Beti bachao, beti padhao in Hindi Short Stories by Asha Rautela books and stories PDF | बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

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बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

रविवार का दिन था। सुबह वेफ लगभग 10 बजे होंगे। बच्चे पार्क में खेल रहे थे और मम्मी धूप सेक रही थीं। तभी उन्हें ढोल की आवाज सुनाई दी। बच्चो ने देखा कि उनके मोहल्ले के ही कुछ लड़के-लड़कियाँ कुरता-पजामा पहने उस ओर ही आ रहे हैं।
सभी लड़के-लड़कियाँ- बेटा-बेटी एक समान,
सभी होते हैं-घर की शान।
करो न उनमें कोई भेद,
फिर न होगा तुम्हें कोई खेद,
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
;सभी बच्चे अपना खेल छोड़कर उस ओर दौड़ पड़ते हैं जहाँ से आवाज आ रही थी।
सभी बच्चे-(;हँसते हुए) अरे! निधि दीदी, विधि दीदी, तपस भैया आप सब लोगों ने यह क्या हुलिया बना रखा है।
गिन्नी-(गिन्नी हँसते हुए) अरे! निध् िदीदी कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि आप लोग यह क्या कर रहे हैं। ऐसे क्यों घूम रहे हो।
मिनी- ओह! बुद्धू इतना भी समझ रही है कि दीदी लोग नाटक खेल रहे हैं।
विनी- जैसा हमने 14 नवंबर बाल दिवस पर किया था। वैसा ही।
तेजस- उस नाटक को करने में तो कितना मज़ा आया था। चलो हम भी उन लोगों के पास चलें।
;उन सबकी सुनकर तपस जिसे गुलाबी रंग का कुरता पजामा पहना है। वह उनके पास आकर कहता है।
तपस- तुम सब हो मेरी प्यारी बहना,
साथ सदा तुम मेरे रहना।
तुम सबकी रक्षा मेरी जिम्मेदारी,
मैं करूँगा इसमें हिस्सेदारी।
हाँ, हाँ मिनी, हाँ, हाँ गिन्नी,
आओ विनी, तपस तुम भी आओ,
सब मिलकर कदमताल मिलाओ,
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
निधि-समझ में आई बच्चो! अब मेरी बात,
चलो फिर तुम सब भी आओ मेरे साथ।
तपस- बेटों से कम नहीं होती बेटी,
कोई साक्षी, तो कोई सिंधु होती है बेटी।
रियो ओलपिंक में देखो रंग जमाया,
भारत को है पदक दिलाया।
गिन्नी- सुनो दीदी, भैया मैं कुछ बोलूँ (थोड़ा शरमाकर)
विधि- हाँ बोलो, गिन्नी वुफछ तो बोलो।
गिन्नी-मैं हूँ प्यारी अपनी माँ की,
मैं हूँ दुलारी अपने पापा की।
भैया की हूँ मैं लाडली बहना,
और मुझे अब वुफछ कहना।
हाँ, हाँ दीदी, हाँ, हाँ,
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
सब बच्चे- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
(ऐसा कहते हुए सब लोग दूसरी आरे चल पड़ते हैं। थोड़ी देर में वहाँ भीड़ इकट्ठी हो जाती है।)
विधि- सुनो, सुनो सब मेरी बात सुनो।
(सब विधि की ओर देखने लगते हैं।)
विधि-प्रधनमंत्री, मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति,
बनी बेटियाँ।
कभी एवरेस्ट पर तिरंगा पहराया,
कभी दौड़कर नाम है कमाया।
तपस- इसलिए तो कहते हैं भाई-बंधु,
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
(उनकी बात सुनकर एक चैकीदार की उनके दल में शामिल हो जाता है।)
चैकीदार- बोलो, बच्चो! बात सुझाओ,
हमारे देश के प्रधानमंत्राी का नाम तो बताओ?
गौरव- यह बात तो सभी जानते हैं काका,
नरेंद्र मोदी जी नाम है उनका।
गिन्नी- हाँ, हाँ नरेंद्र मोदी नाम है उनका।
सभी बच्चे- हाँ, हाँ नरेंद्र मोदी नाम है उनका।
चैकीदार- प्यारे बच्चो! मोदी जी ने ही तो यह अभियान चलाया,
बोलो बच्चो! तुम्हारी समझ में कुछ आया।
सभी बच्चे- हाँ, हाँ काका हमारी समझ में आया।
निधि, तपस और विधि- चलो फिर मिलकर सब नारा लगाओ,
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
सभी बच्चे- सही कहा, सही कहा जी सही कहा,
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
(फिर टोली दूसरी ओर चल पड़ती है।)
-आशा रौतेला मेहरा
कविता काॅलोनी, नाँगलोई
नई दिल्ली-110041