-: तीली का राज :-
शर्माजी it seems we are forgetting something..
शर्माजी ऐसे कैसे हो सकता ? ? मैंने अपने जीवन में कई तरह के केस साॅल्व किए हैं मसलन् .... चोरी, डकैती, हत्या , रेप
लेकिन हर बार अपराधी ने कुछ न कुछ सबूत तो छोड़ा ही है ।
*_( सिगरेट को ऐस्ट्रे में घिस कर विक्रांत शुक्ला ने अपने ही नाम राशि विक्रांत शर्मा से पूछा )_*
Sharma:- शुक्लाजी आपकी तसल्ली के लिए कम से कम दस बार से ज्य़ादा सिपाहियों से और हम खुद भी कमरे की गहरी तलाशी ले चुके हैं । और अब भी यहीं इसी कमरे में खड़े हैं ।
Shukla:- देखो शर्मा टेबल पर रखे हुए गिलास , और खाने के बर्तन से तो साफ पता चलता है कि, कातिल कोई परिचित ही है उसने इस टेबल पर खाना खाया .... व्हिस्की पी और वकील साहब को ख़त्म कर के चला गया । कोई फिंगर प्रिंट नहीं कुछ नहीं.... how is it possible ? ?
Sharma:- यस.. और सर फिर यह जानना और भी मुश्किल है
कि कौन आया ? कौन नहीं ?
क्योंकि वकील साहब से मिलने बहुत लोग आया करते ।
और वे सभी के साथ बैठ जाया करते थे । उनके पास बहुत लोगों के केस रहते थे .... लेकिन सर यह बात तो क्लियर है कि .... परिचित कोई नया नहीं है क्योंकि इतनी महंगी शराब वो किसी ऐरे गैर के साथ बैठ कर तो पियेंगे नहीं ।
Shukla :- My brain is not working at all.... i am totally disturbed. ... लाओ सिगरेट दो ।
Sharma:- सर बीवी का बर्थडे है क्या करूं ?? फोन आ रहा है, घर पर लोग वेट कर रहे हैं ।
Shukla:- अरे ठहरो यार तुम्हें बीवी के बर्ड की पड़ी है, पूरे शहर में हमारा नाम ख़राब हो जाएगा और ऐजेंसी बंद करनी पड़ेगी, अगर इन तीन दिनों में मामला निपटा नहीं ।
Sharma:- एक मिनट .... एक मिनट । शुक्ला जी ज़रा यहाँ आएँ तो ..... ये दरार देख रहे हो चींटीयो की कतार ।
Shukla:- अब इससे क्या होगा ?
Sharma:- सर आपके पास कोई आलपिन है ?...
Shukla:- हवलदार.... एक एक आलपिन ले आओ जल्दी से । *_( थोड़ी देर बाद लेकर आता है )_*
Shrma:- ये देखो .... सर निकल गई ।
Shukla:- अब इससे क्या होगा ?
Shrma:- शुक्लाजी आपको याद है ?.... जब हम इन्वेस्टिगेशन के लिए उनके पुराने परिचित वकील साथियों से मिलने गए थे .....
Shukla:- हाँ तो ? what's matter ??
Sharma :- मैंने किसी की टेबल पर एस्ट्रे में ऐसी ही तीलीयाँ पड़ी देखी थी ।
Shukla:- हाँ होती होगी ... क्योंकि हर कोई लाइटर जलाकर सिगरेट य बीड़ी नहीं पीता ।
Sharma:- शुक्लाजी इस तीली से किसी ने कान खुजाया है .... क्योंकि कोई सिगरेट जलाएगा तो तीली भी तो माचिस पर जाएगा न ?
और किसी ने यूज़ करके जल्दी में गिरा दी .... फिर चींटी उसे दरार तक ले गई होगी ।
Shukla:- ओ.... यस... यस ।
यू आर राइट । हमें एक बार फिर इनके ऑफिस चल कर जाँच करनी चाहिए ।
*_(दोनों मृतक वकील के ऑफिस जाते हैं....)_*
शुक्ला :- अरे ! .... सभी कहाँ चले गए ??
शर्मा :- लंच टाइम है .... कोई कैंटीन में है , तो कोई केबिन में ।
वेट करते हैं ...... य किसी से पूछ लिया जाए ?
शुक्ला :- वेट... अच्छा तुम्हें ठीक से याद है , उस दिन हम कौन से केबिन में गए थे ? क्योंकि इतनी बड़ी बिल्डिंग में यह सब आसान नहीं होगा ।
शर्मा :- टेबल पर काँच की एक प्लेट के नीचे कुछ कार्टून सा बना था ..... चार्ली चैप्लिन का शायद ।
और केबिन के बाहर .... धुंधले अक्षरों में चौहान लिखा था ।
शुक्ला :- चलो पता करते हैं ,
_*( देर तक पूछते - पूछते .... एक केबिन* *में जाते हैं )*_
शर्मा :- शुक्लाजी यही है वो केबिन
Shukla:- .?. are you sure? ?
Sharma:- हाँ - हाँ पक्का
*_(दोनों अंदर जाते हैं , जहाँ एक पतला सा व्यक्ति फाइल पर कुछ लिख रहा था । )_*
शुक्ला :- चौहान जी.... हम बैठ सकते हैं ?
चौहान :- हाँ... हाँ , क्यों नहीं बैठो - बैठो कहिए.... कुछ पता चला शेट्टी जी के कातिलों का ??
*_(दोनों एक साथ Thanks ..... )_*
Shukla :- *_( ऐस्ट्रे पर नज़र डालते हुए जो बिल्कुल खाली था... सिर्फ एक मुड़ी हुई सिगरेट पड़ी थी )_* हाँ अभी तो कुछ नहीं ... बस लगे हैं .... अच्छा चौहान जी , आप लगभग कितने समय से जानते थे ? शेट्टी साहब को ?
