preparation of third age in Hindi Magazine by r k lal books and stories PDF | तीसरी उम्र के लिए तैयारी

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तीसरी उम्र के लिए तैयारी

तीसरी उम्र के लिए तैयारी


तीसरी उम्र लगभग 55और 80 की उम्र के बीच की मानी जाती है जो आम तौर पर सेवानिवृत्ति से थोडा पहले से ही शुरू हो जाती है। अतः यह किसी व्यक्ति की एक नयी शारीरिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक सीमाओं की शुरुआत है, और बुढ़ापे से पहले और बुढ़ापे तक की अवधि है । वैसे तो इसे वयस्कता का "गोल्डन वर्ष 'माना जाता है क्योंकि इस समय अक्सर लोगों की जिम्मेदारियां पहले की तुलना में कम हों जाती हैं । मगर लापरवाही भी बढ़ जाती है फलस्वरूप जब पर्याप्त वित्तीय संसाधनों और अच्छी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, आत्म पूर्ति, की संभावनाएं कम होना असंकित होने लगता है तो व्यक्तिगत स्तर पर परिणाम गडबड हो सकता है । अक्सर उम्र बढ़ने के साथ ही नकारात्मक सहसंबंध प्रदर्शित होने लगते हैं। इस अवस्था में लोग प्रायः सभी कार्य एक विरोधाभास के रूप में धीमी गति से करने लगते हैं और सोचते हैं कि अब तो रिटायरमेंट के करीब हैं, अब क्या करना । इससे उनके जीवन कलाओं के प्रसंस्करण में गिरावट आती है, साथ ही स्वायत्त संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं का स्थिरीकरण, ज्ञान, और जीवन प्रबंधन में बाधा होने लगती है । वास्तविकता यह है कि सेवानिवृत्ति के पश्चात लोग पैसे से अमीर तो हो जाते हैं, लेकिन अक्सर बचा समय दर्द- अवकाश या बिना किसी उद्देश्य के बिताया जाता है, जो उतना ही गलत और हानिकारक है । बहुत से लोग, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिहाज से दुखी, रहने लगते हैं। इस उम्र में जीवन सुखद बनाने के लिए बहुत तैयारी एवं सूझ बूझ की जरूरत है । अगर आपने कम अवकाश ले कर नौकरी की है तो आपके खाते में बची छुट्टियों के नगदीकरण द्वारा काफी पैसा तो होगा पर बचे जीवन को सुखपूर्वक जीने की कम ही तैयारी होगी । फिर रिटायरमेंट के बाद अचानक बदली आवश्यकताओ में आपको एक झटका लग सकता है इसलिए चार- पांच साल पहले से ही तयारी शुरू कर देनी चाहिए ।
सबसे पहले तो मान लेना चाहिए कि आप की उम्र हो रही है अथवा आप बुजुर्ग हो रहें हैं इसलिए अनेक बातो में संयम बरतने की जरूरत होने लगती है। अच्छा आहार, व्यायाम और एक हंसमुख दृष्टिकोण, स्वास्थ्य की सही देखभाल , सकारात्मक दृष्टिकोण और आशावादी सोच आदि आपकी उम्र को तेजी से चुकने से रोक सकती है। इस उम्र में कुछ अधिक पैसे कमाने एवं अधिक बचत करने की भी जरुरत है क्योकि: पैसा, जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने, अच्छे स्वास्थ्य बनाये रखने और समाज - परिवार में सम्मान और सुरक्षा कमाई के लिए आवश्यक है। इसलिए आगे के लिए अधिक से अधिक बचा कर रखें ।
अभी तक आपने यदि दूसरों के लिए ही काम किया है तो अब अपने लिए (पति / पत्नी सहित ) भी जी लीजिए । अधूरे सपने पूरा करने की योजना बनाइये और धार्मिक, सामाजिक, व्यावसायिक, पर्यटन अथवा अपने विकास के कार्यों को कर डालिए । बच्चे अगर बोझ या लायबिलिटी हों तो उनकी भी अलग अलग व्यवस्था कर डालिए ताकि आगे आने वाले झंझटो से आप बच सकेँ । आगामी जरूरतों की एक सूची बना लें और उन सभी की व्यवस्था कर लीजिए । किसी पर निर्भर रहना अथवा किसी से आशा करना कहीं न कहीं दुःख का कारण बन सकता है।
बुजुर्ग लोगों की अनेक बौद्धिक जरूरतें भी प्रकट होती हैं क्योंकि सेवानिवृत्त होने के बाद उसे शिक्षा और कौशल विकास से बाहर कर दिया जाता है। तीसरी उम्र का समय सिखने –सिखाने का होता है । इस उम्र में भी कोई अनौपचारिक तरीकों से कुछ नया सीख सकता है। ई-लर्निंग, दूरस्थ शिक्षा, पत्राचार पाठ्यक्रम, टी० वी० और पत्रिकाओं का माध्यम चुना जा सकता है । आप छोटे समूह को गुरु के रूप में अनेकों बातें सिखा सकते हैं। यह कार्य आप रिटायरमेंट के बाद भी जारी रख सकते हैं । ज्योतिष, धर्म, भाषा , कंप्यूटर , प्रबंधन, सेवानिवृत्ति योजना, निवेश टिप्स, कर गणना, योग, ध्यान, आत्मरक्षा आदि उपयोगी विषय चुने जा सकते हैं ।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए उम्र बढ़ने के साथ शारीरिक परिवर्तन अधिक ध्यान देने योग्य है। हड्डियाँ अधिक भंगुर तो मांसपेशियों कमजोर हो जाती हैं । कम सुनायी देना और दृष्टि विफलता और उच्च रक्तचाप हो सकता है। नियमित स्वास्थ्य परीक्षण एवं समय से इलाज में न चूकें । आप में शारीरिक ऊर्जा का एक भंडार होना चाहिए।
भावनात्मक रूप से इस स्तर पर कई दोस्त खो जाते हैं अथवा मुश्किल से नए दोस्त बनते हैं । इसलिए लोग प्रायः उदास महसूस कर सकते हैं । आप चाहेंगे कि आप के साथ बच्चे रहें मगर अलग अकेले रहना पड़ सकता है। इसलिए आप कई मिलनसार गतिविधियाँ कर सकते हैं , सैर के लिए जा सकते हैं , कोई गेम खेल सकते हैं । ऐसा करने से आप और अधिक दोस्त बनाने में सक्षम हो जायेंगे फिर आवश्यकता पर आपके परिवार, दोस्त या पड़ोसी आपकी मदद करेंगे । आप उनके साथ और खासकर अपने जीवनसाथी के साथ एक सामंजस्यपूर्ण जीवन का आनंद लेने का प्रयास अभी से करें । इसी प्रकार एक सुगढ़ वित्तीय परिस्थितियां निर्मित करें ताकि आपके पास घरेलू बिलों, मरम्मत एवं ईलाज के लिए पर्याप्त पैसा हो । आप अपनी पसंद का खरीदने के लिए किसी पर आश्रित न हों । हम सब मूल रूप से स्वार्थी हैं, जो कुछ हम करते हैं उसके बदले में कुछ उम्मीद करते हैं। इसका भी ध्यान रखना पड़ेगा । ऐसी जगह निवास बना लें जहाँ स्थानीय दुकान, चिकित्सा और मनोरंजन सहज उपलब्ध हो ।
व्यक्तिगत चीजों के लिए तत्पर रहिये । जीवन में एक भूमिका देने के लिए आपके पास वैतनिक या अवैतनिक काम या धार्मिक या सांस्कृतिक कार्यकलाप भी हो ताकि आप समग्र और अधिक समय तक अपने जीवन का आनंद ले सकेँ ।