Begunaah gunehgaar - 14 in Hindi Short Stories by Monika Verma books and stories PDF | बेगुनाह गुनेहगार 14

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बेगुनाह गुनेहगार 14

सुहानी सारी मुश्किलें अकेले सह रही है। दो तीन महीने में एक बार अयान से बात हो जाती है। 

सुहानी  अपने स्टाफ में भी सबकी प्यारी है। सब पर भरोसा आने के बाद कभी कभी एक दो मेसेज भेज देती है। 

सुहानी के साथ काम करने वाले एक किरण कुमार भी है। एक दिन अचानक सुहानी को काम के बहाने अपने घर बुलाया। सुहानी गई तो देखा के वो पूरे घर मे अकेले है। सुहानी वो सुहानी को किस करने के लिए कह रहे है। लेकिन सुहानी नही मानी। और वहाँ से चली गई।

दूसरे दिन सुहानी से माफी मांगी। बिल्कुल वैसा ही हो रहा है जैसे रोहित ने उसके साथ किया। सुहानी चौकन्ना हो गई  । अब जाकर उसे रोहित की असलियत समझ मे आई। रोहित भी सिर्फ सुहानी का फायदा ही उठाना चाहता था। 

कहते है न जो हुआ अच्छा हुआ। अगर रोहित उसकी जिंदगी में न आया होता तो सुहानी पक्का मि. किरण के जाल में फस जाते। 

एक हफ्ते बाद मि. किरण सुहानी के घर पहुच गए। सुहानी अकेली रहती है यह जानकर उसका फायदा उठाने की कोशिश की। सुहानी ने जैसे दरवाजा खोला वो झट से घर के भीतर आ गए। 

सुहानी को उठा कर उसे अंदर ले गए। सुहानी के कपड़े उतार ने की कोशिश की। लेकिन सुहानी उसके हाथ न आई। और वो चला गया। 

अब जैसे मौका मिलता वो सुहानी के घर चला जाता और उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करता। सुहानी किसे बताए इस बारे में। पापा को? मम्मी को? इराही को? दोस्तो को? या गांव के अनजान लोगों को। जो वैसे भी बातो का बतंगड़ बनाने में तुले हुए है। 

एक साल बीत गया। मि. किरण की बदतमीजी सहते। किसी तरह अयान को इस बारे में पता चल गया। अयान ने कहा दिल मे बदले की पूरी चाह जगाओ फिर कोई कदम उठाना। वरना सब उलटा हो जाएगा। जब भी सुहानी ऐसा कुछ सोचती अपने मम्मी पापा को देखकर चुप चाप बैठ जाती।

सुहानी के जीवन मे एक के बाद एक मुसीबते आ ही रही है। उसके अपने ही उसके साथ नही है। किससे लडे। अपने आप से या लोगो से। 

सुहानी हैरी और इराही के साथ ज्यादा खुश रहती है। क्योंकि यही वो जगह है जहाँ सुहानी बिल्कुल सुरक्षित है। लोग तो बाते करने से ही बाज नही आते। ऊपर से पेरेंट्स भी सुहानी के खिलाफ। पापा को कई बार मना करने के बाद भी वो अंकल को बुला लेते। अंकल अब सुहानी के साथ ऐसा कुछ करते नही है। लेकिन विश्वास नाम की भी कोई चीज होती है।

हैरी मम्मी के बहोत करीब है। सुहानी खुश है कि जो प्यार सुहानी के खुद के नसीब में नही वो हैरी को तो मिला। हैरी ही एक ऐसा शख्स है जो कभी उसे किसी भी कम के लिए फ़ोर्स नही करता।

सुहानी अपने सपने पूरे करने में लगी है। सुहानी के किताबे खरीद चुकी है। बस एक बिल्डिंग की जरूरत है। एक छोटा सा मकान खरीद लिया। उसमे रैक लगा कर उसमें अच्छी वाली किताबे मंगवा कर रखी। 

नाम रखा संजीवनी। अभी तो सिर्फ शुरुआत है।  हैरी और उसके दोस्तों को भी इसमें जोड़ दिया। किताबे बारकोड लगा के सारे डेटा कंप्यूटर पे डाल दिए। यहाँ लोगो के नाम अलग तरीके से लिखे जाते । सुहानी नही चाहती कोई भी नात जात इसे रोके। इसीलिए पहले नाम, उसके बाद गार्डियन का नाम फिर जन्म स्थल। अलग ही system निकली सुहानी ने। 

यहाँ पर साइंस की किताबें, भगवद गीता, कुरान, बाइबिल, सारे धर्म पुस्तक, मोटिवेशनल स्टोरी की किताबें रखी। एक बॉक्स लगा दिया । जो बुक्स कोई मंगवाना चाहता हो उसकी चिट बनाकर बॉक्स में डाल देते। सुहानी वो बुक खुद पढ़ने के बाद उसे मंगवाने लायक लगती तो ही मंगवाती। क्योकि शहर की सरकारी लाइब्रेरी में कुछ किताबे मिल ही जाती। साथ मे प्रकृति का भी अच्छा ख्याल रखा। खुली जगह में पौधे लगाए है। जिसका बहोत ख्याल रखती है। 

एक म्यूजिक रूम रखा। उसमे उससे हो सके उतने म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट मंगवाए। और कई इंस्ट्रूमेंट्स बाकी है। सुहानी पढ़ने वाले , आगे बढ़ने वाले लोगो को सबकुछ मील जाए, जो खुद ने खोया है वो हर कोई न खोए इस ख्वाइश में यह लाइब्रेरी खोल चुकी है। साथ मे जॉब तो है ही। और भी बहोत कुछ करवाना चाहती है।

हर महीने अपनी सैलरी का 2 प्रतिशत हिस्सा निकाल के साइड में रख देती है। और साल के अंत ने इकट्ठे हुए पैसे को NGO में दे देती है। 

यही है सुहानी का जीवन । खुद के साथ इतना सब कुछ होने के बाद खुद ही अयान से दूर हो गई। अयान को तो मुझसे भी अच्छी लड़की मिल जाएगी। यह सोच कर सुहानी अयान की जिंदगी में वापस नही गई। 

सुहानी एक ऐसी गुनेहगार बन चुकी है जो बेगुनाह है। एक आखरी ख्वाइश है देश और प्रकृति के लिए कुर्बान हो जाए। क्या सुहानी की आखरी ख्वाइश पूरी होगी?