BADLA film review in Hindi Film Reviews by Mayur Patel books and stories PDF | ‘बदला’ फिल्म रिव्यूः धांसू स्क्रिप्ट, दिलधड़क पेशकश…

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‘बदला’ फिल्म रिव्यूः धांसू स्क्रिप्ट, दिलधड़क पेशकश…

2012 में एक फिल्म आई थी- ‘कहानी’, जिसकी कहानी इतनी रहस्यमय थीं की दर्शक चौंक गए थे. 8 करोड की लागत से बनी उस फिल्म ने बोक्सओफिस पर 104 करोड की कमाई की थी और सुपरहिट साबित हुई थी. फिल्म के निर्देशक सुजोय घोष की बहोत ही तारीफें हुई थीं और अभिनेत्री विद्या बालन की झोली उस साल के अवार्डस से भर गई थीं. फिल्म-मेकिंग के सभी पहलूंओ पर वो फिल्म सही मायनो में खरी उतरी थीं. उसी तर्ज पर बनीं फिल्म ‘कहानी-२’ बस ठीकठाक ही थीं और फ्लोप हुई थीं. अब उन दो फिल्मों के निर्देशक लेकर आए है ‘बदला’. और इस बार मिस्टर घोष फिर से दर्शकों को चोंकाने में पूरी तरह से कामियाब हुए है.

‘बदला’ कहानी है नैना सेठी (तापसी पन्नु) की, जिस पर अपने बोयफ्रेन्ड अर्जुन की हत्या का आरोप लगा है. बादल गुप्ता (अमिताभ बच्चन) एक वकील है जो नैना का केस हाथ में लेते है उसे बचाने के लिए. क्या हुआ था उस होटेल के बंद कमरे में, और क्या घटनाएं घटी थीं उस दिन पेरिस के जंगल में… नैना अपने साथ जो कुछ भी हुआ था वो सब बादल को बताती है, लेकिन जो बताया गया है वो कितना सच है और कितना जूठ… इस असमंजस पर गढी गई है ‘बदला’ की कहानी. एक ऐसी कहानी जो रोंगटे खडे कर देती है, एक ऐसी कहानी जो फिल्म के आखिरी पांच मिनिट तक दर्शकों को उलझाए रखती है, एक एसी कहानी जो बहोत बहोत बहोत ही बहेतरीन है…

फिल्म का असली हीरो ही उसकी पटकथा/स्क्रिप्ट है. इतना बारीक काम तो भई हिन्दी फिल्मों में बहोत कम ही देखने को मिलता है. बीना किसी फालतूगीरी के फिल्म सीधी मुद्दे से ही शुरु होती है. पहेले ही सीन से दर्शक को बता दिया जाता है की केस क्या है. असील और वकील मिलते है, बाते करते है और शुरु होता है एक खेल… सच और जूठ के बीच का खेल… एक के बाद एक किरदार कहानी में जुडते जाते है, रहस्य गहेराता जाता है, राज खुलते जाते है और दर्शकों का टेन्शन बढाते जाते है… निर्देशन सुजोय घोष की ही लिखी स्क्रिप्ट की जितनी भी तारीफ करे कम है… ये एक एसी फिल्म है जो पहेले ही सीन से दर्शकों को जकड लेती है और आखरी सीन तक जकडे रखती है. इन्टरवल के बाद तो ये फिल्म और भी ज्यादा संगीन हो जाती है. अंत की तरफ गति करते हुए जब एक के बाद एक रहस्य खुलने लगते है तो दर्शक हक्काबक्का रह जाते है.

जितनी माइन्डब्लोईंग स्क्रिप्ट है उतना ही सटिक है निर्देशन… फिल्म की गति को डिस्टर्ब न करने के लिए फिल्म में एक भी गाना नहीं रख्खा गया है और यहां गाने की कमी खलती भी नहीं. एडिटिंग ईतना चुस्त है की 118 मिनट की फिल्म में एक सेकन्ड की फ्रेम भी बेमतलब की नहीं लगती. कई सारे डायलोग्स, कई सारे विज्युअल्स दर्शकों को फिल्म के सस्पेन्स की तरफ ईशारा करते है… बच्चन सर बार बार तापसी को कहते रहेते है की ‘डिटेल्स पे ध्यान दो… डिटेल्स पे ध्यान दो…’ ये संवाद केवल तापसी के लिए नहीं है, बलके सिनेमा होल में बैठे दर्शकों के लिए भी है. अगर आप भी बारीकी से देखेंगे, ‘डिटेल्स’ पे गौर करेंगे तो ये फिल्म आपको भी जासूस बनने का मौका देती है…

एक्टिंग के बादशाह अमिताभ बच्चन के क्या कहेने!!! एक बार फिरसे उन्होंने एक यादगार पर्फोर्मन्स दिया है. ब्लेक सूट और सफेद दाढी में वो बहोत ही हेन्डसम लगते है. तापसी पन्नु मानो एसी ही फिल्मों के लिए पैदा हुई है. ‘पिंक’ और ‘मुल्क’ के बाद ‘बदला’ में भी वो उतनी ही कन्विंन्सिंग लगीं. एन्ड सरप्राइज, सरप्राइज… अम्रिता सिंघ इस फिल्म का सरप्राइज पेकेट साबित होतीं है. उनके करियर का ये शायद सबसे अच्छा अभिनय है. उनका रोल बहोत ही बढिया लिखा गया है और अम्रिता ने इसमें जान डाल दी है. तापसी के बोयफ्रेन्ड अर्जुन के रोल में मलयालम फिल्मों के अभिनेता टोनी ल्युक ने भी असरदार काम किया है. छोटे से रोल में मानव कौल भी जचे. फिल्म की कास्टिंग बहोत ही परफेक्ट की गई है. हर एक कलाकार अपने किरदार में पूरे परफेक्शन से ढल गया है.

फिल्म टेकनिकली भी मजबूत है. पूरी फिल्म यूरोप में शूट की गई है और अविक मुखोपाध्याय की सिनेमेटोग्राफी काबिलेतारीफ है. फिल्म का बेकग्राउन्ड म्युजिक फिल्म के मूड के हिसाब से दिया गया है और रहस्यमय कहानी को और रहस्यमय बनाता है.

कुल मिलाकर देखें तो ‘बदला’ बहेतर से भी बहेतरीन थ्रिलर है और इस फिल्म को बिलकुल भी मिस नहीं करना चाहिए. ब्रिलियन्ट स्क्रिप्ट और ब्रिलियन्ट डिरेक्शन से सजी इस रोमांचक पेशकश को मेरी ओर से 5 में से पूरे 4 स्टार्स.