Umra ka padaav in Hindi Moral Stories by Ranju Bhatia books and stories PDF | उम्र का पड़ाव

Featured Books
Categories
Share

उम्र का पड़ाव

,  फिर से नया साल  आ गया ..कैसे जल्दी से वक़्त बीतता जाता है | साल दरसाल ..उम्र दर उम्र ...वक़्त कहाँ थमता है और उस में उम्र का एक पड़ाव ऐसा आ जाता है, जब बच्चे अपने में व्यस्त ,पति को बात करने की फ़ुरसत नही और
घर की लक्ष्मी यदि ख़ुद को व्यस्त ना रखे तो डिप्रेशन की शिकार हो जाती
है ।

         अब आप कहेंगे कि भला आज की नारी के पास वक़्त कहाँ है डिप्रेशन में जाने का, हर जगह तो उसने ख़ुद को व्यस्त कर रखा है। पर अभी भी आधी से ज्यादा ऐसी गृहलक्ष्मियाँ हैं जो उम्र के 40-45 साल तक आते आते अजीब। मनःस्थिति में पहुँच जाती हैं । गृहशोभा , मेरी सहेली कब तक पढ़े और सास बहू सीरियल… वो भी कोई कब तक झेले । सोचते सोचते मीना इस कमरे से दूसरे
कमरे में व्यर्थ ही सामान को इधर से उधर करती जा रही थी।

       पड़ोस में रहने वाली अपनी हमउम्र का हाल वो देख चुकी थी। पति अत्यधिक
बाहर टूर पर , बच्चे अपने में मस्त कुछ करने को जैसे कुछ बचा ही नही ।उसके इर्द गिर्द तेज़ी से घूमती ज़िंदगी के पहिए जैसे अचानक से थम से गए पति कहता आख़िर तुम्हे दुख किस चीज़ का है, खाओ पीओ अपना मस्त रहो, शॉपिंग करो घर को सजाओ और ख़ुश रहो मुझे भी रहने दो, पर वो यह सब भी किस के लिए करे । शॉपिंग करे पर घर आ के कोई देखने वाला भी तो हो।। अपने
कुकिंग का शौक पूरा करे पर कोई खाने वाला भी तो हो। उसका मर्ज़ धीरे धीरे बढ़ता गया और उसके पति समझ नही पाए। बात पहले मानसिक उलझनो में उलझी और धीरे धीरे मेंटल हॉस्पिटल तक पहुँच गयी। उसकी स्थिति को याद करते करते
मीना के रोंगटे खड़े हो गए। क्या वो ख़ुद ऐसी ही स्थिति में नही जा रही है?

     उसने ख़ुद को आईने में देखा अस्तव्यस्त कपड़े बिखरे बाल। आँखो के बीचे काले गड्ढे वो आज ख़ुद को देख के सोचने लगी क्या यही वही मीना है? जिसके सुंदरता के चर्चे मायके ससुराल सब जगह होते थे.. नहीं नहीं मुझे कुछ करना होगा.. अपने लिए जीना होगा। मैं अपनी पड़ोसन वाली स्थिति में नही जा सकती हूँ । यह आने वाले नाय साल मेरे लिए कुछ नया ही ले कर आएगा
...नहीं लायेगा तो मैं खुद इस को बदल के दिखा दूंगी |   यह सोचते सोचते वो
बाहर बरामदे में आ गयी। तभी उसको पड़ोस में रहने वाली अनु दिखी वो 23 -24 साल की लड़की थी। अभी पढ़ रही थी कॉलेज में एम् .ए कर रही थी। साथ साथ किसी एन जी ओ में काम भी करती थी । वो शाम को अक्सर मीना के पास आ जाती
और उसको अपने साथ चलने को कहती। साथ में वह अक्सर मीना को कहती कि आप
इतनी सुंदर हो कुछ तैयार हो के रहा करो, अपना ध्यान रखा करो पर मीना अक्सर यह बात टाल जाती कि किस के लिए सजे और ख़ुद को संवारे । पति को देखने तक की फ़ुरसत नही है और न यह कहने की मीना तुम सुंदर हो।  पर आज
उसने उसकी बात को गंभीरता से सोचा और फिर अनु को अपने पास बुलाया और कहा। कि तुम उस दिन कुछ सोशल वर्क के लिए कह रही थी ना… । अब बताओ कि क्या
करना होगा ?

".सच आंटी आप करेंगी ? आपको भी वहाँ बहुत अच्छा लगेगा और उन नन्हे मासूम
बच्चों का जीवन भी सुधार जाएगा वक़्त भी काट जाएगा.." अनु को ख़ुश देख के
मीना भी ख़ुश हो गयी

अब वो अपने पति कपिल के जाने के बाद उसके साथ उन स्लॅम एरिया में बच्चों को पढ़ाने निकल जाती.. और अगले दिन बच्चों को क्या सिखाना है, ड्राइंग में, कौन सी कहानी में बच्चो को ज्यादा आनंद आएगा बस अब इसी उधेड़ बुन
में दिन बीत जाता । घर के काम यथावत हो रहे थे कपिल को सब कुछ अपना समय
पर मिल रहा था पर एक परिवर्तन वो अब मीना में देखने लग गया था कि हर वक़्त उसके इर्द गिर्द नाचने वाली मीना अब टेबल पर खाना लगा के उसको आवाज़ लगा देती और उसको सब मिल गया है यह देख के अपने काम में व्यस्त हो
जाती । हर वक़्त चिड़चिड़ी रहने वाली मीना अब ख़ुश रहने लगी थी। अक्सर साथ
वाली अनु के साथ ना जाने क्या उसकी बाते होती रहती .. और दोनों खूब जोर
जोर से हंसती रहती । कुछ कुछ उसको उलझन भी होती थी कि अब हर वक़्त वो
उसके चारों तरफ़ नहीं नाचती है । पर कुछ सोच के फिर चुप हो जाता कि चलो
उसका सिर तो नही खाती अब।

      
     एक दिन अनु और वो शॉपिंग के लिए गए। बच्चो के लिए रंग, किताबे और कई
चीज़े ख़रीदने के बाद अनु मीना को जबरदस्ती साड़ी की दुकान पर ले गयी और
बोली क्या आंटी अभी आप इतनी बूढ़ी नही हुई है की यह फीके मट्मेले से रंग
पहने। उसने मीना के लिए एक गुलाबी रंग की बॉर्डर वाली साड़ी पंसंद की और
भी जम के शॉपिंग के बाद वो मीना को ब्यूटी पार्लर ले गयी।  मीना तो अब
ख़ुद को नयी राह पर चलने के लिए कर तैयार चुकी थी। और जब वो वहाँ से
निकली तो जैसे उनकी उम्र आधी हो गयी थी। घर आ के उसने नयी साड़ी पहनी और
आईने में ख़ुद को निहारा,  तो वो ख़ुद को भी जैसे पहचान नहीं पाई तभी बाहर कार की आवाज़ आई और घंटी बजी।
कपिल घर आ गया था। उसने दरवाज़ा खोला तो कपिल देखता रह गया ,  उसके सामने
जो मीना खड़ी थी उसको देख के वो ठगा सा खड़ा रह गया ,हल्की गुलाबी
साड़ी, करीने से बंधे बॉल संवारे हुए चेहरे पर हल्का मेकअप ,सफ़ेद पतली
सी सफ़ेद मोती की माला, कजराई आँखो में एक चमक थी।
     कपिल को यूँ हैरान देख के मीना मुस्करा दी.. और शर्मा के नज़रे झुका ली। कपिल बोला कि मीना तुम सच में आज बहुत खूबसूरत लग रही हो। मीना ने तुनक के कहा कि पहले तो कभी नही कहा आपने। कपिल ने मुस्करा के जवाब दिया कि तुम मुझे हमेशा ही खूबसूरत लगी हो । पर आज तुम्हारी आँखो की चमक ने और आत्मविश्वास से भरे
व्यक्तित्व  ने तुम्हारी सुन्दरता में चार चाँद लगा दिए हैं। मैं ही गलत था जो तुम्हे समझ नहीं पाया। सच में अब जा के तुम्हारी इस अकेलेपन की समस्या
और कुछ कर गुज़रने वाले जज़्बे को समझ पाया हूँ तुम यूँ ही आगे बढ़ो मुझे बहुत ख़ुशी होगी। मीना सुन के मुस्करा दी अब उस को अपने जीवन की मंज़िल की राह और उस पर चलने  का होंसला साफ़ साफ दिखने लगा था ।और नया साल सही
में एक नया बदलाव और नयी उमंग ले कर उसके जीवन में आ गया था।