नितिन की एक बुरी आदत थी| उसे वही चीज़ पसंद आती जो उसकी पहुँच से थोड़ी बाहर होती थी| बचपन से ले कर जवानी तक उसनें अपने मनचले दिल को संभाले रक्खा था| कॉलेज के दिनों में कई बार इन महाशय को छोटे मोटे क्रश हुए| लेकिन मामला सेट ना हो सका और अपना हीरो आगे बढ़ गया|
एक दिन बाबूजी की तीखी फटकार सुन कर नितिन सबेरे सबेरे टहलने निकल गया| जेब में पुरे 50 रुपये नहीं थे पर रुआब किसी राजकुमार से कम नहीं था| चलते चलते महाशय एक चाय की टपरी पर रुके| चाय वाले नें फाटक से बोल दिया की उधारी बंध है, जेब में रोकड़ा है तो ही तशरीफ़ टिकाना|
चाय वाले की बात सुन कर पास के बस स्टॉप पर खड़ी 3 लड़कियां ठहाके लेते हुए हसने लगी| अपना नितिन थोड़ी देर तो आग-बबूला हो गया पर अब तो इज्ज़त का सवाल था, उसनें भी 20 का नोट टपरी वाले के मुह पर मारा और कड़क चाय का आर्डर दिया|
अब चाय की प्याली लिए टपरी वाला नितिन की और बढ़ रहा था| तभी अचानक उसका पैर गोबर पर पड़ा और वह फिसल कर गरमा-गरम चाय के साथ नितिन पर गिर पड़ा| चाय वाला तो फ़ौरन उठ खड़ा हुआ लेकिन गरम चाय थोबड़े पर गिरने से नितिन नें, जबराकू चीख पुकार मचा डाली|
बस स्टॉप पर खड़ी लड़कियों को नितिन पर दया और हंसी एक साथ आई तो, वह तीनों पानी रुमाल वगेरा ले कर नितिन की और दौड़ी| थोड़ी देर बाद नितिन लाल घोले जैसा सुझा हुआ मुह ले कर संभल गया| और लड़कियों का धन्यवाद करने लगा|
अब बस आई तो तीनों लड़कियां बस में चढ़ गयीं| नितिन के पास उन में से एक लड़की का रुमाल रह गया| अब इन महाशय को तो कुछ बहाना चाहिए था प्यार में पढने का| वह रुमाल लौटने के बहाने दौड़ कर चलती बस के पिछवाड़े लटक गए|
कुछ ही देर में वह तीनों लड़कियां बस से उतर कर अपने अपने घर जाने लगीं| नितिन बड़ी फुरती से तीन में से रुमाल वाली लड़की को चुन कर उसका घर देखने पीछे पीछे जाने लगा| थोड़ी ही देर में वह लड़की एक घर के अन्दर चली गयी|
नितिन अभी उधर तांक झाँक कर ही रहा था की, पास के एक घर से डोबर मैंन कुत्ता छलांग मार कर सामने आ धमका| चाय की जलन के बाद अब तीखे नुकीले दांत और लंबे लंबे इंजेक्शन नितिन की कुंडली में साफ़ दिख रहे थे|
रुमाल जेब में खोस कर नितिन उलटे पाँव राजधानी एक्सप्रेस की तरह भगने लगा| डोबरमैंन कुत्ता भी बड़ा ढीढ था| वह नितिन के पीछे ऐसे धीरे धीरे भाग रहा था जैसे उसे दौड़ा दौड़ा के काटना चाहता हो|
नितिन नें बस में लटक कर जितनी सवारी की थी| उसे ठीक उलट अब वह दौड़ कर चाय की टपरी तक आ पहुंचा था| उसनें मुड़ कर देखा तो पीछे कुत्ता दिख नहीं रहा था| अब थक हार कर नितिन अपने घुटने पकड़ के हाफ्ता हुआ खड़ा हो जाता है| तभी अचानक पास की झाडीओं में से वह शाणा डोबर मैंन कुत्ता फुदक के ठीक नितिन के पीछे दाई और काट लेता है| फिर वापिस लौट जाता है|
ये सब देख कर चाय की टपरी वाला दौड़ कर नितिन की मदद को आता है| वह तुरंत रिक्शा में डाल कर नितनी को अस्पताल पहुंचा देता है और उसके बाबूजी को फोन कर देता है| नितिन के बाबूजी उसे इंजेक्शन लगवा कर मरहम पट्टी करा के घर लाते हैं| तभी उन्हें नितिन की जेब से उस लड़की का रुमाल बाहर सरका हुआ नज़र आता है| एक बार फिर नितिन की तभियत से कुटाई हो जाती है|
एकाद हफ़्ता बीत गया| नितिन फिर से रुमाल वाली लड़की की खोज में चल दिया| इस बार वह कुत्ते के लिए बिस्कुट ले कर गया| उसनें देखा की लड़की के घर के पास में ही वह कुत्ता घूम रहा था| उसनें दूर से ही कुत्ते को पुचकार के बिस्कुट डालने शुरू किये|
बेचारा कुत्ता तो फटाफट बिस्कुट खाने लगा| पर उतने में उस लड़की की पडौसन (कुत्ते की मालकिन) वहां आ पहुंची| उसे लगा की नितिन उसका कुत्ता चुराने की फ़िराक में है| इसी वहम के चलते वह मोटी रफ़्तार से दौड़ी और नितिन के बाल पकड़ कर उसे ज़मीन पर दे मारा| अब वह हथनी नितिन को बालों से पकड़ कर किसी खाली बोरी की तरह यहाँ वहां बेरहमी से घसीट रही थी|
यह सब देख कर उसका खूंखार कुत्ता भी घभरा गया और अपनी शेल्टर में जा कर ज़ोर ज़ोर से भोंकने लगा| जैसे की वह अपनी मालकिन से गुहार लगा रहा हों की डायन छोड़ दें ये गरीब मर जायेगा|
अब चीख पुकार सुन कर वह रुमाल वाली लड़की बाहर आ जाती है| वह तुरंत नितिन को पहचान लेती है| फिर वह बीच बचाव करते हुए बोलती है की आंटी छोड़ो इसे यह चोर नहीं है|
अंत में खुद के कपडे फड़वा कर बाल नौच्वा कर नितिन उस मोटी के चंगुल से छुट जाता है| वह लड़की अपने घर से पानी ला कर बोखलाए हुए नितिन को देती है| फिर वह पूछती है की नितिन वहां क्यूँ आया था|
थोड़ी देर नितिन उस लड़की को ताकता रहता है और फिर जेब से उसका रुमाल निकाल कर उसे वापिस करने लगता है| लड़की मुस्कुराते हुए रुमाल ले कर घर की और मुड़ने लगती है| तभी अचानक वह लड़की चिल्ला उठती है| और फुदक कर बड़े बड़े दो तीन पत्थर उठा कर नितिन की और दागने लगती है|
अब अपना हीरो एक बार फिर फुरती से घर की और दौड़ने को मजबूर हो जाता है| चूँकि इन भायसाहब नें रुमाल में अपने प्यार का इज़हार कर डाला था| और यह बात उस रुमाल वाली को बुरी तरह चुभ गयी थी| ऊपर से इन भाई साहब नें रुमाल में अपना नंबर भी लिख डाला था|
इस घटना के बाद रात के 3 बझे रुमाल वाली लड़की के 2 मुश्टंडे भाई नितिन को उसके घर से उठवा लेते हैं| और अच्छे से उसे समझा देते हैं की उसे लड़की के आसपास भी नहीं भटकना है| नितिन अब सबक सिख चूका था|
वह उस लड़की से प्यार करता था| उसनें अपने तरीके से प्यार का इज़हार भी किया| पर शायद उस लड़की की पसंद कहीं और थी| या फिर उसे इंटरेस्ट नहीं था|
खुद की बुरी किस्मत मान कर नितिन नें मन मना लिया| कुछ दिन वह उदास भी रहा| ऐसे दिन बीतने लगे| फिर एक दिन अचानक उसे वह लड़की किसी लड़के के साथ बाइक में घुमती नज़र आई|
लड़का पैसे वाला दिख रहा था| रुमाल वाली भी बहुत खुश दिख रही थी| यह सब देख नितिन की आँख में आंसू आ गए| वह जिज्ञासा से भर गया और उन दोनों का पीछा करने लगा| ताकि उसे पता चल सके की उसमें ऐसी क्या कमी थी जो वह लड़की का दिल जित ना सका|
वह जोड़ा अब किसी रेस्टोरेंट में गया| दोनों नें खाना आर्डर किया| लड़की बड़े बड़े निवाले खा रही थी| तभी उस लड़के नें उसे टोका और कहा की लोग देख रहे हैं| कैसे खा रही हो| छोटे निवाले खाओ| यह देख नितिन सोच में पड़ गया|
अब दोनों खाना खा चुके थे| तभी रुमाल वाली लड़की का कोई कोलेज फ्रेंड वहां मिला| वह उस से बात करने लगी तो उसके साथ आये लड़के को अच्छा नहीं लगा| उस लड़के के जाते ही वह रुमाल वाली लड़की को डांटने लगा और बोला की शादी के बाद यह सब नही चलेगा| यानि पराये मर्दों से बातें बंद| नितिन छुप कर यह सब सुन रहा था|
कुछ ही देर में दोनों रुमाल वाली लड़की के घर के पास जा पहुंचे| नितनी भी पीछा करता वहां जा पहुंचा| शायद उन दोनों की सगाई होने वाली थी| अब वह लड़का फिर एक बार रुमाल वाली को टोकने लगा की, कपड़ों का ढंग बदल दो ये छोटे छोटे कपडे अच्छे नहीं लगते|
फिर जाते जाते वह लड़का बोला की हमें कुछ ज्यादा उम्मीद नहीं है पर बारात अच्छे से संभाल लेना यह अपने पापा को बोल देना| यह सब सुन कर नितिन दंग रह गया|
उस लड़के के जाने के बाद रुमाल वाली अपने घर के अन्दर जाने लगी तो नितिन तुरंत झाड़ी से बाहर आया और उसनें लड़की को पुकारा| अब दोनों के बीच क्या बात हुई वह पढ़िए...
नितिन: हाय
रुमाल वाली : तुम यहाँ? तुम्हें शर्म नहीं आती अब भी मेरा पीछा नहीं छोड़ रहे|
नितिन: प्यार करता था इस लिए पता करने चला आया| घबराओ मत आज के बाद शक्ल नहीं दिखाऊंगा|
रुमाल वाली: अच्छा है| अब जाओ अपने रस्ते|
नितिन: जाने से पहले एक सवाल, तुमनें लड़का चुना तो देखा क्या उसमें?
रुमाल वाली : दीखता हेंडसम है| कमाता अच्छा है| घर है उसके पास, समाज में इज्ज़त है|
नितिन: आज अच्छा दिखने वाला कल उसके अपने बाप जैसा बदसूरत कमज़ोर बुड्ढा बन जायेगा| रही बात कमाई की तो, एक इन्सान थाली भर खा पाता है| मरने के बाद एक ढेला साथ ऊपर नहीं ले जा सकता है| अब रही बात इज्ज़त की तो, पैसों से अगर इज्ज़त बन सकती तो दुनियाँ भर के ठग और राजनेता इज्ज़तदार होते|
रुमाल वाली: (कोई शब्द नहीं बोल पाती है)
नितिन: करीब 2 घंटे से तुम दोनों के पीछे लगा था| तुम लोगों की सारी बातें सुनी| तुम शायद लड़का देख कर नहीं पर अपनी सिक्योरिटी देख कर रिश्ता जोड़ने जा रही हो| जो बताना है एक बार बोलूँगा समझ आये तो तुमारा नसीब वरना राम राम....
· जिस बंगले पर बहु बन कर जा रही हो वहीँ झाड़ू कटका करती नज़र आओगी|
· शादी के बाद अगर शरीर बढ़ गया तो बात बात पर बेयज़त होती दिखोगी|
· बिना पगार की आया और नौकरानी भी बनोगी|
· माँ-बाप से मिलना, मन का खाना खाना घूमना फिरना यह सब पूछ पूछ कर करना होगा|
· पति को पूछे बिना कहीं आ जा नहीं सकोगी| नाही अपने दिल की कर सकोगी|
· जिस गाड़ी में घूमनें के सपने सजाये हैं उसमें दूसरी लड़कियों के सेंडल और झुमके ढूंढती फिरोगी|
· समाज में इज्ज़त की बात करती हो ना, मुझे नहीं दीखता की यह बंदा तुम्हे समाज से मिलने-जुलने भी देगा|
· अपनी छोटी छोटी ज़रूरतें पूरी करने के लिए भिखारन की तरह हाथ फैलाती नज़र आओगी|
· बुढ़ापे तक अनगिनत बिमारिओं से घिर कर किसी बड़े से कमरे में अपनी एक गलती पर शायद पश्ता पश्ता कर मरोगी|
रुमाल वाली: प्यार में हार मिलने पर मुझे बद्द्दुआ दे रहे हों?
नितिन: बिलकुल नहीं| पिछले दो घंटों में उस लड़के का तुम्हारे साथ सुलूक देख कर तुम्हारा संभवित भविष्य बता रहा हूँ| मेरा प्यार मेरी परेशानी, तुम्हे में पसंद नहीं तुम्हारी मर्ज़ी, बस तुमको खड्डे में गिरती देख कर रहा नहीं गया इस लिए आगाह करने चला आया|
अंत
इतना बोल कर नितिन अपने घर की और चल देता है| रुमाल वाली लड़की सोचते हुए अपने घर के अन्दर चली जाती है| नितिन का मन अब प्यार से उठ चूका होता है| लड़के वालों की बढती डिमांड देख कर और लड़के का सनकी बरताव देख कर, रुमाल वाली लड़की रिश्ता मना कर देती है| करीब 6 महीने गुज़र जाते हैं|
एक बार फिर नितिन चाय की टपरी वाले से माथापच्ची कर रहा होता है तभी रुमाल वाली लड़की उसके पास आ कर बैठ जाती है| नितिन उठ कर वहां से चलने लगता है तो रुमाल वाली लड़की उसका हाथ पकड़ लेती है और बोलती है, अब कुछ काम-धाम करते हो या शादी के बाद खाना पकाना और कमाना मुझे एक साथ करना पड़ेगा?
नितिन की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है वह तुरंत रुमाल वाली लड़की को गले लगा लेता है| और फिर अगले एक साल में नितिन की नौकरी लगते ही दोनों कम खर्चे में शादी कर लेते हैं|
शादी के बाद
घर में क्या पकेगा यह नितिनी की बीवी (रुमाल वाली) तय करती है| बाहर घुमने कहाँ जाना है यह भी वही बताती है| बच्चे हुए तब वह कौनसी स्कूल में पढेंगे यह भी नितिनी की बीवी तय करेगी| घर पर पैंट कौनसा लगेगा, बचत कैसे करनी है| घर में पूजा कब रखनी है, यह सब छोटी बड़ी बातें रुमाल वाली बहु के मत अनुसार होता है|
सिख –
इस हास्य कथा में बहुत बड़ी सिख छुपी है| पैसा जीवन में बहुत ज़रूरी है| लेकिन इस से भी ज्यादा ज़रूरी है की आप जिस घर में जा रहे हैं वहां आप की इज्ज़त है? आप की ज़रूरत है? आप का सम्मान है? कई बार पैसे और दौलत की चमक के पीछे छुपा घोर अँधेरा हमें नज़र नहीं आता है| इसी बात को उजागर करने के लिए हमने यह छोटी सी कहानी गढ़ी है| व्यक्ति का व्यवहार अगर बार बार आप को बदलने की मांग करे तो समझ जाओ की रोंग नंबर है| समाप्त|