Shantanu - 18 in Hindi Fiction Stories by Siddharth Chhaya books and stories PDF | शांतनु - १८

Featured Books
Categories
Share

शांतनु - १८

शांतनु

लेखक: सिद्धार्थ छाया

(मातृभारती पर प्रकाशित सबसे लोकप्रिय गुजराती उपन्यासों में से एक ‘शांतनु’ का हिन्दी रूपांतरण)

अठारह

मंदिर की सीढियां खत्म होते ही शांतनु ने अपने जूते उतारे और सीधा मंदिर के गर्भगृह में दौड़ पड़ा और जिसको अपना दोस्त मानता था वैसे भगवान शिव से उसने अपनी उस ‘भूल’ पर बार बार माफ़ी मांगी और अगर शिव इस माफ़ी को पर्याप्त नहीं मानते तो उसे कठोर सज़ा देने की भी बार बार विनती की|

शांतनु ऐसे ही थोड़ी देर शिव लिंग के पास आँखे बंद कर बैठा रहा| दोपहर के इस समय में कोई मंदिर नहीं आता इस लिए शांतनु का ध्यान तब तक बिलकुल भंग नहीं हुआ जब तक उसके दिल को राहत महसूस नहीं हुई| जैसे ही शांतनु का मन शांत हुआ और अपराध भाव दूर हुआ वो उठ खड़ा हुआ, शिव के सामने हाथ जोड़ कर अपना सर झुकाया और बाहर निकला, जूते पहने और सीढियां उतर गया|

==::==

मंदिर से शांतनु सीधा घर चला आया, अपनी तबियत के बारे में न तो ज्वलंतभाई और न तो अनुश्री को कुछ न बताने की उसकी अक्षय को दी हुई हिदायत काम में आई और ज्वलंतभाई ने शांतनु के जल्दी घर आने का कोई कारण नहीं पूछा, क्यूंकि भूतकाल में भी शांतनु काम जल्दी खत्म कर के कई बार घर जल्दी आ चुका था| ज्वलंतभाई ने शांतनु का स्वागत किया और अपने कमरे में दोपहर की नींद लेने चले गए|

पर शांतनु को अपने ‘सो कोल्ड’ गुनाह का एकरार अपने शिवा के सामने करने के बाद मिली मानसिक शांति कुछ पल ही कायम रही| घर आते ही उसे फ़िर से बेचैनी होने लगी, वो बार बार किचन में जा कर पानी पीने लगा| थोड़ी देर के बाद उसने टीवी बंद किया, अपने कमरे में गया, लैपटॉप ऑन किया और इंटरनेट सर्फ़ करने लगा| पर जैसे ही उसने फ़ेसबुक पर लोगिन किया की उसे अनुश्री के स्टेट्स ओर फोटोग्राफ्स के ही अपडेट्स देखने को मिले, तो उसका दिल फ़िरसे गभराने लगा| उसने लैपटॉप बंद किया और थोड़ी देर सोने की कोशिश की पर वो तो संभव ही नहीं था|

ज्वलंतभाई की बनाई हुई दोपहरवाली चाय पीने के बाद वो अपने फ़्लैट के नीचे वाले गार्डन में जा कर बैठा वहां अपने सैलफोन पर अपने पसंदीदा गाने सुनने लगा पर वो गाने भी उसकी बैचेनी दूर न कर सके|

शांतनु की यह हालत पूरी शाम वैसी की वैसी ही रही| रात को भी उसे मुश्किल से और बड़ी देर के बाद नींद आई| सुबह उठ कर खराब तबियत का बहाना बना कर उसने ऑफ़िस से छुट्टी ले ली| ज्वलंतभाई को फ़िक्र न करने को और वो ख़ुद डोक्टर को दिखा कर आयेगा ऐसा कह के उन्हें शांत कर दिया| अनुश्री के गुड मोर्निंग मैसेज का जवाब आज वो पूरा दिन बाहर है इस लिये ऑफ़िस नहीं आयेगा लिख कर दे दिया| दूसरी ओर अक्षय को उसने अपनी ख़राब तबियत के बारे में तो बताया पर इसके बारे में अनुश्री को कुछ पता नहीं वो भी बता दिया|

“पर अब क्या? और कितने दिन ऐसे ही घर पर बैठा रहूँगा? शिवा के सामने अपने अपराध को स्वीकार किया फ़िर भी मैंने कुछ गलत किया है वो सोच सोच कर ये बेचैनी भी तो दूर नहीं हो रही| अब क्या करूं? अक्षय को कह कर अपने दिल का बोझ हल्का कर दूं? हाँ ऐसे ही करता हूँ| अक्षय के आलावा मेरी मुश्किल और कौन समझेगा? हाँ यही सही होगा| शाम को उसे आई आई एम की किटली पर बुला लेता हूँ” शांतनु अपने कमरे में एक मैगेजीन के पन्ने आगे पीछे करते हुए सोच रहा था|

शांतनु ने अपना मोबाईल फ़ोन उठाया और अक्षय का नंबर डायल करने ही वाला था की फ़िर से मन में उठे किसी विचार ने उसे रोक दिया|

“नहीं, इस बात को अक्षय से शेयर करने से भी क्या फायदा? वो भी भूल जाइए भैया? इस में बुरा क्या है? यह तो सब नेचुरल है.. ऐसा बोल कर मुझे समझाने की कोशिश करेगा| जब शिवा के सामने सबकुछ कबूल करने के बाद भी बेचैनी दूर नहीं हो रही तो अक्षय से बात करने का क्या फ़ायदा? मुझे एक मज़बूत उपाय ढूँढना होगा ताकी मुझे इस अपराध भाव से सदा के लिए मुक्ति मिल जाये|” और शांतनु ने अपना सैलफोन लोक कर दिया|

शांतनु की हालत बद से बदतर हो रही थी| ज्वलंतभाई को सिर्फ़ दिखाने के लिये वो अपने फैमिली डोक्टर के पास गया और थकान की गोलियां ले कर वापस घर आया| अपने मन में हो रही इस कश्मकश के बारे में अपने पिता को पता न चले इस लिये शांतनु नोर्मल रहा| खाने का एक निवाला भी खाने का उसका दिल नहीं था पर फ़िर भी उसने ठीक तरह से लंच किया ताकी ज्वलंतभाई को कोई शक न हो| खाना खाने के बात वो फ़िर अपने कमरे में गया और इस परिस्थिति से निकलने का कोई ठोस उपाय ढूंढने लगा|

“एक मिनट, गुनाह तो मैंने अनुश्री का किया है ना? वो मुझे कितना रिस्पेक्ट देती है पर फ़िर भी मैंने उसके बारे में गंदा सोचा, तो मतलब साफ़ है, मुझे अनुश्री से ही माफ़ी मांगनी चाहिए| हाँ मैं अनु का गुनहगार हूँ इसी लिए अब अनु मुझे माफ़ नहीं करेगी तब तक किसी के सामने भी में यह बात करूंगा तो वो मेरे मन को शांत नहीं करेगा| पर क्या यह सब मैं अनु से कहूँगा तो वो...? क्यूँ नहीं? वो मोडर्न ख्यालात रखती है, वो इस नेचुरल फिलिंग को समझ जायेगी...

... पर अगर उसे गुस्सा आ गया और वो फ्रेंडशिप भी तोड़ देगी तो? ना ना... मुझे इतना बड़ा रिस्क नहीं लेना चाहिए| मैं तो उसके सामने सच बोलूँगा पर वो मेरे सच को किसी और तरीके से लेगी तो? नहीं नहीं, अगर आज अनु के सामने कन्फैस नहीं करूंगा तो सदा के लिए ऐसे ही बेचैन रहूँगा| कुछ भी हो मैं आज ही उसे सब बता दूंगा और फ़िर दिल से उसकी माफ़ी भी मांग लूँगा, फ़िर जो भी होगा देखा जायेगा...

... मेरा शिवा मेरे साथ है ना? वो मेरा ख्याल रखेगा| अनु मुझे अपना बेस्ट फ्रेंड फॉर एवर समझती है तो वो इतना तो समझेगी ही ना के मैं उसके प्रति इमानदार हूँ? और कोई होता तो करता ऐसी हिम्मत? शायद वो इस पूरी बात को पोज़िटिवली ले और उसका मेरे प्रति रिस्पेक्ट और भी बढ़ जाये? और फ़िर कुछ दिनों बाद मैं उसको प्रपोज़ भी कर दूंगा| और कुछ नहीं तो मेरे दिल पर दो दिन से ये बोझ है वो तो हल्का होगा? हाँ बस अब यही रास्ता है, और आज ही मैं अनु के सामने अपने गुनाह का एकरार कर लूँगा, वरना कई और दिन मुझे इसी तरह घूमना पड़ेगा और ठीक से काम भी नहीं कर पाऊंगा...” शांतनु ने अपना मन मज़बूत किया और निर्णय ले लिया की वो हिम्मत जुटा कर अनुश्री को सब कुछ बता देगा|

घड़ी दोपहर के तिन दिखा रही थी| शांतनु ने अपना मन मज़बूत किया और अनुश्री को पहले वोट्स एप पर “केन आई कॉल यु? इट्स काइंडा अर्जन्ट|” मैसेज किया|

“श्योर शांतु, इज़ एवरी थिंग ओके विद यु?” अनुश्री ने तुरंत ही जवाब दिया|

शांतनु ने फ़िर अनुश्री के जवाब का जवाब देने की बजह उसे सीधा कॉल की किया और शाम को अनुश्री जब ऑफ़िस से घर जाने को निकले तब उसे हररोज़ वो दोनों जहाँ साथ में लंच लेते थे उसी रेस्तरां में मिलने का निर्णय लिया| लगभग एक घण्टे बाद शांतनु ज्वलंतभाई को अक्षय का कुछ काम है का बहाना बता कर घर से रवाना हो गया|

लगातार दो दिन से जो शांतनु बेचैन और डरा हुआ था उसमे आज गज़ब की मज़बूती आ गई थी| जिस अनुश्री के सामने वो अपने प्यार का इज़हार करने से महीनों तक डर रहा था आज वो उसके सामने ऐसी बात करने के लिए जा रहा था जो बहुत ही निजी थी पर अनुश्री के साथ उसको शेयर करना उसके लिए ज़रुरी बन गया था और इस बात को अनुश्री के साथ शेयर करने के बाद उसकी और अनुश्री की दोस्ती पहेले जैसी बनी रहेगी या नहीं उसकी कोई भी गारंटी नहीं थी| पर शांतनु इस सच को और छुपा नहीं सकता था और उसे मालुम हो गया था की सच्चाई भले एक बार दर्द देती है पर फ़िर बाकी की ज़िन्दगी आराम ही आराम मिलता है|

==::==

“क्या हुआ शांतु? जल्दी बोल, सब ठीक है ना? जब से तुम्हारा कॉल आया है, आई एम वरीड फ़ॉर यु|” अनुश्री के चेहरे के हावभाव से उसकी चिंता स्पष्ट दिखाई दे रही थी|

“सब ठीक नहीं है अनु, मुझ से एक भूल हो गई है जो नहीं होनी चाहिए थी|” शांतनु सीधा मुद्दे पर आया, उसे अपने दिल के बोझ को जल्द से जल्द कम करना था|

“ओह! ऐसा क्या हो गया शांतु? इज़ इट देट सिरियस?” अनुश्री के चेहरे पर चिंता और बढ़ गई|

