मन कस्तूरी रे
(12)
“ट्रिन… ट्रिन…”
ये रोशेल थी फोन पर! हम्म...तो इतने दिनों बाद आखिर फुरसत मिल ही गई मैडम को...स्वस्ति सोच रही थी! लम्बी बात हुई दोनों की! बहुत दिनों बाद! दोनों ही के पास एक दूसरे को बताने के लिए बहुत कुछ था! रोशेल की आवाज़ में ख़ुशी की जो महक थी वह फोन से निकलकर पूरे माहौल को महका रही थी! स्वस्ति ने ऐसे में अपनी परेशानियों और टेंशन की बात करना स्थगित कर दिया! वह रोशेल को ही सुनती रही! उसके सुख को महसूस करती रही! गोवा से लौट रही है वह कल! अच्छा लगा स्वस्ति को! ज़िदगी के इस फेज में उसे शिद्दत से रोशेल की जरूरत महसूस हो रही थी!
खास बात एक खुशखबरी थी रोशेल की ओर से, स्वस्ति के मूड को बदलने के लिए, यही कि रोशेल और ऋत्विक ने एक होने का फैसला कर लिया है! अगले महीने के शुरू में रोशेल और ऋत्विक की शादी होगी गोवा में! रोशेल की शादी!!!! इस एक खबर ने उसे उल्लास से भर दिया! उसे लग रहा था इन उदास दिनों में शायद उसे ऐसी ही किसी खबर, ऐसी ही किसी बात का इंतज़ार था! आज वह रोशेल की ख़ुशी में बहुत खुश थी, बहुत ही ज्यादा खुश! गोवा में रोशेल के पेरेंट्स ने इस रिश्ते को थोड़ी बहुत आनाकानी के बाद ख़ुशी से मंजूरी दे दी!
कल जब वह शाम को कार्तिक के साथ पार्क में सैर कर रही थी तब भी उनकी चर्चा का विषय रोशेल ही थी! उस समय तो वह रोशेल को मिस करने की बात कर रह थी! रोशेल के विवाह की खबर ने स्वस्ति को उत्साह से भर दिया था!
“माँsssssss...कुछ सुना आपने...रोशेल शादी कर रही है! अपनी रोशेल माँsssss”
वह माँ को यह खबर सुनाने दौड़ी! सुखद आश्चर्य के आते जाते भावों के साथ वृंदा के चेहरे पर जो अंतिम भाव स्थायी हुआ वह ख़ुशी का भाव था! माँ के चेहरे पर बहुत दिनों बाद ख़ुशी की झलक देखी स्वस्ति ने! उसने राहत की सांस लेकर मन ही मन रोशेल और ईश्वर को धन्यवाद दिया! उसे महसूस हो रहा था इस या ऐसी किसी खबर की इस घर को जाने कब से प्रतीक्षा थी!
माँ को ये खबर सुनाने के बाद स्वस्ति को अगला ख्याल कार्तिक है आया और अगले ही पल वह कार्तिक के घर में थी! कार्तिक ख़ुशी से उछल पड़ा! उनकी पीढ़ी के दोस्तों में यह पहली शादी थी! उसने तो खड़े खड़े ही पूरी प्लानिंग भी करनी शुरू कर दी! दोनों शादी में जायेंगे! पूरे एक हफ्ते की छुट्टी लेगा कार्तिक! शादी के मजे और गोवा की सैर भी! दोनों उन दोस्तों के नामों की लिस्ट भी बना रहे थे जो संभवतः शादी में उन्हें मिलेंगे! कुल मिलाकर ये शादी उनके लिए एक ऐसा मौका था जहाँ दोनों अपनी दोस्त की ख़ुशी में शामिल होने को बेताब हो रहे थे!
