Dastane Ashq - 9 in Hindi Classic Stories by SABIRKHAN books and stories PDF | दास्तान-ए-अश्क - 9

Featured Books
Categories
Share

दास्तान-ए-अश्क - 9


(अगले पार्ट में हमने देखा कि प्रीति रोती हुई उसके पास आती है और कहती है कि मुझे बचा लो !
वह लड़का उसके लिए ठीक नहीं था!
अब आगे)

रोते बिलखते प्रीति उसके सीने से लिपट कर कहती है
"दीदी मुझे बचा लो...! मुझे यह शादी नहीं करनी है..?
घबराकर वह पूछती है !
"क्या हुआ प्रीति ?क्या बात है?"
दीदी वह लड़का अच्छा नहीं है? वह लड़का किन्नरों के संग गाता बजाता है अजीब सी हरकतें करता रहता है..!
"तुझे यह बात किसने बताई..?" संजीदगी से उसने पूछा था!
मेरी ताई जी की छोटी बेटी ने यह बात मुझे बताइ है! वह वहां अपनी बड़ी बहन के पास जाती है उसने उस लड़के को देखा है
वह बता रही थी कि उसकी हरकतें सारी लड़कियों जैसी है! किन्नरों की तरह वह हाथ नचा नचा कर बातें करता है !
आंखों में काजल डालता है !लिपस्टिक लगाता है! ज्यादा वक्त वो किन्नरों के संग ही घूमता है उसकी कहीं भी शादी नहीं हो रही है!
उनके पास पैसा तो खूब है लेकिन कोई उन्हें अपनी लड़की देने को तैयार नहीं!
"मैं बात समझ गई तुम्हारी मां शायद इसी पैसों की लालच से तुम्हारी शादी वहां करना चाहती है!
और तुम्हारे पागल हो जैसे भाई बहन की वजह से उसने वहां हामी भरी है !
मुझे लगता है उन लोगों ने दोनों भाई बहनों को संभालने की जिम्मेदारी भी उठा ली होगी!
"वही हुआ है दीदी , उन लोगों ने मेरे भाई बहन को संभालने का वादा किया है और मैं बलि का बकरा नहीं बनना चाहती!"
मुझे ऐसे लड़के के साथ शादी नहीं करनी प्लीज आप मुझे बचा लो!"
"ठीक है तू घबरा मत मैं कुछ करती हूं!"
वह अपने पापा के पास चली जाती है और उन्हें कहती है !
"पापा जी काका जी को आप कितना मानते हो?"
बेटी के ऐसे अजीब से सवाल पर वेदजी उसे हैरत से देखते हैं और कहते हैं!
बच्ची तेरे जन्म से पहले ही वो इस दुकान पर काम करते हैं उन्हें मैं अपने बड़े भाई जैसा मानता हूं
"तो फिर आप उन्हें कोई अच्छी सलाह दे तो वह आपकी बात को टालेंगे नहीं है ना?"
"नहीं टालेगा बताओ क्या बात है?"
आप उन्हें समझाओ पापा प्रीति की शादी उस लड़के से वह ना करें !
वह लड़का अच्छा नहीं है !
किन्नरों के साथ रहता है ! और उनके जैसा ही बिहेवियर है उसका!
प्रीति भी नहीं चाहती कि उसकी शादी वहां हो!
अपनी बेटी की सारी बातें सुनकर वह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं!
तुरंत ही उसके काका को बुलाकर सारी बातें पूछते हैं!
आंखों में आंसू भरकर अंकल जी नजरें झुका लेते हैं !
वह भीगी आवाज में कहते हैं !
"लाला जी मैं बहुत गरीब इंसान हूं !
और वह मेरे दोनों बच्चे अर्ध पागल है!
हमें कोई पैसों वाले खानदान से लड़का मिलता है तो प्रीति अपने दोनों भाई-बहनों को संभाल पाएगी! यही सोच कर हमने मन बनाया है..!
उन लोगों ने भी मेरे दोनों बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी उठाने का वादा किया है!
अंकल जी की बात सुनकर उससे रहा नहीं जाता वह बीच में ही कुद पड़ती है
"उसके लिए आप अपनी अच्छी भली बेटी की बलि देना चाहते हो? क्या इसीलिए पैदा किया था आपने उसको?
