Vo kon thi - 12 in Hindi Horror Stories by SABIRKHAN books and stories PDF | वो कौन थी - 12

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वो कौन थी - 12

(पिछले पार्ट मे हमने देखा की अमन का रुप धरकर वो निगाह से फिझिकल रीलेशन बनाने की कोशिश करता है... अब आगे..)

वो कौन थी

( होररकथा)

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भयावह अंधेरा देख कर उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई थी!
घने जंगलों में जमीन की तह तक चंद्रमा की चांदनी भारी तूफान की वजह से लुका छुपी खेल रही थी!
आधा आसमा घऩे बादलों से गिरा हुआ था !जबकि आधा सितारों से जगमगाया हुआ था!
दूर जा रहा शशी कभी-कबार बदलीअों के पीछे छुप कर अपनी लीला बार-बार समेट लेता था!
एक पेड़ के नीचे वह खड़ी थी शायद पीपल का पेड़ था वह!
तेज हवाएं आंधी की तरह चलने लगी थी! चारों तरफ खुले सितारों से भरे आसमा के बावजूद एक काली बदली यहां जमकर बरसने लगी थी!
वह काफी हद तक डर गई थी पता नहीं उसे अपने शहर से यहां कौन लाया?
वह तो अपने शौहर के पास थी!
पीपल के पेड़ से छनकर बारिश की बड़ी-बड़ी बूंदे उसको भिगोने लगी!
अचानक उसकी नजरें एक छोटे से बच्चे पर पड़ी..!
उसके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था..!
चंद्रमा की चांदनी अगर उस पर ना पड़ती तो वह अंधेरे में उसको नजर आए बिना ही गुम हो गया होता!
बारिश में भीगता हुआ वह तेजी से भाग रहा था!
वह जिस दिशा में भागा था उसी दिशा से जैसे एक चीख सूनाई दी..!
"जियाआआ...!!! "
चीख उसके सीने में उतर गई !
उसका रोयां रोयां खड़ा हो गया था!
ये आवाज तो.. गुलशन की थी..!
मेरी सबसे अजीज दोस्त गुलशन की...!
वो आवाज की दिशा में भागी!
जैसे ही उसने भागना शुरू किया वही पहाड़ो पेड़- दरख़्तों के बीच गूंजती हुई ये चीखो ने उसकी धड़कने बढ़ा दी ! भागते-भागते जंगल में उसके पैर जगह-जगह से छिल गए थे!
सांस फूल गई थी उसकी!
चीखों की गूंजे एक चोक्कस place से आ रही थी! उसके कदमो को अचानक ही एक जबरदस्त ब्रेक लगी..!
सामने का नजारा देख कर वह एक पेड़ के पीछे छुप गई!
जरा सी खुली जगह में जमीन पर दबी हुई ताजा मिट्टी को वह बच्चा उड़ेल रहा था!
उसके हाथ इस तरह चल रहे थे जैसे जमीन मे दब गये पिल्ले को कुत्ता ढूंढता है!
अपने दोनों हाथों से फटाफट मिट्टी बाहर उडेल दी उसने..!
बच्चे का मुह वो देख सकती थी.. काफी बडी-बडी आंखे थी उसकी..!
उसका सुर्ख चेहरा खून से नहाया हुआ था..!
वो बार बार अपनी जबान को मुख पर फेर लेता था..!
बस कुछ ही देर मे उसने कब्र का मुख पूरी तरह खुला कर दिया..!
वो आंखे फाड फाड कर देखती ही रह गई..!
उसमे पता नही कहा से इतनी ताकत आ गई थी!
उसने भीतर से एक डेडबाडी निकाली!
उसके लम्बे खुले बाल और कपडो से मालुम हो गया की वो किसी लेडी की लाश थी..!
बारिश की झरमर अभी भी बरकरार थी! उसने देखा की उपर से बडे बडे छिटे उसके गालो पर गिर कर बिखर जाते थे.. उसकी आंखो मे धुंधलापन भर देते थे !
जिसकी वजह से वो बार बार अपना चहरा दुपट्टे से पोछ रही थी..!
उस डरावने बच्चे को देखकर उसे वहां से भाग जाने की इच्छा हूई..
