Sun Salutation in Hindi Health by Beena Rathod books and stories PDF | सूर्यनमस्कार

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सूर्यनमस्कार

सूर्यनमस्कार



ॐ 
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः
 गुरुर्देवो महेश्वरः । 
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म 
तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
यह आर्टिकल लिखने के लिए प्रेरित करने वाले हमारे गुरु और ‘योग पावर स्टूडीओ’ के फ़ाउँडर श्रीमती प्रभा यादव जी को मैं प्रणाम करती हु ।जिनकी वजह से मैं योगा के सम्पर्क में आयी और जिनकी वजह से मेरी ज़िंदगी नकारात्मक से हकरात्मक हुई ।
आज इस भागदौड़ की झिंदगी में ज़्यादातर लोग व्यायाम का समय नहीं निकाल पाते ।जिस वजह से मोटापा ,डिप्रेशन याने तनाव ,अनिंद्रा,थकान,डायबिटीज़,केंसर जैसी बीमारियाँ,ऑस्टीओपरोसिस याने हड्डियों का कमज़ोर होना ,वायटमिन डी की कमी होना वग़ैरा आम बात हो गयी है।

  हमें कम से कम हफ़्ते में तीन दिन एक घंटा व्यायाम करना चाहिए ।यह हफ़्ते के तीन घंटे हमारी झिंदगी के कुछ साल और बढ़ा सकते है।

  इस रफ़्तार भरी झिंदगी में भी हम आसानी से व्यायाम कर पाए ऐसा व्यायाम सालो पहले ही खोजा गया था।वह हैं ‘सूर्यनमस्कार’ ।जिसमें हमें ज़्यादा कुछ नहीं सोचना है ।बस बारह आसान याद रख कर उसका नियमित अभ्यास करते रहना है।

  सूर्यनमस्कार एक ऐसा व्यायाम है ,जिससे सम्पूर्ण शरीर को व्यायाम का फ़ायदा मिलता है ।यह बारह आसनो का एक सम्पूर्ण व्यायाम है। इसे स्त्री या पुरुष, युवान या वृद्घ व बच्चा कोई भी कर सकता है ।सूर्यनमस्कार योगासनो में श्रेष्ठ माना गया है ।कहते है की “आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने।
आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते ॥”याने 
जो लोग प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं, उनकी आयु, प्रज्ञा, बल, वीर्य और तेज बढ़ता है।

  सूर्य नमस्कार के लाभ क्या है?
   
  श्री श्री रविशंकर जी ने कहा है :
  मणिपुर चक्र में ही हमारे भाव एकत्रित होते है और यही वो स्थान है जहाँ से अंतःप्रज्ञा विकसित होती है। सामान्यतया मणिपुर चक्र का आकार आँवले के बराबर होता है, लेकिन जो योग ध्यान के अभ्यासी हैं उनका मणिपुर चक्र 3 से 4 गुना बड़ा हो जाता है। जितना बड़ा मणिपुर चक्र उतनी ही अच्छी मानसिक स्थिरता और अन्तर्ज्ञान हो जाते हैं।

    सूर्य नमस्कार के लगातार अभ्यास से मणिपुर चक्र विकसित होता है। जिससे व्यक्ति की रचनात्मकता और अन्तर्ज्ञान बढ़ते हैं। यही कारण था कि प्राचीन ऋषियों ने सूर्य नमस्कार के अभ्यास के लिए इतना बल दिया।

इसे सुबह के समय करना बेहतर होता है। सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से शरीर में रक्त संचरण बेहतर होता है, स्वास्थ्य बना रहता है और शरीर रोगमुक्त रहता है। सूर्य नमस्कार से हृदय, यकृत, आँत, पेट, छाती, गला, पैर शरीर के सभी अंगो के लिए बहुत से लाभ हैं। सूर्य नमस्कार सिर से लेकर पैर तक शरीर के सभी अंगो को बहुत लाभान्वित करता है। यही कारण है कि सभी योग विशेषज्ञ इसके अभ्यास पर विशेष बल देते हैं।सूर्यनमस्कार बच्चों के लिए भी काफ़ी अच्छा है ।मन को शांत कर के एकाग्रता को बढ़ता है ।
जब हम १०० सूर्यनमस्कार करते है तो हमारे शरीर में १४०० केलोरि बर्न होती है ।हमें ५ सेट सूर्यानमस्कार से सुरु कर के उसे हर दिन बाढाते रहना चाहिए ।
इसे बढ़ा कर १०० तक कर सकते है ।

कब करे ?

सुबह का समय सबसे अच्छा समय है ।ख़ाली पेट करे या फिर खाने के चार घंटे बाद भी कर सकते है ।

  बारह आसान कौनसे है ?

 १.प्रणामासन 
   अपने आसन (मैट) के किनारे पर खड़े हो जाएँ, अपने दोनों पंजे एक साथ जोड़ कर रखें और पूरा वजन दोनों पैरों पर समान रूप से डालें। अपनी छाती फुलाएँ और कंधे ढीले रखें।
श्वास लेते हुए दोनों हाथ बगल से ऊपर उठाएँ और श्वास छोड़ते हुए हथेलियों को जोड़ते हुए छाती के सामने प्रणाम मुद्रा में ले आएँ।

२. अर्धाचंद्रासन
  श्वास लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएँ और पीछे ले जाएँ व बाजुओं की द्विशिर पेशियों (बाइसेप्स) को कानों के समीप रखें। इस आसन में पूरे शरीर को एड़ियों से लेकर हाथों की उंगलियों तक सभी अंगों को ऊपर की तरफ खींचने का प्रयास करें।