उसके पापा जी उसे टोकते हैं!
सुनो बेटी बड़ों से ऐसी बातें नहीं करते!
पर उसने जैसे पापा की बात सुनी ही ना हो वैसे काका को समझाती है!
तभी अचानक दादा जी वहां आकर उनकी सारी बातें सुन लेते हैं!
अपनी पोती की यह बातें सुनकर वह पहले तो उसे डांटते हैं कि अच्छे घरों की लड़कियां शादी ब्याह की बातें अपने मुंह से ऐसे नहीं करती!
"और दूसरी बात उसकी पीठ थपथपाते हुए कहते हैं! हां मगर अच्छा लगा, तुम्हारी भावना बहुत अच्छी है!
तुम बेफिक्र होकर अंदर जाओ मैं काका जी से बात करूंगा!
दादा जी की बात सुनकर सुकून की सांस भरकर घर में चली जाती है!
पता नहीं दादा जी उनसे क्या कहेंगे कोई गड़बड़ ना हो तो अच्छा है
"दादा जी तुरंत अंकल जी को बुलाकर कहते हैं हरिवंश वह ठीक कहती है तू अपनी बच्ची की बलि ना दे!
प्रीति बहुत ही अच्छी और सुशिल बच्ची है
उसकी शादी की जिम्मेदारी मैं लेता हूं!
तू कोई अच्छा लड़का देख जितना भी खर्चा आएगा सब मैं कर लूंगा
लेकिन बेटा अपने दो बच्चों की खातिर किसी एक बच्चे की बलि मत देना!
तेरी बच्चे बहुत नेक है!
दादाजी की बातें सुनकर उसकी आंखें फिर भर आती है वह आंखें पोछते है!
वह लाला जी के पैरों में पड़ जाते हैं और कहते हैं आप देवता समान इंसान हो! मेरी आंखों में लालच की वजह से पर्दा पड़ गया था!
अब मैं अपनी बच्चे की बलि नहीं दूंगा उसके लिए एक अच्छा लड़का ढूंढ लूंगा पढ़ा लिखा!
वह लड़का चाहे हमारी कोई मदद ना करें लेकिन हमारी बच्ची को खुशी से रखें!
प्रीति दरवाजे के पीछे खड़ी उनकी सारी बातें सुन लेती है
फिर वह भागकर प्रीति के पास जाती है "अरे यार तो बच गई अब तो पार्टी देनी पड़ेगी! और सुन ले कान खोलकर सुन ले जब तक मैं जिंदा हूं जहां तुझे लड़का पसंद ना हो ऐसी जगह तेरी शादी नहीं होने दूंगी!
वह प्रीति को गले लगा लेती, पर उसकी बातें उसकी मां को जरा भी अच्छी नहीं लगती!
तू छोटी जो जाति वालों से मेलजोल कम रखा कर इस लड़की से तेरी दोस्ती मुझे फुटी आँख नही भाती..! "
पर उसे अब अपनी मा की बात का बुरा नही लगता..!
एक अच्छा काम करने की खुशी उसके चहेरे पर छलक उठती है..!
यह सब सोचते सोचते बहुत रात हो गई! समय का उसे कुछ ध्यान ही नहीं रहा!
तभी प्रीति उसके पास आकर उसे कहती है !
"दीदी.. कहां खोई हो?
प्रीति को देख कर हैरत से उसे पूछती है "तू अभी गई नहीं घर..?"
अरे नहीं दीदी.. आज मुझे आने में यही रुकने को बोला है आपके पास !
क्योंकि वो थोड़ा आज लेट आएंगे! आपके लिए लड़का देखने गए हैं ना..?
"अरे हा प्रीति मां और पापा अभी आए नहीं ?"
नहीं दीदी बस वो आने वाले हैं!
अपने ख्यालों में गुम हो जाती है!
मां और पापा उसके लिए कैसा वर ढूंढने गए हैं? कैसा लड़का देखेंगे वो..?
अच्छा होगा या बुरा होगा ? देखने में कैसा होगा ?
ईन ख्यालों में उलझी हुई होती है ,तब गाडी का होर्न बजता है..!
