सचमुच हम ही तेरी दुनियाँ में ,
ऐसे आशिक - दिवाने होंगे ,
जिसके इश्क़ को देखकर
तेरा तो पता नहीं
पर दुनियाँ जरुर दंग रह जाएगी !
तेरे ही इश्क़ के पीछे ,
सरेआम इतना बदनाम हो जाऊँगा ,
कि तू भी रह जाएगी पीछे !
इसी खुले गगन के नीचे ,
खिलेगी फूल बनकर तू,
मैं बनकर भौंरा तेरे पीछे !
कि अरसों से मैं देख रहा हूँ ,
तुम - सा यहाँ ना कोई है !
जितना अब मैं यहाँ अकेले तरस रहा हूँ ,
उतना क्या तरसे कोई रे !
घूँट - घूँट कर अश़्क ही सारा पी रहा हूँ,
और रात - रात भर मोहि नींद ना आवे,
बता बावरी!
तू कैसे बिन मेरे सोई रे !
उधर फटता बादल आसमान का,
इधर दिल मेरा रोए रे!
दुनियाँ बैठी फन फैलाए नागराज - सा ,
ना किसी पहर का होऊँ रे !
कि माखन खा - खा कृष्ण - कन्हैया ,
इश्क़ का पानी छोड़ गए रे !
और इधर प्रीत लिए बुलबुल गौरैया,
उसी इश्क़ का गुन गाते हैं !
और फँसा पड़ा हूँ अब तक मैं तो
नाम तेरा ही लेकर रे !
ना जा पाऊँ उस पार कभी रे,
ना आ पाऊँ इस पार कभी ही,
कि बुरा फँसा मजधार मैं छोरी,
तू तो फुर्र हुई बन नयी - नवेली !
ले गयी दिल का चैन रे मोरी !
हॉय ! हॉय ! रे !
ठग गयी उसकी सूरत गोरी !
कि छोड़ दिया था तेरे ही खातिर,
घर - द्वार बपौती !
हॉय ! रे ! हॉय ! रे !
समझ ना पाया तुझे कभी मैं
तुझी में होकर शामिल !
हॉय ! रे ! नागिन !
निगल गयी सब
इश्क़ मेरा तू बनकर शातिर !
गयी तो गयी पर
उजाड़ गयी सब
मेरी जवानी !
और पी गयी
हँसता - खिलता
मेरे आँगन का भी सब पानी !
धिक्कारू तेरी जवानी हॉय रे !
या धिक्कारू खुद को खुद मैं
खुद पर फेंक - फेंक कर पानी !
नानी सही कही थी बानी !
बच्चा मत करियो बचकानी !
रे ! प्यारी !
ठग गयी दिल ये हमारी !
जवानी नरक भई रे ! हमारी - हमारी !
कि झूठे हुए सब सपने हमारे ,
जो देख रहा था बैठे - बैठे ,
पोखर पर लहराती लहरों पर ,
सूरत उसकी जैसी थी ,
मगर हुआ आज एहसास ऐसा
झकझोर उठा तह तक अंदर ,
तह तक अंदर !!
पर , इश्क़ तो इश्क़ ही होता है ,
वो पहला हो चाहे दूसरा हो ,
चाहे मेरा हो या फिर किसी और का हो !
मगर , महसूस तो हमेशा - हमेशा
मरते दम तक ,
वो भी इतना होगा
इतना होगा ,
कि जितनी बार
मैं कोशिश करूँगा ,
उतनी - उतनी बार
जहन के तह तक
समाती जाएगी ,
और हर रोज़ इक़
मीठी - सी चुभन के साथ
फिर से उस मुस्कान की याद कराएगी ,
जिस मुस्कान पर
मैंने अपना उसको दिल दे बैठा था !
और सच में मैं
अरसों से वही ख्वाब़
वही यादें,
देख रहा हूँ,
और जब किसी हवा के झोंके से
फलक झपकती है तो
हँसकर टाल देता हूँ ,
कि सचमुच इस जहाँ में ,
तुम - सा कोई नहीं!
कोई नहीं!!