Vo kon thi - 17 in Hindi Horror Stories by SABIRKHAN books and stories PDF | वो कौन थी - 17

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वो कौन थी - 17

एक जबरदस्त खेल शुरू हुआ था!
जिसका अंदाजा जिया को हो चुका था..!
यकीनन कोई ऐसी बात थी जो दिमाग के परखच्चे उड़ाने की ताकत रखती थी..!
तावड़े का अचानक ही बदला हुआ रूप सुल्तान और जिया दोनों को आंख में कंकर की तरह चुभा था..!
जिया ने सूचक नजरों से सुल्तान को देखा !
जिया की बात को सुल्तान समझ गया!
"जो होगा देखा जाएगा!"
यही बात दोनों ने मन में ठान ली!
तावडे की गाड़ी पहाड़ियों के रास्ते में तेजी से भाग रही थी..! उसका चुप हो जाना जैसे किसी बड़े आने वाले तूफान का अंदेशा था..!
कामदेव ने पूरे प्रदेश पर अपना जादू बिखेरा था..! इन वादियों में प्रवेश करने वाला कोई भी इंसान पुष्पधन्वा के झांसे में आए बिना नहीं रह सकता..!
प्रकृति का अप्रीतम सौंदर्य.., बहते झरनों का कल-कल निनाद..., हर वक्त गूंजने वाली पंखियों की तरह-तरह की संगीतमय लयबद्ध आवाजे.., और उन्हीं आवाजों से अपना वजूद बना कर पडघम की तरह पहाड़ियों से वापस लौटते जादुई सूर..,
किसी के भी मन को अद्भुत शांति प्रदान करने तत्पर रहते है..!
ढलते सूरज की लालिमा पहाड़ियों से गिरने वाले झरणों की चमक बढ़ा देती थी.!
हालात ऐसे थे की जिया और सुल्तान के मन को भव्य सौंदर्य से लदे नजारो का जादुई जलवा छूने में विफल साबित हुआ !
रास्ता बहुत ही दुर्गम और गड्ढे टेकरों वाला होने की वजह से गाड़ी बहुत उछल रही थी!
एक उंचे हरेभरी पहाड़ी की तलहटी तरफ बढती गाडी को देखकर सुलतान से रहा न गया..!
"सर आप बता सकते हैं हम इस वक्त कहां जा रहे हैं..?"
तावड़े के होट दांतो तले भींच गए! सुल्तान का सवाल जैसे जरा भी उसे अच्छा ना लगा हो..!
सुल्तान की नजरे जिया पर पडी!
सब कुछ समझ गई हो ऐसे उसने होंठ पर उंगली रखकर सुल्तान को चुप रहने का इशारा किया!
उसे यकीन हो गया था कुछ तो गड़बड़ जरूर थी!
जंगल में कहीं कहीं आदिवासी लोग घूम रहे थे..! हाथों में धनुष लिए घनी झाड़ियों में छुपते वह किसी शिकार की फिराक में थे! जिया को लगा गाड़ी को देख कर वो शायद छूप रहे थे!
जिया के भीतर अन्जाने खौफने पैर पसारना शूरु कर दिया!
पर्वत से सटी विशाल चट्टान के पास गाड़ी रुक गई!
चट्टान जितनी उंची थी उतनी ही चौड़ी भी थी..! कुदरत की कारीगरी का यह बेनमून मंजर था!
फिर भी आगे का नजारा इंसानी कारीगरी की शान में जैसे गजले बयां कर रहा था! आगे के छौर पर दो छोटे- छोटे पत्थरों को मूर्तियों में तब्दील कर दिया गया था!
सीधा रास्ता था जो अंदरूनी पत्थर की बड़ी चट्टान में गूफानुमा प्रवेश मार्ग से भीतर चला गया था!
दूर से देखने पर अंदर स्याह अंधेरे के सिवा कुछ भी नजर नहीं आ रहा था!
"यही एक जगह है जहां हमें गुलशन होने की संभावित शक्यता है..!"
"तो फिर सर क्या आप स्योर नहीं है..?"
सुल्तान के भवे तंग हो गए!
जैसे सुल्तान ने कोई जोक्स सुनाया हो ऐसे वह हंसने लगा!
एकदम खुली हंसी..!
वादियों में गूंजने वाली उस हंसी की गूंज सीसेे की तरह दोनों के कानों में उतर रही थी!