भागकर बहार आती है..! मां और पापा मुस्कुराते चेहरे लिए सामने नजर आते हैं!
उनको देखकर उसके गाल शर्म से लाल हो जाते हैं!
पता नहीं क्यों आज कुछ अजीब सी फीलिंगस् उनके मनमे हो रही है.. !
उसे लगता है जैसे वह अचानक बहुत बड़ी हो गई हो!
वह भाग के घर में घुस जाती है ! आज पापा और मां का सामना करना उसके लिए पहाड़ चढ़ना जैसा मुश्किल हो जाता है !
लेकिन वह जानना चाहती हैं ! अपने वर के बारे में ! अपने दूल्हे के बारे में!
उसके दिल में मीठी मीठी गुदगुदी होती है!
कुछ अजीब सी बेकरारी जो उसने कभी पहले महसूस नहीं की थी जवानी का दस्तक दे रही थी!
प्रीति मां और पापा को जब पानी देने उठती है वह भाग के उसके हाथ को से ट्रे पकड़ लेती है!
प्रीति चुटकी लेती है !
कहती है !
"हां हां जाओ दीदी, तभी तो कुछ सूनोगी..!"
"हट् पागल..! "
वो मुस्कुराहट के साथ पानी लेकर मा-पापा के पास पहोंचती हैं !
तो मां उसे गले लगा लेती है.!
"मेरी रानी बेटी तु राज करेगी वहां..! बहुत अच्छा घर और बहुत अच्छा वर देखकर आए हैं तेरे लिए!"
वो फिर से शर्माकर घर में घुस जाती है!
उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगता है!
जैसे कोई उसको छू रहा हो ऐसा महसूस करती है वह!
कुछ अरमान जागते हैं बहोत सारी हलचल हो रही है उसके के दिलों दिमाग में!

कोई अनदेखा अनजाना सा सख्श उसके लिए बहोत अहम हो गया ,खास हो गया था!
वो जिस्म से लेकर रुह तक को झिंझोड रहा था!
मीठे खयालों की गुदगुदी महसूस करते हुए वो सो जाती है !
सुबह की पहली किरण एक नई आस एक नया सवेरा लेकर आती है!
आज वह बहुत खुश थी! लड़के वाले जो उसे कल देखने आ रहे थे!
यह बात उसको बुआ बताती है!
मन ही मन डर रही है!
मां उसे देखकर टोंकती है तू अपने आपको सवार लड़के वाले तुझे देखने आने वाले हैं!
खुशी उसके चेहरे पर रंगत बनकर छा जाती हैं!
उसकी खुशी देखकर बुआ उझसे कहती है !
"तू भी लड़के को देखना अच्छी तरह से !
तेरी हां होगी तभी हम शादी करेंगे! वरना हम मना कर देंगे!
यह सुनकर उसका मन गदगद हो जाता है!
उसकी भी कोई इंपॉर्टेंट उसकी भी मर्जी मायने रखती है !

वह बड़े चाव से सब काम करती है तैयार
होती है!
आखिर वह दिन भी आ जाता है जब लड़का उसे देखने आने वाला है!
आज खुशी उसके डर पर हावी थी!
आज उसे कोई चीज याद नहीं थी वह सिर्फ उसे देखना चाहती थी! अपने जीवन साथी को..! जिसके साथ वह पूरी जिंदगी की बिताना चाहती थी! जिसके साथ अपने सारे ख्वाब जीना चाहती थी!
न जाने कितने सपने बूने थे उसने उस अनजान एक शख्स के साथ जीने के लिए जिसे उसने कभी देखा भी नहीं!
क्यों वह उसकी लाइफ में इतना खास हो गया था ! समझ नहीं पा रही थी!
इंतजार उसकी निगाहों में डोरे डाल कर बैठा था!
वह बार-बार दरवाजे को देख रही थी जैसे इसकी एक झलक पाने को आंखें तरस रही थी!
तैयार होकर वो जब आईने के सामने खड़ी हुई खुद को देख कर ही शर्मा गई!
