मोक्षा से बात करने के बाद सुदीप भी थोड़ा उलझन में पड़ गया था कि अगर अनीश की कही बात सच हो गई तो फिर मोक्षा को संभालना वाकई बहुत मुश्किल हो सकता है क्यों कि वो मोक्षा के महत्वाकांक्षी स्वभाव से परिचित था। वो अच्छे से समाजता था के मोक्षा उसके इनकार को नहीं झेल पाएगी। फिर भी बात की सच्चाई जानने के लिए कल उससे मिलना जरूरी था और हो सके तो मोक्षा को समझाना भी...
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मोक्षा सुदीप के इंतज़ार में एक घंटा पहले ही कॉफी शॉप में आकर बैठ गई और यहां सुदीप इसी उधड़बुन में लगा था के मोक्षा से मिले या जानबूजकर कोई बहाना बनाकर ना जाए। वादा किया था मोक्षा से इसलिए अब जाने के अलावा कोई चारा भी नहीं था।
सुदीप समय से कोफी शॉप पहोंच गया। उसे अंदर आते देख मोक्षा ने वेव किया। सुदीप मोक्षा के टेबल की तरफ़ बढ़ा।
" हाई, कब आई?" सुदीप ने अपनी जगह पर बैठते पूछा।
"बस अभी अभी आयी, तू बता कैसा है?"
"बस बढ़िया। तुझे कुछ बात करनी थी। बता क्या बोलना था..."
"उफ्फ... आते ही सीधा CID जैसे सवाल जवाब चालू कर दिए तूने तो यार। पहले बता क्या लेगा?" मोक्षा ने कहा।
" फिलहाल कुछ नहीं चाहिए मुझे। Actually मुझे अभी थोड़ा लेट हो रहा है तो प्लीज़ जल्दी बता क्या बात थी।"
" अब कहां जाना है तुझे? किसी और को टाइम दिया है क्या? " मोक्षा नाराज़ होकर बोली।
" क्लास के लिए जाना है।"
" आज मत जा। एक दिन नहीं जाएगा तो तेरा रैंक नहीं चला जाएगा।"
" देख मोक्षा, मेरे लिए मेरी पढ़ाई और मेरा कैरियर ही सब कुछ है। उसमें मै कोई उन्नीस बीस नहीं चला सकता। और मेरी माने तो तुझे भी अपने फ्यूचर पर ध्यान देना चाहिए। समझी...." सुदीप ने अपनी बात रखी।
"मेरा फ्यूचर तो तुझसे बांधा है सुदीप...." इतना बोलते मोक्षा की आंखो से आंसू आने लगे।
" क्या बोल रही है तु???"
" वहीं जो तूने सुना। सुदीप... सुदीप I... I love you Sudip...."
" ये सब पागलपन है मोक्षा। और ये सब मुमकिन नहीं है। तू मेरी अच्छी दोस्त है बस। और वैसे भी अब मुझे प्यार शब्द पर यकीन नहीं। मै सिर्फ अपने फ्यूचर पर ध्यान देना चाहता हूं जो के इन सब में फस कर बर्बाद हो जाएगा। देख मोक्षा, तू अच्छी लड़की है और मेरी दोस्त भी इसलिए तुझे समझा रहा हूं आगे तेरी मर्जी। बाय...." इतना कहेकर सुदीप वहां से चला गया। और मोक्षा वही सुन्न होकर बैठी रही।
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सुदीप के आते ही अनीश ने सवालों की झड़ी लगा दी। लेकिन सुदीप उस वक़्त किसी से बात नहीं करना चाहता था। वो जनता था के उसके इनकार ने मोक्षा के दिल को चोट पहोंचाई है लेकिन ये जरूरी था। उसके और मोक्षा दोनों के लिए। और वहां मोक्षा का हाल बेहाल था। वो अब ना ही कॉलेज जाती और ना ही क्लासेस। उसने अपना हाल बिगड़ रखा था सुदीप की याद में। दिन रात मोक्षा सुदीप के ख़यालो में राहेती। वो सुदीप से बात करने की कोशिश करती तो सुदीप उसे नजरअंदाज किया करता।
वहां मोक्षा की हालत उसके मा बाप से छुपी ना थी। वो भी मोक्षा में आए बदलाव से काफी हैरत और चिंता में थे। उन्होंने मोक्षा के दोस्तों से पता लगाया के मोक्षा किसीको पसंद करती है। और शायद यही वजह है उसमें आए इस बदलाव की। एक शाम उन्होंने अपनी बात मोक्षा से करने की तैयारी की।
क्रमशः....