आने वाली मुसीबत को पहले से जिया ताड चूकी थी!
मगर उसकी समझ में अब तक यह बात नहीं आई थी की तावडे में आए बदलाव का कारन क्या था? आखिर तावडे कौन सी फिराक में था..?
फिलहाल तो वह एक पुलिसया ना होकर कोई शातिर दिमाग वाला अघोरपंथी ज्यादा लग रहा था!
चुपचाप वह आगे बढ़ गया!
सुल्तान और जिया के पास उसके पीछे जाने के अलावा कोई चारा नहीं था!
यहां तक के सफर को देखा जाए तो बहुत ही मुश्किल भरा रहा, क्योंकि ज्यादातर कहीं रास्ता ही नहीं था! बड़ी-बड़ी घास की वजह से भू सपाटी समझ में नहीं आ रही थी!
फिर भी तावड़े इस रहस्यमई गुफा तक ले आया था!
उसके दिमाग में कोई तो गुत्थी जरूर थी! उसकी भयानक हंसी इस बात की गवाही दे गई थी! गुफा के अंदरूनी हिस्से में मुख्य द्वार पर एक बडा गोल पत्थर इस तरह से रखा था की कोई चाह कर भी उसे हटा नहीं सकता !
जिया और सुल्तान की आंखें तब फटी की फटी रह गई जब तावडे ने अकेले ही उस पत्थर को अपनी जगह से हटा दिया!
दुर्गंध का एक बड़ा गुब्बारा बाहर निकला!
सुल्तान और जिया को अपनी नाक बंद कर लेनी पड़ी!
तावड़े तेजी से भीतर चला गया! काफी अंधेरे की वजह से जिया सुल्तान को पूछने लगी!
"अब क्या किया जाए..? बहुत ही डरावनी जगह है..?"
जिस तरह से वो अंदर गया है, लगता है इस जगह को बखूबी जानता है..!"
"बिल्कुल सही कह रही हो तुम..! मुझे नहीं लगता कि यहां गुलशन होगी..?"
"आपको कुछ आवाजें सुनाई दे रही है..?"
जिया ने गौर से सुनते हुए पूछा!
"कैसी आवाजें..?"
सुल्तान जैसे बौखला गया..!
जैसे बहुत सारी मधुमक्खियां पत्थर की दीवारों पर मंडरा रही हो!
"नहीं मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दिया..!"
जिया ने आंखें बंद करके किसी का स्मरण किया, फिर भीतर कदम बढ़ाते हुए बोली!
"चलिए भीतर देखते हैं, यह बदबू इस बात की गवाही दे रही है कि गुफा के अंदर कुछ तो जरूर है..!"
सुल्तान ने जिया के पीछे चलते हुए अपने मोबाइल टॉर्च से रास्ता प्रकाशित किया!
जिया भी मोबाइल टॉर्च से रास्ता और पत्थर की दीवारों को देख रही थी!
बहुत बड़े हॉल जैसी गुफा थी! मिट्टी का कहीं नामोनिशान नहीं था!
जिस पर चल रहे थे वह रास्ता भी रेड पत्थर की एक बड़ी चट्टान पर ही था!
"ये तावड़े कहां चला गया..?"
हैरानी जिया के लफ्जों में थी!
"मैं भी वही सोच रहा हूं! दूर-दूर तक कोई भी हलचल नहीं है!"
जिया को लग रहा था जैसे अभी कहीं से कोई बड़ा सा चमदगाड उड़कर अचानक आएगा..!
अब तक तो ऐसा नहीं हुआ था!
पत्थर की दीवारों पर लिलप जमी हुई थी! उस पर जगह-जगह पानी के बहाव जैसे निशान थे!
जिया और सुल्तान ऐसी जगह पर पहुंच गए थे जहां पर दो रास्ते थे..!
"पहाड के नीचे इतनी बड़ी गुफा का राज तावड़े के अलावा किसी को भी मालूम नहीं होगा , वरना यह गुफाएं काफी मशहूर हो जाती..!"
सुल्तान की बात काटते हुए जिया बोली!
"अंकल मुख्य द्वार को भूल गए आप..? बाहर दो छोटे छोटे पत्थरों को पहरेदारो की तरह इंसानी मूर्तियों में तब्दील कर दिया गया है! उससे साफ जाहिर है कि कभी ना कभी इस गुफा का राज इंसानों को मालूम था!"
जिया की बात पूरी तरह सुल्तान के भेजे में उतर गई!
वो सही कह रही थी!
सुल्तान और जिया की फूसफूसाहट के अलावा वहां सन्नाटा जानलेवा था!
एक पल के लिए जिया रुक गई!
"दो रास्ते हैं तावड़े किस तरफ गया होगा पता नहीं..?"
"उसके पीछे आवाज नहीं लगानी है हम उसे ढूंढ लेंगे!"
सुल्तान ने आत्मविश्वास से कहा!
चुपचाप दोनों ने कुछ ही कदम आगे बढ़ाएं की कहीं से हड्डियां टूटने की आवाजे आ रही थी!
सुल्तान ने जिया का हाथ पकड़ लिया अपने कान पर हाथ रखकर ईशारा करते हुए बताया..!
जिया के शरीर में इस वक्त खौफ की लहर दौड़ गई!
उसके बदन का रोंया रोंया खड़ा हो गया! सुल्तान दोनों रास्तों पर जाकर सुनने की कोशिश करने लगा!
तय करना जरूरी था! आवाज किस दिशा से आ रही थी?
जिया ने सुल्तान का हाथ खींचते हुए गुफा के राइट साइड वाले रास्ते की ओर अपना हाथ बढ़ाया!
कदम आगे बढ़ाने में सुलतान के पैर कांपने लगे थे!
अगर कुछ अनहोनी होती है तो स्व बचाव के लिए कोई हथियार भी तो नहीं था!
सुल्तान डगमगाते हुए अंधेरे मे आगे बढा..! कहीं दुर हल्की हल्की सिटीयां बज रही थी!
आगे खत्रा भांप कर जिया चिखी..!
"अंकल जी रुको..! आगे कुछ है..! "
सुल्तान ने हड़बड़ाहट में मोबाइल टॉर्च का फॉक्स इधर उधर घुमाया!
उन्हें कुछ नजर नहीं आया!
कहीं दूर दूर चमकगाड की फड़फड़ाहट सुनाई दी!
अचानक पत्थर के पीछे से कुछ भारी वजनदार जापट सुल्तान की पीठ पर लगी!
उसके मुख से आह निकल गई!
अंधेरे में कुछ भी समझ आता उससे पहले वो फर्श पर लुढ़क गया था!
मोबाइल भी हाथ में थे कहीं गिर गया!
सुल्तान का एक हाथ किसी लिस्सी गोल सपाटी पट रेंगने लगा..!
कुछ समझ में आते ही घबराकर उन्होंने अपने हाथ को सीने से लगा लिया!
मन मानने को तैयार नहीं था! वहां भारी मात्रा में बदबू फैली हुई थी!
"अंकल.. अंकल जी..!"
काफी डरी हुई जिया मोबाइल की फ्लैश लाईट से उजाला करती उनके पास आकर रुक गई!
सामने जो मंजर नजर आया किसी भी कमजोर दिल इंसान की धड़कने रोक देने लिए काफी था!
सुल्तान भी संभल कर पीछे भागा..
उसे देख कर जियाने अपने मुख पर हाथ रख दिया!
वाइट कलर का एक बड़ा अजगर चमचमाती बड़ी बड़ी आंखों से घूर रहा था!
उसके मुख में गुलशन की आधी बोडी नजर आ रही थी! आधी वो निगल चुका था!
सुल्तान और जिया ने अपनी जिंदगी में कभी भी ऐसा अजगर नहीं देखा था!
शायद वह 20 फीट से भी ज्यादा लंबा था! जिसने पूरी गुफा को घेरा था!
"वह गुलशन है जिया..!"
सुल्तान ने कसमकसाकर कहा!
तावड़े अचानक क्यों बदल गया था? अब वह बात दोनों की समझ में आ गई !
धीरे धीरे वह अजगर गुलशन की बॉडी को निगल रहा था!
एक बात पक्की है जिया..! गुलशन को निगल जाने के बाद यह हमको भी अपनी खुराक बना ले इससे पहले भागो यहां से..!
सुल्तान ने अपने कदम पीछे हटाए..!
बदबू की वजह से जिया की हालत खराब हो रही थी..!
दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर जैसे ही वापस मुड़े की कुछ दूरी पर पीछे तावडे खड़ा था!
