Night of Afternoon in Hindi Short Stories by Harsh Bhatt books and stories PDF | दोपहर की रात - हर्निल

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दोपहर की रात - हर्निल

       आज फिर में उसके घर के सामने की छत पर खड़ा हूँ पर वो वहां नही है। दिल में एक अजब सी परेशानी दौड़ गई कि जैसे  मेने   फिर से कुछ खो दिया हो...
      

  बात उन दिनों की है   जब वो उसके घर की छत से मुझे हाथ हिला दिया करती थी और में था वज्र जैसे कठोर दिल का की उसके हाथ हिलाने को अनदेखा करके मुह मोड़ लिया करता था...
          

हम एक ही कक्षा में पढ़ते थे, वो खुले दिल की ओर में खुद में खोया खोया  रहने वाला..

हर्निल रोज मुझे प्यार से हरि ऐसा हुआ हरि वैसा हुआ करके मुझसे बात करने  का प्रयास करती पर में उसे अनदेखा कर देता। में हर वक्त उससे दूर भागता फिरता , फिर भी में उसकी झपट में कही न कही आ जाता,
पर कहते है ना

"आप जिससे दूर भागने का प्रयास करो उसको ऊपरवाला आपके सर पे मार देता है और जिसके आप पास जाने की कोशिश करो उसको आपसे छीन लेता है "
ठीक ऐसा ही हुआ क्लास में नए क्लास टीचर की एंट्री हुई और सारी बैठक व्यवस्था में परिवर्तन आ गया, मुझे जिस बात का डर था वही हुआ हर्निल ओर मेरा एक ही बेंच पे बैठने की व्यवस्था हुई, इस बात का मेने क्लास टीचर से ये कहके विरोध किया कि वो बहुत बोलती है और मुझे उसकी बातों में कोई इंट्रेस्ट  नही है तो कृपयाआप मेरी जगह बदला दे ।

टीचर  तपाक से जवाब देते बोले की " ये तो बहुत ही अच्छी बात है कि तुम को कोई इंट्रेस्ट नही है उसे बोलने देना दो दिन में थक जायेंगी बाद में बोलना कम कर देगी।"
टीचर ने मेरी एक न सुनी और मुझे हर्निल की बगल में बैठना पड़ा।

हर्निल टीचर से मुझे बात करके सामने से आता देख थोड़ा मंद मुश्कुरा के बोली "हो गयी तसल्ली ? में तो तेरे सर पर ही हू जैसे विक्रम के सर पर वेताल"
दिन गुझरते गए मुझे उसकी बातों में पहले कोई इंट्रेस्ट न था । फिर इंट्रेस्ट न होने का दिखावा कर के उसकी बातों को ध्यान से सुनता था । एक दिन वो धीरे से बातों बातों में बोल गई कि "अगर में मर जाऊ तो ?" ये सुन कर मेरे होश उड़ गए और मैने बड़े विचित्र अंदाज़ में कहा "क्या अनाप-शनाप बक रही हो! होश में तो हो न?"

वो  ठहाको के साथ हँसते हुए बोली कि "पहले तो मेरी बातों को अनसुना कर देते थे मेरी कोई परवाह नही थी आज अचानक मेरी परवाह कैसे हो गई?"
मेने कहा तुम  मुझसे ऐसे उलुजुलुल प्रश्न मत पूछना वरना में तुमसे कभी बात नही करूँगा"

उसने मुस्कुराते थोड़े प्यारे अंदाज़ में कहा मेरी इतनी परवाह कैसे करने लगे मैने तो ऐसे ही कह दिया था।
चलो ठीक है अब कभी भी ऐसा नही कहूंगी माफ कर दो..
मेने मुश्कुरा दिया..

थोड़े दिन बीते हमारा 12 वी कक्षा का रिजल्ट आ गया । वो अच्छे नंबर प्राप्त कर के नामांकित कॉलेज में दाखिला ले लिया । वो हमारे नगर को छोड़ कर शहर में चली गई...
बाद में मिलना जुलना कम हो गया

थोड़े समय के भीतर मुझे महसूस हुआ कि में मुझमे कुछ खाली खाली महसूस कर रहा हूँ....
क्या है वो?

मुझे बाद में पता चला की सिर्फ मुझे ही ऐसा अनुभव हुआ है या उसे भी?
मेने तुरंत फोन निकाल के उसको कॉल किया

क्रमश: