Muni-Vini in Hindi Short Stories by Asha Rautela books and stories PDF | मुन्नी और विन्नी

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मुन्नी और विन्नी

मुन्नी और विन्नी

मुन्नी अपने मम्मी-पापा की इकलौती सन्तान थी इसलिए वह बहुत जिददी हो गई थी। जब उसके दादा जी उन लोंगों के साथ रहने लगे तो मुन्नी को यह बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी। वह अपने दादा जी के साथ अच्छा बर्ताव नहीं करती थी। दादा जी अगर टी. वी. पर कोई अपनी का चैनल लगाते तो वह झट से बदल कर कार्टून चैनल लगा देती थी। उसके मम्मी-पापा ने उसे बहुत समझाया कि वह अपने दादा जी से दोस्ती कर ले, उनसे अच्छा बर्ताव करे पर मुन्नी तो मुन्नी थी।
जब मुन्नी दूसरे स्कूल गई तो उसकी दोस्ती विन्नी से हो गई। विन्नी का स्वभाव बहुत मिलनसार था वह जल्द ही मुून्नी के दादा जी से घुल-मिल गई। अव दोनो अक्सर दादा जी से कहानियाॅ भी सुूना करते और दादा जी स्कूल के प्रोजेक्ट में उनकी मदद किया करते थे। एक दिन विन्नी मुन्नी के घर आई उसने देखा कि मुन्नी अपने दादा जी पर चिल्ला रही है वह भी बस कार्टून देखने के लिए यहाँ तक की उसने गुस्से से रिमोट भी पफैंक दिया। विन्नी के मुन्नी का व्यहार बिलकुल भी अच्छा लगा।
विन्नी- मुन्नी तुम अपने दादा जी से ऐसा बर्ताव क्यों करती हो।
मुन्नी- मुझे दादा जी अच्छे नहीं लगते उनके कारण मैं कार्टून नहीं देख पाती हूँ। विन्नी ने मुन्नी को समझाया कि वह अपने दादा जी के साथ अच्छा बर्ताव करे। विन्नी की संगत में रहकर मुन्नी अब अपने दादा जी के साथ अच्छा बर्ताव करने लगी उनका ध्यान भी रखने लगी। ध्ीरे-ध्ीरे मुन्नी केा अपनी गलतियों का अहसास होने लगा। वह अब अपने दादा जी की मदद करने लगी। मुन्नी के इस बदलाव से उसके मम्मी -पापा जी खुश थे। । जब उसके दादा जी ने उसके जन्मदिन पर उसकी मनपसंद वाली गुड़िया उसे दी तो वह खुशी से पफूली न समाई। अब मुन्नी पहले वाली मुन्नी नहीं रह गई थी वह बदल गई थी इसलिए उसके मम्मी-पापा बहुत खुश थे।
एक दिन मुन्नी और विन्नी घर-घर खेल रहीं थीं। मुन्नी बोली-विन्नी मेरी गुड़िया अब बड़ी हो गई है मैं उसकी शादी करने की सोच रही हूँ, तेरा गुड्डा कैसा रहेगा। विन्नी - ठीक है, चलो तुम अपनी गुड़िया लाओ मैं अपना गुड्डा लाती हूँ। पिफर दोनो ने अपनी मम्मी की चुन्नी की साड़ी पहनी और गुड्डा- गुड़िया की शादी का खेल खेलने लगी। मुन्नी बोली, तुम्हें पता है विन्नी यह गुड़िया मेरे दादू ने मेरे बर्थडे पर मुझे दी है, कितनी अच्छी है न। तुम्हारे पास भी तो मुझे दिखाओ पर विन्नी के पास कपड़े की गुड़िया थी वह बोली मेरे पास तो यह गुड़िया है। वैसे विन्नी का गुड्डा बहुत सुंदर था वह उसकी माॅ की मालकिन ने उन्हें बिन्नी के जन्मदिन पर दिया था।