पर वो देखना चाहती थी आखीर वो बच्चा कर क्या रहा है..? और इतने छोटे बच्चे मे एसी राक्षसी ताकत आई कहां से..?
उसकी रूह तक कांप उठी , जब उस बच्चे ने अपना मुंह मारकर उसके चहरे से मांस नोच लिया..!
वो दुम दबाकर भागी वहाँ से.. उसे लगा जैसे वो बच्चा उसका पीछा कर रहा है.!
उसके कानो मेँ बच्चे के रोने की आवाज उतर गई..!
वो चीख कर बैठ गई..!
उसने अपना हाथ सीने पर था..!
अमन की आवाज उसने सुनी..!
अमन अपने भाई की बच्ची को लेकर अमन बैठा था..! अपने भाई की एक्सिडेन्ट मे डेथ हो जाने के बाद वो बच्ची उन के पास थी..!
" जिया...! जिया.. !
यार कबसे चिल्ला रहा हु...! क्या कोई बुरा सपना देखा..?"
"हा.. मो. अमन बहुत ही भयावक और डरावना सपना....! अच्छा हुआ तुमने मुझे उठा दिया..! "
"तो क्या करता.. ये गुडियारानी तो एक सांस हो गई है.. चुप होने का नाम ही नही..!
My god .. अपने घर मे ही बच्ची रो रही थी और ये वही आवाज सुनी मैने..! मै समझी कोई प्रेतात्मा मेरे पीछे भाग रहा है..!"
"यार तुम भी ना जिया..!अभी भी उस गुलशन वाले मनहूस सदमे से उभरी नही हो..!
काफि वक्त हो गया उस बात को..! "
"जानती हु जी.. पर क्या करू..? तुम जानते हो ना मै जो सपने देखती हु उसमे कुछ न कुछ राज होता है..!"
"हा.. बताओ..आज सपने मे क्या बात थी...?"
"कोई तो बात जरूर थी! मैंने गुलशन को देखा है और एक छोटे से बच्चे को..!
वो छोटा बच्चा और कोई नहीं वही है जो गुलशन के पेट में पल रहा है अभी! क्या टाइम हुआ है मैं खलील से बात करना चाहती हूं..?
10 बज रहे हैं ..! अमन ने बताया!
खलिल को कॉल लगा कर मुझे दो.!
मो. अमन ने खलील को कॉल जोड़ी.
कुछ देर रिंगटोन बजने के बाद जैसे खलिल ने कॉल रिसीव की..!
"क्या बात है जिया इतनी रात को कैसे याद किया..?"
"अभी कहां हो तुम दोनों..?"
जिया ने घबराते हुए पूछा..!
"सॉरी डियर तुम्हें बताना भूल गए ! हम दोनो लॉन्ग ड्राइव पर निकले हैं आबू पहुंचने वाले हैं!"
"तुम गुलशन को लेकर वापस आ जाओ खलिल..!मैंने एक बुरा ख्वाब देखा है अक्सर मेरे सपने सच हुए हैं!"
"जिया... जिया.. तुम इतना क्यो टेन्शन लेती हो... कुछ नहीं होगा हमे हम ठीक है.. ये लो गुलशन से बात करो..!
गुलशन ने फोन लेकर जिया से पूछा..!
क्यो परेशान हो बेबी..!
मैने एक बुरा ख्वाब देखा है गुलशन.. मै चाहती हु तुम लोग वापस आ जाओ..!
ठीक है हम आबू से रिटर्न लौट आयेंगे.. डॉन्ट वरी डियर..!'
गुलशन ने काल डिस्कनेक्ट कर दी थी..!
ये दोनो मेरी बात को गंभीरता से नही ले रहे है मो. अमन..!
मै बहुत परेशान हूं..! मेरा जी घबरा रहा है..!
"देखो जिया पहली बात तो होनी को कोई टाल नही सकता..!"
हम घर से अगर बाहर नही निकलेंगे फिरभी जो होना है होकर रहेगा..!
तुम टेन्शन ना लो अल्लाह से दुआ करो तूम्हारा ख्वाब सिर्फ ख्वाब ही रहे..!
अपने शोहर से बात करके वो खुद को काफी हल्का महसूस कर रही थी..!
सुबह जब वो कपडे सुखाने छत पर आई तो उस विचित्र कौए ने उसे डरा दिया .!
एक दो बार उसने कौए को भगाने की कोशिश की तो बार बार वो उसके इर्द-गिर्द मंडराता हुवा कर्कश आवाज से डराने लगा. .!
तभी उसके फोन की रिंग बजी..!
उसका ह्रदय तेजी से धडक उठा..!
कोई अशुभ आशंका से उसका मन कांपने लगा..!


