आज़ादी की तलाश में .....
यशवंत कोठारी
आज़ादी की साल गिरह पर आप सबको बधाई, शुभ कामनाएं .इन सालों में क्या खोया क्या पाया , इस का लेखा जोखा कोन करेगा.क्यों करेगा . हर अच्छा काम मैने किया हर गलत काम विपक्षी करता है , ये लोग देश को आगे नहीं बढ़ने देते हैं , देश आजाद हो गया . हर आदमी को आज़ादी चाहिये. सरकार को अच्छे दिनों व् काले धन के जुमलों से आज़ादी चाहिए . अफसर को फ़ाइल् से आज़ादी चाहिए, बाबु को अफसर से आज़ादी चाहिए, मंत्री को चुनाव से आज़ादी चाहिए.जनता को महँगाई से आज़ादी चाहिए.महिलाओं को रसोई से आज़ादी चाहिए, पतियों को पत्नियों से आज़ादी चाहिए.कारवालों को बेकार लोगो को रोंदने की आज़ादी चाहिए. इन्जिनीयरों को सड़क बिना बनायें बिल पास करने की आज़ादी चाहिए, डाक्टरों को गलत आपरेशन करने की आजा दी चाहिए. चोर को चोरी करने की आज़ादी चाहिए .सत्ता को घोटाले ,गपले,भ्रष्टाचार कर ने की आज़ादी चाहिए.गरीब को रोटी की चिंता से आज़ादी चाहिए. थाली को दाल से आज़ादी चाहिए. कुछ लोगो को हाफ पेंट से आज़ादी चाहिए.छात्रों को पढाई से आज़ादी चाहिए, अध्यापकों को पढ़ाने से आज़ादी चाहिए. कलम को कलम के थानेदारों से आज़ादी चाहिए. व्यापारियों को टेक्सों से आज़ादी चाहिए. पैदल चलने वालों को वाहनों से आज़ादी चाहिए .संपादक को लेखकों से आज़ादी चाहिए, पत्रकारों को सरकारी प्रेस नोट से आज़ादी चाहिए.कवि को कविता से आज़ादी चाहिए .नेता को गाली देने की आज़ादी चाहिए.व्यंग्यकार को गाली लिखने की आज़ादी चाहिए . लोगों को सहिष्णुता से, पुरस्कार वापसी से आज़ादी चाहिए. पुरस्कारों को निर्णायकों से आज़ादी चाहिए. सरकार को आलोचकों से आज़ादी चाहिए. मोसम को मोसम विभाग से आज़ादी चाहिए.दूरदर्शन आकाशवाणी को सरकारी शिकंजे से आज़ादी चाहिए. टी वि चेनलों को सास बहु मार्का धारावाहिकों से आज़ादी चाहिए .शिक्षा और शोध को सरकार से आज़ादी चाहिए. संस्थानों को नोकरशाही से आज़ादी चाहिए .पुलिस को राजनेतिक हस्तक्षेप से आज़ादी चाहिए.अफसर को जाँच, से आज़ादी चाहिए .हर तरफ आज़ादी की गुहार हें.लेखक को लिखने की आज़ादी चाहिए.प्रेस को प्रेस सेंसर शिप से आज़ादी चाहिए.जीपों कारों को पेट्रोल –डीजल से आज़ादी चाहिए. पुलिस को गरीब को पीटने की आज़ादी चाहिए. बलात्कारी को और ज्यादा बलात्कार करने की आज़ादी चाहिए. किसान को भी आज़ादी चाहिए. उद्योगपति को लाइसेंस कोटा परमिट से आज़ादी चाहिए.नयी पीढ़ी को बूढ़े माँ बाप से आज़ादी चाहिए.आज़ादी के क्या कहने .हम ऊपर उठे उठ उठ कर गिरे .गरीब को जिन्दगी से आज़ादी चाहिए, अमीर को और मिल खोलने की आज़ादी चाहिए . प्रेमी को प्यार करने की आज़ादी चाहिए, मना करने पर एसिड फेकनें की आज़ादी चाहिए .कम्पनियों को टेक्स से आज़ादी चाहिए. सभी को आतंकवाद ,से आज़ादी चाहिए .खिलाडी को खेल की आज़ादी चाहिए.फिल्मवालों को सेंसर बोर्ड से आज़ादी चाहिए.भू माफिया को अदालत से आज़ादी चाहिए .रिश्तेदारों को अवांछित रिश्तेदारों से आज़ादी चाहिए.प्रेमी को पुराणी पत्नी से आज़ादी चाहिए .मोबाईल कम्पनी को काल की आज़ादी चाहिए. ड्राईवर को पी कर एक्सीडेंट कर ने आज़ादी चाहिए.वकीलों को जज से आज़ादी चाहिए. बिल्डर को विकास प्राधिकरण से आज़ादी चाहिए.भाषाओँ को व्याकरण से आज़ादी मिलनी चाहिए.सरकार समिति से आज़ादी चाहती हें . हर एक को किसी न किसी से आज़ादी चाहिए.कोन है जो आज़ादी नहीं चाहता , मगर कहाँ हें असली आज़ादी, आर्थिक, सामाजिक,व्यक्तिगत आज़ादी , सभी इस आज़ादी को तलाश रहे हैं .कभी तो मिलेगी असली आज़ादी ..आमीन ००००००००००००००
यशवंत कोठारी
८६,लक्ष्मी नगर ब्रह्मपुरी
जयपुर -२ मो-०९४१४४६१२०७