दोनों के चेहरों पर नाचती ख़ुशी ने सुनंदा को भी खूब आल्हादित कर दिया! वे मन ही मन ईश्वर से इस ख़ुशी के स्थायित्व की दुआ मांगने लगीं! सुनंदा को अब भी लगता है कि कार्तिक और स्वस्ति का रिश्ता एक कठिन फेज़ से गुजर रहा है! उन्हें पूरी उम्मीद है कि एक दिन इन तमाम भंवरों से उबरकर ये रिश्ता और अधिक मजबूत होकर उभरेगा! कहते है उम्मीद पर दुनिया कायम है और वृंदा जहाँ इसे नियति पर छोड़ चुकी थीं, सुनंदा अब भी उम्मीद का एक सिरा थामे उस दिन की प्रतीक्षा में थी जब कार्तिक और स्वस्ति का रिश्ता एक मुकाम पर पहुँचेगा!
आज कार्तिक का जन्मदिन है। स्वस्ति के लिए हमेशा से खास रहा है यह दिन, कार्तिक उसका सबसे प्यारा दोस्त, साथी जो है। बचपन में खूब मजे करते थे कार्तिक और वह। ऐसा लगता किसी एक का नहीं बपर ल्कि दोनों का जन्मदिन है। सुनंदा आंटी पूरे मनोयोग से तरह-तरह के पकवान बनाती थीं उस दिन पर सब स्वस्ति की पसंद का। पर इस बार सब बदला हुआ है। कुछ भी पहले जैसा नहीं था! न दोनों का उत्साह और न ही हमेशा की जाने वाली जन्मदिन की प्रतीक्षा!
पहले तो वे दोनों एक दूसरे के जन्मदिन की शिद्दत से प्रतीक्षा करते थे पर इस बार स्वस्ति का मूड कुछ ठीक नहीं। कुछ मूडी तो वह हमेशा से ही थी पर इस बार तो मूड स्विंग्स के पीछे बड़ा कारण भी था! शेखर से दूरी और उस दिन उनके घर वाली घटना के बाद ही से उनके बदले बदले रुख में उसे कभी उदासीनता नज़र आती तो कभी बेरुखी और उपेक्षा! उसे कुछ भी तो अच्छा नहीं लगता था।
पर रवायतें अपनी जगह है और दुनियादारी अपनी जगह! मूड कैसा भी हो उसे आज के दिन खुद को संयत रखना ही होगा! आखिर आज ख़ास दिन है, कार्तिक का जन्मदिन! स्वस्ति ने जैसे खुद को ही बार-बार समझाया! वह कॉलेज से आकर अपने गिफ्ट के साथ कार्तिक के घर पहुंची तब भी अनमनी सी थी।
उसे देखकर कार्तिक कितना खुश था। ख़ुशी उसके चेहरे से झलकी पड़ रही थी। उसके गले लगते हुए उसने ‘हैप्पी बर्थडे’ कहा और ख़ामोशी से अपना तोहफा उसके हाथों में थमा दिया। कार्तिक ने बड़ी उत्सुकता के रैपर खोला और स्तब्ध सा खड़ा रह गया। स्वस्ति ने आज गिफ्ट उसे दर्शनशास्त्र की कुछ किताबें भेंट की हैं। वह हैरानी से उसकी ओर देख रहा है।
“ये किताबें...ये मेरे ही लिये हैं न??”
