Vo kon thi-8 in Hindi Horror Stories by SABIRKHAN books and stories PDF | वो कौन थी-8

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वो कौन थी-8

अमन आगे बढा..!
गुलाब की खुश्बु से कमरा पूरी तरह महक उठा था! दीवार पर टंगी बहुत ही पुराने माडल की एन्टिक घडी की बडी सूई सरसर आवाज के साथ खिसक कर रात के 2 पर स्टोप हुई!
तभी रात के इस खौफनाक सन्नाटे में 'टन.. टन 'घडी के घंटे की आवाज दूर-दूर तक चली गई!
इस वक्त कोई भी आवाज उसको छूं नहीं रही थी!
अमन ने जैसे ही उस पर्दानशीन औरत की बेड के आसपास बंघे रेशमी परदे को छूआ..!
कोई छलावे ने बिना नजर आये ही एक भारी घूंसा अमन को रसीद कर दिया!
वार इतना जबरदस्त था कि अमन उछल कर सोफे पर जा गिरा!
अमन की घिंग्घी बंध गई!
एक तीखी गुर्राट से वो चीखी..!
'भाग जा यहाँ से..! जानती नही है कौन है यहां पर..? "
अमन एकटक उसे देख रहा था!
वारिसखान की औरत अंजुमन का लहजा पूरी तरह बदला हुआ था! पर्दे पर जो परछाई नजर आ रही थी वो किसी भी एंगल से अंजुमन के हुलिये से मैच नही हो रही थी! एक बहुत ही मोटी परछाई थी वह..!
" मेरी इजाजत के बगैर मेरे घर में कदम रखने की जुर्रत कैसे हुई तेरी..? भाग जा यहाँ से वरना तेरी हस्ती को मिटा दुंगा..!
वो फिरसे दहाडी थी!
अमन के माथे पर जो भार था वो बिलकुल हल्का हो गया! कबसे कंधो पर जैसे कोई बैठा हुआ था!
अमन की सांसे तेज हो गई!
अब उसकी आंखे पहले की तरह साफ थी !
"अय लडके तुम ठीक हो .?
हां..! '
अमन उस बदली-बदली सी आवाज को पहचानने की कोशिश करने लगा! मन ही मन सोचने लगा!
ये अंजुमन कोई आम औरत नही है!
"तुम सही सोच रहे हो..!"
उसने अमन के दिमाग को रीड करते हुये कहा!
"5 जिन्नात है तेरे सामने इस वक्त..!"
परदे पर उभर आई भारी परछाई का राज अब अमनकी समझ मे आया!
" वारिसखान तुझे घर ले आया तभी हमऩे ताड लिया था की तेरे पीछे वो लगी है , जो कभी भी तुझ पर हावी होकर कुछ भी उगलवा सकती है! पर वो गफलत में थी!
तुझे क्या लगता है..! ये लडकी अपने बलबूते पर तुझे इस घरमे आसरा देने तैयार हो गई थी..? हरगिज नही..!!! क्योकि वो खुद जानती है कोई भी बाहरी ताकत उसके जिस्म को छूं भी नही सकती!"
"क्या मै जान सकता हु मेरे साथ ये सब क्या हो रहा हैं..? "
अमन ने हिम्मत करके पूछा.! वो अपने आप को काफी शरमिंदा महसूस कर रहा था! कोई उसके शरीर पर हावी हो सकता है ये बात भी उसे बडी अजीब लगी थी!
"तुमसे एक गलती हुई है जिसकी सजा तुम भुगत रहे हो! तुम्हें लगता है कि तुम माया के किसी ऐसे भंवर में फंस चुके हो जिससे बाहर निकलना है इतना आसान नहीं है मगर तुम्हारी यह गलतफहमी है तुम इस वक्त सेफ हो!
एक्सीडेंट में वह लड़की मारी गई नहीं थी उसको तुम्हारे दोस्त फर्नांडीज नें 10 रोज पहले मार डाला था! मरने से पहले उसने एक बच्चे को जन्म दिया था! वह लड़का कोई आम लड़का नहीं है एक "जिन्नात का बेटा है!"
"पर मै जानना चाहता हुं आखिर वो लडकी कौन थी..?"
"हा, तुम्हें वो बात जाननी जरूरी हो गई है..! वो बिलकुल नही चाहती थी की अब कोई ये राज जाने वारिसखान को भी उसी वजह से जान से हाथ धोने पडे है!
अभी भी वो इस लिए तुम पर हावी हो गई क्यो कि राजदार को ही मिटा सके..!
बस वो यही धोखा खा गई..! यहां तो उसके बाप मौजुद है!
कहकर अंजुमन के शरीर मे रहे जिन्नात ने ठहाका लगाया!"
"हा पर वो आखिर है कौन .!?"
अमन उसका नाम जानने को उतावला हो रहा था..!
वो जिन्नात की दुल्हन थी!
"थी मतलब..? अमन के मनमे उभरा सवाल बाहर नही आया!
अमन पर्दे पर उभरी हुई परछाई को देख रहा था! आवाज आई!
