Begunaah gunehgaar - 16 in Hindi Short Stories by Monika Verma books and stories PDF | बेगुनाह गुनेहगार 16

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बेगुनाह गुनेहगार 16

सुहानी आज बहोत खुश है। वर्षो से जिस वजह से जी रही है शायद वो आज ख्वाब पूरा होने वाला है।सुहानी अपने जोब के लिए कुछ चीजें लाती तो बाकी के पैसे आफिस में जमा करवा देती। पापा उसे बहोत डांटते। ऐसे पैसे रख लेने चाहिए। घर देखो पहले। बाद में नोकरी देखो। सुहानी को बहोत गुस्सा आता। बचपन से ईमानदार रहना सिखाते हो फिर अब बड़े होने के बाद यह सब क्यो सिखाते हो? क्या ऐसे पैसे लेकर सुहानी खुश रह पाती?  सुहानी खुश है कि आज भी वो सच के रास्ते पर चल रही है। ठोकरे बहोत मिली। लेकिन अपनी ईमानदारी ने उसे वो दर्द को महसूस करवाने का काम कर दिया। 

सुहानी ने एक केिटैब में पढ़ा था कि
जिंदगी पहाड़ो की चोटी पर नही, पहाड़ो की चढानो पर मंचती है। चढानो पर ही इल्म हासिल होता है।

सुहानी इन शब्दों केो महसूूूस करती है। सुहानी की मुश्किलों ने ही उसे जीना सिखाया है। 

किसी ने कहा है न

हम मुश्किलों से क्यो घबराए? मुश्किलें खुद को परखने का मौका देती है। 

सुहानी आज तक जिंदा है क्योंकि वो सच्चे दिल से काम करती है। सुहानी ने अपनी इस ईमानदारी से जैसे खुदा को पा लिया।

लोग मंदिर मस्जिद में रब को ढूंढते। लेकिन सुहानी को अपनी ईमानदारी से वो रब मिल चुका है। है सुहानी ने गलतिया की। लेकिन हर गलती को सुधारने की कोशिश भी की। सुहानी को किसी से कोई गिला शिकवा नही ही। हर इंसान वैसे ही जीता है जैसे इसे जीना सिखाया जाता है, या फिर उसमें कोई जुनून है। 

सुहानी ने यह भी देखा है सबसे ज्यादा ईश्वर की बाते करने वाले लोग ही सबसे ज्यादा गुनाह करते है। क्योंकि वो अपने आप को खुदा से अलग मानते है। जब इंसान किसी मुसीबत में फसता है तो खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए धार्मिक किताबो का उपयोग करता है। गीता में यह कहा है , कुरान में यह कहा है कह के अपनी गलती को गलती नही समझता।

लेकिन सुहानी की नजरिए में गलती करना कोई गुनाह नही। इसे न मानना गुनाह है। गलती हर किसी से होती है। यदि हमें गलती का एहसास है तो हमे पछतावा होगा। जो दूसरी गलती से बचाएगा। यदि गलती नही मानोगे तो वो गलती आदत बन जाती है और स्वरूप लेती है बड़े गुनाह का। 

बून्द बून्द मिलकर समंदर बनता है। उसी तरह छोटी छोटी गलतिया चाहे किसी की भी हो मिलकर समंदर बनता है। 

आज इराही अपने पछतावे के वजह से ही बड़ी से बड़ी गलती की सजा भुगतने के लिए तैयार भी है। लोग उसे दुख का नाम देते है। लेकिन बिना दुख के खुशी का एहसास कैसे होगा? बिना मुश्किले के जिंदगी संवरेगी कैसे?

लोग चाहे कुछ भी कहे। लेकिन सुहानी के लिए हर मुश्किल रब का तोहफा है। जब तक दुनिया का एक भी इंसान दुखी है उससे गलती होगी। शायद गुनाह भी। और उसकी सजा पूरी दुनिया भुगतेगा। 

ऐसी सोच रखने वाली सुहानी अब शोगता बनने वाली है। सुबह सुबह उठ कर 5 से 6 ट्रेनिंग में जाती है। फिर आफिस। शाम को लाइब्रेरी। 1 महीने की मेहनत के बाद सुहानी शोगता बनने के लिए तैयार है। उसे आफिस से छुट्टी भी लेनी है। इस बारे में इंस्पेक्टर से बात की। 

इंस्पेक्टर: आपको छुट्टी लेने की कोई जरूरत नही है। हमने बात कर ली है। कागजी करवाई हमने कर ली है। आप को अपना काम करना है। 

सुहानी ने शुक्रिया अदा किया। 

और इंस्पेक्टर और दो लेडीज पुलिस के साथ चली गई। दूसरे शहर। घर मे बता दिया कि काम के सिलसिले में बाहर जाना है। 

अब सुहानी का काम शुरू होने वाला है। क्या सुहानी सच का पता लगा पाएगी? या पकड़ी जाएगी। देखेंगे अगले अंक में।