क्या लिखूँ, क्या बताऊ, कुछ समझ नहीं आता
जब नजरें जाती उन मासूम बच्चों परजो पढ़ना तो चाहते हैं पर पढ़ नहीं पातेइन ज़ालिम पैसो कि वजह से..जब देखता हु उनको सुनसान सड़कोपर हाथ मे कटोरा भीख मांगते हुये,मानो कतरा - कतरा हो जाता हु..उनमे हैं वो सारे गुण जो होते हैंएक विधार्थी मे , बसदोष हैं तो उन पैसो का..क्या समा जाएगी इनकी प्रतिभाइन ज़ालिम पैसो कि वजह सेक्या इन पैसो के नीचे इनकी प्रतिभामायने नहीं रखती ..सड़को पर भटकते हुये मांगे वोदो पैसे तो मना ना करनाये इंसानों.किसी पता वो पेन कि रिफिल के लियेमांग रहा हो या फिर पुस्तक के लिये या फिर प्राकृतिक क्षुधा को मिटानेके लिये मांग रहा हो. .तंबाकू, बीड़ी, मादक पदार्थ या जिओ (sim)का सेवन करने वाले को क्या फर्क पड़तादो पैसो का.देवी और सज्जनों जिस प्रकार आप अपने बच्चों के लिये बड़े - बड़े सपने देखते हैं कि हमारा बेटा / बेटी बड़े होकर अफसर बनेंगे लेकिन इनके लिये सपने देखने बाला कोई नहीं हैं वो अनाथ है, दीन है .
जब मे इन मासूम बच्चों को सड़को पर भीख मांगते हुये देखता हु तो मानो कतरा - कतरा हो जाता हु टूट जाता हु. सोचता हु क्या उम्र इनकी और ये मजबूरी के मारे क्या कर रहे हैं सोचो एक बार इनकी जगह आपके बच्चे होते तो देख पाते आप, नहीं ! लेकिन इनके माँ - बाप तो ये सब देखते हैं मजबूरी कि जंजीरो मे फसे बेसहारा, लाचार, अपंग होने के कारण वो कुछ कर भी नहीं सकते अपनी सत्य आँखो से सब देखते हैं..
दोस्तों अगर दो पैसे पाकर ये ख़ुश होते हैं तो हमें उन्हें खुशी देना चाहिए अगर कोई थोड़ी सी मदद से ख़ुश होता हैं तो वह मदद हमें करना चाहिये.. ना कि हमें उनको देखकर अनदेखा करना चाहिये. कई लोग तो उन्हें धक्का मार कर सडक पर गिरा देते हैं उन्हें गाली देते हैं. दोस्तों अगर तुम मदद नहीं कर सकते तो ये अपमान क्यों ? क्यों किसी के स्वाभिमान के साथ मज़ाक करते हो.
हमारे देश के नेताओं कि नजरें भी इन पर नहीं जाती हर वर्ग, हर जाति कि मदद करते है लेकिन इन मासूमो पर ध्यान नहीं जाता क्यों? क्योंकि इनकी फितरत मे ये नहीं आता ..दोस्तों सुना हैं हमारे देश मे इतनी बड़ी बड़ी हस्तियां है अगर वो चाहे तो देश कि गरीवी क्षण भर मे बिलुप्त हो सकती हैं लेकिन कब , ज़ब बो चाहे तब.दोस्तों सब आपके ऊपर निर्भर हैं देश मे हर बच्चा शिक्षित हो सभी के पास रोजगार हो सभी मे भाईचारा बना रहे सभी एक - दुसरे कि मदद के लिये तत्पर रहे..दोस्तों दुष्ट पैसे के सामने इंसानियत को दवने मत दो एक दिन ये पैसा इतना भयावह रूप धारण करेगा कि हम सब देखते रह जायेंगे..मानते हैं पैसे के बिना जीवन संभव नहीं लेकिन इन पैसो कि वजह से आप इंसानियत भूल जाये ये गलत हैंसमय रहते समझे वो ही इंसानियत का सही रूप होता हैंसमय के पश्चात् जो समझें वह तो मूर्ख कहलाने के भी लायक नहीं. श्री कृष्णा जी ने स्वयं कहा हैं - जो दूसरों के चेहरों पर मुस्कुराहट लायेगा , उन्हें ख़ुश रखेगा , उनकी मदद करेगा मैं सदैव उसके साथ रहूँगा..दोस्तों जब ईश्वर स्वयं आपके साथ है तो आप क्यों पीछे हटना चाहते हो .. THE END *भाई साहब*