Samjhota in Hindi Short Stories by Rajesh Maheshwari books and stories PDF | समझौता...

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समझौता

राम सिंह एक गरीब व्यक्ति था जो कि शहर के पिछडे इलाके में अपने एक पुत्र महेश और पुत्री प्रियंका के साथ रहता था। वह दिन भर मेहनत, मजदूरी करके किसी तरह अपने परिवार का लालन पालन कर रहा था। उसकी पत्नी का देहांत कई वर्ष पूर्व हो गया था और वह अपने बच्चों को माँ का प्यार और पिता का स्नेह दोनो दे रहा था। वक्त के साथ साथ अब उसके दोनों बच्चे व्यस्क हो गये थे। उसकी बेटी का रिश्ता एक कुलीन परिवार में उसकी सुंदरता एवं गुणों के कारण हो गया था। रामसिंह का दुर्भाग्य था कि उसका लडका महेश अचानक ही बीमार हो गया और उसकी चिकित्सा हेतु आपरेशन की आवश्यकता थी जिसमें लगभग पाँच लाख का खर्च संभावित था। रामसिंह की आर्थिक स्थिति ऐसी नही थी कि वह यह खर्च एक साथ वहन कर सके और वह इस चिंता में मानसिक रूप से बहुत परेशान व दुखी था और इसी उधेडबुन में एक रात बिस्तर पर लेटा लेटा करवटें बदल रहा था।

रात के तीसरे पहर अचानक ही तेज आवाज आयी और उसने देखा कि एक वाहन चालक ने असावधानीपूर्वक गाडी चलाते हुए उसके पडोसी के ऊपर गाडी चढा दी है जो कि गहरी निद्रा में घर के बाहर गरमी के दिनों में विश्राम कर रहा था। इसके पहले के लोग जागकर उसका वाहन रोक पाते वह गाडी को पीछे करके तुरंत भाग गया। रामसिंह जाग रहा था और उसने गाडी का नंबर देख लिया था। इस दुर्घटना के कारण पडोसी शिवपाल का आकस्मिक निधन हो गया था। उसके परिवार में उसकी एक बच्ची और पत्नी थी और उनकी आय का कोई भी दूसरा साधन नही था। रामसिंह ने पुलिस एवं जाँच अधिकारियों को गाडी का नंबर बता दिया जिससे वाहन चालक को गिरफ्तार कर लिया गया।

वह एक अमीर परिवार का व्यक्ति था और देर रात क्लब से अत्याधिक शराब पीकर अपने घर जा रहा था तभी रास्ते में उसकी गाडी बहकने से यह दुखद दुर्धटना घटित हुयी थी। वह एक दिन रामसिंह से मिलने उसके घर पर आया और बडी विनम्रता से उसने निवेदन किया कि भाई साहब आपकी गवाही से मुझे जेल हो जायेगी। जो दुर्घटना हो गयी उसका मुझे भी अत्यंत दुख है। मेरे जेल जाने से आपको कोई लाभ नही होगा मुझे यहाँ आपके घर आने के पूर्व यह जानकारी प्राप्त हुई कि आपकी बेटी का विवाह संपन्न होने जा रहा है और आपका बेटा भी गंभीर रूप से बीमार है जिसके आपरेशन के लिये आपको पाँच लाख रूपयों की तुरंत आवश्यकता है अन्यथा उसके जीवन को खतरा हो सकता है। मैं आपको एक व्यवहारिक सलाह दे रहा हूँ। मेरे बैग में दस लाख रूपये रखे है इसे मैं आपको दे रहा हूँ इससे आपकी समस्याओं का निदान हो जायेगा। मुझे मालूम है कि आप बहुत ईमानदार, चरित्रवान, नेक एवं सिद्धांतवादी व्यक्ति है। आप मेरी बात का गंभीरता पूर्वक चिंतन और मनन कीजियेगा और यदि आपकों यह स्वीकार ना हो तो कल सुबह मैं इसे वापिस ले जाऊँगा। इतना कहकर वह कुटिल मुसकान के साथ वापिस चला गया।

अब रामसिंह गहन चिंतन में खो गया कि एक ओर उसके परिवार की खुशियाँ थी और दूसरी ओर उसकी सिद्धांतवादिता दाँव पर लगी थीं। वह रात भर सोचता रहा और इस सुबह होने तक इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि आवश्यकता और परिस्थितयों के आगे वह मजबूर है और उसने अपनी आत्मा की आवाज के विपरीत दस लाख रूपये स्वीकार कर लिये और न्यायालय में अपनी गवाही पलट दी जिससे वह अमीर व्यक्ति बरी हो गया। रामसिंह की बेटी की शादी बडी धूमधाम से संपन्न हो गयी और उसके बेटे की चिकित्सा भी सहज रूप में होकर वह ठीक हो गया।

रामसिंह के मन में यह बात हमेशा चुभती रहती थी कि उसके कारण एक दोषी व्यक्ति रिहा हो गया और एक गरीब परिवार विपत्तियों में उलझ गया। वह इस अपराधबोध से विचलित होकर इसके प्रायश्चित हेतु आत्महत्या करने का मन बना लेता है। जब वह इस हेतु नदी के किनारे पहुँचता है तभी उसके मन में यह भावना आती है कि उसकी मृत्यु से उसका यह पाप नही धुलेगा और उस पीडित परिवार की विपत्तियाँ भी कम नही होंगी।

उस परिवार की मदद हेतु वह आत्महत्या का विचार त्यागकर वापिस आकर मंदिर में प्रभु की आराधना करके वहीं पर साधु बनकर रहने लगता है। उसे जो भी दक्षिणा के रूप में धन प्राप्त होता है उसे वह प्रतिदिन महेश के परिवार को देकर उनका सहारा बनकर उसकी बच्ची की शिक्षा पूरी करते हुये परिवार के लालन पालन की जवाबदारी अपने कंधो पर ले लेता है। समय की गति बहुत तेज होती है और बच्ची के बडी हो जाने पर उसके लिये सुयोग्य वर की खोज करके उसका विवाह भी संपन्न करवाता है। अब रामसिंह के मन में विचार आता है कि जीवन में उसका कर्तव्य पूरा हो गया है और एक दिन वह सभी परिवार जनों और मित्रगणों से मिलकर उन सभी के सुखी जीवन की कामना करके एक रात मंदिर से ना जाने कहाँ चला जाता है और फिर कभी वापिस नही आता।