भाग दौड़ वाली जिंदगी से अनिता खुश तो नही थी पर ये उसकी नियति बन गयी थी , उसने हमेशा से सोचा कि बस ग्रहस्थ जीवन जीऊँगी जहाँ घर की जिम्मेदारियों को बख़ूबी निभाउंगी, पर जो हम सोचते है अक्सर वो हमारी किस्मत में होता नही , ठीक वैसा ही अनिता की जिंदगी में हो रहा था, शादी को 12 साल बीत चुके थे एक बेटी और एक प्यारा सा बेटा था, पति वैसे तो बहुत अच्छे स्वभाव के थे परंतु आर्थिक तंगी की चोट से घायल थे, एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत थे, तनख्वाह इतनी ही होती जितना घर का काम चल सके, बच्चे पहले छोटे थे तो काम चल जाता था ,फिर बच्चे बड़े हुए और जरूरतों ने अपना रूप बदला, ऐसे में अनिता ने सोचा अब तो नॉकरी करनी ही पड़ेगी,तभी घर की और बच्चो की जरूरतों का ताल मेल बैठेगा,
अच्छी पढ़ी लिखी थी तो उसे वक़्त नही लगा अच्छी नौकरी मिलने में, पर सब कुछ ठीक होते होते वो मायूस होने लगी थी थकावट उसके व्यवहार और चेहरे पर दिखने लगी थी, वक़्त बीत रहा था अपनी रफ्तार से की एक दिन अनिता को इंसानी रूप का वो भयावह चेहरा देखने को मिला जिसकी वो उम्मीद नही की थी।
एक दिन बॉस ने अनिता को अपने केविन में बुलाया, अनिता को ऐसा बिल्कुल नही लगा कि जिस तरह वो रोज बॉस के बुलाने पर जाती थी ठीक वैसे ही आज भी वो बॉस के बुलाने पर गयी,
देखो अनिता तुम बहुत ही काबिल हो ,बहुत ही निष्ठा से अपना काम करती हो, पर हमेशा परेशान रहती हो ,क्या किसी बात की समस्या है तुम्हे,तुम मुझे बता सकती हो , और एक अनचाहा स्पर्श उसे उसके कंधे पर महसूस हुआ, उसे सब समझ आ गया था, बॉस की नीयत भी उसे समझ आ गयी थी,
एक पल मन में लगा कि मेरा औरत होना आज मुझे इस समस्या तक ले आया, क्या मेरा औरत होना कमजोर होने की निशानी है, क्या ये मर्द है तो इसे लाइसेंस मिल गया मुझे परेशान करने का
इतने में उसे पता नहीं कहा से जोश आया और पलट के बॉस को अच्छा तमाचा मारा, आज के बाद मुझसे बदतमीजी से बात की तो जेल की हवा खाओगे,मुझे कमजोर मत समझना और खुद को ताक़तवर मत समझना ,
बॉस को मुँह से एक शब्द नही निकला उसे ऐसी उम्मीद नही थी अनिता से पर अनिता का ये रूप देखकर वो घबरा गया ,अनिता के शब्दों की गूंज पूरे ऑफिस में सब कर्मचारियों तक पहुँच रही थी,जब वो बाहर निकली तो सबने उसकी बहादुरी पर तालियां बजाई ,और उसकी हिम्मत की सराहना की, आज अनिता में एक अलग ही जोश था,जैसे उसने खुद के डर पर विजय पाली हो।और आत्मविश्वास और बढ़ गया था ।
दोस्तों ऐसी कई महिलाएं होंगी हमारे देश में जो अपने बॉस ,अपने सहकर्मियों की गंदी नजर का शिकार होती है ,बहुत ऐसी महिलाएं होती है डट कर सामना करती है,और बहुत ऐसी जो चाह कर भी अपने डर पर विजय नही प्राप्त कर पाती,परन्तु हमारे समाज हमारे देश में ये गंदगी क्यों व्याप्त है जहाँ एक मर्द बस अपनी मर्दानगी को इस तरह औरत के ऊपर जाहिर करता है, और इस बात से उस पर कोई फर्क नही पड़ता कि उस के बीबी ,बच्चे हो, पर फिर भी एक औरत बदनाम होती है , इसका मतलब हमने जो नियम बनाये है वो औरत को दोषी ठहराते है, और इसी का फायदा मर्द उठाते है, जरूरी नही हर औरत अनिता बन पाए बस इसी कारण बहुत सी महिलाये अपने खुद के घर मे कैद हो जाती है,उनकी पढ़ाई लिखाई सब मिट्टी में मिल जाती है।
धन्यवाद
सोनिया चेतन कानूनगों