उसे ये उम्मीद नहीं थी। स्वस्ति मज़ाक भी तो नहीं करती। स्वस्ति ने कभी ऐसा किया भी तो नहीं। वह तो हमेशा कार्तिक की पसंद का तोहफा उसे देती है। इसमें कार्तिक की क्या गलती है। कार्तिक को तो उस पैकेट में कुछ और पाने की उम्मीद रही होगी। कुछ भी उसकी पसंद का जैसे उसके मनपसंद ब्रांड की कोई स्मार्ट सी शर्ट, या ब्रूट या कोई और उसका फेवरेट परफ्यूम, या फिर उसकी तस्वीर से सजा सुंदर सा कॉफ़ी मग, या उसके पसंदीदा बैंड का म्यूजिक अल्बम या ऐसा ही कुछ और वह कुछ हैरानी, कुछ असमंजस में स्वस्ति की ओर देख रहा है, सिर्फ वही नहीं सुनंदा जी भी हैरान हैं और मुस्कुरा रही हैं।
“ये सब क्या है जानेमन। अरे अपने प्रोफेसर का गिफ्ट तो नहीं ले आई हो गलती से?” हंसते हुए कार्तिक ने उसे छेड़ा तो अच्छा नहीं लगा स्वस्ति को।
“प्लीज कार्तिक। फॉर गॉड’स सेक। टॉक समथिंग एल्स।"
उसने उदासी से किताबें उसके हाथ से लेकर टेबल पर रख दीं। आंटी किचन में जा रही हैं पर स्वस्ति का मन कुछ और कह रहा है। उसने अपनी बेख्याली में ये सब ठीक नहीं किया। कार्तिक को क्यों बदलना चाहती है वह। कम से कम आज उसके सबसे खास दिन तो उसे ये सब नहीं करना चाहिए था। उसने सिर को झटका और दृढ निश्चय कर कार्तिक की ख़ुशी और उसके खास दिन के लिए अपने खराब मूड को खिड़की से बाहर फेंक दिया।
“अरे तुम भी न ...सीरियस हो गये न....वो मेरा काम है....मैंने मज़ाक किया बुद्धू....तुम्हारा गिफ्ट अभी बाकी है! अच्छा आंटी को बोलो परेशान न होंयें, हम आज बाहर चलेंगे। खायेंगे पियेंगे और साथ में शाम बिताएंगे। और हाँ तुम्हारी पसंद के गिफ्ट्स भी तो लेने हैं। क्यों ठीक है न?” स्वस्ति ने मुस्कुराते हुए कार्तिक की आँखों में आँखे डालते हुए, उसका गाल थपथपाते हुए कहा।
“ओ एम् जी....एक दिन में इतने सारे सरप्राइजेज....अरे सब ठीक है न डियर। इस दीवाने को मार डालने का इरादा तो नहीं। इतना सब करोगी तो मर ही जाऊंगा न ख़ुशी से।” कार्तिक ने उसे बाँहों के कसने का असफल प्रयास किया पर स्वस्ति ने जल्दी से गाड़ी की चाबी उठाई और बाहर निकल गई।
“अच्छा अब बताओ माज़रा क्या है? हम्म ....बदले-बदले मेरे सरकार नज़र आते हैं?” उसकी आँखों में आँखें डालते हुए कार्तिक पूछ बैठा।
“कुछ खास नहीं कार्तिक, हेलेन केलर ने कहीं लिखा है, अकेले रोशनी में चलने की बजाय मैं अँधेरे में एक दोस्त के साथ चलना पसंद करुँगी। तो तुम मेरे सिर्फ दोस्त नहीं हो। तुम्हारे साथ अँधेरा भी रोशनी है। सिंपल।।।”
बस यही तो नहीं था उसके मन में! सच यही है कि स्वस्ति कितना कुछ कहना चाह रही थी पर जबान ने साथ नहीं दिया और शायद वह मौका भी नहीं था यह सब कहने का! वरना तो उसका मन जिस गुबार से भरा हुआ था वह अभी निकला ही कहाँ था! पर जीना जरूरी है और सांस लेना भी तो जीने के लिए उसे इस गुबार को पीछे छोड़ना था और उसने यही तय किया कि आज के दिन वह भूल जाएगी सब कुछ ....शेखर… उनकी व्यस्तता....उनकी बेरुखी… उनकी उपेक्षा और स्वस्ति का उदास मन...
गाड़ी तेज गति में सडक पर दौड़ रही थी और उसकी और कार्तिक की नौंक झोंक भी अपने चरम पर थी! अपने खराब मूड को स्वस्ति कहीं पीछे ही छोड़ आई थी! थोड़ी देर बाद वे दोनों शहर के सबसे आधुनिक, बहुमंजिला और शानदार मॉल के सामने थे!
मॉल भरा पड़ा था तरह तरह के गिफ्ट आइटम्स से! युवा लोगों के लिए गिफ्ट्स की भरमार थी वहां! “सामान्य युवा लोग” स्वस्ति ने सोचा और मुस्कुरा दी! तो कार्तिक के लिए गिफ्ट कभी कोई प्रॉब्लम नहीं रही! मॉल में जेंट्स सेक्शन में थोड़ा घूमकर उसने कार्तिक के लिए एक शर्ट पसंद की जो कार्तिक को भी खूब पसंद आई!
