Natu ko divali ne diya bis hajar ka jatka joro se. in Hindi Comedy stories by harshad solanki books and stories PDF | नतू को दीवाली ने दिया बीस हज़ार का जटका जोरों से.

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नतू को दीवाली ने दिया बीस हज़ार का जटका जोरों से.

हर साल की भांती इस साल भी “बांकीचाल” में दीवाली की तैयारी बड़े जोर शोर से हुई थी. सब ने अपने अपने घरों को बड़े शानोसोकत से सजाया था. बड़ी जल्दी सुबह से महिलाएं एवं बच्चे घर आँगन में रंगोली सजाने निकल पड़ते थे. बच्चों के द्वारा अपने घर की रंगोली को दूसरों की रंगोली से बेहतर दिखाने के चक्कर में दूसरों के घर की रंगोली बिगाड़ने की शरारतें भी होती थी. इस पर कई बार बच्चों में एक दूसरे के साथ मुंहलगाई और मारपीताई भी होती रहती थी. कई बार मामला बड़ो तक भी पहुंचता, और बड़ो के बीच बच्चों को लेकर मुंहबिचकाई भी हुई. पर हमारी बांकीचाल में बसने वाले लोगों के बीच आपसी बंधुत्व काफी मजबूत है, सो कभी गहरी समस्या पैदा नहीं होती. ऐसे ही दीवाली का दिन आ पहुंचा.
यूँ तो हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर काफी हद तक बेंद लगा दिया है, पर हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट या सरकार की कोण सुनता है? बांकीचाल में भी पिछले कई दिनों से पतु और उनकी चंदूल सेना ने पूरे दिन पटाखे छोड़े थे. पतु ने तो अपने बापूजी उर्फ़ नतू उर्फ़ नटवरलाल से लड़जघड़ कर थैला भर पटाखे लिए थे. जिस में से काफी सारे दीवाली की रात के लिए बचाकर रखे थे. शाम को पतु और उनके मित्र सब अपने अपने पटाखों के थैले या बक्से जो भी थे, लिए बांकीचाल के बाहर मैदान में उपस्थित हो गए. सब अपने अपने पटाखे एक दुसरे को दिखा रहे थे की सामने से नतू आता हुआ दिखाई पड़ा. वह नजदीक ही पहुंचा था की बांकीचाल के किसी घर से किसी की बड़ी चीख सुनाई पड़ी.
“ब. चा. ओ.!”
काँटाचाची घर में पूजा कर रही थी की भगवान की तस्वीर के पीछे से एक चूहे ने उनपर छलांग लगा दी. जैसे ही पतु और उनकी चंदूल सेना को चूहे की खबर चली, वे तो सब तूफानी मस्ती से उछल पड़े. पटाखों को छोड़ सब के सब दोड़ पड़े, चूहे को पकड़ने. नतू नजदीक आया तो बच्चो के पटाखों की रक्षा का जिम्मा उनके सर आन पड़ा. वह मुंह बिचकाता हुआ इधर उधर भटकने लगा, उतने में उन्हें पटाखों के मजे लेने की कुमति सूजी. वैसे तो उनका पटाखों के साथ पिछले बारह जन्मो से बैर चला आ रहा है, फिर भी उन्होंने यह दूराक्रम कर दिया.
बचपन में एक बार वह जब दीपावली के दिन पटाखे जला रहा था तब दूसरों को हाथ में पटाखे फोड़ते देख उन्हें भी हाथ में पटाखा फोड़ने की इच्छा हुई. उसने हाथ में पटाखा लिए जला तो दिया, पर डरा, और उसने गलती से पटाखा दे मारा अपने पटाखों के थैले में. फिर तो क्या था, सभी पटाखे शराब पीये बैल की भाती फट पड़े. मुश्किल से पाए अपने पटाखों को इस तरह फटते देख उनका जी जला, और वह पटाखों को बूजाने के लिए जलते पटाखों में कूद पड़ा. पर तब तक पटाखे बिखर चुके थे, सो वह सलामत बच निकला, पर उनकी चड्डी जल गई. बाद में पिताजी से चड्डी जलाने के लिए बड़ी डांट तो पड़ी ही, साथ साथ दो साल तक इसी जली चड्डी को सीलकर पहनना पड़ा.
दुसरे किसी और साल दीवाली के मौके पर ही उनके पिताजी ने नतू से बचाकर मिठाइयों को कहीं छिपा दिया था; उस दोपहर को जब माँ बापूजी सो गए थे तो मुश्किल से मिठाइयों का पता लगाकर वह मिठाइयां चुराने निकला. जैसे ही उसने स्टूल पर चढ़कर अलमारी में छिपे मिठाइयों के डिब्बे को उठाया, उतने में बाहर किसी ने पटाखे का बड़ा बम फोड़ा; उसके धमाके की आवाज़ से अलमारी में रखे बर्तन काँपे; कुछ बर्तन नीचे गिरे; जिस में से एक बर्तन उसके सीर पर गिरा. एक हाथ में मिठाइयों का डिब्बा और दुसरे हाथ से माथा सहलाते हुए वह स्टूल पर ही खड़ा था की बम और बर्तनों की आवाज़ सुन पिताजी जगकर आ पहुंचे. चोर पकड़ा गया. नतू को मिठाइयां तो खाने को न मिली, पर पिताजी के हाथ के मेवे जरूर मिले.