पींक कलर का सूट और उस पर जरी का दुपट्टा आंखों मैं हल्का सा काजल होटो पर हल्की सी लाली.. मानो चार चांद लगा रही थी उस पर! हमेशां बिखरी सी रहेने वाली लडकी जब संवरी तो एेसा संवरी की खुद आईना भी उससे शरमा गया..!
कि तभी अचानक उसकी भुआ आती है उसकी लुभावनी आंखे उसे ईस अंदाज मे देखकर फटी सी रह जाती है..!
भुआजी के मन में जैसे लड्डू फूट रहे है!
बुआ ने आकर उसकी बलायें ली!
फिर उससे कहा !
आज तो तू बहुत सुंदर लग रही है!
बिल्कुल अप्सरा की तरहा तू देखना लड़का तुझे जरूर पसंद कर लेगा!
और सुन ये ले रिंग आज तेरी मंगनी है उसके संग..!
पर बुआ !आप तो कह रही थी कि
मुझे भी लड़के को देखना है ,और पसंद करना है !अगर मैं हां करूंगी तभी यह रिश्ता पक्का होगा..!
अब आप कह रही हो तेरी मंगनी है उसके संग..! देख तेरी मा ,पापाजी, तेरे दादाजी सब ये रिश्ते के लिये हा कर चूके है ये रिश्ता तेरी मौसी लेकर आई है!
तो अच्छी तरह जानते हैं कि तेरे दादाजी तेरी मौसी को बहोत मानते हैं! बिल्कुल अपनी बेटी की तरह ! वह कभी तेरा बुरा नहीं चाहेंगे!
रही बात लड़के की तो वह तुझे देखना भी नहीं चाहता था उसने कहा था जो मेरे मम्मी पापा मेरे लिए देखेंगे मेरे लिए बेहतर होगा!
पर तेरे पापा की जिद की वजह से एक दूसरे के मिलन की रस्म हमने रखी है
लड़का अच्छा है तुझे कुछ भी बोलना नहीं है!
"पर बुआ..! मुझे लड़की से कोई बात करनी है उसे जानना है
वह कैसा है ? क्या सोचता है ? कितना पढ़ा लिखा है? और वो क्या पसंद करता है..!
तु पागल हो गई है..! आज के जमाने में कहीं ऐसा होता है तू कहीं बाहर के मुल्क से नहीं आई! कोई यही हिंदुस्तान में जन्मी है!
बावली सी बाते मत कर..! बस तुजे लडके को देखकर हा करनी है..!
रही बात पढ़ाई लिखाई की तो सून तेरे पापा जी कह रहे थे लड़का दुकान का सारा काम देखता है हिसाब किताब भी वही करता है अगर उसको हिसाब किताब आता है तो उसका मतलब यही हुआ कि वह पढ़ा लिखा है?"
"क्या हुआ आपने आज तक उसे यह भी नहीं पूछा कि वह कितना पढ़ा लिखा है?"
अरे पागल तुझे बता तो रही हूं कि वह दुकान का सारा हिसाब किताब देखता है!
पढ़ा लिखा होगा तभी तो हिसाब किताब देखता होगा..! अनपढ़ होता तो यह सब नहीं कर पाता तू तो बिल्कुल पागल है
बुआ की बात सुनकर उसका दिल धक से रह जाता है उसकी जिंदगी के साथ कोई खिलवाड़ ना हो जाए!
पर केहते है चडती जवानी की उम्र ऐसी होती है जब ईन्सान अपना बुरा कम सोचता है और अच्छा ज्यादा..! उसे अच्छे बुरे की समझ नही होती..!
आज शायद उसने अपनी लाइफ की सबसे किमती सपने को पीछे करके अपने अरमानो को आगे कर लिया..!
वो फिर उसी सुहाने सपनो मे खो गई!
अपने जीवनसाथी के बारे में!
इंतजार की घड़ियां काटे नहीं कटती थी!
उसका दिल जोरों से धड़क रहा था!
कब वो आये और कब उसे देखे..!
तभी वहा अचानक प्रीति आ गई!
"दीदी.. दीदी वो लोग आ गये..! "
उसके गाल कनपटी तक लाल हो जाते है!
अरे देखो दीदी अभी से शरमा रही है.. अभी तो उसने जीजाजी को देखा भी नही!