"Hallo...!! "
डरते-डरते ने कॉल रिसीव की..!
" हेलो मैम.., मैं इस्पेक्टर तावड़े बोल रहा हूं आबू से..!
आबू का नाम आते ही उसका दिल धक्क से रह गया! वह कह रहा था! सड़क पर एक्सीडेंट हुई कार से यह मोबाइल मिला है !उस पर आई हुई लास्ट कॉल आपकी ही है!
लड़का बेहोश था तो उसे नजदीकी हॉस्पिटल महावीर में एडमिट कर दिया गया है!
अगर आप इन्हें जानती है तो उनके पेरेंट्स को ईतल्ला कर दो..!
"इस्पेक्टर साहब उनकी बीवी भी थी उनके साथ..?"
फिलहाल उनका कोई अतपता नही है पुलिस उसे ढूंढ रही है...!
जिया की नजर समक्ष सपने वाला वह मंजर घूमने लगा..!
खून से लथपथ चेहरे वाला वो डरावना बच्चा कब्र की मिट्टी उड़ेल रहा था! उसकी बड़ी बड़ी आंखों का सामना करने के लिए मजबूत कलेजा होना चाहिए!
इतने घने अंधेरे की जैसे उसे कुछ भी परवाह नहीं थी वह कोई आम बच्चा नहीं था..!
हेलो आप कहां खो गई..? सुन रही हो ना मैम..? उनके पेरेंट्स को जल्दी खबर कर दो..!
"Ok... Ok...! हड़बड़ा कर उसने कहा!
सामने से कॉल डिस्कनेक्ट हो गई!
जिया के पैर फूल गए ! वो छत पर ही नीचे बैठ गई!
खलील का चेहरा उसकी आंखों में तैरने लगा! उसका मन बेचैन हो गया किसी भी हालत में वह खलील से मिलना चाहती थी उसका हाल जानना चाहती थी! उसका बदन कांप उठा! सुन होकर एक- दो मिनट वो वैसे ही बैठी रही!
जब किसी को अच्छी खबर सुनानीं हो तो दिल उसके लिए अपने आप को गर्वित महसूस करता है! मगर जब किसी को बुरी खबर सुनानी है तब जी नही चाहता कि हम किसी को मनहूस खबर सूनाकर उनका दिल दुखाये..! जिया किंकर्तव्यविमूढ दशा मे थी!
सुल्तान और गुलशन की मां को खबर करनी भी जरूरी थी..!
अपने दिल पर पत्थर रखकर उसने बारी बारी से दोनो को कॉल की..!
उनके दिलो पर क्या गुजरी होगी वो समझ सकती थी!
उसने गुलशन की अम्मा को हादसे के बारे मे बताकर रेडी रहने को कह दिया.. की वो खुद वहा जा रही है और उन्हें साथ लेकर जाने वाली है..!
जियाने किसी को अपने सपने वाली बात बतानी जरूरी नही समझी..!