उसकी बड़ी बड़ी आंखें डराने वाली थी! उसके मुख से निकलने वाली हंसी गुफा में गूंजने लगी! उसके दांंत अंधेरे मेें चमक रहे थे..!
बहुत बुरी तरह दोनों फंस चुके थे!
इत्मीनान से वह एक तरफ गुलशन की बॉडी को निकल रहा था तो सामने ही जिन्नात के झांसे में आकर बदला हुआ तावड़े खड़ा था! जिसके सर पर मौत सवार थी..!
आखिर तावडे जिन्नात के झांसे में कैसे आ गया..?
जिया और सुल्तान अपनी जान बचाकर गुफा से निकल पाएंगे..?
एक बार फिर से जिया जिन्नात को मिटा पाएगी..? प्रेतात्मा बनकर बदले की आग में जल नें वाली गुलशन अब की फिराक में थी..?"
जिन्नात का वह बेटा क्या किसी को अपनी हवस का शिकार बनाने वाला था..?
इन सारे सवालात का जवाब जानने के लिए पढ़ते रहे "वो कौन थी" के बेहद ही खौफनाक आगे के पार्ट..

(क्रमशः)

एक नारी के स्वाभिमान को ठेस पहुंचा कर उसकी अस्मत को तार तार करके जिंदगी को अश्कों के समंदर में धकेलने वाले.. बेदर्दी इंसान की कहानी..!
जिसने अपने निजी स्वार्थ के लिए..! अपनी शरीके हयात की जिंदगी तबाह कर दी... पढ़ना ना भूले दास्तान-ए-अश्क एक संवेदनशील कहानी...!
दास्तान के कुछ अंश
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दास्तान-ए-अश्क
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जैसे-जैसे वह थोड़ा बड़ा हो रहा था!

नन्ना धीरे धीरे अपनी जिंदगी की तरफ लौट रहा था!
घर के सामने एक मैदान साथ पड़ा था! उसमें डॉगी ने कुछ बच्चे को जन्म दिया! नन्ने को लेकर वह अक्सर उसके पास चली जाती थी! छोटे छोटे डॉगी के पिल्लो को दूध दे आती थी! दूध पीते पीते वह पिल्ले दौड़ कर उसे इर्द-गिर्द घेरा डालकर उछल कूद करने लगते थे नन्ना काफी खुश हो जाता था उनके साथ भी एक लगाव सा हो गया था..! दूसरी सुबह जब वह उठी तो वहां एक भी बच्चा नहीं था! उन पिल्लों की मां गुमसुम इधर-उधर दौड़ रही थी, और देख रही थी डॉगी की हालत देखकर वह घबरा गई!
बावली सी होकर वो भागकर उस मैदान में पहुंच गई !
डॉगी की आंख में आंसू थे !
दूध से भरे उसके आंचल से दूध बहने लगा था!
एक मां की तड़प को उसने महसूस की..! उससे रहा न गया!
अड़ोस पड़ोस की औरतों को बात की..!
फिर सब ने मिलकर बच्चों को इधर-उधर ढूंढा..!
उसकी कोशिश रंग लाई.. अपनी जगह से दूर हुए बच्चे लकड़ियों मलबे में छुप गए थे..! उन सब को अपनी जगह पर लाने काफी मशक्कत उठानी पड़ी..!
उन्हें अपनी मां के पास पहुंचाया..,!
सारे बच्चे दौड़ कर उसकी मां के आंचल से उछलकर दूध पीने लगे ..!
औरतों की भीड़ में से कोई चीख उठा था अरे बच्चों की मां तो रो रही है.!
डोगी की आंखों में उसने पहली बार आंसू देखे..!
अपने नन्ने को उसने सीने से लगा लिया!
आंखे बरबस ही बरस रही थी..! एक माँ का अपने बच्चो से मिलन देखकर..!
एक जानवर अपने बच्चों के लिए ईतना फिक्रमंद था तो वो कैसे अपने नन्ने के लिए गैर जिम्मेदार हो सकती थी?
नन्ने की मां का भी हौसला बढ रहा था !उसे लग रहा था कि शायद भगवान उसकी सुन रहे हैं !उसकी आशाओं और उम्मीदों का एक ही द्वार था और वह था उसका नन्ना ..! उस को दी जाने वाली परवरिश..!