अरे पागल वो अभी से थोडी तेरे जिजाजी बन गये पहेले मै हा करुंगी फिर होगें वरना..!
अरे नही दीदी वो तो पूरी तैयारी के साथ आये है.. शगुन करने!
तुम कैसी बाते करती हो..!
उसका मन फिर अंदेशो से भर जाता है..!
एक तरफ तो उसे खुशी हो रही है अच्छा लग रहा है मगर दूसरी ओर उसको नकारा जाना उसके दिल में कहीं कांटे की तरह चुभता है
पर वह अपने इस दर्द को चेहरे पर जाहिर नहीं होने देते अंदर छुपा लेती है
बड़ी बेसब्री से आने वाली खुशी की घड़ी का इंतजार करते हैं!
चाय पानी का दौर चलता है लड़के वालों की सेवा की जाती है!
आखिर में वह घड़ी आती है उसको दिखाने की उस की नुमाइश करने की
लेकिन तब उसे उस बात की समझ नहीं थी !
पर आज जब सोचती है वह उसकी नुमाइश ही तो थी !
वह लड़के को उसके परिवार के सामने!
जैसे हम कोई सामान देते हैं तो उसकी कीमत ली जाती है!
पर लड़की एक ऐसी जिंदा सामान बन जाती है जिसे लड़के वाले को देते भी हैं साथ में उसकी कीमत भी लड़की के पैरंट्स अदा करते हैं!
सारी जिंदगी उन लोगों के आगे झुकते हैं!
कि हमने आपको हमारी बेटी दी है और आप हमारे भगवान हो..!
पता नहीं ये रसम यह पुराने ख्याल कब तक हमारे समाज में लड़कियों की जिंदगी में एक कलंक की तरह रहेंगे!
बेटी होना कोई अभिशाप नहीं होता! बेटी कुदरत का वह वरदान है जो किस्मत वालों को ही मिलता है!
अगर हमारा समाज हमारा मुल्क यह बात समझ ले तो कभी भी कोई भ्रूण हत्या नहीं होगी!
कभी भी किसी लड़की को जिंदा ना जलाया जाए दहेज के लिए! कभी भी किसी औरत को मां ना बन पाने के कारण
धिक्कारा ना जाए!
कभी भी किसी लड़की को अश्क ना बहाने पड़े मेरी तरह..!

"नारी जीवन हाय तेरी यही कहानी..
आंचल मे है दुध और आंखो मे पानी..
यह बात आज भी हमारे समाज की औरतों पर पूरी तरह लागू होती है
माना कि विकास हो रहा है ! पर इतना भी नहीं आज भी नारी वही खड़ी है हमारे मुल्क मै..!
खेर, उसे सजा कर सबके सामने पेश करके उसके सामने बीठा दिया जाता है!
वह अपनी नजरें नहीं उठा पा रही है उसका दिल बहोत घबरा रहा है!
वो एक नजर अपने होने वाले पति को देखना चाहती है..!
मारे शर्म के वह अपनी आंखें नहीं उठा पा रही है!

तभी वो धीरे से कनखियों से उसे देखती है..!
वो समझ जाती है कि वो उसकी तरफ नही देख रहा..
वो चूपचाप, आसपास ईधर-उधर देख रहा है! उस लड़के को देखकर उसके मन में कुछ नहीं होता कोई फीलिंग नहीं !
नरेंद्र को देखकर जो अरमान जागे थे ऐसा इस वक्त कुछ भी नहीं हो रहा था!
बहुत अजीब परिस्थिति थी
वह सोचती है कुछ देर पहले तो खुश थी मगर अब एक सुशोभित चीज बनकर बैठी है सबके सामने!
उसके मन में संशय पैदा होता है क्या उसको लड़का पसंद आया कि नहीं अाया?
अपने मन को समझाती है अभी उसको एक ही नजर में देखा है वह अंजाना है
जैसे-जैसे धीरे-धीरे समय बीतेगा वह उसका अपना हो जाएगा!
समाज में ऐसा ही होता है पहले शादी होती है और फिर प्रेम हो जाता है!
मेरे मम्मी पापा को ही देख लो! मुझे तो फिर भी लड़की दिखा रहे हैं उन्होंने तो एक दूसरे को कभी देखा भी नहीं था!