३.हस्तपाद आसन
श्वास छोड़ते हुए व रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए कमर से आगे झुकें। पूरी तरह श्वास छोड़ते हुए दोनों हाथों को पंजो के समीप ज़मीन पर रखें।

४.सूर्यदर्शन
श्वास लेते हुए जितना संभव हो दाहिना पैर पीछे ले जाएँ, दाहिने घुटने को ज़मीन पर रख सकते हैं, दृष्टि को ऊपर की ओर ले जाएँ।

५.दंडसन
श्वास लेते हुए बाएँ पैर को पीछे ले जाएँ और संपूर्ण शरीर को सीधी रेखा में रखें।

६.शाष्टांग दण्डवत
आराम से दोनों घुटने ज़मीन पर लाएँ और श्वास छोडें। अपने कूल्हों को पीछे उपर की ओर उठाएँ I पूरे शरीर को आगे की ओर खिसकाएँI अपनी छाती और ठुड्डी को ज़मीन से छुएँ।
अपने कुल्हों को थोड़ा उठा कर ही रखेंI अब दो हाथ, दो पैर, दो घुटने, छाती और ठुड्डी (शरीर के आठ अंग) ज़मीन को छूते हुए होंगे।

७ भुजांगसन
आगे की ओर सरकते हुए, भुजंगासन में छाती को उठाएँI कुहनियाँ मुड़ी रह सकती हैं। कंधे कानों से दूर और दृष्टि ऊपर की ओर रखें।

८.पर्वतासन
श्वास छोड़ते हुए कूल्हों और रीढ़ की हड्डी के निचले भाग को ऊपर उठाएँ, छाती को नीचे झुकाकर एक उल्टे वी (˄) के आकार में आ जाएँ।

९.सूर्यदर्शन
श्वास लेते हुए दाहिना पैर दोनों हाथों के बीच ले जाएँ, बाएँ घुटने को ज़मीन पर रख सकते हैं। दृष्टि ऊपर की ओर रखेंI

१०.हस्तपदासन
श्वास छोड़ते हुए बाएँ पैर को आगे लाएँ, हथेलियों को ज़मीन पर ही रहने दें। अगर ज़रूरत हो तो घुटने मोड़ सकते हैं।

११.हस्तउत्थान आसन
श्वास लेते हुए रीढ़ की हड्डी को धीरे धीरे ऊपर लाएँ, हाथों को ऊपर और पीछे की ओर ले जाएँ, कुल्हों को आगे की तरफ धकेलें।

१२. नमस्ते 
दोनो हाथो को जोड़ कर नमस्कार मुद्रा बनाए ।

मंत्रोचार के साथ सूर्यनमस्कार 
  
   सूर्यनमस्कार मंत्रो के उचार के साथ किया जाता है ।जिसमें बारह मंत्र उचारे जाते है ।हर एक आसन का एक मंत्र है ।यह हर मंत्र सूर्य देवता के अलग अलग नाम नाम है ।सबसे पहले पहले सूर्य देव को प्रार्थना करते है और अंत में इसका महत्व बताया हुआ श्लोक बोलते है ।
  ॐ ध्येयः सदा सवितृ-मण्डल-मध्यवर्ती, नारायण: सरसिजासन-सन्निविष्टः। 
केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटी, हारी हिरण्मयवपुर्धृतशंखचक्रः ॥

ॐ मित्राय नमः। याने जो सबका मित्र है ।

ॐ रवये नमः। याने जो उज्जवल है ।

ॐ सूर्याय नमः। याने जो अंधेरे को दूर करता है और जीवों में गतिविधि क़ायम रखता है ।

ॐ भानवे नमः।याने जो क़ायम रोशन व उज्जवल है ।

ॐ खगाय नमः।याने जो सर्व व्यापी है,आकाश में है ।

ॐ पूष्णे नमः। याने जो पोषण और पूर्ति के दाता है।

ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।याने जिसकी सुनहरे रंग की प्रतिभा है ।

ॐ मरीचये नमः।याने जो अनंत किरणों के साथ प्रकाश के दाता है ।

ॐ आदित्याय नमः।याने जो लौकिक देवी अदिति के पुत्र है ।

ॐ सवित्रे नमः।याने जिन पर जीवन क़ायम रखने की जिन्मेदारी है ।

ॐ अर्काय नमः।याने जो स्तुति और महिमा के योग्य है।

।ॐ भास्कराय नमः।याने जो ज्ञान और लौकिक रोशनी के दाता है ।

ॐ श्रीसवितृसूर्यनारायणाय नमः।

आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने। 
आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते ॥
जो लोग प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं, उनकी आयु, प्रज्ञा, बल, वीर्य और तेज बढ़ता है।

  इन १२ मंत्रो का उच्चारण आसनो के साथ करना बहुत अच्छा है।इन मंत्रो को आसनों के साथ जोड़ कर आप सूर्य के साथ एकता महसूस कर सकते हैं।

मैंने योगा की शुरुआत की थी तब की बात करु तो में ४ या ५ से अधिक सूर्यानमस्कार नहीं कर पाती थी ।पर हर रोज़ के योगा के अभ्यास से ,थोड़े खाने पीने की परहेज़ से ,सोने जगने के नियम से मेरी बहुत सारी परेशनियाँ खतम हो गई ।मेंने ३ महीनो में ६ किलो वज़न कम किया ओर इतना ही नहीं मेरे अंदर ख़ूब सारी हकरात्मक भावना आयीं । जिससे झिंदगी को ओर लोगों को देखने का मेरा नज़रिया बेहतर हो गया । अब में १०८ सूर्यनमस्कार कर पाती हु तो ख़ुद को मानसिक और शारीरिक तरिकेसे ख़ूब मज़बूत ओर ताक़तवर महसूस करती हु ।


 धन्यवाद