कुछ दिनों पहले यूँ ही सहेलियों के साथ गप्पें हो रही थीं तो बात निकली ससुराल में पहले दिन या शुरूआती दिनों की. एक से बढ़कर एक रोचक किस्से सुनने को मिले. वैसे भी अपनी माँ -बुआ-मौसी -चाची लोगों से भी सुन रखा था कि नयी नयी गृहस्थी बसाने में कितनी मुश्किलें आतीं और कैसी मजेदार घटनाएं घटतीं. एक बार चाची ने बताया था ,जब वो शादी करके चाचा के पास गयीं तो वहां खाना बनाने के लिए बर्तन नहीं थे और तब वेतन भी इतना नहीं मिलता था कि वे एक बार में जाकर रसोई के सारे बर्तन खरीद लें. तब शादी में भी पीतल के पांच बर्तन 'गागर परात ' वगैरह मिला करते थे . खैर इन लोगो ने कुछ बटलोही-देगची -कढाई वगैरह खरीदे , जिसमे चावल- दाल -सब्जी बना करता था .एक दिन चाचा जी ने कहा, "चावल खा कर बोर हो गया हूँ, किसी तरह रोटी बनाने का जुगाड़ करो' पर रोटी बनाने के लिए चकला बेलन तो थे ही नहीं. देगची उलटी कर बोतल से रोटी बेली गयी (तवा के लिए भी कुछ किया होगा ,वो अब याद नहीं ) पर ये सोचती हूँ ,वह रोटी स्वाद में कितनी मीठी होगी .
ससुराल में अमृता को बेसन के पकौड़े बनाने की जिम्मेवारी सौंपी गई थी। उसने काम करते अपनी सोने की अंगूठी गुम कर दी पर किसी से जिक्र नहीं किया ।जब सब खाने बैठे तो जेठ जी के मुंह में कुछ चुभा ।उन्हें लगा, पकौड़े में पत्थर हैं ,नाराज़ होते हुए मुंह से पत्थर निकाले तो वो अमृता की अंगूठी थी :D। युवा लोग प्रपोज़ करने का एक नायाब आइडिया यहाँ से ले सकते हैं :)
अनीता जब शादी होकर ससुराल गयी तो पाया उसकी सासू माँ निर्देश दे रही थीं, "सबको सिल्वर ग्लास में पानी दिया करो "
अनीता थोडा सा डर गयी, "इतने रईस लोग हैं चांदी के ग्लास में ही पानी पीते हैं "
बाद में पता चला, उसके ससुराल में स्टील को सिल्वर कहा जाता था .
हमारी मधु दी ने बताया उनके पति शादी करने आये तो अपने दोस्त को बोल कर गए, "एक घर ठीक कर देना मेरे लिए, शादी के बाद पत्नी के साथ ही लौटूंगा " और शादी के बाद वे एक बेडिंग, एक बक्सा और कुछ समान लिए पहुँच गयी अपने 'पिया के घर ' चेन्नई (जो तब मद्रास था ) .जीजाजी ने दोस्त से चाभी लेकर घर खोला , मधु दी से कहा तुम अन्दर जाओ. मैं ऑफिस में बस साइन करके आता हूँ वरना छुट्टी मारी जायेगी "
और जीजाजी ऑफिस में काम में फंस गए . यहाँ मधु दी दिन भर भूखी,प्यासी बक्से के ऊपर बैठी उंघती रही .
वैसे ही इंदिरा ने बताया कि वह केरल से मुम्बई पति के घर आयी ही थी और किसी तरह मैनेज कर रही थी, उसे कुकिंग बिलकुल नहीं आती थी. उसपर से एक दिन उसके पति चने लेकर आये और कहा कि 'छोले बनाओ आज '। साम्भर,रसम बनाने वाली इंदिरा ने कभी छोले खाये भी नहीं थे। इंदिरा ने प्याज टमाटर से छौंक लगा आलू की तरह चने बना दिए. दो सिटी के बाद खोल कर देखा, चने पके ही नहीं थे. फिर हर थोड़ी देर बाद कुकर खोल कर देखा जाता रहा. आखिर बहुत रात हो गयी तो दोनों ब्रेड जैम खाकर सो गए. इंदिरा को पता ही नहीं था कि बनाने से पहले चने भिगो कर रखे जाते हैं ..:)