चौहान:- यही कोई विगत सात आठ वर्षों से..... हमारे वरिष्ठ भी थे , और प्रसिद्धि तो यथासंभव किसी से छुपी नहीं है । सभी परिचित ही थे उनसे । आप पहले भी पूछताछ कर चुके हैं मुझसे ..... आज कुछ खास वजह ?? चाय -काॅफी .... कुछ लेंगे ??
शुक्ला जी :- हंह... हाँ मंगवा लीजिए , चाय के दीवाने तो हमारे शर्माजी भी हैं ।
शर्मा:- हाँ बस ज़रा सा ।
शुक्लाजी :- हाँ तो चौहानजी ... शर्माजी ज़रा वो पैकेट इन्हें दिखाइए *_( पैकेट के अंदर तीली दिखाते हुए )_*.... चौहान जी आपको कुछ जानकारी है कि, आपके केबिन के आसपास य कोई परिचित हो जिसे कान खुजाने की आदत हो ??...
*_(कुछ देर चौहान, हाथ में उस बंद पैकेट को पलट कर वापस देता है)_*
चौहान :- जी नहीं ... हमारी दृष्टि में तो ऐसा कोई भी नहीं ।
शुक्ला :- अच्छा जी चलते हैं , ज़रूरत हुई तो फिर आएंगे ।
चौहान :- जी अच्छा ।
शर्मा :- सर मैं चाय नहीं पीता आपने जबर्दस्ती पिलवा दी । क्या लगता है... वैसे ?
शुक्ला :- अरे शर्मा चाय पीने में टाइम लेना चाहिए , इस बीच हमे बहुत सी जानकारी लेने का समय मिल जाता है .... यही हिन्दुस्तानी राज है । देर नहीं करते हैं.... इसके घर चलो ।
*_( दोनों चौहान के घर पहुंचते हैं )_*
शर्मा :- नमस्ते भाभीजी... हम P.D.V.B से आए हैं ।
चौहानजी के दोस्त ही समझ लीजिए । हम उनके करीबी शेट्टी साहब के बारे में जानकारी लेने आए हैं ।
महिला :- अभी तो वो कचहरी गए हैं ।
शुक्ला :- Don't worry घबराइए नसीं.... बस उन्हीं से मिलकर आ रहे हैं , माफ कीजिए .. बस दस मिनट का समय लेंगे ।
महिला :- जी आइए ।
शुक्ला :- भाभाजी आप बस शर्माजी के लिए एक कप चाय बना लीजिए .. चौहानजी का कमरा कौनसा है ?
महिला :- हाँ .. हाँ क्यों नहीं.... वो उधर ।
*_( अंदर किचन में जाती है )_*
शुक्ला :- शर्मा तुम जल्दी से इनका डस्टबिन चैक करो ,
मैं इसके कमरे में देखता हूँ ।
शर्मा :- सर क्या ! डस्टबिन ??
शुक्ला :- विक्रांत भाइ देर मत करो... टाइम कम है hurry up दोनों का नाम ख़राब होगा same name . हमारे काम की चीज़ें अक्सर डस्टबिन में ही मिलती हैं । निशिता वाला केस याद है.. ब्रा और सैनेटरी पैड ने वो केस सुलझाया था ....Please go .
_*(कुछ देर बाद शुक्ला कमरे से खाली हाथ बाहर लौटता है ?? )*_
शुक्ला :- मुझे तो कुछ नहीं मिला
शर्मा :- और मुझे ये पुरानी ब्रा .... और सिगरेट के टुकड़े ... सर मेरा तो दम घुट गया ये उलट - पलट कर । ओफ्फो.... सर मैं तो हाथ धुलकर आता हूँ ।
*_( शर्मा बाथरूम में जाता है ...... देखता है अंगरेजी ट्वाइलेट के पास कुछ तीलियाँ पड़ी हैं , नाक बंद कर शैंपू के पैकेट की मदद से उठाता है.... दौड़ कर आता है )_*
शर्मा :- सर लगता है अपना काम हो गया । एक भी तीली जलाई नहीं गई है सर ।
शुक्ला :- good good.... very good . भाभीजी से कहो एक चम्मच शक्कर , एक्स्ट्रा रखना ।
शर्मा :- आह.... चलो छुटकारा मिला केस से ।
*_( बहुत दिन तक लंबी पूछताछ के बाद वकील सत्येंद्र चौहान अपना गुनाह कबूल कर लेता है )_*
सत्येन्द्र :- मुझे जलन होती थी, सारे केस पहले मैं देखता था ।
लेकिन जब से मैंने शेट्टी की वाह वाही सुनीं मुझसे रहा नहीं गया
शुक्ला :- और तुमने टेलीफोन की वायर से शेट्टी साहब को... ।
सत्येन्द्र :- लेकिन उस दिन देर तक बैठने के बाद मैंने गलती से तीली को कान पर लगाया .... वर्ना मैं कभी पकड़ा नहीं जाता ।
शर्मा :- भूल है ये ... कि गुनाहगार ये सोचता है कि, वो कभी पकड़ा नहीं जाएगा ।
शुक्ला :- अब अपने बुरे दिनों की गिनती करो ।
क्या फायदा हुआ ?? ये सब करके अब पछताओ ।
64☆15
*ये कहानी बहुत लंबी और दिलचस्प है , 20-14-15 में लिखी थी । लेकिन किसी कारण यहाँ Short करनी पड़ी*
✍By:- Surya Rawat
surya.blogpost.com