उन दोनों के बीच का रिश्ता कितना गहरा है! कितना प्रेम है दोनों मे!
क्या सभी मेरे पापा जैसे होंगे?
पर कोई बात नहीं मैं अपनी मम्मी की तरह बनकर दिखाऊंगी!
बहोत प्रेम करूंगी अपने पति से.. उनकी बहोत सेवा करुंगी किसी भी हालात मे!
और देखना वो भी मेरे हो जायेंगे सच्चे मन से..!
विचारो की यही उधेडबून में बुआ उतावती सी आती है..!
चलो सगाई की रस्म का मुहर्त नितला जा रहा है..!
लडके को पूछा जाता है.. वो उसे देखकर हा कर देता है..!
लेकिन उसे पूछने की कोई जरुरत नही समझता..
ये बात उसे मन मे चूभती है!
लेकिन इतने लोगों के बीच अपनों के बीच वह क्या बोलती!
उसका हाथ पकड़ कर लड़की के पास उसकी मर्जी के खिलाफ दिखा दिया जाता है!
जैसे ही लड़का अंगूठी पहनाने के लिए उसका हाथ थामता है!
उसे महेसूस होता है जैसे किसी बरफ की सीली पर हाथ लग गया न हो..!
ईतना ठंडा हाथ.. उसकी घबराहट मे ईजाफा हो जाता है..!उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है!
क्या लड़का उससे किसी जबरदस्ती या दबाव में आकर शादी कर रहा है?

या फिर मैं उसको पसंद नहीं हूं ? वह उससे पूछना चाहती है!
पर वह मजबूर सगाई की रस्म के बाद लड़के वाले अपने घर से जाते हैं और जल्द से जल्द शादी करने का सुझाव देकर जाते हैं
वह चुपचाप अपने कमरे में जाकर ने किया कि आज उसका मन बहुत उदास था!
कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था अब उसके साथ क्या होने वाला था और क्या नही!
शायद उसकी आने वाली जिंदगी में भावी अनहोनी घटनाओं का ये अंदेशा था जो उसे पहले से हो गया था!
पर वह अबोध ईस बात को समज नही पाई!
समय को पहीया रफ्तार पकडे हुये था!
शादी का दिन उसकी जिंदगी मे बहोत सी विडंम्बनाये लेकर आता है उलझने लेकर आता है..!
शादी की सारी तैयारियां उसके मम्मी पापा बुआ दादा जी सब मिलकर बड़े अरमानों से करते हैं बेटी को देने के लिए एक-एक सामान देख परख कर लिया जाता है
पर उन लोगों ने एक बड़ी गलती कर दी थी सामान को परखने की जरूरत नहीं थी जिस को परखना था उसे ही नहीं परखा..!
मौसी ने जो बताया वह सही था!
निर्जीव चीजों को परखा जाता है लेकिन जो जिंदा सामने खड़ा है उसे परखना हम जरूरी नहीं समझते अजीब सी बात है ना?
सबने यही समझा खानदान या अच्छा है!
मां बाप अच्छे हैं तो बच्चे भी अच्छे होंगे!
यह बात मैं अपने सभी पाठकों से कहना चाहता हूं जब भी अपने बच्चों की शादी करो सामान ना देखो दहेज ना देखो..
देखो बच्चे, उनके चरित्र, उनकी भावनाएं ,उनके अरमान क्योंकि सारी जिंदगी बच्चों को एक दूसरे के साथ काटनी होती है
निर्जीव चीजों से सारी जिंदगी साथ नहीं निभाना!
सामान तो बच्चे खुद भी खरीद लेते हैं! पर उनमें प्रेम हो! विश्वास हो समझ हो!
सबसे ज्यादा वही माईने रखता है बाकी चीजो का कोई मोल नही!
मैने कुछ गलत बोला हो! लिख दिया हो तो माफ करना..!
मगर हमारी कहानी की नाईका के साथ अब जो होने वाला है वो देख कर आप की रूह तक कांप उठेगी.. क्योंकि मै ने जब से यह कहानी का प्लोट देखा.. है मै खुद अपसेट हुं!