मुन्नी तुम्हारी गुड़िया बहुत अच्छी है अरे अगर इसका निप्पल निकाल दो तो, यह तो रोती भी है अरे विन्नी यह नाचती भी है देखो मै तुम्हें अभी दिखाती हूँ। मैं इसमें चाबी भर दूँ तो मुन्नी ने चाबी भर दी और गुड़िया नाचने लगी तो विन्नी खुश होकर ताली बजाने लगी। मुन्नी तुम्हारी गुड़िया बहुत अच्छी है चलो इसको तैयार करते हैं दोनों उसे कपड़े पहनाने लगीं और गुड़िया को दुल्हन बना दिया। मुन्नी बोली, विन्नी देखो न मेरी गुड़िया कितनी सुंदर लग रही है लाओ अब तुम अपना गुड्डा लाओ अब इसको दूल्हा बनाते हैं।
उन्होंने गुड्डे को दूल्हे की तरह सजा दिया। मुन्नी-जाओ तुम अपनी गुड्डे की बारात लेकर आओ। मुन्नी अपनी गुड़िया के पास बैठ गई थोड़ी देर बाद विन्नी अपने गुड्डे की बारात लेकर मुन्नी के पास गई।
मुन्नी ने बारात का स्वागत किया और बोली आओ विन्नी पहले खाना खाओ देखो मैने क्या-क्या बनाया हैैै। विन्नी खाना बहुत स्वादिष्ट है, दाल भी अच्छी है, सब्जी भी अच्छी है। लो विन्नी एक पूरी और लो।
विन्नी बोली दुल्हन की मम्मी तुमने रायता नहीं बनाया मेरे गुड्डे के तो रायता बहुत पसंद है, बनाया तो है मैं भूल गई अभी लाती हूॅ। मुन्नी थोड़ा अंदर जाती है व एक प्लेट लेकर आती है। लो विन्नी रायता खाओ और गुड्डे को भी खिलाओ। चलो अब गुड्डे और गुड़िया को साथ बिठाओ अब ये एक दूसरे को खाना खिलाएंँगे।
विन्नी-मुन्नी कल मैं भी अपने घर से खाना लाउफँगी और तुम भी लाना पिफर हम सचमुच का खाना खाएँगे।
मुन्नी -चलो अब मेरी गुड़िया ससुराल जाएगी। मुन्नी ने गुड़िया को पहले गले से लगाया झूठी-मूठी रोने लगी और गुड़िया विन्नी को दे दी। उनका खेल खत्म हो गया। विन्नी -मुन्नी तेरी गुड़िया बहुत अच्छी है एक दिन के लिए मुझे दे दे कल वापस कर दूँगी। मुन्नी ने गुड़िया विन्नी को दे दी, दूसरे दिन जब विन्नी गुड़िया वापस करने आई। मुन्नी -विन्नी तुझे मेरी गुड़िया अच्छी लगती है न तू इसे ले ले।
विन्नी -नहीं मुन्नी ये तेरी गुड़िया है, मै इसे कैसे लूँ। मुन्नी- अब मेरी गुड़िया की शादी हो गई है और ये गुड़िया अब तेरी है। विन्नी गुड़िया लेकर बहुत खुश हुई। मुन्नी के दादू दूर से यह सब देख रहे थे वे मुन्नी के पास जाकर बोले- बेटी मुन्नी तूने अपनी गुड़िया विन्नी को क्यों दी वो तो तुझे सबसे प्यारी लगती थी न! मुन्नी बोली दादू विन्नी को मेरी गुड़िया अच्छी लगी इसलिए मैने उसे दे दी वैसे भी वह मेरी सबसे पक्की सहेली है मैं उसे कैसे मना कर देती दादू! उसके कारण ही तो मैं और आप दोस्त बने न यह कहकर वह अपने दादा जी के साथ उनका प्रोग्राम देेखने लगी। दादाजी- बेटा दूसरे चैनल पर सिंडेला की कहानी आ रही है मै चैनल चेंज कर देता हूँ। मुन्नी- नहीं दादू आज हम आपका प्रोग्राम देखेंगे, मैं रोज ही अपना प्रोग्राम देखती हूँ और आप भी मेरा प्रोग्राम देखते हो। इतना कहकर उसने टी. वी. का रिमोट अपने दादा जी को पकड़ा दिया और दोनो टी. वी. देखने लगे।
आशा रौतेला मेहरा


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