"गुलशन नाम था उसका! "
खलिल से बेईंतहा महोब्बत करती थी वो! खलिल से शादी करना चाहती थी !पर जिन्नात की नजर उसे लगी! और शुरू हुई एक कहानी( गुलशन खलिल की दास्तान जानने के लिए पढे मेरी कहानी "जिन्नात की दुल्हन")
जिन्नात गुलशन पर आशिक हो गया था!
उसने अपनी ताकतों से उसको नजर कैद करके ऐसे हालात पैदा कर दिए, जिससे गुलशन की मां को अपनी बेटी का फौरन निकाह करना पड़ा! जिन्नात भी उसी पाक रिश्ते मैं बंध कर उसके साथ हो लिया!
सब कुछ जानते हुए भी खलिल उससे बेपनाह मोहब्बत करता था!
जिन्नात से पीछा छुड़ाने की सबने मिलकर कोशिश की जिसमें खलील पर जान लुटाने वाली जिया नाम की लड़की ने अपनी जान की परवाह किए बिना जिन्नात से भिड़ गई! काफी मशक्कत के बाद उसने जिन्नात से पीछा छुड़ाया!
जिन्नात तो चला गया था मगर आखिर में सबने ये राज जाना की जिन्नात की हस्ती को पूरी तरह मिटाया नहीं गया है !अपने वजूद को ,अपने एक हिस्से को गुलशन के पेट में तड़पता छोड़ कर वह गया था! सब कुछ जानने के बावजूद भी सभी ने गुलशन को 9 माह तक अच्छी तरह संभाला!
आखरी दिन चल रहे थे खलील गुलशन को लेकर लंबी ड्राइविंग पर निकला हुआ था!
उसी दिन तुम्हारी गाड़ी से उसकी टक्कर हुई!
जिसमें वह बच गए थे! पर तुम्हारे दोस्त की बुरी नजर उस पर पड़ी!
उसने उस खुबसूरत औरत पर हैवानियत बरती! घनी काली अंधेरी रात में उस बेसहारा औरत की चीखे गूंजती रही! उस पर जुल्म करके उसे मरने पर मजबूर कर दिया..!
वो बदला लेने आई है..!"
अंजुमन इतना सबकुछ कैसे जानती थी? ये बात अमन को अभी समझ मे आई!
अमन का दिल तेजी से धडक रहा था!
कुछ हद तक सारा किस्सा उसकी समझ मे आ गया था..! अमन का बदन तपने लगा! पसीना माथे पर सिमट आया!
पर्दे पर छाई परछाई फिर बोल उठी!
"वो बदला लेने आई है!
फर्नांडीस को उसी दिन गुलशन ने उसके कर्मों की सजा दी थी!
गुलशन की डेड बॉडी को ठिकाने लगाने में मदद करने वाले ढाबे के छोरे को भी उसने नहीं छोड़ा!
वारिसखान उसका राज जान गया था! पैसे की लालच मे उसे भी कुमति सूझी!
गुलशन का सारा किस्सा एक्सीडेंट बता कर रफा दफा करना चाहा!
पर...! "
वो किसी को बखशने वाली नहीं थी!
उस कार हादसे के तीसरे दिन बड़े जोरों से बारिश हो रही थी! इतनी ठंड के बावजूद अचानक बारिश का टूट पड़ना लोगों के लिए हर तरफ से खतरे की घंटी थी!
मगरिब का वक्त था!
वारिसखान की जियारत मना कर घर में से सब बिखर गए थे!
अपने पति को खोने का सदमा लगा था उसे!
सब औरते उसको तस्सली देकर जा रही थी! ससुराल और मायके वाले सभी इर्द-गिर्द रहे! माथे पर से छत ही जैसे हट गई थी! वो गम जदा थी!
दिमाग सुन्न हो चुका था! बारिश है की रुकने का नाम नही!
उसने घर के पर्दे लगा लिये! बच्ची बहुत डर रही थी!
की तभी दरवाजे पर दस्तक हुई..! "
"इस वक्त कौन हो सकता है..?"
अंजुमन सोच मे पड गई..!
बच्ची ने डरते डरते दरवाजा खोला!
ठंडी हवा के साथ बारिश की बौछार भीतर आ गई..!
बाहर कोई नही था..!
सहम कर उस बच्चीने दरवाजा बंद कर लिया!
अंजुमन बौखलाई सी मेन डोर को पर्दे में से देख रही थी की अचानक दरवाजा अपने आप बंद हो गया..! वो बच्ची अपनी जगह पर खडी थी.!उसकी मासूम निगाहे भयभीत थी!
" अम्मीजान.. दरवाजा किसने ठोका था..? बाहर कोई नही है!
अंजुमन ने उठकर अपनी बच्ची को हाथ पकडकर खीच लिया..!
वो अपनी बेड पर आकर बैठ गई..!
तभी उसे अपने कंधे पर ठंडक महसूसू सी हुई!
अंजुमन को लगा जैसे किसीने कंधे पर हाथ रखा था..!
( क्रमश:)
कौन आया था अंजुमन के घर..? और गुलशन क्या चाहती थी ..? जानने के लिए पढते रहे वो कौन थी