Prem ke sath prayog in Hindi Spiritual Stories by Ajay Amitabh Suman books and stories PDF | प्रेम के साथ प्रयोग...

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प्रेम के साथ प्रयोग...

लोग उस पर हंस रहे थे। वह बुजुर्ग चुुपचाप उनके ताने सुन रहा था। बस कंडक्टर उसे बार-बार किराए के पैसे मांग रहा था। वह बुजुर्ग आदमी बार बार बोल रहे थे, मेरे पास पैसे तो हैं लेकिन मैं आपको नहीं दूंगा।


बस कंडक्टर परेशान हो चुका था। वह बार-बार बोल रहा था भाई साहब आप देखने में तो बिल्कुल सज्जन दिखाई पड़ते हैं, पढ़े लिखे दिखाई पड़ते हैं, यदि आपके पास पैसे नहीं है तो बोल दीजिए, बात खत्म हो जाती है। मैं आपसे पैसे नहीं मांगूंगा।


बुजुर्ग बोले नहीं ऐसा नहीं है। मेरे पास पैसे पड़े हैं ,लेकिन फिर भी मैं आपको पैसे नहीं दूंगा क्योंकि आज मुझे किराया देने की इच्छा नहीं है। आप भी उस ईश्वर की संतान हैं जिस ईश्वर कि मैं संतान। आपको भी ईश्वर वैसे ही सब कुछ प्रदान कर रहा है हवा पानी जैसे कि मुझे। ईश्वर आपको वैसे ही कृपा दृष्टि बरसा रहा है जैसे कि मुझ पर और मेरे अन्य सहयात्री पर। हम और आप सारी की सारी ईश्वर की संतान हैं और मैं आपको प्रेम करता हूं आप भी मुझे प्रेम कीजिए। यदि मेरी इच्छा है कि मैं आज आपको किराया नहीं दूंगा तो आपको उसका सम्मान करना चाहिए और इस तरह से आप मुझसे किराया ना मांगे।


बस कंडक्टर की झुंझलाहट बढ़ती जा रही थी। उसकी समझ में नहीं आ रहा था यह किस तरह का आदमी है? वह थोड़ी देर तक बैठा रहा और थोड़ी देर बाद फिर उसने पूछा भाई साहब आपको कहां जाना है?


बुजुर्ग आदमी ने जवाब दिया तेरी मर्जी ,मुझे जहां लेकर जाओ मैं वहीं चला जाऊंगा। ऐसे मेरी कहीं जाने की इच्छा नहीं है। यह तो ईश्वर का ईश्वर की सृष्टि है जहां भी ले जाएगी मैं खुशी-खुशी चला जाऊंगा।


बस के सारे यात्री आपस में ख़ुसूर फुसुर करने लगे। उन्हें लगा शायद यह जो बुजुर्ग आदमी है थोड़ा सा पागल है ।
सारे बस कंडक्टर को बोलने लगे ,अरे छोड़ दो इसको। क्यों इसके पीछे पड़े हो।


इस बात पर जो वो जो बुजुर्ग आदमी थे उन्होंने कहा, भाई आप लोग मुझे पागल ना समझें । मैं तो दरअसल मैं यह देखना चाहता हूं कि यदि मैं किसी के प्रति प्रेम का भाव रखता हूं तो उस आदमी का मेरे प्रति व्यवहार कैसा होगा? मेरे लिए यह कंडक्टर आज इसी इसी प्रयोग का हिस्सा है।


