Hum hai adhure - 4 in Hindi Fiction Stories by Priyanka books and stories PDF | हम हैं अधूरे.4

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हम हैं अधूरे.4



मोक्षा के मम्मी पापा को भी लग रहा था के वो बात की शुरुआत किस तरह करें? आपस में खूब विचार विमर्श करने के बाद उन्होंने बात की जड़ तक जाने का तय किया और मोक्षा से बात करने उसके कमरे में गए।

"मोक्षा बेटा, आपसे जरा बात करनी है।" मोक्षा के पिता ने कहा।

" अरे मम्मी पापा आप? आप कब आए कमरे में? मेरा ध्यान ही नहीं था। कहिए पापा क्या बात है?" मोक्षा उस वक़्त भी सुदीप को याद करते आंसू बहा रही थी। अपने मम्मी पापा को देख आंसू छुपाने की कोशिश करने लगी।

" बेटा आपकी पढ़ाई तो ठीक चल रही है ना?" मोक्षा के पिता बोले।

"जी पापा।"

" अच्छी बात है। बेटा आपकी मम्मी और मैंने कुछ तय किया है आपके फ्यूचर के लिए।"

" जी कहिए पापा।"

" बेटा आप जितना चाहे उतना पढ़िए पर अब आप शादी के लायक हो गए हो सो हम आपके लिए अब लड़का ढूंढने का सोच रहे है, अब आप अपनी आगे कि पढ़ाई शादी के बाद अपने ससुराल रहेकर करना।"

" ये आप क्या कहे रहे हैं पापा? मै अभी शादी। के लिए तैयार नहीं हूं।"

" देखो बेटा, आपके पापा जो भी कर रहे है वो आपके अच्छे के लिए ही कर रहे है।" मोक्षा की मम्मी बोली।

" देखिए मम्मी पापा, मुझे शादी नहीं करनी। आप लोग प्लीज़ मुझसे जबरदस्ती ना करें।"

" वजह जान सकते हैं हम???" मोक्षा के पापा अब गुस्से में थे।

"पापा... मम्मी पापा वो... मै किसीको पसंद करती हूं।" मोक्षा जीझककर बोली।

" कौन है? कहां का रहेनेवाला है? क्या करता है? सब बताओ हमें।"

" पापा वो मेरी ही कालेज में पढ़ता है, सुदीप नाम है उसका। अभी साथ ही C.A की पढ़ाई भी कर रहा है। कालेज के हॉस्टल में रहता है। "

" ठीक है बेटे। हम आपकी खुशी के लिए उसके घरवालों से बात करते हैं। लेकिन अगर वहां किसी वजह से बात नहीं बनती तो आप वही करेंगी जो आपकी मम्मी और हम कहेंगे। ठीक है बेटा? "

" जी पापा।"

***

मोक्षा से बात करने के बाद उसके माता पिता सुदीप की छानबीन में लग गए। उसके बारे में हर बात पता करके उनको मोक्षा की पसंद पर नाज़ हुआ। अब तो वो खुद चाहते थे के मोक्षा का संसार सुदीप के साथ बस जाए और उनकी बेटी की ज़िन्दगी संवर जाए।

उनके किसी करीबी रिश्तेदार से उन्हें पता चला के वे सुदीप के पिता के दोस्त है। उनकी मदद से उन्होंने मोक्षा और सुदीप के रिश्ते की बात चलाई। वैसे तो सुदीप का परिवार संपन्न था पर फिर भी वो लोग सीधे नहीं पर अलग अलग शब्दों से दहेज की मांग कर रहे थे। मोक्षा के माता पिता को बेटी की खुशी सबसे बढ़कर थी सो उन्होंने इस बारे में पहले मोक्षा से बात करना मुनासिब समझा।

" बेटे हमने सुदीप के साथ आपके रिश्ते की बात चलाई थी ये बात आप अच्छे से जानती हैं। लेकिन कुछ बात है जिसके बारे में आपको पता होना जरूरी है।" मोक्षा के पिता ने कहा।

" जी पापा। कहिए..."

" बेटे सुदीप के घरवालों को इस रिश्ते से कोई आपती नहीं है बशर्ते..." उन्होंने बात आधे में छोड़ दी। उन्हें समझ नहीं आ रहा थे इस बात को मोक्षा किस तरीके से लेगी।

"कहिए ना पापा... क्या कहा उन्होंने? क्या शर्त रखी गई है??" मोक्षा से अब बेसब्र हो रही थी।

" बेटे.. उन्होंने सीधे तौर पर दहेज नहीं मांगा पर उनका ये कहेना है के वे अपनी बेटी को दोनों हाथों से दहेज देंगे, हर मा बाप देते है। आप भी देंगे ही ना...."

इतना कहकर मोक्षा के पिता चुप हो गए। उन्होंने देखा के मोक्षा कुछ नहीं बोल रही पर उसकी बहेती आंखे बहुत कुछ बोल रही थी। इस वक़्त मोक्षा जिस मुकाम पर थी वहां उसके प्यार की लड़ाई उसके ज़मीर, उसके विवेक, उसके सिद्धांतो की थी। मोक्षा दहेज जैसे कुप्रथाओं के सख्त खिलाफ थी ये बात उसके मा बाप भलीभांति जानते थे। इस लिए अब आगे  फैसला उन्होंने मोक्षा पर छोड़ दिया। वो जानते थे मोक्षा सुदीप से बेहद प्यार करती है पर उन्हें ये भी पता था के उनकी बेटी मोक्षा कभी भी किसी भी क़ीमत पर अपने सिद्धांतो से समझौता नहीं करेगी।

क्रमशः ...