*****
निगाह चीखना चाहती थी, पर उसकी आवाज मुख में ही रह गई! आंखें बड़ी बड़ी होकर फटी सी रह गई!
ये अमन नहीं हो सकता..!
इस बात को समझा तब तक काफी देर हो चुकी थी..!
इस वक्त वह उसके बदन पर हावी था! उसकी निगाहों में हवस की आग धधक ने लगी..!
उसने तेजी से निगाह का कुर्ता उपर उठा लिया! उसकी गोरी पतली कमर और मख्खन जैसे पेट को देखता रहा!
वो पद्मनाभम आकार पर मुग्ध होकर मुख रखने झुका ही था की तभी
एक घटना धटी!
वो बेड पर से उछलकर नीचे कूद गया..! उसकी आंखे किसी शैतानी भेडिये से कम नही थी!
उस पर तेजाब डाला गया हो ऐसे उसका चहरा झुलस उठा!
ठीक पीछे दरवाजे पर निगाह की सास नजर आई..!
उनके हाथो में एक सुराही थी!
निगाह के मुह से कोई बोल न फूटा..!
अमन के रूपमे रहे बहरूपिये शैतान ने जैसे ही उसकी सास पर फिर से झपटना चाहा !
उन्होने सुराही एक बार फिर तेजी से घुमाकर उस में मौजुद जल को उछाल दिया...!
उबल रहे तेल मे जैसे छनाका हुवा..!
सुराही मे रहे तैली पदार्थ उपर लगते ही उसका बदन सुलग उठा तो छलावे की तरह वो गायब हो गया..!
"मां सा...! आप ठीक हो..? मन्ने लागियो शैतान थरा(आप) पर कबजो करने बैठो थो..!"
"तु होच (फिकर) ना कर छोरी.. मन्ने सब ठा (समज) पड गी थी..! जब वो मारे पर हावी होयो.. (हुअा)! पेले(पहले) तो मै कि कोनी (कुछनही) कर पाई.. पर जैसे ही वो थारे वास्ते ईधर आयो.. मारो दिमाग काम करन लाग गीया..!
"थारे बाप (ससुर) रो ईल्म आडो आयो की दोन्नो सही सलामत है..! "
"ससूर जी..?"
निगाह संभल कर अपनी सास की बगल मे बैठ गई थी!
"हा थारे.. ससूर जी.. बहोत बडे आलिम थे..! पढाई लिखाई कुछ भी नही!
फिर भी बूरी आत्माओ को परख कर उन्हें वापस भेजने मे उन्हें महारथ हासिल थी..!
बुरी मौत से मरे किसी भी शख्स की आत्मा को वापस बुला सकते थे..!
गुरूवार को किसी पीर का वो चराग जलाया करते थे!
ईस सुराही मे वही चरागी तेल मौजुद था जिसकी वजह से मैं उस दरिन्दे को भगा पाई...!
आप ऐन वक्त पर ना आती तो वो ना जाने क्या कर बैठता मेरे साथ..!
मै तो उसे अमन ही समझ बैठी थी..! "
"वो तो ठीक है छोरी पर अभी भी कुछ ठीक नही लागे मन्ने..!
यह शैतान कोई मामुली नही हो सकता.!
जरुर कोई बडी बात है..! कुछ ऐसी वारदाते होने वाली है.. जिसकी हमने कल्पना तक ना की हो...?
......... (क्रमश:)
किस ईरादे से आया था वो शैतानी बच्चा...?
जिया गुलशन की लाश को ढूंढ पायेगी..? या फिर वो गुलशन की ही लाश थी जो उसने ख्वाब मे देखी थी..!
जानने के लिए पढना न भूले वो कौन थी का अगला चेप्टर..!