वह बुजुर्ग आदमी ने अभी हाल फिलहाल में आर्ट ऑफ लिविंग का कोर्स किया था। आर्ट ऑफ लिविंग के कोर्स के द्वारा श्री श्री रविशंकर ने सब को नई दिशा दिखाई है।उस आर्ट ऑफ लिविंग के कोर्स में बुजुर्ग आदमी ने यह सीखा कि यदि आप किसी के प्रति भी दुर्भावना रखते हैं तभी वह आदमी खराब नजर आता है। यदि आप किसी के प्रति भी प्रेम के भाव से देखेंगे तो वह आदमी आप के प्रति दुर्भावना का भाव नहीं रख सकता है। यदि किसी आदमी के प्रति आपके मन में क्रोध का भाव है तो आप उसके पास जाकर उसे स्वीकार कीजिए। उसी क्षण आप के मन से क्रोध का भाव खत्म हो जाएगा । आप जिसको भी सबसे डिफिकल्ट समझते हैं उसके पास जाकर अपने प्रेम का प्रेम का इजहार कीजिए । उस व्यक्ति में छिपा हुआ ईश्वर आपके प्रेम को समझ जाएगा। इसी बात को समझने के लिए वह बुजुर्ग आदमी उस बस में चढ़ गए थे और चढ़ के बस कंडक्टर को बोलें कि मेरे पास पैसा है लेकिन मैं आपको पैसे नहीं दूंगा क्योंकि आज मुझे आपको पैसे देने का मन नहीं है । वह दरअसल ये देखना चाह रहे थे कि बस कंडक्टर के मन में उनके प्रति जो क्रोध का भाव है उनके प्रेम से पिघलता है कि नहीं?


वह बस कंडक्टर बहुत परेशान हो उठा। वह थोड़ी थोड़ी देर के बाद आकर उनसे पैसे मांगता , उनको गाली देता । एक बार तो उसने उन बुजुर्ग आदमी का शर्ट भी पकड़ लिया। फिर भी वह बुजुर्ग आदमी चुपचाप प्रेम के भाव से उसकी आंखों में झांककर बोलते रहे कि मैं आपसे प्रेम करता हूं ।आपको मेरे साथ जो व्यवहार करना है कर लो। बस कंडक्टर अंत में थक हार कर परेशान होकर जा कर बैठ गया और अंत में जहां पर बस रुकी वहां पर जाकर बोला भाई अब तो बता दो अब आपको कहां जाना है । अब तो मैं आपसे पैसे लूंगा भी नहीं । धीरे-धीरे बस कंडक्टर उस बुजुर्ग आदमी के प्रेम भरे व्यवहार से प्रभावित हो गया था और उसके दिल में जो क्रोध की भावना थी वह काफी कम हो गई थी । अंत में वह उस बुजुर्ग आदमी से बोला , जाइए मैं आपसे पैसे नहीं लूंगा क्योंकि जैसे भी हो आपके मन में मेरे प्रति किसी भी तरह की नफरत की भाव नहीं आई है।


बुजुर्ग आदमी ने भी देख लिया कि यदि किसी आदमी के प्रति प्रेम का भाव रखा जाए तो धीरे-धीरे जो घृणा के भाव होते हैं वह खत्म होने लगते हैं । आर्ट ऑफ लिविंग में जो बात सिखाई गई थी वह बात उस बुजुर्ग आदमी को समझ में आने लगी थी ।


बुजुर्ग आदमी और कंडक्टर दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे। अंत में उस बुजुर्ग आदमी ने उस कनेक्टर का धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि तुमने मेरे प्रयोग को सफल बनाने में बड़ा उपयोगी त साबित हुए हो। और अंत में बस का किराया देकर , बस से उतर गए।


आश्चर्य की बात यह हुई कि वह बस कंडक्टर दौड़ते हुए आया और बुजुर्ग आदमी को पैसे लौटते हुए बोला ,यह मेरा भी सौभाग्य है कि आपने मुझे प्रेम के इस प्रयोग में मुझे चुनने के काबिल समझा। इसके लिए मैं आपका धन्यवाद देता हूं। मैंने भी आज शिक्षा ली है कि हर एक आदमी को किसी के अनुचित व्यवहार पर तुरंत अपना कोई भी धरना नहीं बनानी चाहिए।


बुजुर्ग आदमी का जो प्रेम के प्रति प्रयोग था वह सफल रहा। वह अपनी इस सफलता पर मुस्कुराते हुए चल पड़े।

अजय अमिताभ सुमन:सर्वाधिकार सुरक्षित