खड़े हो गए | छोटूने देखा की आज चंदू चिकना और गंजा टमाटर पांचसो की लाइन में खड़े थे | पांचसो की लाइन में आना तो फक्र की बात होती थी इसलिए दोनों सीना तान के खड़े थे |

कल्लूने चंदू चिकना और गंजा टमाटर दोनों को पांचसो की लाइन में खड़ा देखकर अपने पास बुलाया | सब जानते थे की ये दोनों कभी कुछ काम नहीं करते थे | कल्लूने जब पैसे मांगे तो दोनोने दे दिए तो कल्लू को यकीन आया |

‘ये दोनो आज हमारे कारन पांचसो की लाइन में आये है |’ पचास रुपये की लाइन से मंगू और मुन्ना आपसमें बात कर रहे थे | उनकी बात उनके कुछ दूर पर खड़े छोटू और रंगाने सून ली |

‘क्या हुआ मुन्ना ?’ छोटूने धीरे से पूछा |

‘आज दोपहर में ये दोनो के साथ हम बैठे थे हमारे पास ज्यादा पैसे आये थे, हम दोनों के पास जो कुल मिलाके नौ सो रुपये थे | चिकना ने कहा हमारे पास दो सो रुपये है, चलो तास खेलते है तुम जीत गए तो तुम्हारे पास हजार से ज्यादा रुपये हो जायेंगे और कल्लूदादा खुश हो जायेंगे | हम उसकी बातो में आ गए और तास खेलने लगे | उन दोनों ने क्या किया की हम हमारे सारे पैसे हार गए | जब हमारे पास सो रुपये ही बचे तो फिर हम समज गए की ये हमारे सारे पैसे ये चिकना और गंजा चीटिंग कर रहे है | ये चोर है साल्ल्ले....!!’ मुन्ना की आवाज कुछ ऊँची हुई |

मुन्ना की आवाज कल्लूने सून ली और कल्लूने उसको नजदीक आने का ईशारा किया | जब मुन्ना उसके पास गया तो उसने पैसे मांगे | मुन्नाने पचास रुपये दिए तो कल्लू चिल्लाया, ‘आज तुम घर की सारे नाले साफ़ करोगे...!!’

‘मगर दादा....!!’ मुन्ना कुछ कहना चाहता था मगर कल्लूने आँखे निकाली तो वो डर गया और कांपने लगा | कल्लू सबको डरा के रखता था | और कोई बच्चा बड़ा या समजदार हो जाए तो उसको कही दूसरी जगह भेज भी देता था | इस उम्र में बच्चे करते भी क्या ? कोई नहीं जानता था की ये सारे बच्चे लावारिस या छोटी उम्र में ही उठाके लाये हुए बच्चे का व्यापार कल्लू कर रहा था |

कल्लूने फिर सारे बच्चो से कमाई माँगी | जब छोटू की बारी आई और केवल दो सो रुपये डाले तो कल्लू चिल्लाया, ‘ क्यों छोटू... आजकल तेरी आमदनी कम होती जा रही है... लगता है तुम्हे भी दूर भेजना पड़ेगा |

‘दादा आजकल धंधा कम हो रहा है |’ छोटूने धीरे से जवाब दिया |

‘धंधा कम हो रहा है या कामचोर हो गया है....?’ कल्लूने उसके हाथो पर जोर से चुंटी भरी |

छोटू दर्द से रो पड़ा | उसकी आँखो से आंसू निकल आये | ऐसा तो कई बार होता था और जो जोर से रोता तो कल्लू उसे और मारता, कल्लू को शायद बच्चो को परेशान करने में मजा आता था |

छोटू अपने हाथो को दबाते हुए कोने में चला गया | वो ज्यादा रो भी नहीं शकता था क्युकी उससे कल्लू हैवान बन जाता था और पीटने लगता था | शायद वो दूसरे बच्चों पर डर बनाए रखने के लिए ऐसा करता था |

छोटू कुछ पैसे अपने पास बचाके रखता था | उसके पैसे बचाने की वजह रंगा ही था | रंगा बीमार रहता था और कल्लू कभी किसी की दवाई नहीं करवाता था इसलिए छोटू रंगा की बीमारी का इलाज चुपके चुपके करवाता था | कभी कभी भीख माँगते वक्त रंगा बेहोश भी हो जाता था | डॉक्टरने रंगा को आराम करने का कहा था इसलिए छोटू अपने भीख के पैसे रंगा को दे के कल्लू उससे काम न करवाए ये भी ख्याल रखता था |

छोटू बाजू वाले कमरे में कल्लू के लिए बाजा लेने गया | कल्लू पैसे लेने के बाद गीत गाता था जो सबको सुनना पड़ता था |

छोटू दूसरे कमरे में गया और खुलके रोने लगा तब रंगा भी उसके पीछे आया | रंगाने छोटू का हाथ अपने हाथ में लिया और उसपे अपने हाथो की छोटी चोटी उंगलियों से सहलाने लगा | दोनों उम्र में काफी छोटे थे मगर एकदूसरे को अच्छी तरह से समज लेते थे और कल्लू की दुनियामे इतना प्यार मिलना भी एक खुशनशीबी थी |

छोटू रो पड़ा और बोला, ‘रंगा.... क्या माँ भी ऐसे ही प्यार करती है... जैसे तु मुझे प्यार कर रहा है?’

‘ये मुझे क्या पता....? मैंने भी माँ का प्यार कहा देखा है...!! मगर फिल्मोमें या सड़क पे भीख माँगते समय मैंने देखा है की माँ अपने बच्चों को ऐसे ही प्यार करती है...!’ रंगा भी खुद प्यार के लिए तरस रहा था |

‘हमें अपनी माँ कब मिलेगी...?’ छोटू आज अपने आप को अकेला महसूस कर रहा था |

रंगा के पास भी इसका कोई जवाब नहीं था फिर भी वो बोला, ‘मैं भगवान के पास जाऊँगा तो सबसे पहले तुम्हे तेरी माँ मिल जाए ऐसा ही कहूँगा |’ फिर दोनों चुप हो गए | दोनों पेट से भी और प्यार से भी भूखे थे, मगर उसकी दुनियामे प्यार मिलना शायद नामुमकिन की था | छोटू और रंगाने बाजा उठाया और दोनों अपने दुःख दर्द को भूलकर कल्लू की दुनिया में जाने लगे |

कल्लू और उसका बाजा दोनों बेसुरे थे | दोनोंमें से धीरे धीरे से बेसुरे सूर निकलने लगे | सामने बैठे बच्चो को न चाहते हुए भी उसको सुनना पड़ता था क्युकी इसके बाद ही सबको खाना जो मिलाता था | कल्लूने अपना गाना शुरू किया.....

कल्लू दादा का है वादा

खुशिया देने का है इरादा

जो जेब भरके आएगा

वो ही बीना रोये सो पायेगा.....

ये चंदू को आज आइसक्रीम चटाउंगा,

और ये गंजा को शहर घुमाऊंगा

ये कल्लू अपना राज बतलायेगा

जो रुपये लाएगा

वो ही तो मेरा राजा कहलायेगा..... कल्लू दादा का है वादा...

ओ छोटे ओ खोटे

ओ रंगे ओ नंगे

ये हीरो भी झिरो बन जाएगा

जो काम नहीं करेगा वो

बड़े भूत के घर जाएगा.... कल्लू दादा का है वादा...

सब बच्चे समझ रहे थे की इस गीत से कल्लू कहना चाहता था की बच्चे तुम सब भीखमें ज्यादा से ज्यादा पैसे लाओ वरना वो तुम्हे दर्द ही दर्द देगा....!!!

क्रमश: