#_चिराग_की_मंज़िल__By_SJT
आज चिराग बहुत ही खुश था , जैसे ज़िन्दगी में पहली बार ख़ुशी हासिल हुई हो , ख़ुशी से फूला नहीं समा रहा था ।
बात आज से 6 साल पहले की है ,
जब चिराग घर छोड़ कर अपने सपनों को साकार करने मुंबई आ गया था । उसका एक ही सपना था फिल्मों के लिए गीत लिखना और अच्छा लेखक बनना ।
घर की मुश्किलों से घिरा चिराग हमेशा ख़ुद को अकेला और दोस्तों रिश्तेदारों से दूर रखता था ।
घर की स्थिति ठीक न होने की वजह से उसने 10th तक ही पढ़ पाया , इच्छा तो और थी आगे पढ़ने की पर कभी वो हलातो से लड़ता रहा , कभी हालात उसे लड़ाते रहे ।
उसके मन में डर बैठ गया था , आज के इस ज़माने में जहां लोग पूरी पढ़ाई करके खाली बैठे रहते हैं , और उसने तो इस हिसाब से कुछ भी पढ़ाई नहीं की , यही सोच ही रहा था कि अचानक उसे ये बात याद आ गई कि -
' कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती '
उसने छोटी सी नौकरी पकड़ ली , जिससे उसका खाने का खर्चा चलने लगा , रहने के लिए शेठ जी के भंडार घर में अपना एक कोने बिस्तर जमा लिया ।
एक साल पूरे होने को है , पर उसका सपना वही का वही खड़ा था ।
एक दिन अचानक सेठ जी भंडार घर की सफ़ाई करने को नौकरों को आदेश देते हैं ।
दुर्भाग्यवश उसी दिन चिराग अपनी मंज़िल की तलाश के लिए बाहर गया रहता है ,
वापस जब आता है उसका सारा सामान बिखरा पड़ा रहता है ,
उसने सब कुछ छोड़ कर अपने थैले कि तरफ बढ़ता है ,
जिसमें उसने अपने गीतों को सहेजे था ।
पर गीतों के काग़ज़ को न पाकर हताश बैठ जाता है ,
मानो उसकी ज़िन्दगी की सौदा कर लिया हो किसी ने ,
अचानक से उसके कंधे पे हाथ रखता है कोई ,
अरे ! सेठ जी आप , मैं तो आपके ही पास आने वाला था।
इतना चिराग ने कहा ही था कि सेठ जी बोल पड़े गीत अच्छे लिख लेते हो ।
चिराग के मन में लहर सी उठी हो इतना सुनकर , उसने फ़िर से पूछा सेठ जी सच क्या सच में वह पसंद आए ?
मुस्कुराते हुए सेठ जी ने कहा , अरे हां भाई तुमसे मजाक थोड़ी करूंगा ।
चिराग का मन जैसे खुले आसमान में हवा के जैसे झूम रहा था , घर छोड़ने के बाद से आज पहली बार इतना ख़ुश था,
उसने सोचा जब सेठ जी को गीत अच्छे लगे तो क्यों न मैं सेठ जी से मदद मांगू ।
उसने सेठ जी से अपने दिल की सारी बात बतला दी ,
सेठ जी के पहचान के कारण उसे एक मौका मिला ,
चिराग अच्छे से यह बात जनता था कि अगर यह मौका गवाया तो , फिर इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा ।
इसी लिए उसने अच्छे से तैयारी कर ली थी , अब उसे इन्तजार था अपनी मेहनत और लगन से किए काम का ,
जिसका आज परिणाम आने वाला था ।
घबराहट तो बहुत हो रही थी , पर सकारात्मक विचारों से ख़ुद को मजबूत किए था ,
उसने बहुत कम समय में 4 फिल्मों के गाने लिखे थे , जिसका उसे बेसब्री से इन्तजार था , की कब उसका नाम लेकर बुलाएंगे स्टेज पर , और ट्रॉफ़ी देकर सब तालियां बजाएंगे ।
यही सब सोच रहा था , की अचानक से एक चिल्लाने की आवाज़ सुनाई पड़ी , अरे तुम बहरे हो गए हो क्या ,
सेठ जी ने डांटते हुए कहा , और इतना पसीना क्यों आ रहा है , सेठ जी ने पूछा ।
अच्छा ये सब छोड़ो कबसे तुम्हारा नाम लेकर बुला रहे हैं
स्टेज में , जाओ तुम्हारा सपना पूरा हो गया ।
? कहानी का सार -
मेहनत , और लगन से लोग अपनी मंज़िल पा लेते हैं ?
लेखक - Jeetesh Tiwari SJT
Mo. 91 8655307271