benaam rishta in Hindi Short Stories by kavita jayant Srivastava books and stories PDF | बेनाम रिश्ता

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बेनाम रिश्ता

बेनाम रिश्ता 


"काया ..! अब मैं तुम्हारे साथ फ्लैट शेयर नही कर पाऊंगा , मै कहीं और शिफ्ट कर रहा हूँ..!" रणवीर ने बेबाक होकर कहा


"मैं जानती थी रणवीर..! कि एक दिन तुम यही बोलोगे ..! अपने सस्ते से बिना ब्रांड वाले , मोबाइल में उलझी काया बोली.. उफ्फ उस दुकानदार ने कहा था 'मैडम गिरने मत दीजियेगा बस ,ये फ़ोन बहुत चलेगा ..! आज बाथरूम में हाथ से स्लिप होकर गिर गया फोन ..अब मैं क्या करूँ ? जब तक मेरा ब्रांडेड फोन ठीक नही हो जाता सोचा था इसी से काम चला लूंगी.. उफ्फ! 


"हां ,तो क्या बोल रहे थे तुम ? तुम मेरे साथ फ्लैट नही शेयर कर पाओगे..? ये तो मैं उसी दिन जान गई थी रणवीर ! जब तुम्हे तुम्हारी नई 'सो कॉल्ड फ्रेंड' के साथ देखा था नशे में झूलते हुए..!" फाइन आई एम रेडी फ़ॉर एनीथिंग.!..और कुछ ? " काया ने झुंझलाते हुए कहा .. 

 (उसे वो दिन याद आ गया जब माँ ने उसके और रणवीर के इस रिलेशन पर सवाल उठाए थे..और कहा था ऐसे रिश्तों का कोई भरोसा नही होता , शादी नही करनी तो पति पत्नी की तरह क्यो रहते हो तुम दोनों ? 

तब काया ने माँ से खुद कहा था, 'माँ अभी हम दोनों शादी के लिए तैयार नही..पहले शादी के लिए मानसिक रूप से तैयार तो हो लें..!' और मां चिंता की लकीरें , माथे पर लाने से न रोक सकी थीं.. तब काया को ये सब बेवजह लगा था.. पर आज वही हुआ जो माँ की आंखों ने भांप लिया था..पर वो रनवीर से कुछ कह भी तो नही सकती थी, आखिर उनका रिश्ता बेनाम जो था ..एक दूसरे के किये कोई उत्तरदायित्व भी नही ,बन्धन भी नही..फिर कैसा प्रतिवाद ? " तभी उसकी तन्द्रा रणवीर की आवाज से भंग हुई


"तो.. अब तक जो खर्चे हम शेयर कर रहे थे ,देख लो उसका हिसाब कर लो, फ्लैट रेंट , इलेक्ट्रिसिटी बिल , और स्पेन्सेस.. बांट कर मुझे मेरे हिस्से के खर्च को बता देना काया..! मैं नही चाहता तुम मुझ पर कोई एहसान करो..!" सिगरेट जलाते हुए रनवीर ने कहा 


"हां ठीक है.. अनायास ही कह कर काया ने फोन के बटन को ऑन किया तो स्क्रीन दिख उठी..और फोन सही हो गया ..काया ने सोचा शुक्र है..ये गड़बड़ नही हुआ , वरना बहुत प्रॉब्लम हो जाती..तभी उसका फोन बज उठा और माँ की कॉल आ गयी..! उसने फ़ोन रिसीव किया तो रणवीर जाने का इशारा करते हुए दरवाजा खोल के बाहर निकल गया..! फोन ऑन था माँ हेलो हेलो कर रही थी ..

आंसू ढुलक कर गालों पर आ गिरे.. काया ने कहा .

" हेलो माँ..! 


"कहाँ थी बेटी ? तुम्हारा फोन नही लग रहा था ..?


" कहीं नही , माँ मेरा फोन खराब हो गया था , सर्विस सेंटर में है , एक हफ्ते में बन जायेगा..तब तक काम चलाने के लिए, एक बिना ब्रांड का सस्ता सा फोन ले लिया था, पर वो अभी बाथरूम में हाथ से छूट कर गिर गया तो ऑन ही नही हो रहा था.. बड़ी मुश्किल से ऑन हुआ तो तुमसे बात हुई..!" बालकनी में खड़ी काया नीचे रनवीर को कार में बैठते देख रही थी


"ओह्ह, मैंने कितनी बार कहा है ,ऐसी चीजों का कोई भरोसा नही होता..जिन पर ब्रांड नेम न हो..!" 


हां माँ! तुम एकदम सही कहती हो..कार उसकी आँखों से ओझल होने लगी ..! और अचानक माँ की आवाज आनी बन्द हो गयी ..उसने फोन देखा तो वो बिना ब्रांड का फ़ोन फिर से बंद हो गया था। 

-कविता जयन्त 
प्रयागराज उत्तर प्रदेश