पहले दो मौके पर पटाखों ने फुटकर नतू के लिए परेशानी खड़ी की थी; लेकिन तीसरे मौके पर तो पटाखे ने न फुटकर नतू को चौदह सुइयां लगवाई थी.
मामला कुछ यूँ था. एक बार वह अपने मामा के गाँव गया था. उसकी मौसी का घर भी वहीं था. उसकी मामी नतू को लिए मौसी के घर जाने को निकली; मौसी के घर तक जाने वाले रास्ते पर उस वक्त कुत्तों का बड़ा दखल था. उसके इलाज के रूप में लोगों ने लहसुनीये पटाखे का सहारा लिया था; जैसे ही कोई कुत्ता भोंकता; रास्ते से गुज़र ने वाला राही लहसुनीया फेंकता, गिरते ही वह फट पड़ता, कुत्ता बड़े धमाके और आग के गोले से दर कर बगल में हो जाता, और गुज़रने वाले रास्ते से गुज़र जाते.
वैसे तो नतू कुत्तो से बहुत डरता था, पर इस तरकीब से जैसे उनके हाथ में ब्रह्मास्त्र लग गया हो, वह खुशी से उछल पड़ा. वह अपने हाथ में लहसुनीया लिए मामी के आगे आगे चल पड़ा. रास्ते में एक कुत्ते ने उनका रास्ता रोका. पर लहसुनीये के बल पर मस्त नतू ने ज़रा गुमान में आकर थोड़ा आगे बढ़कर, कुत्ते के नजदीक जा कर लहसुनीया फेंका, पर ये क्या? लहसुनीया न फूटा, कुत्ता गुस्से के मारे मुंह फाड़ और नजदीक आ पहुंचा, नतू डरा, उनको दूसरा लहसुनीया छोड़ने की न सूजी, वह दर के मारे पीछे की और मुड़ा ही था की कुत्ते ने उनके पैर में लौथड़ा ले लिया. पीछे चलने वाली मामी ने कुत्ते को मार भगाकर नतू को छुड़वा तो लिया, पर कुत्ते के काटने से उनके पेट में चौदह इंजेक्शन लगे. बेचारे को छः माह तक कोई अच्छा खाना खाने न दिया गया.
नतू शायद बचपन में गुजारे पटाखों के इस सबब को भूल गया होगा; या वह पटाखों के साथ बैर लेना चाह रहा होगा, सो यह गलती दोहराई. उसने पतु के थैले से कुछ रोकेट निकाले, और बगल में पड़ी शीशे की बोतल को लिए थोड़े दूर छोड़ने की तैयारी करने लगा. उसने रोकेट को शीशे की बोतल में लगा सुलगा तो दिया, पर कुछ वक्त गुजर जाने पर भी रोकेट न उड़ा. थोड़ी देर तक इंतज़ार करने के बाद वह अपने ऊपर वाले होंठ को दांतों तले चबाता हुआ नजदीक पहुंचा और शीशे की बोतल को आड़ा-तेड़ा करने लगा. अचानक रोकेट की बाटी ने फुफकार भरी; नतू के हाथ से बोतल गिर पड़ी; और रोकेट आड़ा ही जमीं पर रेंगते हुए उड़ निकला; नतू की और. नतू के होंशकोंश गुल हो गए, वह “आ. आ. इ. इ.“ की एक लम्बी चीख के साथ अपने को रोकेट से बचाने के लिए पिछले पाँव दोड़ पड़ा. कुछ पल यूँ ही रोकेट और नतू के बीच शिकार शिकारी का खेल चलता रहा, फिर नतू के भेजे में कोई तरकीब सूजी, उसने अपने आप को बगल में एक और फेंक दिया. वह गीरा; मिट्टी से सना; पर रोकेट से अपने आप को बचा लिया. पर रोकेट थोड़े ही अपना मार्ग छोड़ने वाला था! नतू को अपने रास्ते से हटा, वह तो जा घुसा पटाखों के बक्से में. धूम धड़ाका और शोरशराबा मच गया. एक साथ मची इस आतसबाजी को सुन, सब पतु सेना बाहर दोड़ आई. अपने पटाखों की होली देख सब सन्न रह गए. रोते थोबड़े लिए देखते रहे. कुछ बड़े जोर शोर से भेंकणा तान रोने लगे. जब पता चला की ये सब करामात नतू की है, तो सब नतू पर बिगड़े. अभी के अभी पटाखे लौटाने की मांग करते हुए सब ने नतू के कपड़े फाड़ने शुरू कर दिए.
हो हल्ला सुन बांकीचाल के घरों से बड़े, बुजुर्ग महिलाएं सब बाहर दोड़ आये.
नतू की करतूत देख उनके पिताजी जेंतीलाल के मुंह से गालियों की गन गरजने लगी.
जेंती: “अबे बेवकूफ नटीया.! तू खोपड़ी में भेजा साथ लाया है की फिर तेरी दूकान पर ही रख आया है.!? ये तूने क्या बेवकूफी कर डाली.! बच्चे अब क्या खाक तेरा थोबड़ा फोड़ेंगे.!? साल्ले फल्तूस बबुचक.!”
जेंतीलाल की बात सुन नतू अपना उपरवाला होंठ दांतों के बीच चबाता हुआ दोड़े फाड़ उनकी और देखता रहा.
सब नतू को डांट रहे थे. मुर्दल चहरे से वह सब सुन रहा था. मैंने और कनु कातारी ने बीच बचाव कर नतू को पटाखे ला देने के लिए मनाया, और मामला रफादफा किया. नतू विरम को लिए तुरंत ही पटाखे लेने रवाना हुआ.
बच्चेपार्टी ने नए पटाखों से जमकर दीवाली मनाई. पर नतू को यह दीवाली बीस हज़ार में पड़ी.

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