“हां, सिरियस और बहुत ही ज़्यादा सिरियस एन्ड द वर्स्ट पार्ट इज़ देट इट इन्वोल्व्ज़ यु अनु!” शांतनु ने जवाब दिया, वो अब नर्वस नहीं था बल्कि उसकी आवाज़ और मज़बूत हो गई थी|

“मैं इन्वोल्व्ड हूँ? ऐसा क्या हो गया? नाओ यु आर स्केरिंग मी शांतु...अब कोई इधर उधर की बात मत करो और सीधा सीधा बता दो की क्या हुआ है?” अनुश्री के चेहरे पर अब चिंता से ज़्यादा गभराहट झलक रही थी|

“हाँ वहीँ कहनेवाला हूँ, पर हो सके अनु, तो आप मुझे एक प्रोमिस दीजिये की मैं जो कुछ भी अब कहनेवाला हूँ, आप उस पर तुरंत ना तो कोई रिएक्शन देंगी और न तो कोई त्वरित निर्णय लेंगी|” शांतनु ने अनुश्री से वचन लिया|

मरता क्या न करता? शांतनु के पास अनुश्री के साथ उसका संबंध जुड़ा रहे उसकी खातिर अब इस वचन की कच्ची ड़ोर के आलावा और कोई भी रास्ता नहीं था|

“ओके, आई प्रोमिस, पर अब तुम मुझे जल्दी बताओ की क्या हुआ है?” अब अनुश्री से रहा नहीं जा रहा था|

“ओके लिसन, लास्ट संडे जब हम दोनों लंच के लिए मिले और सडनली थोड़ी देर बारिश हुई और आप पूरी तरह भीग गई थी| फ़िर हम उपर रेस्तरां में गए और वहां ऑर्डर देने से ले कर जब तक हम दोनों अपने अपने घर जाने के लिए अलग अलग रास्तों पर नहीं चल दिये, मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके भीगे हुए शरीर को ही देख रहा था| मैं आपके लिए पल पल पागल हो रहा था अनु| इतना ही नहीं मेरे दिमाग में आपके लिए गंदे गंदे ख्यालात आने लगे| घर पहुँच कर भी मेरी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ| सोते समय भी आप ही आप मेरी नज़रों के सामने रही...

... दूसरे दिन सुबह मेरी हालत और बिगड़ी जब मुझे यह एहसास हुआ की मैंने बहुत गलत किया है तो मेरे मन में एक गिल्ट पैदा हुआ| मैं मंदिर भी जा कर आया पर कुछ फ़ायदा नहीं हुआ| मुझे लगा की मैं अक्षु को कह कर मेरे दिल का बोझ हल्का कर दूँ, पर फ़िर सोचा की उस से क्या होगा गुनाह तो मैंने आपका किया है ना? क्यूंकि वी आर फ्रेंड्स और दो दोस्तों के बीच...” शांतनु जैसे जैसे बोल रहा था वैसे वैसे उसके दिल का बोझ धीरे धीरे हल्का हो रहा था| अनुश्री के सामने अपने अपराध को स्वीकार करने की शांतनु की हिम्मत बढ़ ही रही थी पर तभी...

“नो वी आर नोट फ्रेंड्स...” अनुश्री ने शांतनु की बात को बीच में ही काट दी और उसे रोक दिया|

अनुश्री की बात सुन कर शांतनु स्थिर हो गया, उसे पता चल गया की अनुश्री ने उसकी सच्चाई को माफ़ नहीं किया है और अब उसकी और अनुश्री की दोस्ती कुछ ही पलों की मेहमान है| अब शांतनु को अनुश्री के गुस्से का सामना करना है, और शांतनु अपने आप को अनुश्री के दिल से फ़टने वाले ज्वालामुखी को सहन करने के लिए अपने आप को मानसिक रूप से तैयार करने लगा|

“म...म..म... मतलब?” इतनी देर तक मज़बूती से अपना पक्ष रख रहा शांतनु अब डरने लगा था|

“एट लिस्ट तुम मुझे अपनी दोस्त नहीं मानते...” अनुश्री बोली|

शांतनु लगातार अनुश्री को देख रहा था, उसे पढ़ने की कोशिश कर रहा था| पर पता नहीं क्यूँ शांतनु को अनुश्री के चेहरे पर गुस्सा बिलकुल ही नज़र नहीं आ रहा था, या फ़िर गभराहट में शांतनु अनुश्री का गुस्सा पढ़ नहीं पा रहा था?

“नो... नो... अनु मैं आपको अपनी सबसे पक्की दोस्त ही मानता हूँ, बी ऍफ़ ऍफ़... और तभी मैं आपके सामने इस कन्फेशन करने की हिम्मत जुटा पाया हूँ, क्यूंकि एक दोस्त ही दूसरे दोस्त की कितनी भी बड़ी गलती को माफ़ कर सकता है|” शांतनु

“नो शांतनु, तुम मुझे अपनी दोस्त नहीं मानते, क्यूंकि तुम मुझसे प्यार करते हो और वो भी ढेर सारा!!” अनुश्री ने जैसे की बम ब्लास्ट किया...

...और शांतनु हक्का बक्का हो गया|

“तुम्हें क्या लगता है शांतु की उस दिन जब तुम मेरे क्लीवेज को स्टेयर कर रहे थे तब मुझे कुछ पता नहीं चला था क्या? अरे मिस्टर हम फीमेल्स के पास एक एक्स्ट्रा सैंस होती है, सिक्स्थ नहीं तो शायद सेंवेंथ| हमें हमारी और देखने वाली पुरुषों की हर नज़र और हर हरकत का पता चल जाता है| अब जा कर अनुश्री के चेहरे पर स्माइल आयी|

“मतलब की तब आप मुझे देख रहीं थीं?” शांतनु भोंचक्का रह गया|

“अफकोर्स, शांतु, वरना सिर्फ़ दो पेइज के मेन्यु कार्ड को देखने में कोई पांच मिनिट्स क्यूँ बिगाड़ेगा, उल्लू?” अनुश्री अब हंसने लगी और वो भी खिलखिलाते हुए|

“मतलब, की मैंने अभी जो कहा उस बात से आपको कोई प्रॉब्लम नहीं है?” शांतनु को लगा की वो शायद कोई सपना देख रहा है|”

“ओह, कमोन यार, मैं तुम्हारी तरह उल्लू नहीं हूँ और ना ही मैं हडप्पा और मोहेंजो डारो के ज़माने की लड़की हूँ| मुझे भी मेल-फिमेल के फिज़िकल ऐट्रेकशन का सब्जैक्ट पसंद है और मैंने उस बारे में बहुत पढ़ा भी है एन्ड आई नो की इट्स नेचुरल| देखो किसी भी अलग अलग जेंडर के बीच फिज़िकल ऐट्रेकशन होना स्वाभाविक है| पर हाँ मुझे यह बात बहुत पसंद आयी की तुमने हिम्मत कर के मुझे सब सच बता दिया| पता है उस दिन मैं भी तुम्हारी हालत देख कर मुस्कुरा रही थी, पर घर पहुँच कर मैं तो उस बात को भूल भी गई थी| पर आज तुमने जो कहा उस से साबित होता है शांतनु की तुम्हारा दिल बिलकुल ही बिलकुल साफ़ है, जिसका मुझे पहेले से ही शक था| अनुश्री हंसते हुए कहा|

“हें??” यह सब सुन कर शांतनु तो जैसे किसी ने उसका अप्रैल फूल बनाया हो उस तरह अनुश्री को देख रहा था|

“पर मुझे तुम्हारी एक बात पसंद नहीं आयी शांतु!” अनुश्री बोली, उसके चेहरे पर गंभीरता छा गई|

क्रमशः