उसने कार्तिक के लिए एक बढ़िया सा इम्पोर्टेड परफ्यूम भी लिया, वही जो उसे ख़ास पसंद था और हाँ उसकी पसंद की दो म्यूजिक अल्बम्स भी। इस पूरी शॉपिंग के दौरान दोनों ने खूब मस्ती की, एक दूसरे की खूब टांग-खिंचाई भी करते रहे, हंसते खिलखिलाते रहे जैसे उनके बचपन के दिन लौट आए हों! मतलब ये कि कार्तिक ने खूब मस्ती की और बिना कोई नखरे किये “फॉर अ चेंज” स्वस्ति ने भी उसका पूरा साथ निभाया!
अब जबकि शॉपिंग का काम निपट चुका था, कार्तिक दिन को ऐसे ही वेस्ट नहीं करना चाहता था तो वे दोनों फिर से गाडी में थे और इस बार गाड़ी एक अम्यूजमेंट पार्क की ओर बढ़ रही थी! ये अम्यूजमेंट पार्क युवा वर्ग में बहुत प्रसिद्ध था पर एक अरसे से स्वस्ति ने इसका रुख नहीं किया था! कार्तिक के साथ उसने खूब राइड्स का मज़ा लिया! दोनों एक दूसरे का हाथ थामे, एक दूसरे से सटे हुए देर तक हर एडवेंचर्स राइड का मजा लेते रहे!
इस हो-हंगामे में दिन कब, कहाँ और कैसे बीत गया, स्वस्ति को पता ही नहीं चला! आज स्वस्ति ने अपने खोये हु बचपन को जी लिया था जैसे! उसे लगा न जो से हंसना अजीब है न डरकर जोर से चीखना! आनंद लेना भी जीवन का एक रंग है जो उसकी ज़िदगी की कलरप्लेट से जाने कहाँ गायब हो गया था! जीवन के इस खोये हुए रंग को पाकर स्वस्ति को अच्छा लग रहा था!
“जीवन के इन्द्रधनुष में हर रंग कितना जरूरी है!” कार में बैठते हुए स्वस्ति सोच रही थी!
उस रात बुरी तरह से थके हुए दोनों एक रेस्टोरेंट में बैठे थे पर इस थकान के बावजूद उसे न तो कोई कोफ़्त हो रही थी और न ही घर जाने की कोई जल्दी! उसने कार्तिक की पसंद का खाना आर्डर किया और कार्तिक ने उसकी पसंद का! इस मिले जुले कुजीन पर टूट पड़े दोनों और पेटभर ही नहीं मनभर खाना खाया।
देर रात गाड़ी जब स्वस्ति के घर के आगे रुकी तो घर की लाइट्स बंद थीं! माँ सो चुकी थीं! कार्तिक के साथ और सान्निध्य को लेकर उन्हें कोई असुरक्षा का भाव नहीं रहता बल्कि वे सबसे अधिक आश्वस्त उन्ही पलों में होती हैं जब वे दोनों साथ होते हैं!
गुडनाईट किस करते हुए कार्तिक ने स्वस्ति को अपनी बाँहों में भर लिया। विशेष बात ये थी कि स्वस्ति ने कोई प्रतिरोध नहीं किया। कार्तिक ने उसके करीब आते हुए, उसे बाँहों में भरकर चूमते हुए इस बदलाव को महसूस किया। वह स्वस्ति को प्रेम करता है पर जानता है कि स्वस्ति के लिए वह दोस्त भर है। पर आज की स्वस्ति कोई और है शेखर की प्रेमिका नहीं।
स्वस्ति का उखड़ा मूड अब राह पर था। अजीब बात यह है कि कार्तिक के साथ बिताये इस समय में उसने एक पल के लिए भी शेखर को याद नहीं किया। क्या वह शेखर से दूर और कार्तिक के और नजदीक आ रही है? एक खूबसूरत शाम ने उसकी उदासी के रंग को कुछ देर के लिए हल्का बेशक किया पर वह जानती थी यह बदलाव स्थायी नहीं था, अन्ततः तो उसे वापिस अपने उदासी के खोल में ही लौट जाना है। पर अब वह इस खोल से बाहर आने का रास्ता ढूँढने लगी थी।
क्रमशः